ग्रामीण परिवेश में कार्यरत हिन्दी भाषा के लिए समर्पित सॉफ़्टवेयर इंजीनियर जगदीप डांगी का एक खास साक्षात्कार (जगदीप डांगी मध्यप्रदेश के एक छो...
ग्रामीण परिवेश में कार्यरत हिन्दी भाषा के लिए समर्पित सॉफ़्टवेयर इंजीनियर जगदीप डांगी का एक खास साक्षात्कार
(जगदीप डांगी मध्यप्रदेश के एक छोटे से कस्बे गंजबासौदा में रहकर हिन्दी सॉफ़्टवेयर विकास में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं. अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें)
1) क्या आप पाठकों को अपने बारे में कुछ बता सकते हैं? ग्रामीण पृष्ठभूमि से होते हुए भी कम्प्यूटर के प्रति आपके अनुराग और उत्साह के पीछे कौन से कारण रहे?
मैं म.प्र. के विदिशा जिला के एक छोटे से शहर गंजबासौदा का निवासी हूँ। पांच भाइयों में मैं सबसे छोटा व अपने माता-पिता का सबसे लाड़ला बेटा हूँ। मैंने सन् 2001 में एस.ए.टी.आई. विदिशा से बी.ई. स्नातक सी.एस.ई. शाखा के तहत उत्तीर्ण की। मेरी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई। हायर सैकेण्डरी शिक्षा गणित-विज्ञान विषयों के साथ की और प्रथम श्रेणी में 84 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की और जिला प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान व म.प्र. प्रावीण्य सूची में तीसवाँ स्थान प्राप्त किया। इसके उपरान्त घर पर ही पी.ई.टी. परीक्षा की तैयारी की और इसे उत्तीर्ण किया जिससे मेरा बी.ई., सी.एस.ई. शाखा के तहत एस.ए.टी.आई. विदिशा में चयन हो गया।
ग्रामीण व साधारण पृष्ठभूमि से होने के कारण कम्प्यूटर लाइन में मेरा एकाएक प्रवेश मेरे लिये सहज नहीं था, क्योंकि मेरे पिताजी एक साधारण किसान हैं जो कि गंजबासौदा के समीप एक बहुत ही छोटे से गाँव ग्राम भुँआरा में कृषि कार्य करते हैं, अत: मैं एक ग्रामीण परिवेश से होकर किसान परिवार से हूँ। गाँव में स्कूल न होने की वजह से पिताजी ने मुझे और भाईयों को पढ़ाने के लिये गंजबासौदा में ठहरा दिया। क्योंकि जब मैं लगभग सात वर्ष की उम्र का था तब मुझे पोलिओ हो गया और इसी के इलाज के दौरान एक इंजेक्शन का रिएक्शन हो गया और एक पैर के साथ-साथ एक आंख भी खराब हो गई। इस पूरे घटना क्रम के बाद लम्बे इलाज के दौरान मेरा जीवित बचना मेरे माता-पिता के लिए बहुत ही सुखद रहा। माता-पिता और भाईयों के समर्थन और हिम्मत ने अच्छी शिक्षा के लिये प्रेरित किया और ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद से और अपने कठोर परिश्रम से अच्छी शिक्षा प्राप्त की और अंतत: बी.ई., सी.एस.ई. स्नातक प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। कम्प्यूटर लाइन एक टेबिल वर्क थी न कि फील्ड वर्क जो कि मुझे उपयुक्त थी और इसी उपयुक्तता के लिहाज से मेरे परिवार वालों ने मुझे इस लाइन में प्रवेश दिलाया था।
बी.ई. करने के बाद मैं अपने स्वयं के प्रोजेक्ट 'भाषा-सेतु' पर कार्य करने में जुट गया और लगभग चार वर्षों के अथक परिश्रम से इसे पूर्ण करने में काफी हद तक सफलता भी प्राप्त की। 'भाषा-सेतु' प्रोजेक्ट एक बहुभाषी प्रोजेक्ट है इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य विभिन्न भाषाओं को कम्प्यूटर पर एक दूसरे से जोड़ना है, यह प्रोजेक्ट हमारे देश में सॉफ़्टवेयर के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ साथ हमारे देश का काफी रुपया भी बचा सकता है जो कि हमारी सरकार दूसरे देशों से सॉफ़्टवेयर/तकनीकी खरीदने में खर्च करती है। यह प्रोजेक्ट ग्रामीण भारत में कम्प्यूटर व इंटरनेट के इस्तेमाल व सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कार्य साबित हो सकता है जहाँ पर लोग कम्प्यूटर का उपयोग अपनी स्वयं की ही भाषा में सहजता से करना चाहते हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत निम्नलिखित हिंदी सॉफ़्टवेयर हैं:-
1- हिंदी एक्सप्लोरर :: आई-ब्राउज़र++
2- अंग्रेज़ी से हिंदी व हिंदी से अंग्रेज़ी :: शब्दकोश
3- ग्लोबल वर्ड ट्राँसलेटर ( अंग्रेज़ी से हिंदी ) :: अनुवादक
2) वह कौन सी प्रेरणा थी जिसने आपको अंग्रेज़ी के जाल पृष्ठों को हिन्दी में अनुवाद के लिए सॉफ़्टवेयर औजार बनाने हेतु संबल प्रदान किया?
