आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 325 तैरने गया लड़का एक लड़का नदी मे...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
325
तैरने गया लड़का
एक लड़का नदी में तैर रहा था। तैरते-तैरते वह दूर तक चला गया और डूबने लगा। सौभाग्य से, वहाँ से एक व्यक्ति गुजर रहा था। लड़के ने पूरी ताकत से उस व्यक्ति को आवाज़ लगाकर मदद मांगी।
उस व्यक्ति ने तत्काल सहायता देने के बजाए लड़के को उसके मूर्खतापूर्ण कार्य और गहरे पानी में तैरने के लिए फटकारना शुरू कर दिया। अंततः लड़के ने चिल्लाते हुए कहा - "श्रीमान कृपया पहले मेरी जान बचाये, बाद में उपदेश दीजियेगा।'
"व्यावहारिक मदद के बिना कोई भी परामर्श व्यर्थ होता है।'
326
शिकारी और लकड़हारा
एक शिकारी जंगल में शेर के शिकार के लिए गया। जंगल में उसे एक लकड़हारा मिला। शिकारी ने उससे पूछा कि क्या उसने शेर के झुंड को देखा है और क्या वह जानता है कि शेर की मांद कहां है।
बोला -"जी हाँ, श्रीमान! और यदि आप मेरे साथ आयें तो मैं आपकी मुलाकात शेर से कर भी सकता हूँ।'
यह सुनते ही शिकारी का चेहरा डर के मारे पीला पड़ गया और उसके दाँत कटकटाने लग गए। घबराते हुए वह बोला - "जी कोई बात नहीं दरअसल मैं तो शेर के झुंड की तलाश में था, किसी एक शेर की तलाश में नहीं।'
"दूर से तो कायर भी बहादुरी दिखा सकता है।'
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78
प्रार्थना -3
एक बार अकबर बादशाह शिकार के लिए घने जंगलों में गए. वहाँ दोपहर की नमाज का समय होने पर वहीं जंगल में वे नमाज पढ़ने लगे.
इसी बीच एक किसान महिला बड़ी बदहवासी में दौड़ती चली आई. उसका पुत्र जंगल में खो गया था वह उसे ही सुबह से ढूंढ रही थी. बेध्यानी में उसने बादशाह को नमाज पढ़ते नहीं देखा और उसके पैर का ठोकर बादशाह को लग गया. मगर वह महिला रुकी नहीं और अपने पुत्र को ढूंढने आगे बढ़ गई. बादशाह को नमाज में विघ्न महसूस हुआ, मगर एक सच्चे नमाजी की तरह उन्होंने अपना मुंह बंद ही रखा.
बादशाह का नमाज खत्म हो गया था, और वे वहां से जाने ही वाले थे कि वही महिला अपने पुत्र के साथ वापस लौट रही थी. उसका पुत्र उसे मिल गया था लिहाजा वह बेहद प्रसन्न थी. बादशाह को देखकर उसे याद आया कि अरे थोड़ी देर पहले इसी पर तो मेरा पैर पड़ गया था. वह डर गई.
मगर उसे देखते ही बादशाह का पारा गर्म हो गया और उन्होंने महिला से कहा – तुम्हें नमाज पढ़ता बादशाह दिखाई नहीं दिया? और तुम मुझ पर पाँव धर कर चली गई? तुम्हारी इस बदसलूकी की सज़ा मिलेगी.
महिला का डर अचानक जाता रहा. उसने कहा – जहाँपनाह, मैं अपने पुत्र को ढूंढने में इतना निमग्न थी कि मुझे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. तो मैं आपको कैसे देखती. मगर आप भी तो नमाज पढ़ रहे थे. ईश्वर को आप भी ढूंढ रहे थे. यदि आप भी मेरी तरह अपने काम में निमग्न होते तो क्या मुझे देख पाते?
अकबर को अपनी गलती का अहसास हुआ. जो बात आज तक किसी विद्वान ने नहीं सिखाई थी, आज इस किसान महिला ने उसे सिखा दिया था.
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79
ऐसे में तो दोस्ती बेहतर है!
मनोचिकित्सक के पास एक आदमी पहुँचा और अपना दुखड़ा कुछ यूँ सुनाया – डॉक्टर, पिछले कई महीनों से नित्य मेरे सपने में एक दैत्य आता है, और अजीब अजीब हरकतें करता है, जिससे मैं रातों में डर जाता हूँ और सो नहीं पाता. कृपया मेरा इलाज कीजिए.
डॉक्टर ने उस आदमी का चिकित्सकीय परीक्षण किया और कहा – आप पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे, मगर इलाज लंबा चलेगा. छः महीने से ऊपर लग सकते हैं और पूरे इलाज का खर्चा होगा 25 हजार रुपए.
वह आदमी उठ खड़ा हुआ और वहाँ से चलते-चलते बोला – धन्यवाद. छः महीने और 25 हजार रुपए! इससे बेहतर तो यह होगा कि मैं उस दैत्य से दोस्ती कर लूं.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
बहोत अच्छी कहानीयां है ।
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पहले काम को पहले..
हटाएंदोस्ती! हा हा हा
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