मेरे, तरंग में आकर लिखे गए आत्मालाप पर पहले शास्त्री जी ने अपनी टिप्पणी में, और फिर ज्ञानदत्त जी ने अपने चिट्ठे में मुझसे प्रश्न किया ...
मेरे, तरंग में आकर लिखे गए आत्मालाप पर पहले शास्त्री जी ने अपनी टिप्पणी में, और फिर ज्ञानदत्त जी ने अपने चिट्ठे में मुझसे प्रश्न किया कि जिस बिना पर मैंने आत्मालाप किया है, वैसा ही कुछ, अन्य चिट्ठाकारों चिट्ठों को कैसे प्राप्त हो – इस पर लिखें. यानी शुद्ध-सरल भाषा में – चिट्ठों पर हिट और चिट्ठे के समर्पित पाठक बढ़ाने के तरीके लिखें.
वैसे, सही में देखा जाए तो फ़ीडबर्नर के जो आंकड़े मेरे चिट्ठे पर दिख रहे हैं, वैसा ही कुछ जतन (ब्लॉगर+फ़ीडबर्नर फ़ीड योग) फ़ुरसतिया पर होता या संभवतः ई-पंडित या मोहल्ला पर होता तब भी ऐसा ही कुछ या इससे बेहतर आंकड़ा दिखाई देता होता – और इसीलिए मैंने कहा भी था – ज्यादा खुशी मनाने जैसी कोई बात नहीं, और, वैसे भी, ये तो शुरूआत है – आने वाले दिनों में सैकड़ों हजारों हिन्दी चिट्ठे तमाम तरह की लोकप्रियता प्राप्त करेंगे. दरअसल, अभी इंटरनेट का आम हिन्दी पाठक चिट्ठों के बारे में एक तरह से अंजान ही है. नहीं तो हिन्दीमीडिया को उसके प्रारंभ होने के मात्र दो महीने के भीतर ही दो-लाख हिट्स नहीं मिलते!
चलिए, फिर भी, अब जब चूंकि मुझे आसन पर बैठा ही दिया गया है, तो कुछ प्रवचन मैं भी दे ही देता हूँ. वैसे, प्रवचन तो हर कोई सुना सकता है. अब ये दीगर बात है कि श्रोता अमल करें या न करें, और, अहम् बात, किसे पता कि वाचक खुद अपने प्रवचनों पर अमल करता भी है या नहीं!
तो, लीजिए प्रस्तुत है चिट्ठों को हिट कराने के 10 प्रमुख नुस्ख़े –
# 1 - आप 200 के लिए नहीं, बल्कि 2000 के लिए लिखें, और हो सके तो 2 लाख के लिए लिखें.
# 2 – आप ऐसा लिखें जो आज भी पढ़ा जा सके, कल भी और परसों भी और आज से दस साल बाद भी. कालजयी प्रविष्टियाँ खोद-खाद कर लिखी-पढ़ी-और छापी जाती हैं, और हमेशा ताजा बनी रहती हैं.
# 3 - आप ऐसी, फुरसतिया, मनोरंजक, हास्य-विनोद की भाषा में लिखें जो सहज और सरल हो. दूसरों के बजाए अपने ऊपर जोक मारें – और आमतौर पर पाठकों को पता चल ही जाता है कि निशाने पर कौन है. अजदकी, भड़ासी व भदेस भाषा के अपने अलग, विशिष्ट, खास पाठक होते हैं, और, अत्यंत सीमित पाठक होते हैं.
# 4 - आप विषयों में विविधता रखें, उसे बहुआयामी बनाएँ – आज आलू के बारे में लिखा तो कल रतालू के बारे में लिखें. रोज आलू खा कर व्यक्ति चार दिन में बोर हो जाता है. आज आपने कविता लिखी है, कल ग़ज़ल ट्राई करें, परसों यात्रा वृत्तांत लिखें – भले ही वह आपके लोकल ट्रेन या मेट्रो के सफर का अलहदा सा वृत्तांत हो.
# 5 – आप अपने चिट्ठा पोस्ट में जहाँ तक बन पड़े, एकाध संदर्भित-असंदर्भित चित्र अवश्य डालें. यकीन मानिए, आपका कंप्यूटर और इंटरनेट चित्रों का भंडार है. दूसरे का चित्र या सामग्री हो तो उसे क्रेडिट अवश्य दें.
# 6 – आप एक पोस्ट लिखने से पहले कम से कम दस और हो सके तो बीस पोस्ट पढ़ें – आवश्यक नहीं कि हिन्दी में, और यह भी आवश्यक नहीं कि कम्प्यूटर पर ही पढ़ें (अखबारों-पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ें). और, संभव हो तो जिस विषय पर लिख रहे हैं उस विषय के बारे में पढ़ें.
# 7 – आप जहाँ तक बन पड़े जवाबी पोस्ट न लिखें. उनकी कोई उम्र नहीं होती, और स्वतंत्र रुप से उनका कोई आधार भी नहीं होता. वह सिर्फ एक दिन के लिए प्रासंगिक, जीवंत होता है. दूसरे दिन वह अप्रासंगिक, मृतप्राय: हो जाता है.
# 8 - आप नियमित, कुछ न कुछ लिखें. प्रविष्टि 250 शब्दों से कम न हो – पाठक को यह न लगे कि यह पोस्ट प्रकाशित कर उसे बेवकूफ़ बनाया गया है. सप्ताह में कम से कम एक प्रविष्टि तो लिखें ही. अंग्रेज़ी के भारत के सर्वाधिक सफल ब्लॉगर अमित (और विश्व के दूसरे सफल ब्लॉगर भी) एक दिन में 5-6 प्रविष्टियाँ लिखते हैं – और, सारे के सारे जानकारी से भरे, विविधता पूर्ण.