आज के दौर में इंटरनेट पर सभी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियाँ व सूचनाएँ उपलब्ध हैं जैसे परीक्षाओं के परिणाम, समाचार, ई-मेल, विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाएँ, साहित्य, अति महत्वपूर्ण जानकारी युक्त डिजिटल पुस्तकालय आदि। परन्तु ये प्राय: सभी अंग्रेज़ी भाषा में हैं। भारतीय परिवेश में अधिकतर लोग अंग्रेज़ी भाषा में निपुण नहीं हैं। अत: कई हिंदी भाषी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करने में भाषाई कठिनाई महसूस करते हैं और कम्प्यूटर के उपलब्ध होते हुए भी वह कम्प्यूटर व इंटरनेट का उपयोग करने से वंचित रह जाते हैं। यदि इंटरनेट एक्सप्लोरर का संपूर्ण इंटरफेस हिंदी (देवनागरी लिपि) में होने के साथ-साथ इसमें वेबपृष्ठ के अंग्रेज़ी पाठ को माउस क्लिक के माध्यम से हिंदी में अनुवाद करने की सुविधा सहित हो तो अंग्रेज़ी भाषा की बाधा हिंदी भाषी कम्प्यूटर उपयोक्ताओं के काम में बाधा नहीं रहेगी! इसी सोच ने मुझे इस दिशा में काम करने की प्रेरणा दी। वेबपृष्ठ पर अनुवाद सुविधा कम्प्यूटर उपयोक्ताओं के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध सूचना को उनकी अपनी ही भाषा में समझने में सहायक होगी। अनुवाद सुविधा युक्त हिंदी एक्सप्लोरर न केवल अंग्रेज़ी भाषा की समस्या का हल है बल्कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे तमाम ग्रामीण आई.टी. शिक्षा कार्यक्रम की सफलता की गारन्टी भी बन सकता है।
3) किसान पुत्र से लेकर इंडिक कम्प्यूटिंग के लिए समर्पित सॉफ़्टवेयर इंजीनियर बनने का रास्ता निश्चित रूप से आसान तो नहीं रहा होगा. अपनी अंतःप्रेरणाओं तथा कम्प्यूटर तकनॉलाज़ी पर अपनी रूचि के बारे में कुछ बताएँ.
