चार सौ बीस की संख्या से कौन सबसे ज्यादा भय खाता है? चार सौ बीस के अंक से सबसे ज्यादा आतंकित कौन रहता है? चार सौ बीस का आंकड़ा दिन रात जाग...
चार सौ बीस की संख्या से कौन सबसे ज्यादा भय खाता है? चार सौ बीस के अंक से सबसे ज्यादा आतंकित कौन रहता है? चार सौ बीस का आंकड़ा दिन रात जागते सोते उठते बैठते किसे सबसे ज्यादा परेशान करता है?
जाहिर है, भारतीय नेताओं को. इसीलिए, आखिरकार लोकसभा में चार सौ बीस नंबर की कुर्सी ही ग़ायब कर दी गई. लोक सभा में कुर्सियों के नंबर सिस्टम से चार सौ बीस की संख्या ही निकाल बाहर कर दी गई. चारसौबीस नंबर की कुर्सी को चारसौउन्नीस ए कर दिया गया है. फिर अगले नंबर की कुर्सी का क्रमांक चारसौ इक्कीस है. राज्य सभा और दीगर राज्यों की विधान सभाओं में भी आगे यही हाल होने वाला है लगता है. फिर दीगर सरकारी कार्यालयों, भवन, सड़क इत्यादि का नंबर जल्द ही आ जाएगा.
अब ये तो मामला एक माँद में दो तलवार या एक पिंजरे में दो शेर जैसा लगता है. या तो जनप्रतिनिधि चारसौबीस रहे या उसकी कुर्सी का नंबर. अब जबकि जग जाहिर है, दुनिया भर के जनप्रतिनिधियों का चारसौबीसी से चोलीदामन का साथ है, तो उनकी कुर्सी कैसे चारसौबीस हो सकती है भला? फिर, अंधे को अंधा कहना किसे अच्छा लगता है?
अब यह नंबर हम सबको – जनता को भी खारिज कर देना चाहिए. वाहन का नंबर, सड़क का नंबर, मकान-प्लाट का नंबर यदि चारसौबीस होता है तो उसे बदल कर चारसौउन्नीस ए कर देना चाहिए. देश के जन प्रतिनिधि जब चारसौबीस की संख्या पचा नहीं पा रहे हैं, उसे खारिज कर रहे हैं, तो जैसी राजा वैसी प्रजा के लिहाज से हम सभी को चारसौबीस का अंक अपने परिवेश से मिटा देना चाहिए. चारसौबीसी भले रहे, फूले फले, मगर चारसौबीस नहीं.
जब हम चारसौबीस के अंक को अपने परिवेश से बाहर कर रहे हैं तो फिर पहली कक्षा के विद्यार्थी को पहाड़े और गिनती में चारसौबीस क्यों पढ़ाया जा रहा है भला? सिब्बल के लिए एक और एजेंडा आ गया है. छात्रों की गिनती की पढ़ाई में से चारसौबीस के अंक को गायब करना. नहीं तो होगा ये कि विद्यार्थी जब पढ़कर बाहर निकलेगा, सिनेमा की सीट पर या नोट के नंबर पर चार सौ उन्नीस के बाद देखेगा कि उसका पढ़ा लिखा चारसौबीस तो कहीं है ही नहीं तो फिर वो अपनी पढ़ाई को बेकार समझेगा या फिर अपने गुरुओं को गाली देगा कि उन्होंने चारसौबीस तो पढ़ा दिया, मगर चारसौउन्नीस करने की चारसौबीसी नहीं सिखाई.
संसद से शुरूआत हो ही गई है. आइए हम भी खारिज करें चारसौबीस को. आपका ब्लॉग पोस्ट, लिखी-मिली टिप्पणी इत्यादि की संख्या चारसौबीस न रहे ये ध्यान रखें!
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व्यंज़ल
कैसे बताएँ कौन है 420
नजर आते हैं सभी 420
संसद के लंगोटिया यार
एक दूजे को कहते 420
इश्क में इबादत में भी
अब तो चहुँ ओर हैं 420
एक बंदा गया जल्द ही
क्योंकि वो नहीं था 420
रवि आया तो था शरीफ़
वक्त ने बना दिया 420
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मजेदार है। कुर्सी के नंबर से क्या फर्क पड़ता है, यदि बैठने वाले सभी ४२० ही हों
हटाएंअरे रवि भैया चार सौ बीसवीं टिप्पणी मेरी समझिए इस पोस्ट पर ।
हटाएंशायद ये कानून की एक धारा है और ये नंबर लिखना कानून का उल्लंघन है हहहः to jail hogi hee
हटाएंलोकसभा व विधानसभा में 420 नम्बर की एक कुर्सी हटाने से क्या फर्क पड़ेगा ..लगभग सारी कुर्सियों पर यही नम्बर तो लिखा है ..!!
हटाएंराजकपूर साहब ने तो बड़े अदब से एक फिल्म बनायी थी... श्री४२०
हटाएंबहुत शानदार थी फिल्म। आपकी पोस्ट भी कुछ कम नहीं। आनन्द आ गया।
वाह रे ४२० का गणित।इसी के साथ गणित हो गयी। बेहतर। आभार।
हटाएंसरकार इतने रचनात्मक काम कर रही है फिर भी आप असंतुष्ट रहते हो...
हटाएंयह टिप्पणी क्रमांक 420 है...शायद पोस्ट भी..
संसद इन नेताओं के बाप की है। तभी तो अपनी सुविधा के मुताबिक गणित की संख्या पद्धति भी पुनर्निर्धारित कर रहे हैं। खैर, हम यह भी सोच रहे हैं कि गहराई किसमें ज्यादा है - आपके लेखन में या इन नेताओं की मक्कारी में
हटाएंदेसी एडीटर
खेती-बाड़ी
हमारे कॉलेज में जिस छात्र का रोल नंबर 420 होता है वो बिचारा तो क्लास में सदा उपस्थित होने के बावजूद अपना नाम डिफ़ाल्टर लिस्ट में पाता है क्युं कि वो येस सर बोलता ही नहीं और एबसेंट मार्क होता रहता है…। अब हम उसका रोल नं 420 न बुला कर फ़ोर टू जीरो बुलाते हैं …।
हटाएंबिलकुल सही कहा आपने,
हटाएंएक म्यान में दो तलवारें कैसे रखी जा सकती हैं. अब या तो ४२० नंबर की कुर्सी ही हो संसद में या फिर ४२० फिदरत वाले इंसान ही.