आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 399 दुनिया का विनाश एक बौद्धलामा &q...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
399
दुनिया का विनाश
एक बौद्धलामा "दुनिया का विनाश" विषय पर एक व्याख्यान देने वाले थे। उनके इस व्याख्यान का बहुत प्रचार-प्रसार किया गया, जिसके परिणामस्वरूप बहुत बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उन्हें सुनने के लिए मठ में एकत्र हो गयी।
लामाजी का व्याख्यान एक मिनट से कम समय में समाप्त हो गया।
उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा - "ये सारी चीजें मानवजाति का विनाश कर देंगी - अनुकंपा के बिना राजनीति, काम के बिना दौलत, मौन के बिना शिक्षा, निडरता के बिना धर्म और जागरूकता के बिना उपासना।"
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खानपान पर नियंत्रण रखो
एक सेठ था। उसे कई दिनों से बहुत खांसी आ रही थी लेकिन उसे खट्टी चीजें - खट्टा दही, खट्टा मट्ठा, अचार आदि खाने की बुरी आदत थी। वह खांसी के उपचार के लिए कई वैद्यों के पास गया। सभी ने उसे खट्टी चीजें न खाने की सलाह दी ताकि उनकी दवाऐं कुछ असर दिखा सकें परंतु सब व्यर्थ।
अंत में वह एक बुजुर्ग वैद्य के पास गया जिसने उस सेठ को अपनी दवाओं के साथ कोई भी मनचाही चीज खाने की अनुमति दे दी। वैद्य ने उसे दवाऐं दी और सेठ अपनी आदत के अनुसार खट्टी चीजें खाता रहा। कुछ दिनों बाद जब वह वैद्य के पास पहुंचा तो वैद्य ने उसका हालचाल पूछा। उसने कहा - "खांसी में और बढ़ोत्तरी तो नहीं हुई परंतु कुछ खास फायदा भी नहीं हुआ।"
वैद्य ने उससे कहा - "तुम मेरी दवाओं के साथ - साथ खट्टी चीजें खाते रहो। इससे तुम्हें तीन फायदे होंगे।"
सेठ ने व्यग्रता से पूछा - "कौन से तीन फायदे?"
वैद्य ने उत्तर दिया - "पहला यह कि तुम्हारे घर में कभी चोर नहीं आयेंगे। दूसरा यह कि तुम्हें कुत्ता नहीं काटेगा। तीसरा यह कि तुम बूढ़े नहीं होगे।"
सेठ ने फिर पूछा - "ये सब तो अच्छी बात है परंतु इनका खट्टी चीजों से क्या संबंध?"
वैद्य ने उत्तर दिया - "यदि तुम खट्टी चीजें खाते रहोगे तो तुम्हारी खांसी कभी ठीक नहीं होगी। तुम दिन-रात खांसते रहोगे तो चोर तुम्हारे घर कैसे आयेंगे? और खांसी से तुम इतने कमजोर हो जाओगे कि बिना छड़ी की सहायता के तुम चल भी नहीं सकोगे। तुम्हारे हाथ में छड़ी देखकर कुत्ते तुम्हारे पास नहीं फटकेंगे। कमजोरी के चलते भरी जवानी में ही मर जाओगे इसलिए तुम बूढ़े ही नहीं होगे।"
जो व्यक्ति अपने खान-पान को लेकर लापरवाह है,
वह कभी भी बीमारियों से मुक्त नहीं हो सकता।
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जलियाँ वाला बाग़
जब जलियाँ वाला बाग़ कांड हुआ था जिसमें जनरल डायर की गोलियों से दो हजार से अधिक निहत्थे शहीद हुए थे, भगत सिंह की उम्र बारह वर्ष थी. यह समाचार सुनकर भगत सिंह अंग्रेजों के प्रति गुस्से से भर गए थे और स्कूल जाने के बजाए चुपचाप जलियाँ वाला बाग़ पहुँच गए और वहां की खून से सनी मिट्टी अपने साथ घर ले आए.
उन्होंने वह मिट्टी एक शीशी में रख ली और पुष्प अर्पित किए जैसे कि वे शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हों.
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रायफल की खेती
भगत सिंह का पूरा परिवार क्रांतिकारी था. उनके पितामह, पिता व चाचा सभी ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था.
एक बार उनके पिता कृशन सिंह अपने मित्र नंद किशोर मेहता को अपना आम का बग़ीचा दिखाने ले गए. बगीचे में भगत सिंह अकेले काम कर रहे थे. मित्र ने सामान्य उत्सुकतावश पूछा कि बेटे तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो.
भगत सिंह ने उत्तर दिया – रायफल की खेती करने के लिए बीज बो रहा हूं.
मित्र को आश्चर्य हुआ. उन्होंने प्रश्न किया – रायफल की खेती?
हाँ, ताकि मैं अपने देश को फिरंगियों से मुक्त करवा सकूं – भगत सिंह ने उत्तर दिया.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
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