चूँकि मैंने 12वीं कक्षा तक हिंदी माध्यम स्कूल में पढ़ाई की थी और जब कम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एस.ए.टी.आई. में दाखिला लिया तब मुझे अंग्रेज़ी भाषा की बाधा सामने आई। तब मुझे एहसास हुआ के एकाएक भाषाई माध्यम तबदील होता है तो तमाम तरह की कठिनाईयाँ सामने आती हैं। मैं अंग्रेज़ी भाषा में खास तौर से इसके वार्तालाप में निपुण नहीं था, इसलिये मुझे व्याख्याताओं के अंग्रेज़ी व्याख्यानों को समझने में काफी कठिनाई आती थी। पर हाँ मेरा गणित विषयक ज्ञान और तर्क क्षमता काफी अच्छी थी और उसी के बल पर मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर सका। इसी तरह की भाषाई कठिनाइयाँ मुझे कम्प्यूटर पर खास तौर से इंटरनेट पर कार्य करते समय भी आती। मुझ जैसे करोड़ो हिंदी भाषी कम्प्यूटर उपयोक्ताओं को कम्प्यूटर के उपयोग में कई समस्याएँ सिर्फ अंग्रेज़ी भाषा में अपनी कमजोरी होने की वजह से आती हैं न कि इसकी तकनीकी की वजह से। अपने कैरियर में अंग्रेज़ी की तमाम परेशानियाँ झेलने व महसूस करने के बाद मैं कम्प्यूटर पर भाषाओं के बीच एक पुल बनाने के लिये प्रेरित हुआ और इस काम को अंजाम देने में जुट गया और 'भाषा-सेतु' प्रोजेक्ट के तहत एक हिंदी सॉफ़्टवेयर पैकेज तैयार किया। इसके लिए तमाम पुस्तकें और विभिन्न आई.टी. पत्रिकाएँ पढ़ीं तथा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आदि पर अपनी पकड़ को मजबूत किया और अपने आइडियास को कोड्स में तबदील करने के लिए पीसी पर दिन-रात जुटा रहा, की-बोर्ड की कुंजिंयों में दिन का उजाला तथा रात का अंधेरा भूल जाने के बाद इस कार्य को लगभग पूरा करने में सफलता प्राप्त की।
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4) हिन्दी में इंटरनेट ब्राउज़र बनाने का विचार कैसे उभरा? इस कार्य में आपको किस तरह की, कैसी कठिनाइयाँ हुईं?
मैं आई.टी. पत्रिकाओं का नियमित पाठक था और प्रत्येक माह एक या दो पत्रिकाएँ खरीदता था, इन पत्रिकाओं के साथ प्राय: सीडी आती थी जिसमें कई महत्वपूर्ण जानकारी युक्त आर्टिकल्स और कई तरह के सूचनाप्रद मैटर होते थे, ये आर्टिकल्स मात्र अंग्रेज़ी भाषा में ही होते थे और यह प्राय: एचटीएमएल फार्मेट में होने के कारण इंटरनेट एक्सप्लोरर में ही चलते थे जब भी मैं इन आर्टिकल्स को कम्प्यूटर स्क्रीन पर पढ़ता तो अंग्रेज़ी भाषा को समझने के लिये एक डिक्शनरी-पुस्तिका की सहायता लेनी पड़ती थी। और जब भी किसी अंग्रेज़ी शब्द का अर्थ नहीं आता तो उसे डिक्शनरी में से बार-बार देखना पड़ता था इससे काफी समय अर्थ ढूँढने में खर्च हो जाता था और तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि यदि इंटरनेट एक्सप्लोरर हिंदी इंटरफेस में हो तथा इसमें वेबपृष्ठ पर हिंदी में अनुवाद की सुविधा भी हो तो यह अंग्रेज़ी भाषा की समस्या का समाधान हो जायेगा। तब मैंने मनन किया यदि इस कार्य को मैं कर पाता हूँ तो यह मेरी स्वयं की समस्या हल होने के साथ-साथ करोड़ों हिंदी भाषी लोगों की समस्या का निदान हो जायेगा और यह कार्य कम्प्यूटर उपयोग के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी साबित होगा। यही सोचकर मैंने हिंदी एक्सप्लोरर आई-ब्राउज़र++ को विकसित किया। इसके निर्माण में मुझे कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तमाम तरह की कठिनाइयों के बावजूद ही ईश्वर की कृपा से और अपने कठिन परिश्रम से इस हिंदी एक्सप्लोरर को बनाने में सफल रहा।
