(इस परियोजना से परितोष मालवीय जी भी जुड़े हैं और उन्होंने क्रमांक 251 से कहानियों का अनुवाद प्रारंभ किया है. यानी आपको कहानियाँ अब दोगुनी...
(इस परियोजना से परितोष मालवीय जी भी जुड़े हैं और उन्होंने क्रमांक 251 से कहानियों का अनुवाद प्रारंभ किया है. यानी आपको कहानियाँ अब दोगुनी रफ़्तार से पढ़ने को मिलेंगी. परितोष जी को धन्यवाद. इन कहानियों को पाठकों का एक बड़ा वर्ग पसंद कर रहा है और नित नए पाठक बन रहे हैं. आप सभी सुधी पाठकों का आभार.)
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
251
मृगतृष्णा
जब महात्मा बुद्ध ने राजा प्रसेनजित की राजधानी में प्रवेश किया तो वे स्वयं उनकी आगवानी के लिए आये। वे महात्मा बुद्ध के पिता के मित्र थे एवं उन्होंने बुद्ध के संन्यास लेने के बारे में सुना था।
अतः उन्होंने बुद्ध को अपना भिक्षुक जीवन त्यागकर महल के ऐशोआराम के जीवन में लौटने के लिए मनाने का प्रयास किया। वे ऐसा अपनी मित्रता की खातिर कर रहे थे।
बुद्ध ने प्रसेनजित की आँखों में देखा और कहा, "सच बताओ। क्या समस्त आमोद-प्रमोद के बावजूद आपके साम्राज्य ने आपको एक भी दिन का सुख प्रदान किया है?"
प्रसेनजित चुप हो गए और उन्होंने अपनी नजरें झुका लीं।
"दुःख के किसी कारण के न होने से बड़ा सुख और कोई नहीं है;
और अपने में संतुष्ट रहने से बड़ी कोई संपत्ति नहीं है।"
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252
नदी का पानी बिकाऊ
गुरू जी के प्रवचन में एक गूढ़ वाक्य शामिल था।
कटु मुस्कराहट के साथ वे बोले, "नदी के तट पर बैठकर नदी का पानी बेचना ही मेरा कार्य है"।
और मैं पानी खरीदने में इतना व्यस्त था कि मैं नदी को देख ही नहीं पाया।
"हम जीवन की समस्याओं और आपाधापी के कारण प्रायः सत्य को नहीं पहचान पाते।"
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
अपने में संतुष्ट रहने से बड़ी कोई संपत्ति नहीं है।…इसलिए हम संतुष्ट नहीं हैं…वैसे बुद्ध ने यह बात तकनीक और विज्ञान जगत के लोगों के लिए भी कह दी…बढ़िया…
हटाएंसंतोष एव पुरुषस्य परमं निधानम्।
हटाएंAchcha prayas kiya he, Sant man se prayas karte rahiye aapko sukun milega, jin vastuyo ka turant parinam nahi milta to vyakti paresaan ho jata he, us samya ye sochana chahiye ki hamne ye kaam suru hi kyo kiya tha.
हटाएंAjay Gangrade
19 Nehru Ganj, ITARSI
Madhya Pradesh
Very Very Nice Blog Thanks for sharing with us
हटाएंऔर मैं पानी खरीदने में इतना व्यस्त था कि मैं नदी को देख ही नहीं पाया।
हटाएंkya baat hai , bahut gahraai hai is vakya me ...