• यदि कहीं अनुलोम है तो वहाँ विलोम भी होगा (भावार्थ अथवा गूढ़ार्थ - जहाँ रामदेव है, वहाँ ओवैसी भी होगा, इसी तरह अन्य नियम भी भावार्थ अथवा ...
• यदि कहीं अनुलोम है तो वहाँ विलोम भी होगा (भावार्थ अथवा गूढ़ार्थ - जहाँ रामदेव है, वहाँ ओवैसी भी होगा, इसी तरह अन्य नियम भी भावार्थ अथवा गूढ़ार्थ निकाल कर पढ़े जाएं, :)).
• यदि कहीं कुछ गलत योग-मुद्रा हो सकने की संभावना होती है तो अंततः ऐसा होता ही है.
• यदि बहुत सी गलत योग-मुद्रा के हो सकने की संभावनाएँ होती हैं, तो वही एक गलती होती है जिससे कि सर्वाधिक समस्या होती है.
• उपप्रमेय: यदि किसी योग-मुद्रा के गलत के हो सकने का सबसे खराब समय होता है, तो उसी सबसे खराब समय में होता है.
• यदि किसी के लिए, कहीं, कभी, कोई गलत योग-मुद्रा हो ही नहीं सकती हो तो फिर वहाँ अंततः गलत योग-मुद्रा होती ही है.
• यदि आप यह महसूस करते हैं कि चार संभावित तरीकों से गलत योग-मुद्रा हो सकती है, और आप इन सभी तरीकों से बच निकलते हैं, तभी, गलत योग-मुद्रा हो सकने का एक पाँचवाँ अप्रत्याशित तरीका तत्परता से पैदा हो जाता है.
• यदि योग-मुद्राओं को अपने हाल पर छोड़ दिया जाए, तो वे बद से बदहाल होने की कोशिशें करती हैं.
• यदि आपकी योग-मुद्राओं में सब कुछ अच्छा चलता प्रतीत हो रहा है, तो यकीन मानिए, आपने कुछ अनदेखा किया ही है.
• प्रकृति हमेशा योग-मुद्रा के गुप्त दोषों के पक्ष में होती है.
• मुस्कराओ... योग-मुद्रा में कल तो और बुरा होगा.
• योग-मुद्रा में कुछ गलत होता है तो सारा कुछ एक साथ होता है.
• योग-मुद्रा में ज्यादा अनुसंधान आपके सिद्धान्त का समर्थन करने के लिए अग्रसर होते हैं
• योग-मुद्रा में सब कुछ कभी भी सही नहीं होता. अतः यदि सब कुछ सही हो रहा हो... तो कहीं कुछ गलत है.
• योग-मुद्रा में कुछ भी जो गलत हो सकता है, उसे अंततः गलत होना ही है.
• किसी योग-मुद्रा को करते समय, यदि आपको इसके फायदे का पहले से पता होता है तो इस बात से हमेशा ही मदद मिलती है.
• कोई भी योग-मुद्रा उतनी आसान नहीं होती जितनी वह दिखाई देती है.
• हर योग-मुद्रा के लिए उससे ज्यादा समय लगता है जितना आप समझते हैं.
• यदि कोई योग-मुद्रा कभी गलत हो ही नहीं सकती तो अंततः उसे गलत होना ही है.
• जब आप कोई योग-मुद्रा करने के लिए निकल पड़ते हैं तो पता चलता है कि कोई अन्य योग-मुद्रा पहले करना जरूरी है.
• हर योग-मुद्रा एक नई, आवश्यक योग-मुद्राओं के साथ आता है.
• किसी योग-मुद्रा की आसानी उसके महत्व के उलटे अनुपात में होती है.
• किसी योग-मुद्रा के सीखने की संभावना उसके लाभ के सीधे अनुपात में होता है.
• आखिरी असंभावित योग-मुद्रा का सरल विकल्प कुछ न कुछ मिल ही जाता है.
• आप चाहे जितनी भी मशक्कत कर सबसे आसान योग-मुद्रा सीख लेते हैं तो इसके तुरंत बाद पता चलता है कि इसका और सरल विकल्प कुछ और था.
• सामूहिक योग में, हर समय, आपके इस बाजू वाला आपसे ज्यादा अच्छा योग-मुद्रा कर रहा होता है, और जब आप करवट बदल कर देखते हैं तो उस बाजू वाला भी ज्यादा अच्छा योग-मुद्रा कर रहा होता है.
• योग-मुद्रा नहीं करने के लिए आपको यह साबित करना होता है कि आप तो पहले से ही योगी हैं और आपको तो योग की कतई आवश्यकता ही नहीं है.