हिंदी एक्सप्लोरर आई-ब्राउज़र++ :: (आईब्राउज़र के बारे में विस्तृत जानकारी यहाँ पढ़ें) यह विंडोज आपरेटिंग सिस्टम पर आधारित सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम है, जो कि विंडोज एक्सप्लोरर एवं इंटरनेट एक्सप्लोरर का संयुक्त रूप है। ''हिंदी एक्सप्लोरर'' की विशेषता यह है कि इसका संपूर्ण इंटरफेस हिंदी भाषा में होकर देवनागरी लिपि में है। इसकी सहायता से कोई भी साक्षर हिंदी भाषी व्यक्ति इसका उपयोग बखूबी अपनी भाषा में बिना किसी विशेष प्रशिक्षण के कम्प्यूटर पर विशेष तौर से इंटरनेट पर कार्य कर सकता है।''हिंदी एक्सप्लोरर'' में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुविधा है और वह है शब्द रूपांतरण (अनुवाद) की, इस बावत् इसमें तीन तरह के ट्रांसलेटर दिए गए हैं: लोकल वर्ड ट्रांसलेटर: यह एक ऐसा प्रोग्राम है जिसकी मदद से वेब-पेज पर उपस्थित अंग्रेज़ी शब्द पर माउस द्वारा क्लिक करने पर उस शब्द का न केवल हिंदी में अर्थ एवं उच्चारण बतला देता है, बल्कि उच्चारण सहित लगभग सभी समानार्थी शब्द भी देवनागरी लिपि में माउस पॉइन्टर के समीप दर्शा देता है। ग्लोबल वर्ड ट्रांसलेटर: यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो कि ''हिंदी एक्सप्लोरर'' के अलावा विंडोज के किसी भी सॉफ़्टवेयर के अंदर कार्य करने में सक्षम है, तथा संबंधित अंग्रेज़ी शब्द पर माउस द्वारा क्लिक करते ही हिंदी अनुवाद कर देता है। वेब पृष्ठ पर स्थाई शब्दानुवाद: यह बहुत ही महत्वपूर्ण शब्दानुवाद सुविधा है इस का उपयोग यूजर वेब पृष्ठ पर उपस्थित अंग्रेज़ी के जटिल शब्दों का अनुवाद कर उस पृष्ठ का प्रिन्ट आउट ले सकता है। इस फलन के तहत और भी कई नवीन सुविधाएँ हैं। जो कि एक यूजर के लिए बहुत ही उपयोगी रहेंगी। इसके अलावा ''हिंदी एक्सप्लोरर'' में और भी अन्य खूबियाँ हैं, जैसे कि एक साथ कई फाइल खोलने की (उसी विंडो एवं अन्य विंडो में), एक साथ कई फाइल को सुरक्षित करने की, एक साथ कई फाइल सर्च कर स्वत: एक के बाद एक फाइल खोलने की, ऑटो हिस्ट्री व्यूअर, पॉप-अप ब्लोकिंग, एडिट मोड ऑन ऑफ, 'इंगलिश टू हिंदी' डिजिटल डिक्शनरी, वेब पृष्ठ पर उपस्थित शब्दों को हाइलाइट करने की, हिन्दी यूनिकोड आधारित पाठ लिखने उसे इंटरनेट से सर्च करने हिन्दी ई-मेल लिखने व भेजने आदि की सुविधाएँ प्रमुख हैं। इस सॉफ़्टवेयर में उपयोक्ता को हिंदी शब्द रूपांतरण की सुविधा तो मिलती ही है, लगभग 38,500 शब्दों का शब्दकोश भी इसमें अंतर्निर्मित है, जिसकी सहायता से उपयोक्ता को अंग्रेज़ी भाषा के जालपृष्ठों (वेब-पेजेस्) को हिंदी में समझने में सहायता मिलती है। यही नहीं इसका शब्दकोश परिवर्तनीय, परिवर्धनीय भी है जिसे उपयोक्ता अपने अतिरिक्त शब्दों को सम्मिलित कर और भी समृध्द बना सकता है। इस बाबत यदि उपयोक्ता को हिंदी टाइप करने में दिक्कत आती है तो इसमें ऑन स्क्रीन हिंदी कुंजीपटल की सुविधा भी दी गई है जिसे माउस द्वारा चलाया जा सकता है।
5) 36000 शब्दों युक्त अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश! क्या यह परियोजना भी हिन्दी ब्राउज़र के साथ ही शुरू हुई थी? या आपको इसकी महत्ता बाद में समझ में आई?
