कम से कम 5 हजार गुना तो होना ही चाहिए, अन्यथा वो मंत्री किस काम का? यदि इससे कम हुआ तो फिर तो वो एक बेहद नाकारा, निकम्मा और डरपोक किस्म का...
कम से कम 5 हजार गुना तो होना ही चाहिए, अन्यथा वो मंत्री किस काम का? यदि इससे कम हुआ तो फिर तो वो एक बेहद नाकारा, निकम्मा और डरपोक किस्म का मंत्री होगा जो ठीक से खाना/खिलाना नहीं जानता. राजाओं और कोड़ाओं के जमाने में जहाँ मंत्रियों ने अपनी क्या कहें अपने आसपास के लोगों की संपत्तियाँ 5 साल में 5000 गुनी कर दीं हैं, ऐसे मंत्री तो सिस्टम में कलंक हैं. इन्हें मंत्री पद पर रहने का कोई अधिकार ही नहीं है. भारत की जनता ने इन्हें खाने कमाने के लिए चुना था, परंतु ये तो पूरे निकम्मे निकले. पूरे पांच वर्षों में ये खुद अपना ही भला नहीं कर पाए तो जनता का क्या खाक करेंगे?
जनता को ऐसे नाकारा, असफल मंत्रियों को अगले चुनावों में वोट न देकर हरा देना चाहिए. साथ ही जैसे कि राजनीतिक पार्टियाँ चुनावी घोषणा करती हैं, जनता को भी घोषणा करनी चाहिए कि विधायकों/सांसदों को अपने पांच साला कार्यकाल के दौरान अपनी आय में न्यूनतम 5 हजार गुना और मंत्री बने तो 10 हजार गुना इजाफा करना होगा, अन्यथा उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. जनता को साल-दर-साल इनके प्रोग्रेस रिपोर्ट पर नजर रखनी चाहिए और जो इस न्यूनतम मापदंड पर खरे नहीं उतरते उन्हें वापस बुलाने का अधिकार भी जनता के पास होना चाहिए ताकि लाइन में लगे दूसरे टैलेंटेड नेताओं को चांस दिया जा सके.
खुद अपना ही भला नहीं कर पाए तो जनता का क्या खाक करेंगे?
हटाएंसही कहा
इस शानदार व्यंग्य के लिये आभार
प्रणाम स्वीकार करें,
shame....shame.....
हटाएंpranam.
सटीक व्यंग्य
हटाएंयह देश में चमत्कारों को सिद्ध करता है।
हटाएंसर पुलिस वालो के वारे में कोई मीडिया क्यों नहीं लिखती. आप अपने शहर के जो टीआई लोगो को देखें तो सबसे जायदा माल इन्होने ही बनाया है
हटाएंकौन नहीं इस होड़ में.
हटाएंसकल पदारथ है जग माहीं।
हटाएंकरमहीन नर पावत नाहीं।
एकदम सही बात... नकारा मंत्रियों को वापस बुलाओ... नयी 'प्रतिभाओ' को चांस दो
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