जो पारम्परिक मीडिया पंडित यह मान बैठे थे कि इंटरनेट के नए मीडिया की पैठ और असर कभी भी अख़बार या टीवी जितनी नहीं हो सकते, उनकी खुशफहमी अब...
जो पारम्परिक मीडिया पंडित यह मान बैठे थे कि इंटरनेट के नए मीडिया की पैठ और असर कभी भी अख़बार या टीवी जितनी नहीं हो सकते, उनकी खुशफहमी अब टूटने लगी है। जो स्वर पहले नए मीडिया को नामंजूर करने के लिए उठ रहे थे, अब वे उसे समझने के लिए सवाल पूछ रहे हैं. जो लोग नए मीडिया को खाए-पिए-अघाए, प्रतिक्रियावादी, उपभोक्तावादी, ‘साइबर नागरिकों’ का शगल कहते थे वे अपनी इस राय पर दोबारा सोच रहे हैं. कल तक नए मीडिया को नामंजूर करने वाला पारम्परिक मीडिया भी अब नए मीडिया से कंटेंट ले रहा है, यहाँ तक कि उसकी मौजूदगी को महत्वपूर्ण खबर बना रहा है. ब्लॉग पोस्ट करने या घटनाओं को रिकार्ड करने वाले किसी भी दर्शक का मोबाइल फोन जैसा छोटा उपकरण अब समाचार पत्रों और चैनलों का स्रोत बन रहा है.
आर. अनुराधा द्वारा संपादित, 'न्यू मीडिया – इंटरनेट की भाषायी चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ' नामक पुस्तक के बैक कवर पर छपा यह संक्षिप्त उद्धरण साबित करता है कि पुस्तक में विषय वस्तु को वर्णित करने में कहीं कोई कोर कसर छोड़ी नहीं गई है.
इस पुस्तक में नौ अलग अलग शोधपूर्ण आलेखों को समायोजित किया गया है –
1. नए संचार माध्यम – एक परिचय - आर. अनुराधा
2. न्यू मीडिया व नागर पत्रकारिता : अनाहूत क्रांति – पृथ्वी परिहार
3. अभिव्यक्ति की निलम्बित आजादी और न्यू मीडिया – दिलीप मंडल
4. फेसबुक का समाज और हमारे समाज में फेसबुक – आशीष भारद्वाज
5. भाषा कम्प्यूटरी _ हिन्दी विकास का नया दौर – अनुनाद सिंह
6. हिन्दी ब्लॉग का सफर – रविशंकर श्रीवास्तव
7. हिन्दी में इंटरनेट – अवरूद्ध विकास की गाथा – आर. अनुराधा
8. वर्चुअल स्पेस में चोखेरबाली
9. कबाड़खाना : एक ब्लॉग का फलसफा – अशोक पाण्डे
उपर्युक्त शीर्षक युक्त आलेखों से पुस्तक की प्रकृति का अंदाजा आप लगा सकते हैं. वैसे, पुस्तक की सामग्री में विषय के तकनीकी पक्ष को जानबूझ कर छोड़ दिया गया है और आमतौर पर न्यू मीडिया के बढ़ते कदम और समाज में इसके व्यापक रूप से अपनाए जाने के कारणों व साधनों संसाधनों पर विशद चर्चाएं की गई है.
इस विषय में रुचि रखने वालों व विषय के विद्यार्थियों व संदर्भ के लिए यह पुस्तक बेहद उपयोगी व संकलन योग्य है.
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पुस्तक – न्यू मीडिया - इंटरनेट की भाषायी चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ
संपादक – आर. अनुराधा
पृष्ठ – 131, हार्ड कवर, मूल्य 200 रुपए.
प्रकाशक – राधाकृष्ण प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, 7/31 अंसारी मार्ग, दरियागंज, नई दिल्ली - 110002
रविशंकर जी, आपने अपने ब्लॉग पर इस महत्वपूर्ण विषय पर पुस्तक का जिक्र किया। उम्मीद है, यह किताब लोगों को उपयोगी लगेगी।
हटाएंनये माध्यम के अध्ययन के लिये पठनीय पुस्तक।
हटाएंआप जैसा सलाहकार सबको मिले। आपको हमारी उम्र लगे।
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