'शब्दकोश' सॉफ़्टवेयर का निर्माण हिंदी एक्सप्लोरर सॉफ़्टवेयर के निर्माण के दौरान ही किया। हिंदी एक्सप्लोरर के अंतर्गत 'इंगलिश टू हिंदी' डिक्शनरी है जो कि सिर्फ अंग्रेज़ी के शब्द के विभिन्न अर्थ हिंदी में उच्चारण सहित बतलाने में सक्षम थी। परन्तु वह हिंदी के शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद करने में सक्षम नहीं थी। तभी मन में एक विचार आया की क्यों न दोनो अवस्थाओं अर्थात् 'हिंदी से अंग्रेज़ी, अंग्रेज़ी से हिंदी' में कार्य करने वाला एक डिक्शनरी सॉफ़्टवेयर बनाया जाये, और इस तरह से विचार आते ही इसको बनाने में जुट गया और 'शब्दकोश' सॉफ़्टवेयर का निर्माण किया।
'शब्दकोश' :: यह विंडोज आपरेटिंग सिस्टम पर आधारित सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम है। इसकी विशेषता यह है कि ये दोनों अवस्थाओं (हिंदी से अंग्रेज़ी, अंग्रेज़ी से हिंदी) में कार्य करने में सक्षम है तथा खोजे जा रहे अंग्रेज़ी या हिंदी शब्द के अर्थ के अलावा अन्य समानार्थी शब्द भी उच्चारण सहित तुरन्त दिखाता है व एक समान्तर कोश यानी 'थिसारस' की तरह भी उपयोगी है। इसमें शब्दों के अर्थ के साथ-साथ मुहावरे व वाक्य-खण्डों का भी संग्रह है। इस सॉफ़्टवेयर से उपयोक्ता अपने किसी भी शब्द के कई पर्यायवाची शब्दों को खोज सकता है इस बाबत इस में कई प्रकार से शब्दों को फिल्टर करने के लिये विशेष फलन दिये गये हैं। इन फलनों की सहायता से उपसर्ग या प्रत्यय के आधार पर भी शब्दों को अपने अनुसार खोज निकालने की सुविधा है। यह सॉफ़्टवेयर हिंदी के साथ-साथ अंग्रेज़ी भाषा को सीखने में बहुत ही उपयोगी है। इस सॉफ़्टवेयर में एक द्वि-भाषी ऑन स्क्रीन कुंजीपटल की विशेष सुविधा भी दी गई है, जिसे माउस द्वारा कमांड किया जा सकता है। वर्तमान में लगभग 38,500 शब्दों का शब्दकोश इसमें अंतर्निर्मित है और इसका शब्दकोश परिवर्तनीय, परिवर्धनीय भी है जिसे उपयोक्ता अपने अतिरिक्त शब्दों को सम्मिलित कर और भी समृद्ध बना सकता है।
6) आपके विचार में आज के दौर में क्षेत्रीय भाषाई कम्प्यूटिंग तथा अनुवादों का क्या कोई भविष्य है?
भारतीय ग्रामीण परिवेश में कम्प्यूटर पर कार्य अंग्रेज़ी भाषा में होने की वजह से कई हिंदी भाषी लोग इसके उपयोग से वंचित रह जाते हैं। हमारे देश में हजारों लाखों नागरिक हैं जो सफल व्यापारी, दुकानदार, किसान, कारीगर, शिक्षक आदि हैं। यह सब अपने-अपने क्षेत्र में कुशल एवं विद्वान हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि यह सब अंग्रेज़ी भाषा के जानकार हों। ग्रामीण परिवेश में रहने वाले कृषक जो कि इस देश की उन्नति का आधार हैं, यदि इन्हें और अच्छी तकनीकी की जनकारी अपनी भाषा में ही मिले तो सोने पे सुहागा होगा। कई लोग कम्प्यूटर का उपयोग अपनी स्वयं की भाषा जैसे हिंदी, उर्दू, बंगाली, तेलुगु, तमिल आदि में कर सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करना चाहते हैं। इस स्थिति में कम्प्यूटर का क्षेत्रीय भाषाओं के सॉफ़्टवेयर के विकास के साथ-साथ अंग्रेज़ी भाषा का क्षेत्रीय भाषा मैं अनुवाद परम आवश्यक है। आजकल हमारे देश के कई लोग कम्प्यूटर की शिक्षा व इंटरनेट के उपयोग की ओर अग्रसर हैं क्योंकि यह उनके लिए कई महत्वपूर्ण जानकारियों का अथाह सागर है। पर यह सब अधिकांशतः अंग्रेज़ी भाषा न आने के कारण कई लोग इसको अपने व्यवहार में लाने से हिचकिचाते हैं। और इस तरह की भाषाई समस्या के समाधान के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में कम्प्यूटर सॉफ़्टवेयर का विकास व अनुवाद होना बहुत ही जरूरी है। जब तक हमारे देश में क्षेत्रीय भाषाओं में कम्प्यूटर सॉफ़्टवेयर का विकास नहीं होगा तब तक इस भाषाई समस्या की बाधा सूचना प्रौद्योगिकी के विकास में रोड़ा बनी रहेगी।
7) अपने ग्लोबल वर्ड ट्रांसलेटर औजार - ‘अनुवादक' के बारे में हमें कुछ और बताइए. अन्य उपलब्ध अनुवादक औजारों की तुलना में इसकी क्या खास विशेषताएँ हैं?
