हाल ही में, दुनिया को देखते हुए और उसके पीछे चलते हुए, मैंने भी अपना स्मार्टफ़ोन अपग्रेड कर लिया. और इस तरह एप्पल, सेमसुंग और एलजी आदि आदि ...
हाल ही में, दुनिया को देखते हुए और उसके पीछे चलते हुए, मैंने भी अपना स्मार्टफ़ोन अपग्रेड कर लिया. और इस तरह एप्पल, सेमसुंग और एलजी आदि आदि कंपनियों को घाटे से उबारने में मैंने भी अपना थोड़ा सा योगदान दे दिया. मगर समस्या यह नहीं थी कि मेरा योगदान कितना क्या रहा. समस्या कुछ दूसरे किस्म की रही. अब आपका फ़ोन जब स्मार्ट हो गया है तो समस्या को भी स्मार्ट होना चाहिए कि नहीं!
मेरा पुराना डेटा, कॉन्टैक्ट, हजारों-लाखों की संख्या में बारंबार ठेले गए वाट्सएप्प चुटकुले और चित्र और वीडियो आदि आदि तो मेरे पुराने फ़ोन से आराम से नए फ़ोन में आ गए. इसमें मुझे कहीं कोई समस्या नहीं आई. नया फ़ोन वाकई स्मार्ट है. परंतु इसका इंटरफ़ेस पुराने से कुछ जुदा है कुछ अलग सा है. ठीक है, वो भी झेल लेंगे कोई बात नहीं. प्ल्टेफ़ॉर्म एक ही (एंड्रायड) होने से कोई ज्यादा समस्या भी नहीं.
पर, जल्द ही समस्याएँ सामने आने लगीं. स्मार्टफ़ोन जनित स्मार्ट समस्याएँ.
मेरे नए स्मार्टफ़ोन में एक अदद अतिरिक्त सेंसर लगा है. फिंगर प्रिंट सेंसर तो खैर लगा ही है जिससे कि अब लॉगइन करने के लिए न पिन डालना पड़ता है न कोई निशान खींचना पड़ता है न पासवर्ड भरना पड़ता है, बल्कि सेंसर के ऊपर फिंगर स्वाइप करना यानी उँगली फिराना होता है. पर एक दिन मेरी उँगली जल गई. ऊपर फफोला पड़ गया. अब सेंसर भ्रमित हो गया. ये तो किसी और की उँगली है यह ऐसा सोचकर उसने लॉगिन करने से मना कर दिया. वो तो भला हो स्मार्टफ़ोन का जो थोड़ा अधिक स्मार्ट है, और बैकअप प्लान बना रखा है – पासवर्ड का, तो मेरा काम निकल गया वरना...
हाँ, तो मैं किसी दूसरे सेंसर की बात कर रहा था. इसमें हार्टबीट सेंसर भी है. उस सेंसर के ऊपर हाथ की उँगली थोड़ी देर के लिए रखिए, और यह आपके उम्र आदि के हिसाब से सही हार्ट बीट की गणना कर वास्तविक दिल की धड़कन को पढ़ कर उसमें हो रही समस्या को बता देता है कि आपकी धड़कन में क्या गड़बड़ी है. हो गई न समस्या बैठे ठाले. जो आदमी हार्ट अटैक से पहले डॉक्टर के पास जाने और अपने स्वास्थ्य संबंधी विवरण जानने से परहेज करता रहा हो, उसे उसका स्मार्टफ़ोन पल प्रतिपल दिल की धड़कन के बारे में बताता रहता है कि अभी ठीक है, अभी गड़बड़ है. अब आप अपने दिल पर हाथ रख कर सोचते रहें कि क्या ये अभी धड़क भी रहा है या नहीं! मेरी धड़कन को इसने मापा और बताया कि मेरा प्रतिमिनट धड़कन 71 है जो स्वस्थ व्यक्ति के धड़कन 70 के रेंज से बाहर है और इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए! पूरे 1 धड़कन ज्यादा. मैं अपने कॉर्डियोलॉजिस्ट से एप्वाइंटमेंट लेने की सोच ही रहा था, अब इस स्मार्टफ़ोन ने पुष्टि भी कर दी कि बच्चे जांच पड़ताल करवाओ.
स्मार्टफ़ोनों में अब अंतर्निर्मित हेल्थ ऐप्प भी आ रहे हैं. अगर स्मार्टफ़ोनों में हेल्थ ऐप्प की सुविधा न हो तो वो काहे के स्मार्ट. मेरे इस नए फ़ोन में भी है. तो यह आपके बैग में, आपकी जेब में या आपके टेबल पर रहते हुए भी आपके हेल्थ की चिंता करता रहता है और आपको बताता रहता है कि आपको आज कितना कदम चलना चाहिए, कितना कदम चल चुके, कितना बाकी है, कितनी चर्बी (यानी कैलोरी) आपने बर्न कर ली है और आज के लिए कितना बर्न करना बाकी है ये सब आपको मिनट-दर-मिनट बताता रहता है. यह आपके कदमों की आहट का पता लगाते रहता है और बताता है कि आप कितने कदम चल चुके हैं, कितने कदम और चलना बाकी है. लगता है जैसे कि आप केवल इस स्मार्टफ़ोन के सहारे जी रहे हैं और आपकी सबसे बड़ी समस्या आज के कैलोरी बर्न करने के टारगेट को पूरा करना होता है जो कि आज दिनांक तक कतई संभव प्रतीत नहीं होता – खासकर तब जब टीवी पर इंडिया पाकिस्तान क्रिकेट मैच का तीसरी दफा री-रन आ रहा हो. बुरी बात यह है कि यह स्मार्टफ़ोन बड़े ही स्मार्ट तरीके से नोटिफ़िकेशन के माध्यम से आपको बताता है कि आपने आज अपने अपना लक्ष्य पूरा नहीं किया है!
आमतौर पर लोगों को अपने स्मार्टफ़ोनों के साथ समस्या ये भी रहती है कि उनके स्मार्टफ़ोनों में कितनी और क्या क्या सुविधाएँ और फंक्शन होते हैं जिनका ज्ञान उन्हें नहीं होता, जिनका प्रयोग करना वे नहीं जानते. कंपनियां बहुत ही फूहड़ होती हैं, फ़ोन को फ़ोन नहीं रहने दे रहीं बल्कि भानुमति का पिटारा बनाए दे रही हैं. अभी कल की ही बात है. मैं अपना टीवी ऑन करने के लिए रिमोट ढूंढ रहा था जो कहीं दब छुप गया था. इतने में पड़ोस का 6 वर्षीय होनहार को जो किसी काम से आया था, मेरी व्यथा देख कर मेरे हाथों में नया स्मार्ट मोबाइल देख कर बोला – अंकल, आप रिमोट क्यों ढूंढ रहे हैं? क्या आपको पता नहीं है कि रिमोट तो आपके इस स्मार्टफ़ोन में भी है. इसके रिमोट से अपना टीवी चालू कर लीजिए ना!
धत् तेरे की! स्मार्टफ़ोन आपके स्मार्टनेस की हवा कभी भी कहीं भी निकाल सकता है – एक छः वर्षीय के सामने भी. और यही सबसे बड़ी समस्या है.
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