गलतियाँ कौन नहीं करता? हम सभी गलतियाँ करते फिरते हैं. कुछ लोग जानबूझ कर गलती करते हैं, तो कुछ लोग जाने-अनजाने. कुछ विशेष किस्म की, ख़ूबसूर...
गलतियाँ कौन नहीं करता? हम सभी गलतियाँ करते फिरते हैं. कुछ लोग जानबूझ कर गलती करते हैं, तो कुछ लोग जाने-अनजाने. कुछ विशेष किस्म की, ख़ूबसूरत गलतियाँ करने का अपना अलग मजा होता है – जैसे लड़कपन में प्रेम करने की गलती. मनमोहन सिंह कहते हैं कि वे राजनीति में गलती से आ गए. अब ये जुदा बात है कि वे इस तरह की प्रदूषित राजनीति में ठहर कर, बने रह कर नित्यप्रति गलतियाँ क्यों कर रहे हैं भला.
शायद ये भी खूबसूरत किस्म की ही गलती है जो वे कर रहे हैं.
मनमोहन सिंह जैसे इक्का-दुक्का लोगों को छोड़ दें तो राजनीति में लोग गलती से नहीं आते. वे तो राजनीति में बाकायदा केलकुलेटेड मूव से आते हैं. अलबत्ता उन्हें चुनकर गरीब जनता जरूर गलती करती है. और, पप्पू यादवों, और शहाबुद्दीनों जैसों को चुनकर तो वो और भी भारी गलतियाँ करती है, और बारंबार गलतियाँ करती रहती है.
कभी कभी हम बहुत सोच-समझकर, ठोंक बजाकर, ऊंच-नीच देखकर, आगा-पीछा जानकर कोई निर्णय लेते हैं तो पाते हैं कि वो तो हमारे जीवन का सबसे बड़ा गलत निर्णय था. यदि आपको यकीन नहीं हो तो जरा बाजार घूम आएँ. दस में से नौ – ठोंक बजाकर जमाए गए पति-पत्नी के जोड़े सिरे से गलत नहीं दिखें तो कहिए! और, यदि आज नहीं दिख रहें हों, तो उन्हें साल-दो-साल बाद देख लीजिएगा.
कोई किसी कंपनी को गलती से ज्वाइन कर लेता है तो कोई गलती से किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश ले लेता है. उदाहरण के लिए, जिसे अभियंता बनना चाहिए होता है वो गलती से चिकित्सक बन बैठता है और जिसे चिकित्सक बनना होता है वो गलती से पत्रकार बन बैठता है. कुछ लोगों को ये पता होता है, वे स्वीकार लेते हैं, और बाकी को तो पता ही नहीं रहता कि उन्होंने अपने प्रोफेशन के चुनाव में सचमुच में गलतियाँ की हैं.
विद्युत मंडल में एक अधीक्षण अभियंता हुआ करते थे. तो दौरे पर जब चीफ इंजीनियर आते थे तो उन अधीक्षण अभियंता को कहते थे कि तुम्हें तो घसियारा होना चाहिए था. तुम्हें आता जाता कुछ नहीं है. कहीं से (किसी राज्य से) फेक डिग्री ले आए हो क्या? तो वो अधीक्षण अभियंता, जिन्हें बकौल मुख्य अभियंता, घसियारा होना चाहिए था और जो गलती से अभियंता बन गए थे, बाद में जब स्वयं मुख्य अभियंता बन गए तो उन्होंने इस तरह का प्रलाप जारी रखा – वे अपने अधीनस्थ अधीक्षण / कार्यपालन अभियंताओं को उनकी गलतियाँ बताते रहे – कि उन्हें अभियंता के बजाए कुली, कबाड़ी, पनवाड़ी और न जाने क्या-क्या होना चाहिए था.
बहरहाल, इस बात को अनर्थक आगे खींचने की गलती मैं करूँ, आपको एक राज की बात बताता हूँ. क्या आपको पता है कि आप ब्लॉगिंग में गलती से आ गए हैं? नहीं मानते? कोई बात नहीं. कोई भी मासूम दीवाना ये बात नहीं मानता कि वो गलती पर है.
मगर, फिर, ये तो जरूर है कि ये ब्लॉग पोस्ट पढ़ कर आप गलती कर रहे हैं, जो गलती से लिखा गया है!
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व्यंज़ल
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मुझको बख़ूबी मालूम थी मेरी हर गलतियाँ
फिर भी कर रहा था गलतियों पे गलतियाँ
किस किस को बताता फिरा उनकी गलतियाँ
इस तरह मैंने भी की हैं बहुत सी गलतियाँ
ये तो नजर नजर का फेर है ऐ मेरे दोस्त
कतई नहीं हैं मेरी नजर में मेरी गलतियाँ
कुछ तो ऐसा खास है महबूब के नाम में
उनका नाम आते ही हो जाती हैं गलतियाँ
ये तो उम्र का ही तकाजा है शायद रवि
सोचते हैं कि अब हम भी कर लें गलतियाँ
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हम तो रविरतलामी के बहकावे में फ़ंसकर आ गये। अब क्या करें मजे ले रहे हैं! :)
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखते हो दोस्त
जवाब देंहटाएंसंजय गुलाटी मुसाफिर
अब जब गलतियां कर ही रहे हैं तो एक और सही -टिप्पणी भी कर दें!
जवाब देंहटाएंलेख की आखिरी पंक्ति पढी तो एकदम से मन में आया कि "अरे आज तो रवि जी का लेख पढने के लिये यहां गलती से आ फंसे!!!"
जवाब देंहटाएंतो एक गलती हम भी कर ही दें.
जवाब देंहटाएंमुझको बख़ूबी मालूम थी मेरी हर गलतियाँ
जवाब देंहटाएंफिर भी कर रहा था टिप्पणियों पे टिप्पणियाँ
--अब तो अटक ही गये हैं इस वन वे ट्रेक में.
बहुत बढ़िया !!
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग मे शायद गलती से आया होउंगा पर टिप्पणी कर तो गलती नही कर रहा!!
सही है जी गलती से ही आ गए। जब से आए हैं जा नहीं पा रहे। अब तो गलतियों का सिलसिला ही बन गया है। :)
जवाब देंहटाएंइंसान गल्तियों का पुतला है जी. गल्तियाँ न होगी तो इंसान और पशु में क्या अंतर रह जायेगा, अतः इंसान कहलाने के लिए गल्तियाँ जरूर करें.
जवाब देंहटाएंकुछ गलतियाँ हम जानबूझ कर करते है, पर आप के ब्लोग पर आ कर हम ने कोई गलती नही की, लेख तो बड़िया है ही, कविता उससे भी बड़िया।
जवाब देंहटाएंव्यंजल और कार्टून जोरदार लगे. वाह खूब
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