• किसी भी योग-मुद्रा को अगर आप अपने मुताबिक सुधार कर सरल बनाना चाहते हैं तो जितना सोचा गया होता है उससे कहीं ज्यादा कठिन योग-मुद्रा की जरूरत होती है.
• यदि कोई आसन हो नहीं रहा है, तो कोई दूसरा आसन आजमाएँ. दूसरा न हो तो तीसरा, चूंकि अंततः दूसरा आसन भी कोई पहले से आसान नहीं होता.
• यदि कोई असंभव योग-मुद्रा को प्रशिक्षक के सामने किया जाता है तो वह योग-मुद्रा अचानक भली भांति होने लग जाता है.
• यदि कोई ऐसा आसान योग-मुद्रा बना लिया जाता है जिसका इस्तेमाल कोई बेवक़ूफ़ भी कर सकता हो तो फिर उसका इस्तेमाल सिर्फ बेवक़ूफ़ ही करेंगे.
• हर एक के पास योगी बनने की योजनाएँ होती हैं जो काम नहीं करतीं.
• किसी भी योग-मुद्रा में प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के अयोग्यता स्तर के चरम पर पहुँच जाता है और फिर वह वहीं बना रहता है.
• किसी भी योग-मुद्रा को सबसे बढ़िया करने के लिए कोई समय नहीं होता, परंतु उस योग-मुद्रा को निपटा लेने के लिए समय हमेशा होता है.
• जीवन में कोई भी योग-मुद्रा या तो असंभव, या गैरजरूरी होती है.
• संशय के समय योग-मुद्रा में ज्यादा विश्वसनीयता लाएँ.
• योग-मुद्रा के सबसे महत्वपूर्ण, कठिन आसन पर ही आपके मोबाइल पर एक बेहद जरूरी, वाट्सएप्प संदेश अपडेट होता है.
• जहाँ सहनशक्ति और धैर्य असफल हो जाता है, योग-मुद्रा की जीत होती है.
• यदि आप कुछ सरल योग-मुद्रा चाहते हैं, अधिक संभावना है कि आपको वह न करना पड़े.
• यदि आप समझते हैं कि आप सही और बढ़िया योग-मुद्रा कर रहे हैं, तो इसके आपके सामने ही गलत ठहराए जाने की पूरी संभावना है.
• बूमरेंग प्रभाव याद कीजिए; आपकी योग-मुद्राएँ आपके पास लौट कर वापस आती हैं.
• जब आप अकेले योग कर रहे होते हैं तभी आपके आसन स्वाभाविक, नियमानुसार, शत-प्रतिशत शुद्ध होते हैं.
• आपका सबसे बुरा योगासन तभी बनता है जब आप औरों के सामने प्रदर्शित करते होते हैं जिन्हें आपको प्रभावित करना होता है.
• आप चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, आप ठीक से एक भी योग-मुद्रा नहीं कर सकते.
(उदाहरण के लिए, परिवार के सभी लोगों को योग सिखाने की कोशिश करना)
• मित्रों को योग सिखाने की कीमत बीयर की कीमत के सीधे अनुपात में होती है.
• ग्रेट योग-मुद्राएँ कभी भी याद नहीं किए जाते और सरल योग-मुद्राएँ कभी भूले नहीं जाते.
• योग-मुद्राओं में से हमेशा वही भूला जाता है जो कठिन, असंभव किस्म का होता है.
• जो योग-मुद्रा आप आसानी से कर सकते हैं, प्रशिक्षक आपके लिए गैरजरूरी बताता है और जो आपको करने को कहा जाता है उसे आप हरगिज करना नहीं चाहते.
• योग-मुद्रा का सर्वकालिक नियम – जो योग-मुद्रा आप करना चाहते हैं वह संभव नहीं है, जो आप कर सकते हैं उसे आप करना नहीं चाहते.
• दैनिंदनी योग का समय आप कितने लेट हो चुके हैं या होने वाले हैं उसके सीधे अनुपात में होती है.
• किसी योग-मुद्रा की पेचीदगी का गुणांक, उस योग-मुद्रा को सीखने में कितना समय लगता है तथा वह कितना महत्वपूर्ण होता है उसके उलटे अनुपात में होता है.
• लोगों के द्वारा किसी व्यक्ति के योग-मुद्रा का अवलोकन किए जाने की संभाव्यता उसके द्वारा किए जा रहे ऊटपटांग योग-मुद्रा के सीधे अनुपात में होती है.
• यदि आप धूल-धूसरित होकर उठते हैं तो यकीनन आपकी योग की चटाई में धूल है.
• योग के नियमों की जानकारी होने मात्र से किसी भी परिस्थिति में कोई मदद नहीं मिलती है.
• यदि आप अपना प्रभाव जमाने के लिए कोई योग करते हैं तो यकीन मानिए, आपका प्रभाव खतम हो जाता है.
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