अनुवादक या 'ग्लोबल वर्ड ट्राँसलेटर' एक बहुत ही प्रबल अनुवादक औजार है। उपयोक्ता इसका उपयोग ऑनलाइन व ऑफ़लाइन दोनों ही अवस्था में कर सकता है इसके संचालन के लिये इंटरनेट कनेक्शन की कतई जरूरत नहीं है। यह एक ऐसा सॉफ़्टवेयर है जो कि विंडोज के किसी भी सॉफ़्टवेयर के अंदर कार्य करने में सक्षम है, तथा संबंधित अंग्रेज़ी शब्द पर माउस द्वारा क्लिक करते ही उसका हिंदी अनुवाद विभिन्न समानार्थी शब्दों के साथ-साथ उच्चारण सहित कर देता है। इस सॉफ़्टवेयर का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है की यह विंडोज के किसी एक विशेष अनुप्रयोग पर निर्भर नहीं है बल्कि इसको विंडोज के किसी भी एप्लीकेशन सॉफ़्टवेयर जैसे कि एमएस वर्ड, वर्डपैड, नोटपैड, एमएसआइई, फायरफोक्स ब्राउज़र आदि के अन्दर संयोजन कर अनुवाद की सुविधा का उपयोग किया जा सकता है। विंडोज के अंतर्गत इसका किसी भी सॉफ़्टवेयर के अन्दर कार्य कर सकने की क्षमता के कारण ही इसका नाम 'ग्लोबल' वर्ड ट्राँसलेटर रखा। यह विंडोज की मेमोरी में एक घोस्ट एप्लीकेशन की तरह संचालित रहता है और जैसे कि उपयोक्ता को किसी भी अंग्रेज़ी शब्द के अनुवाद की जरूरत होने पर उस शब्द पर माउस क्लिक करते ही माउस पांटर के समीप एवं विंडोज के टाइटल बार के समीप उपस्थित पट्टी पर उच्चारण सहित अनुवाद पलक झपकते ही प्राप्त कर सकता है। वर्तमान में लगभग 38,500 शब्दों का शब्दकोश इसमें अंतर्निर्मित है और इसका शब्दकोश परिवर्तनीय, परिवर्धनीय भी है जिसे उपयोक्ता अपने अतिरिक्त शब्दों को सम्मिलित कर और भी समृद्ध बना सकता है।
8) इस अच्छे खासे, 4 वर्षीय लंबी परियोजना के लिए आपने किसी से किसी तरह की कोई मदद ली? इस परियोजना को पूरा करने में आपको कैसी मुश्किलें आईं?
