आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 484 फिलिस्तीन के दो समुद्र फिलि...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
484
फिलिस्तीन के दो समुद्र
फिलिस्तीन में दो समुद्र हैं। दोनों में जमीन आसमान का अंतर है। एक को गैलीलि सागर कहते हैं जिसका पानी इतना स्वच्छ, निर्मल और पेय है। इस सागर में मछलियां रहती हैं और लोग तैरते हैं। इसके चारों ओर हरे-भरे वृक्ष और मैदान हैं। कई लोगों ने इसके चारों ओर अपने घर बना लिये हैं। यीशू मसीह ने भी इस सागर को कई बार पार किया है।
दूसरे समुद्र का नाम मृत सागर है और यह बिल्कुल अपने नाम के अनुरूप है। इसका सब कुछ मृत है। इसका पानी इतना खारा है कि कोई भी पीकर बीमार पड़ जाये। इसमें एक भी मछली नहीं है। इसके किनारों पर कोई वनस्पति नहीं उगती। कोई भी व्यक्ति इसकी दुर्गंध के कारण इसके आसपास नहीं रहना चाहता।
इन सागरों के बारे में रोचक तथ्य यह है कि एक ही नदी इन दोनों को जोड़ती है। तो इसमें खास बात क्या है? सिर्फ यह कि एक प्राप्त करके देता भी है और दूसरा प्राप्त करके अपने पास रख लेता है।
जॉर्डन नदी गैलीलि सागर के शीर्ष से प्रवाहित होती है और निचली ओर से बाहर निकलती है। इसके बाद जॉर्डन नदी मृत सागर में मिलती है और उसी में समाहित हो जाती है।
मृत सागर स्वार्थपूर्ण रूप से इसे अपने पास ही रख लेता है। इससे यह मृत होता है। यह लेता तो है परंतु देता नहीं।
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जब तूफान आये तब नींद लो
एक किसान का खेत समुद्र के तट पर था। उसने अन्य किसान को किराये पर लेने के लिए कई विज्ञापन दिये। लेकिन ज्यादातर लोग समुद्र तट पर स्थित खेत में काम करने के इच्छुक नहीं थे। समुद्र के किनारे भयंकर तूफान उठते रहते हैं जो जानमाल और फसलों को प्रायः नुक्सान पहुंचाते हैं। उस किसान ने कई लोगों का अपने सहायक के रूप में कार्य करने के लिए साक्षात्कार लिया परंतु सभी ने मना कर दिया।
अंत में एक ठिगने कद का दुबला-पतला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास आया।
किसान ने उससे पूछा - "खेती-किसानी जानते हो?"
उस ठिगने आदमी ने उत्तर दिया - "मैं उस समय सो सकता हूं जब तूफान आ रहा हो।" यद्यपि वह उसके उत्तर से संतुष्ट नहीं था किंतु उसके पास उसे रखने के अलावा और कोई चारा नहीं था। वह ठिगना व्यक्ति सुबह से शाम तक खेत में काम में लगा रहता। किसान भी उसके काम से संतुष्ट था। एक रात समुद्र की ओर से तूफान की खौफनाक आवाजें आने लगीं। अपने बिस्तर से कूद कर किसान ने लालटेन संभाली और पड़ोस में स्थित उस व्यक्ति के आवास तक भांगता हुआ गया। उसने झटका देकर उस किसान को जगाया और कहा -"जल्दी उठो, तूफान आ रहा है। सभी चीजों को बांध लो ताकि तूफान उन्हें उड़ा न ले जाये।"
उस ठिगने आदमी ने करवट बदलते हुए कहा - "नहीं श्रीमान, मैंने आपसे पहले ही कहा था कि मैं उस समय सो सकता हूं जब तूफान आ रहा हो।"
उसके दोटूक उत्तर से किसान को बहुत गुस्सा आया। वह तत्काल उसे नौकरी से निकालना चाहता था लेकिन वह तूफान से बचाव के लिए बाहर भागा। उसे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि सूखी घास के ढेर तिरपाल से ढ़के हुए थे। सभी गायें अपने बाड़े और मुर्गियां अपने दरबे में थीं और दरवाजे बंद थे। शटर भी कसकर बंद था। हरचीज बंधी हुयी थी। कुछ भी उड़ नहीं सकता था।
किसान को तब जाकर उस आदमी की बात का अर्थ समझ में आया। वह भी अपने बिस्तर की ओर लोटा और आराम से सो गया।
जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होता है तब उसे कोई भय नहीं होता। सूत्र वाक्य यह है कि बुरी से बुरी स्थिति के लिए भी तैयार रहो।
(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
संग्रहण मृत्यु का संकेत है।
जवाब देंहटाएंhi
हटाएंbhut achi kahani hai
जवाब देंहटाएंaditya bajpai
"jab tufan aaye tab nind lo", this article is very gud.
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