कूल काऊ ट्रैकिंग - एक विज्ञापन की तस्वीर. असली. कोई फ़ोटोशॉप्ड नहीं, कोई नकली नहीं. सवार के मुख पर प्रसन्नता की लकीरें बताती हैं कि यह कित...
कूल काऊ ट्रैकिंग - एक विज्ञापन की तस्वीर. असली. कोई फ़ोटोशॉप्ड नहीं, कोई नकली नहीं.
सवार के मुख पर प्रसन्नता की लकीरें बताती हैं कि यह कितना आह्लादकारी होगा! तो चलें, अपन भी ऐसी सवारी करने?
नहीं?
वैसे, अपने यहाँ भी लोग-बाग अक्सर गाय की सवारी अपने राजनीतिक लाभ के लिए करते रहे हैं. पर, वो आपको भी पता है कि अलग किस्म की अलहदा सवारी होती है, और उसका विजुअल इफ़ेक्ट नहीं, कुछ और इफ़ेक्ट होता है. हाँ, आह्लादकारी तो अवश्य होता होगा - राजनीतिक लाभ की तरह.
गऊ भक्तों से अग्रिम क्षमा याचना सहित. स्ट्रिक्टली नो ऑफ़ेंस टू एनीबडी!
ईमेल से प्राप्त टिप्पणी -
हटाएंसुरेश चन्द्र करमरकर
वाह ,रविजी ,मजा आ गया, गोभक्तों और गौरक्षको से क्षमा ली यह अच्छा किया, एक बात मैं कहना चाहता था की उक्त गे के आलावा एक नील गाय हमारे इलाके में होती है। जो बड़ी ताकतवर ,होती है,दौड़ने में तेज होती है गरीब होने का प्रश्न ही नहीं ''गरीब ''विशेषण जो गाय के आगे लगता है वह इसके काबिल नहीं। उलटे किसानों की फसलों को उजाड़ देती है। इस नस्ल को काबू करने के लिए इनकी नसबंदी आवश्यक है, किन्तु रक्षकों से डर लगता है. एक बात और कहानी थी लंबे समय से कोई ब्लॉग नहीं लिखा तो मेरा ब्लॉग गूम हो गया.अब मैं नया बनाओं या उसीको खोजूं?