आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 447 न्याय करने से इन्कार विनम्रता औ...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
447
न्याय करने से इन्कार
विनम्रता और दूसरों के बारे में निर्णय देना ऐसे सबक हैं जो किसी "नैतिक शिक्षा" की कक्षा में नहीं बल्कि जीवन के साथ सीखे जाते हैं।
एक बार एक व्यक्ति ने कुछ अपराध कर दिया। न्याय करने हेतु पंचायत बुलायी गयी। गांव के एक सम्मानित वृद्ध ने पंचायत की बैठक में जाने से इन्कार कर दिया। गांव के पुजारी ने उनको बुलाने के लिए एक व्यक्ति को भेजा। उस व्यक्ति ने वृद्ध से कहा - "चलिए श्रीमान! सभी लोग आपका इंतजार कर रहे हैं।"
बड़े अनमने मन से वह वृद्ध सज्जन चलने को तैयार हुए। चलते समय उन्होंने अपने कंधे पर पानी से भरा हुआ एक जग रख लिया, जिसमें से पानी रिस रहा था।
एक व्यक्ति ने उनसे पूछा - "महोदय, यह क्या है?"
वृद्ध सज्जन ने उत्तर दिया - "मेरे पाप मेरे पीछे रहते हैं और मैं उनकी ओर नहीं देखता। लेकिन फिर भी मैं आज किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में निर्णय देने के लिए आया हूं।"
यह सुनकर पंचायत ने उस व्यक्ति को माफ कर दिया।
448
जो ऊँघ रहे हैं, उन्हें जगाओ
कुछ गंभीर और चिंतित पादरी अपने गुरू के पास पहुंचे और बोले - "यदि हम किसी व्यक्ति को चर्च में ऊंघता हुआ पायें, तो हमें उसे जगाना चाहिए ताकि वह चर्च में ध्यानपूर्वक बैठे।"
गुरू जी ने धीरे से कहा - "यदि मैं अपने किसी भाई को ऊंघता हुआ पाता हूं तो उसका सिर अपने घुटनों पर रख लेता हूं ताकि वह चैन से आराम कर सके।"
मानवीयता ही सर्वोपरि गुण है।
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196
मुर्गे की बांग
दड़बे का एकमात्र मुर्गा बुरी तरह बीमार हो गया. वह आँखें भी नहीं खोल पा रहा था. दड़बे की सारी मुर्गियाँ बेहद चिंतित हो गईं.
मुर्गियों ने जब से होश सम्हाला था, यह देखा था कि सुबह जब मुर्गा बांग देता है तभी सूरज उगता है.
सूरज डूब चुका था, और इधर मुर्गे की तबीयत खराब थी. वह बांग देने लायक स्थिति में नहीं था.
सभी मुर्गियाँ मुर्गे को घेरकर पूरी रात खड़ी रहीं. दुश्चिंता में घिरी रहीं कि मुर्गा यदि अब उठेगा नहीं, बांग नहीं देगा तो सूरज निकलेगा नहीं और इस तरह से प्रलय आ जाएगी.
मगर यथासमय सूरज उग आया. मुर्गियों के भ्रम का सदा सर्वदा के लिए निवारण हो गया.
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197
हनुमान चालीसा -3
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपे
आपके (हर सृजनधर्मी व्यक्ति का) प्रताप (आपकी सृजनात्मकता) को आपके सिवाय कोई नहीं रोक सकता. जब आप दहाड़ते (सृजन करते हैं) हैं तो तीनों लोकों में उसकी गूंज सुनाई देती है.
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198
भिखमंगा अकबर
मुसलिम संत फरीद अपने गांव की खुशहाली के लिए कुछ दान दक्षिणा मांगने अकबर बादशाह के दरबार में जा पहुँचा.
जब वह दरबार में पहुँचा तो उसने पाया कि अकबर खुदा से दुआ कर रहा है और प्रार्थना कर रहा है.
फरीद ने बादशाह से पूछा कि वो क्या दुआ कर रहे थे.
बादशाह ने बताया कि वे अपनी खुशहाली, प्रसन्नता और धन-धान्य के लिए खुदा से दुआ कर रहे थे.
यह सुनते ही संत फरीद ने कहा – मैं बादशाह के दरवाजे पर आया था. मगर यहाँ तो औरों की तरह एक भिखमंगा बैठा हुआ है. और वे दरबार से उलटे पाँव वापस लौट गए.
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199
अपने आप को बदलो
बुद्ध का एक शिष्य था जो हर हमेशा दूसरों की बुराईयाँ निकालता रहता था.
एक दिन बुद्ध ने उसे बुलाया और कहा कि बाहर जाकर कुछ फल ले आए.
बाहर बरसात हो रही थी, और सर्वत्र कीचड़ था. शिष्य ने कीचड़ से बचने के लिए पादुका पहनी और जाने लगा.
बुद्ध ने शिष्य से पूछा - तुमने पादुका क्यों पहनी?
कीचड़ से बचने - शिष्य ने कहा.
कीचड़ से बचने के लिए तुम सिर्फ अपने ही पैर में पादुका क्यों पहनते हो? तुम पूरी धरती के ऊपर चटाई क्यों नहीं बिछा देते हो?
दूसरों में बुराइयाँ देखने के बजाए स्वयं को खंगालें, और दूसरों को बदलने के बजाए स्वयं बदलें.
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200
बच्चे और फूल
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ सौंदर्य प्रेमी थे. उनका मानना था कि जीवन में साहित्य और सुंदरता का अभिन्न स्थान होता है.
एक बार उनके एक मेहमान ने उनसे कहा – “आपको फूल बड़े अच्छे लगते हैं, मगर आपने अपने इस सुंदर से ड्राइंग रूम में एक भी गुलदस्ता नहीं रखा है. जबकि आपका बग़ीचा फूलों से लदा पड़ा है.”
“तुम ठीक कहते हो” – जॉर्ज ने आगे कहा – “परंतु मुझे बच्चे भी बड़े प्यारे लगते हैं!”
(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
प्रेरक..
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