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आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 52

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  आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 337 ` 86,400/- प्रतिदिन ऐसे बैंक...

 

आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ

संकलन – सुनील हांडा

अनुवाद – परितोष मालवीयरवि-रतलामी

337

`86,400/- प्रतिदिन

ऐसे बैंक की कल्पना कीजिए जो आपके खाते में प्रतिदिन ` 86,400/- जमा करता हो। इस खाते में अगले दिन के लिए कोई राशि शेष नहीं रहती हो। यह आपको पूरी रकम खर्च करने की अनुमति देता है तथा दिनभर में खर्च न की गई रकम को प्रत्येक शाम समाप्त कर देता हो।

तब आप क्या करेंगे?

निश्चित रूप से आप सारा धन खाते में से नकदी के रूप में निकाल लेंगे।

हम सभी के पास ऐसा बैंक है। इसका नाम "समय" है। प्रतिदिन सुबह आपके जीवन में 86,400 सेकेण्ड समय जमा हो जाते हैं। इसमें से जितना समय आपने भले काम में खर्च नहीं किया, उसे प्रत्येक शाम को हानि के रूप में खाते मे से हटा दिया जाता है। इसमें कुछ भी शेष या अतिरिक्त नहीं रहता।

प्रतिदिन सुबह आपका एक नया खाता खोला जाता है।

प्रत्येक शाम आपका दिनभर का सारा रिकॉर्ड समाप्त कर दिया जाता है।

दिनभर के लिए जमा इस धन का यदि आप उपयोग नहीं कर पाते तो नुक्सान आपका है।

इसमें वापस नहीं जा सकते यानि भूतकाल में जाने की कोई व्यवस्था नहीं है।

इसमें आने वाले कल या भविष्य के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

आपको दिनभर के लिए जमा राशि के अनुसार वर्तमान में जीना है।

इसका निवेश इस तरह करें कि आपको स्वास्थ्य, सुख और सफलता हासिल हो।

समय तेज गति से भाग रहा है। दिन का अधिकतम उपयोग करों।

समय को पकड़ के रखो।

338

सरासर धोखा

एक बार मुल्ला नसरुद्दीन पश्चिमी देश की यात्रा पर थे। वहां उन्हें एक फैशन शो देखने के लिए आमंत्रित किया गया। मुल्ला फैशन शो देखने गए। फैशन शो समाप्त होने के बाद उनसे पूछा गया कि उन्हें फैशन शो कैसा लगा?

मुल्ला ने क्रोधित होकर कहा - "यह सरासर धोखा है।"

उस व्यक्ति ने फिर पूछा - "यह आप कैसे कह सकते हैं?"

मुल्ला ने उत्तर दिया - "वो लोग नुमाइश तो महिलाओं की कर रहे थे और बेच कपड़े रहे थे।"

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90

जाओ, अपने लिए दुनिया जीतो

मकदूनिया का राजा फिलिप घोड़ों का बेहद शौकीन था. पुराने यूनान का एक राज्य था मकदूनिया. यह तब की घटना है जब राजा फिलिप का पुत्र सिकंदर 14 वर्ष का था.

राजा फिलिप ने एक बेहद शानदार घोड़ा खरीदा. परंतु वह घोड़ा अपनी पीठ पर किसी को भी बैठने नहीं देता था. एक से एक सवार चहुँओर से बुलाए गए मगर उस घोड़े की सवारी कोई नहीं कर पाया. हर सवार असफल हुआ. जैसे ही सवार घोड़े की पीठ पर बैठता, घोड़ा उसे गिराकर ही दम लेता.

यह बात सिकंदर तक पहुँची तो उसने अपने पिता से कहा – “क्या पिताजी, आपका राज्य कैसा है और आपकी सेना कैसी है! आपके महान राज्य में क्या ऐसा कोई भी सवार नहीं है जो इस घोड़े पर सवारी कर सके?”

बात कड़वी थी, मगर सत्य थी. राजा फिलिप ने उसी लहजे में बेटे को जवाब दिया – “क्यों नहीं है, है. वह मेरे सामने खड़ा मेरा बेटा है. जाओ और उसे घोड़े पर बैठ कर दिखाओ.”

सिकंदर घोड़े के पास गया. उसे देखा पुचकारा, सहलाया और उस पर बैठने की कोशिश की. जाहिर है घोड़े ने उसे गिरा दिया. दूसरी बार भी ऐसा ही हुआ. सिकंदर ने ध्यान से घोड़े की हरकतों को देखा. फिर तीसरी बार फिर कोशिश की और इस बार सफल हो गया और घोड़े की सवारी करता हुआ बहुत दूर ले गया.

और जब सिकंदर वापस आया तो सभी ने प्रसन्नता से उसका स्वागत किया. राजा फिलिप के आँखों में प्रसन्नता के आँसू थे. उन्होंने सिकंदर से पूछा कि उन्होंने यह कैसे किया.

सिकंदर ने बताया – यह शानदार घोड़ा न तो बिगड़ैल था न गुस्सैल. दरअसल आम जीवितों की भांति उसके मन में भी भय था. जब सवार उस पर चढ़ता था तो वह डर जाता था और उसे अपनी पीठ से गिरा देता था. मैंने उसका भय जान लिया था और उसके भय को खत्म करने के लिए मैंने उससे पहले दोस्ती की, उसे अपना बनाया, और फिर उस पर सवारी की.

राजा फिलिप ने कहा – वाह! प्यारे पुत्र, यह राज्य तुम्हारे लिए बहुत ही छोटा है. जाओ और अपने लिए दुनिया जीतो.

और सिकंदर ने अपने 32 वर्ष की अल्पायु में यह भी कर दिखाया. यह सिकंदर महान था, अरस्तू का शिष्य.

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91

जीवन के तारों को सही ट्यून करें

जब सिद्धार्थ ध्यान की तैयारी कर रहे थे तो उनके कानों में कुछ आवाजें आईं. एक संगीतकार अपने शिष्य को सिखा रहा था – जब तुम एकतारे को बजाने के लिए तैयार करोगे तो उसके तारों को न तो ज्यादा कसो और न ही ज्यादा ढीला छोड़ो. ज्यादा कसने से वे टूट सकते हैं और आवाज पतली हो जाएगी. ढीले रहने से उनकी मधुरता समाप्त हो जाएगी और वे बेसुरे हो जाएंगे.

सिद्धार्थ के मन में यह बातें उमड़ने घुमड़ने लगीं. इस संक्षिप्त वार्तालाप में उन्हें जीवन का सार दिखाई देने लगा. जीवन रूपी प्रश्नोत्तरी का समझो उन्हें उत्तर मिल गया था.

मनुष्य जीवन का दुःख दर्द और समस्याओं की जड़ ही यही है. मनुष्य या तो दुनिया से जरूरत से ज्यादा जुड़ जाता है या फिर उससे अतिरिक्त रूप से विमुख हो जाता है. जिसके पास है वह बहुत ज्यादा खा लेता है और जिसके पास खाने को कुछ नहीं होता, भूखा रहता है. कोई बहुत गरीब है तो कोई बेहद अमीर. दुःख व समस्याएं यहीं से आती हैं. जीवन का तार सही तरीके से ट्यून ही नहीं है!

समस्याओं का समाधान एकमात्र है – मध्यमार्गी बनें – एक अशिक्षित संगीतज्ञ द्वारा पढ़ाया गया जीवन का सत्य पाठ!

--

(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)

COMMENTS

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  1. आपकी कहानियों का इंतज़ार रहता है...

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