# 9 - आप पाठकों की, टिप्पणियों की चिंता किए बगैर, नियमित लिखते रहें. जिस दिन आपके चिट्ठे पर सारगर्भित पोस्टों की संख्या हजार के आंकड़े को छू लेगी (अभी तो मेरे इस चिट्ठे ने भी नहीं छुआ है ;)), विश्वास रखिए, उस दिन आपके चिट्ठे के पाठकों की संख्या भी हजार को पार कर लेगी.
# 10 – ऊपर दिए गए नियमों को सिरे से नकार दें. चिट्ठे किसी नियम-बंधन-संपादन-विषयवस्तु से बंधे नहीं हैं. जो लिखना चाहें बिंदास लिखें. हिट-मिस की चिंता न करें. जब चाहें, जैसा चाहें लिखें, न चाहें न लिखें और चाहें तो अपने लिखे चिट्ठे मिटा दें और मिटा कर नए बना लें – चिट्ठा है भाई! मैं अपने चिट्ठे में कुछ भी करने को स्वतंत्र हूँ – क्योंकि ये चिट्ठा मेरा है!
पुनश्चः इस प्रविष्टि को प्रकाशित करने के तत्काल बाद ही यह रचना पढ़ने में आई -
कहें दीपक बापू मत पडो हिट- फ्लॉप के चक्कर में
आग्रह है कि उक्त रचना को इस प्रविष्टि का परिशिष्ट समझें!
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मुझे आपसे जलन होती है, जब मै फीडबर्नर पर पाठक संख्या देखता हुँ. ससच्ची
हटाएंफ़ुर्सतिया के चिट्ठे पर तो ये सुविधा नहीं है.. मोहल्ले पर है. उसके ६६ रीडर्स हैं.. खाकसार भी इस संख्या को प्रदर्शित करता है.. और दो दिन में यह संख्या उछ्ल कर २३ से ४० पर पहुँच गई है.. इतरा तो हम भी बहुत रहे हैं.. पोस्ट लिखने लायक तो नहीं.. मगर यहाँ टिपियाने में उगल ही गए..
हटाएंबाकी आपके दिशा निर्देशों को नोट किया माना जाय..
raviji
हटाएंvastv mein aapse seekhnaa chaahiye. bahut dadhiya, apne mere rachnaa do apna parishishth kahaa.aapke pryass hindi blog jagat ke liye rang la rhe hain.
deepak bharatdeep
प्रिय रवि
हटाएंइस लेख के लिये बहुत शुक्रिया. आवश्यक लगभग सारी प्राथमिक जानकारी इस लेख में आ गई है. जो सीखना चाहते हैं उनको दिशा दे दी है. अब उनके ऊपर है कि वे इस सीढी का उपयोग करे या न करे.
-- शास्त्री जे सी फिलिप
www.Sarathi.info
जरा बैंक के चक्कर ज्यादा लगाया कीजिये और अपने लॉकर से निकाल निकाल कर ला कर ऐसी पोस्ट ज्यादा लिखा कीजीये।
हटाएंहमें बहुत जरूरत होती है ऐसे ज्ञान की
अगर आप के कीबोर्ड इतनी काम की पोस्टें न उगले तब तो हिंदी चिट्ठा भंडार हम जैसों की बेमतलब के उवाचों से गंधा ही जाए।
हटाएंशुक्रिया
आपके बताए नियम बहुत ही उपयोगी और विचारणीय हैं। पूरी कोशिश रहेगी इनको फॉलो करने की।
हटाएंवैसे तो आपके बताए सारे ही टिप्स एक से बढ़कर एक हैं पर निम्न वाला मुझे खास पसंद आया।
"आप पाठकों की, टिप्पणियों की चिंता किए बगैर, नियमित लिखते रहें. जिस दिन आपके चिट्ठे पर सारगर्भित पोस्टों की संख्या हजार के आंकड़े को छू लेगी (अभी तो मेरे इस चिट्ठे ने भी नहीं छुआ है ), विश्वास रखिए, उस दिन आपके चिट्ठे के पाठकों की संख्या भी हजार को पार कर लेगी. "
रवि जी,नयी सीख देने के लिए आपका धन्यवाद।बहुत सही लिखा है।
हटाएंआभार आदरणीय जो यह टिप्स हमारे साथ आपने बांटे!!
हटाएंकोशिश यही होगी कि इन्हें अपने आप पर लागू कर सकें!!
उस्तादजी ! आनन्द आ गया । आपकी बातें गुदगुदाती भी हैं और सहारा भी देती हैं । आप हिन्दी ब्लागिंग पर कोई पुस्तक क्यों नहीं लिखते ? आने वाला समय हिन्दी ब्लागिंग का है, तब आपकी पुस्तक असंख्य नव-लिक्खडों के लिए संजीवनी का काम करेगी ।
हटाएंइतनी बढ़िया जानकारी देने का शुक्रिया। और अब तो राज भी खुल गया।
हटाएंबढ़िया है। अब अमल शरू करते हैं।
हटाएंऐसे तो सभी बिन्दु नोट करने लायक हैं पर दसवें नंबर का बिन्दु सबसे महत्वपूर्ण है। आप वह लिखें जो आप को पसंद हो - क्योंकि वही आप सबसे अच्छा लिख सकते हैं और अच्छा लिखा ही पढ़ा जायगा। इसे सरल भाषा में लिखें - क्योंकि सरल भाषा ही समझ आयगी। दुनिया बहुत बड़ी है। आपको अपनी पसंद के लोग हमेशा मिलेंगे
हटाएं...तो आप ही हैं वे रिसर्च गाइड जिनकी अंगुली पकडकर रिसर्च रूपी वैतरणी पार की जा सकती है!
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