इस प्रोजेक्ट के तहत उपरोक्त हिंदी सॉफ़्टवेयर के निर्माण कार्य के दौरान मैंने किसी से भी मदद नहीं ली क्योंकि इस छोटे से कस्बे गंजबासौदा में इस सॉफ़्टवेयर क्षेत्र से संबंधित मेरा कोई भी परिचित व्यक्ति यहाँ नहीं था। किताबें ही मेरी परम मित्र थीं और ईश्वर ही सही मायनों में मेरे गुरु थे। मैं कम्प्यूटर पर भाषाओं को एक दूसरे से जोड़ कर भाषाई पुल बनाना चाहता था इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए मैंने तमाम तरह की पुस्तकों व पत्रिकाओं व इंटरनेट पर कार्य करने संबंधित प्रोग्रामिंग भाषाओं का गहराई से अध्ययन कर अपने आइडियास को उपयुक्त कोड्स में बदला। इस प्रोजेक्ट के निर्माण में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जैसे कि पुस्तकालयों की कमी का खलना, कार्य करने के दौरान कई बार घंटों तक बिजली का गुल रहना, और टेलीफोन व्यवस्था की स्थिति सही न होने की वजह से इंटरनेट का एक्सेस बहुत ही धीमी गति से होना आदि प्रमुख थीं। ये सभी समस्याएँ मात्र इस शहर के ग्रामीण अंचल में होने की वजह से थीं। कार्य के दौरान जब कभी भी कोई पुस्तक, सीडी या फ्लॉपी आदि की जरूरत पड़ती तो अपने बड़े भाई साहब के साथ भोपाल जाना पड़ता क्योंकि अपनी शारीरिक समस्या के कारण मैं अकेला सफर करने में असमर्थ था। मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों भाईयों और मित्रों की सहायता का सदैव आभारी रहूँगा जिन्होंने मुझे इस कार्य को करने में हमेशा मुझे प्रोत्साहित करते हुए हौसले बढ़ाते रहे।
9) किसी एक भाषाई सॉफ़्टवेयर के आधार पर क्या हम अन्य इंडिक भाषाओं में ऐसे सॉफ़्टवेयरों की कल्पना कर सकते हैं?
जी हाँ, विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं का कम्प्यूटर सॉफ़्टवेयर के माध्यम से एक दूसरे में बेहतरीन तालमेल बिठाया जा सकता है। 'भाषा-सेतु' प्रोजेक्ट विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं को एक दूसरे से जोड़ने में नये आयाम प्रदान करेगा। मेरे इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य ही विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं को एक ही प्लेटफार्म पर लाकर एक दूसरे से जोड़ना है। और ग्रामीण भारत में कम्प्यूटर का उपयोग व सूचना प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देना है।
10) आपने अपने सपने का कितना हिस्सा आज तक पा लिया है और आपके लिए मंजिल कितनी दूर है?
'भाषा-सेतु' प्रोजेक्ट के तहत हिंदी सॉफ़्टवेयर का निर्माण कार्य लगभग पूरा किया जा चुका है। अब मैं इन हिंदी सॉफ़्टवेयर को लॉन्च करने हेतु एक उचित प्लेटफार्म की तलाश में हूँ। जहाँ से यह हमारे देश के प्रत्येक हिंदी प्रेमी कम्प्यूटर उपयोक्ता तक पहुँच सके। इसी सिलसिले में पिछले साल अपने हिंदी सॉफ़्टवेयर का प्रदर्शन भारत सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय नई दिल्ली में किया था। वहाँ पर मौजूद विभिन्न वैज्ञानिकों व इंजीनियरों ने मेरे कार्य की प्रशंसा करते हुए इन सॉफ़्टवेयर के परीक्षण संस्करणों को टीडीआइएल वेबसाइट पर जारी किये। इससे मुझे देश व विदेश से कई लोगों से अच्छी प्रतिक्रियाएँ व सुझाव मिले और आगे अपने कार्य को जारी रखते हुए और आगे बढ़ाया। और अब यह लॉन्च होने के इंतजार में है। आज हमारा देश दुनिया की सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र व सॉफ़्टवेयर के विकास में अग्रणी भूमिका में है। मेरी अपनी पूरी कोशिश यही है कि यह हिंदी सॉफ़्टवेयर जल्द से जल्द हमारे देश के ग्रामीण लोगों तक पहुँच कर उन्हें इस सूचना प्रौद्योगिकी के क्रांतिकारी दौर में इसका लाभ पहुँचा सके। वर्तमान में 'भाषा-सेतु' प्रोजेक्ट के तहत फिलहाल संपूर्ण पृष्ठ अनुवाद हेतु प्रोग्राम को बनाने में लगा हुआ हूँ। और इस कार्य में कुछ हद तक सफल भी हुआ हूँ। बस अंग्रेज़ी व्याकरण दृष्टि से जटिल वाक्यों का अनुवाद करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। पर उम्मीद है इसे आने वाले समय में पूरा करने में सफल रहूँगा। आगे मैं अपने उक्त हिंदी सॉफ़्टवेयर को अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित करने की योजना में हूँ। पर इसके लिए मुझे उक्त क्षेत्रीय भाषाओं के जानकार व्यक्तियों की आवश्यकता है, अगर इस सिलसिले में कोई भी व्यक्ति मेरी सहायता करना चाहें तो मैं उनका आभारी रहूँगा।
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धन्यवाद
संपर्कः
जगदीप डांगी
वार्ड नं. 2,
को-ऑपरेटिव बैंक के पीछे,
स्टेशन क्षेत्र, गंज बसौदा,
जिला विदिशा (मध्यप्रदेश) भारत.
