इस आलेख के दर्शन को आत्मसात करने के लिए, संलग्न चित्र को ध्यानपूर्वक देखें. हो सके तो एकाधिक बार. यह चित्र या इससे मिलता जुलता चित्र वैसे ...
इस आलेख के दर्शन को आत्मसात करने के लिए, संलग्न चित्र को ध्यानपूर्वक देखें. हो सके तो एकाधिक बार.
यह चित्र या इससे मिलता जुलता चित्र वैसे तो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर बाबा आदम के जमाने से किसी न किसी रूप में वायरल होता रहा है, पर जब अभी इसे महिंद्रा कंपनी के आनंद महिंद्रा ने इसे साझा किया तो लोगों का ध्यान फिर से गया. मेरा भी.
और, ध्यान से देखें तो यह चित्र आपके अनिर्णय की स्थिति को दार्शनिक तरीके से हल करने का पर्याय आपको देता है.
मैं उदाहरण सहित आपको समझाने का प्रयास करता हूँ.
जैसे कि, हमारी पिछली विंटर स्पीति यात्रा - जनवरी 2020 - में यह टूल बिलकुल फिट बैठता है.
जब नीरज मुसाफिर ने यह यात्रा ( https://www.youtube.com/watch?v=_TrZ06Blj1A ) प्लान की, - तो मैंने एक बारगी यह सोचा कि मुझे इस ट्रिप पर जाना चाहिए कि नहीं.
हमारी बड़ी इच्छा थी - हमारी बाल्टी सूची में सर्वप्रथम स्थान पर यह थी - कि हमें बर्फ़ीले स्थान की यात्रा करनी है - और वो भी न्यूनतम एकाध सप्ताह की. तो, लगा कि इस बार तो यह समोसा खाना ही है.
परंतु, एक जटिल समस्या थी. मुझे जन्मजात हृदय-रोग की समस्या है, जिसकी जटिल शल्यक्रिया यूँ तो 1994 में हो चुकी है, परंतु जन्मजात अंदरूनी शारीरिक विकृतियों - खासकर हृदय संबंधी - को शल्यक्रियाओं से भले ही ठीक करने की कोशिश की जाती है, परंतु वे पूरी तरह ठीक नहीं ही होते और अन्य समस्याएँ आती ही रहती हैं, साथ ही, अधिकांश मामलों में जीवन-भर दवाइयां भी खानी होती हैं. तो मुझे भी समस्याएँ होती रहती हैं, और, ऊपर से, इस यात्रा से दो साल पहले ही, मेरे हृदय की धड़कनें असामान्य रूप से, सामान्य से दो-तीन गुना अधिक (टैकीकार्डिया) हो गई थी, जिसे ठीक करने के लिए एक एंजियो प्रोसीजर भी किया गया था. और वर्तमान हालात में मेरे हृदय की एफ़िशिएंसी 30 प्रतिशत ही थी, साथ में असामान्य धड़कन (एरिथमिया) की समस्या भी थी.
ऐसी स्थिति में ऊँचे, ठंडे स्थान पर, 4 हजार मीटर से अधिक ऊँचे पहाड़ों की यात्रा क्या उचित है? क्या मुझे यह समोसा खाना चाहिए?
शायद हाँ, क्योंकि हो सकता है कि आगे फिर कभी ये मौका मिले न मिले. यात्रा की प्लानिंग व विवरण ऐसी थी, जैसे आपकी इच्छा को पूरी करने के लिए पूरी कायनात ने साजिश की है. तो मैंने इस यात्रा की सहमति दे दी. पर, इससे पहले मैंने अपने पारिवारिक चिकित्सक से सलाह जरूर ले ली. उन्होंने कुछ एहतियात और पूर्व-तैयारी के अनुरूप शर्तिया हामी भर दी.
एहतियात यह बरतनी थी कि ऊंचे स्थानों पर जहाँ ऑक्सीजन स्तर कम होता है, न्यूनतम शारीरिक श्रम करें, और यात्रा से पहले अपने आप को योग और नित्य 4-5 कि.मी. पैदल चल कर अपना फिटनेस बनाए रखें. यदि पहाड़ों में सांस की समस्या हो तो पेट के बल सांस लें. नीरज ने यह भी आश्वासन दिया था कि यात्रा के दरम्यान पूरे समय ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था रहेगी. हालांकि यह दीगर बात है कि पूरी यात्रा में न सिलेंडर कहीं दिखाई दिया न ही उसकी आवश्यकता ही पड़ी.
तो, यह जटिल समस्या तो हल हो गई. मगर जब एक बड़ी समस्या हल होती है तो अक्सर, जाते जाते, वो साथ में एक और अधिक जटिल समस्या देकर जाती है - लगे हाथ इसे भी हल कर लो!
यात्रा से कुछ दिन पहले रेखा (पत्नी) के पैर के अंगूठे में चोट लग गई. नाखून आधा टूट गया. जहाँ आप मौज मजे और घूमने फिरने के लिए जा रहे हों वहाँ आपका पैर ही साथ न दे तो क्या मतलब. ऊपर से वहाँ के अत्यंत ठंडे मौसम में आपको हर समय जूते पहनना अनिवार्य होता है जो कि टूटे अंगूठे में संभव नहीं लग रहा था. लगा कि थाली का समोसा ठंडा ही रह जाएगा. लगा कि यात्रा रद्द करनी होगी. पर, रेखा ने जीवटता दिखाई और कहा - अंगूठा ठीक हो न हो - इस यात्रा पर चलेंगे.
इस यात्रा पर चलने के लिए हमने परिवार के अन्य सदस्यों से भी चर्चा की थी. परंतु पूर्व नियोजित कार्यक्रमों अथवा अन्य मजबूरियों के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था. यात्रा के अनिर्णय की स्थिति में एक फ़ैक्टर यह भी था. इस बीच अनु (बेटी) ने अपने पूर्वनिर्धारित-कार्यक्रमों में परिवर्तन किए, और यात्रा के लिए सहमति दे दी. इससे अच्छी और कोई बात हो सकती थी भला. अब तो थाली के सारे समोसे हमारे!
पर यह भी सच है कि ऐसा नहीं हुआ कि यात्रा के सारे समोसे स्वादिष्ट रहे हों - रेखा को अधिकांश यात्रा दर्द निवारक दवाओं के सहारे पूरी करनी पड़ी. यात्रा के प्रारंभ में ही मुझे ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी से होने वाली समस्या से जूझना पड़ा - जिसके लिए मैंने पूर्व तैयारी की हुई थी - एक बार, मैंने कोई एक घंटे तक बिना हिले डुले पेट के बल गहरी सांसें लीं और इस तरह अपने आपको वापस सामान्य रूप में लाने में सफल हुआ.
फिर भी, कुल मिलाकर यह यात्रा बेहद सफल, आनंददायी और यादगार रही.
अपने निर्णय को पुख्ता बनाने के लिए तर्क गढ़ें, प्रयास करें और हर हाल में लक्ष्य हासिल करें. यक़ीन रखें, पूरी कायनात आपके लक्ष्य को पूरा करने के लिए साजिश करेगी ही.
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