आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 104

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  आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 445 अनकहा सुनो एक व्यक्ति, जिसकी ...

 

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आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ

संकलन – सुनील हांडा

अनुवाद – परितोष मालवीयरवि-रतलामी

445

अनकहा सुनो

एक व्यक्ति, जिसकी शादी टूटने के कगार पर थी, स्वामी जी के पास परामर्श लेने पहुंचा। स्वामी जी ने उससे कहा - "तुम्हें अपनी पत्नी की बातों को सुनना सीखना चाहिए।"

उस व्यक्ति ने स्वामीजी के परामर्श का अक्षरशः पालन किया और एक महीने के बाद यह बताने के लिए लौटा कि उसने अपनी पत्नी के प्रत्येक शब्द को सुनने का अभ्यास कर लिया है।

स्वामी जी ने उससे मुस्कराते हुए कहा - "अब फिर अपने घर जाओ और पत्नी के अनकहे शब्दों को सुनो।"

अदृश्य को देखो, अनकहा सुनो, अस्वीकृत को स्वीकृत करो,

रुके हुए कार्य पूरे करो।

446

अच्छे और बुरे व्यक्ति की तलाश

एक प्रश्न का उत्तर ज्ञात करने के लिए कृष्ण और भीष्म ने एक तरीका खोजा।

उन्होंने एक दिन सुबह के समय दुर्योधन को अपने पास बुलाया और कहा कि वह आज अपने पूरे राज्य में भ्रमण करे और सूर्यास्त होने तक एक अच्छे व्यक्ति को ढ़ूंढ कर अपने साथ लाये।

फिर उन्होंने युधिष्ठिर को अपने पास बुलाया और कहा कि वह आज अपने पूरे राज्य में भ्रमण करे और सूर्यास्त होने तक एक बुरे व्यक्ति को ढ़ूंढ कर अपने साथ लाये।

सूर्यास्त के वक्त दोनों, युधिष्ठिर और दुर्योधन, खाली हाथ लौट आये और बोले कि वे सारे राज्य में ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं खोज सके।

हम जैसे स्वयं होते हैं, वैसा ही दुनिया को पाते हैं।

--

192

आप कितने मूर्ख हैं?

मुल्ला को रंगे हाथों पकड़ लिया गया. वह अनाज की दुकान में दूसरे ग्राहक के थैले से गेहूँ निकाल कर अपने थैले में भर रहा था.

उसे न्यायाधीश के सामने ले जाया गया.

तुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है? – न्यायाधीश ने मुल्ला से पूछा.

मैं तो मूर्ख हूँ, मुझे अपने व उसके गेहूँ में कोई फर्क नहीं नजर आया था – मुल्ला ने सफाई दी.

तब तुमने अपने थैले से गेहूँ निकाल कर दूसरे ग्राहक के थैले में क्यों नहीं डाली? – न्यायाधीश ने जिरह की.

आह! - मुल्ला ने प्रतिवाद किया – मैं इतना मूर्ख भी नहीं हूँ!

--

193

तेरी दुनिया में सब सर्वश्रेष्ठ है.

ज्ञान की खोज में एक संत भटक रहा था. भटकते हुए वह कसाई की दुकान के सामने जा पहुँचा. भीतर वार्तालाप चल रहा था.

ग्राहक – मुझे बकरे का सबसे बढ़िया मांस चाहिए.

कसाई – मेरी दुकान में सबसे बढ़िया मांस ही मिलता है. यदि सबसे बढ़िया नहीं होगा तो वह मेरी दुकान में नहीं मिलेगा.

संत के ज्ञान चक्षु में प्रकाश चमक गया.

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194

गांधी जी का 1 मिनट

गांधी जी के सामने महादेव भाई (1917 से 1942 तक गांधी जी के निजी सचिव) बैठे थे. गांधी जी ने उनसे समय पूछा.

महादेव भाई ने बताया – पाँच बजे हैं.

इतने में गांधी जी को महादेव भाई की घड़ी दिख गई. उसमें अभी पाँच बजने में एक मिनट बाकी था.

बस फिर क्या था – गांधी जी ने महादेव भाई को एक एक मिनट की महत्ता के बारे में बताया, इस बात पर भी प्रश्न किया कि क्या सही समय, पाँच बजने में एक मिनट बचे हैं बताने में क्या जोर लगता?

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195

ईश्वर हमें कष्ट दे, परेशानी दे

महाभारत के युद्ध के पश्चात् भगवान कृष्ण वापस द्वारका जा रहे थे. चलते चलते उन्होंने अपनी माता से आशीर्वाद लिए और उनसे पूछा कि वे उनकी क्या सेवा कर सकते हैं.

माता ने जवाब दिया – तुम मुझे कष्ट दो, परेशानी दो.

कृष्ण को अचरज हुआ. बोले – माता, ऐसा क्यों कह रही हैं!

क्योंकि कष्ट और परेशानी में ही तुम याद आओगे और उनका निवारण करने तुम मेरे पास रहोगे – माता ने स्पष्ट किया.

--

(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)

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छींटे और बौछारें: आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 104
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