पूरे एक दशक में भी भारत नहीं बदला. एक जज फरार है और भारतीय पुलिस उसे खोज नहीं पाई है! पूरा सिस्टम ही फरार है. प्रस्तुत है 2005 में फरार पर ल...
पूरे एक दशक में भी भारत नहीं बदला. एक जज फरार है और भारतीय पुलिस उसे खोज नहीं पाई है! पूरा सिस्टम ही फरार है.
प्रस्तुत है 2005 में फरार पर लिखी पोस्ट का रीपोस्ट -
बिहार के पाँच विधायक अर्से से फरार थे, जो, जाहिर है, चुनावी बेला पर नमूदार हो गए. इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री शिबूसोरेन को कोर्ट का समन जारी हुआ था तो वे मंत्री पद छोड़ कुछ दिनों तक फरार हो गए थे. इस बीच वे मीडिया को साक्षात्कार देते रहे. जब समन बीत गया तो वे प्रकट हो फिर मंत्री बन गए. यूं तो सारा देश फरार हो गया है. सोने की चिड़िया भारत, हिन्दुस्तान बचा है क्या? उसे हमने कहीं फरार करवा दिया है और जो हमारे पास बचा है वह प्लास्टिक, पॉलिथीन का इंडिया है...
*-*-*
व्यंज़ल
//**//
समग्र मुल्क फरार है
जिस्म है जाँ फरार है
अवाम बैठी मुँह खोले
और हाकिम फरार है
क़ैदी है जेल में लेकिन
वहाँ सिपाही फरार है
देखो दुनिया दीवानी
जिए वही जो फरार है
सोचे है रवि बहुत पर
उसका कर्म फरार है
--**--
दिनांक 13/06/2017 को...
हटाएंआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
आप की प्रतीक्षा रहेगी...
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व बालश्रम निषेध दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
हटाएंकितना कठिन समय है ,एक न्यायाधीश जो जीवन भर अपराधियों को सजा देता रहा अंत में खुद अपराधी हो गया, जैसे न्यायालय भी एक पागलखाना हो जहां विक्षिप्त लोगों के साथ रहते रहते स्वयं ही विक्षिप्त हो जाते हों
हटाएंसत्य कहा आदरणीय ,सम्पूर्ण तंत्र ही फ़रार है, कोई समस्याओं से !
हटाएंकोई जिम्मेंदारियों से !
और हो भी क्यूँ ना !
नेतृत्व तो सभी करना चाहते हैं किन्तु परिणाम भुगतने में बड़ी पीड़ा है ,आभार "एकलव्य"
फरार होना भी एक कला है जी ! अपनी सहूलियत से जब चाहें फरार हो जाइए, जब जी चाहे प्रकट हो जाइए....जिम्मेदारियाँ निभाने के वक्त फरार और हक माँगने के वक्त प्रकट !न्यायाधीश फरार हैं, इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या होगी लोकतंत्र के लिए ?
हटाएंबहुत सुन्दर.....
हटाएं