पिन- 464221
दूरभाष: घर. (07594) 222457 मोबाइल. 09826343498
ई-मेल: dangijs@yahoo.com,gjagdeep@sancharnet.in
(माइक्रोसॉफ़्ट भाषा इंडिया में प्रकाशित मूल अंग्रेज़ी साक्षात्कार का हिन्दी रूपांतर. हिन्दी रूपांतर - सौजन्य जगदीप डांगी)
ब्लॉगर में पंगा होने से इस पोस्ट को कोई दर्जन बार पोस्ट करना पड़ा तब यह ठीक हुआ है. अतः यदि किसी के फ़ीड पर यह कई मर्तबा लोड हुआ है, तो कृपया क्षमा करें.
हटाएंब्लोगर के साथ यह एक परेशानी तो है ही. चलिए माफ किया क्योंकि हमने भी भुगता है ब्लोगर को.
हटाएंइस लेख के लिए साधूवाद वरना हम शायद ही जगदीपजी के बारे में जान पाते.
प्रिय रवि जी,
हटाएंनमस्कार. आपका यह लेख-संकलन अच्छा लगा. डांगी जी के बारे में कई बार सुना था. विस्तृत जानकारी यहां मिली.
आपको याद है, मैंने एक बार आपको मेल भेजा था, युनिकोड सहयोग के लिये. मैंने अपना नया वेबसाइट न्युजविंग डॉट कॉम कमोबेश खडा कर दिया है. आप भी एक बार समीक्षा करते तो अच्छा लगता. इस वेबसाइट को मैंने ‘द्वि-भाषाई (अंग्रेजी और हिंदी) में बनाने की कोशिश की है. समीक्षा कर उसे प्रकाशित भी करते तो अच्छा था. बहुत धन्यवाद. – किसलय.
रवि जी,
हटाएंजगदीप जैसे लोगों में भविश्य की दिशा बदलने की क्षमता और इच्छाशक्ति है। आपने इनका साक्षातकार करा कर हम सबकी चेतना को भी झकझोरा है।
भाई किसलय के लिये :
किसलय भाई, आपका न्यूज-स्थल बहुत अच्छा लगा। बधाई हो !!
अनुनाद जी, धन्यवाद. आपके जालस्थलों (ANAAGAT VIDHATA और प्रतिभास) में काफी पोटेन्शियल दिखता है. विशेष कर, प्रतिभास में हिंदी कंप्युटिंग सुविधा के लिये दिए गए लिंक्स तो अदभुत हैं. बस इसे थोडी साज-सज्जा देने की जरूरत है. आरटीआई पर भी फॉर्म व जानकारी उपयोगी है. क्या आपने कभी पीयुसीएल के झारखंड साइट का भ्रमण किया है. यह वेबसाइट भी मैंने ही डेवेलॉप किया है. इरादा है कि इस वेबसाइट को मानवाधिकार संबंधी जानकारियों से समृद्ध बनाया जाए. शुभकामनाएं.
हटाएंताज़ा खबर:-
हटाएंजगदीप डांगी को उनके सर्वप्रथम हिन्दी ब्राउज़र-वर्तनी-जांचक-शब्दकोश के लिए लिम्का बुक ऑफ़ रेकार्ड 2006 में जगह मिल चुकी है.