भोपाल की ब्रिटिश लाइब्रेरी - वर्तमान नाम विवेकानंद लाइब्रेरी में अंग्रेज़ी और पश्चिमी (जर्मन, फ्रेंच) आदि भाषाओं की किताबें ही मिलती थीं. ज...
भोपाल की ब्रिटिश लाइब्रेरी - वर्तमान नाम विवेकानंद लाइब्रेरी में अंग्रेज़ी और पश्चिमी (जर्मन, फ्रेंच) आदि भाषाओं की किताबें ही मिलती थीं.
जनता की बेहद मांग पर हिंदी की किताबें इस वर्ष के हिंदी पखवाड़े से नसीब होने लगी हैं और क्या खूब होने लगी हैं. दूसरी खेप आई है जिसकी ये झलकी है -
नए संग्रह में शामिल 20 किताबों की सूची इस प्रकार है ।
- मुसाफिर कैफ़े (दिव्य प्रकाश दुबे)
- बनारस टॉकीज (सत्या व्यास)
- आज़ादी मेरा ब्रांड (अनुराधा बेनीवाल)
- मम्मा की डायरी (अनु सिंह चौधरी)
- जादू भरी लड़की (किशोर चौधरी)
- टर्म्स एंड कंडिशन्स एप्लाई (दिव्यप्रकाश दुबे )
- ज़िंदगी आइस पाइस (निखिल सचान )
- नमक स्वादानुसार (निखिल सचान )
- नीला स्कार्फ (अनु सिंह चौधरी )
- वो अजीब लड़की (प्रियंका ओम)
- कुल्फी एंड कैपूचिनो (आशीष चौधरी )
- नॉन रेजीडेंट बिहारी (शशिकांत मिश्रा )
- लूजर कहीं का (पंकज दुबे)
- कोस कोस शब्दकोश (राकेश कायस्थ )
- इश्कियापा (पंकज दुबे)
- इश्क़ कोई न्यूज़ नहीं (विनीत कुमार )
- चौराहे पर सीढ़ियाँ (किशोर चौधरी )
- मसाला चाय (दिव्य प्रकाश दुबे )
- बकर पुराण (अजीत भारती )
- ठीक तुम्हारे पीछे (मानव कौल )
ज्ञातव्य है कि इन किताबों को उनकी मांग और विविध स्रोतों से हासिल किए गए लोकप्रिय / हालिया बेस्टसेलर हिंदी किताबों की सूची में से छांट कर संग्रहित किया गया है.
सूची में शामिल लेखकों को बधाईयाँ, शुभकामनाएँ और प्रकाशकों को भी. इनमें से बहुत सारा हिंद युग्म से प्रकाशित है. शैलेश भारतवासी को भी विशेषतः बधाई.
और, विनीत की इश्क कोई न्यूज़ नहीं तो है ही, किशोर चौधरी की दो, अनु सिंह चौधरी की भी दो, और दिव्य प्रकाश दुबे की तो तीनों किताबें हैं :)
बढ़िया जानकारी और हिंदी भाषियों के लिए महत्वपूर्ण
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