अपनी स्वयं की हिफ़ाजत के लिए सतर्क हो जाइए. जब शेरों की हिफ़ाजत के लिए कुत्तों को लाइन से हाजिर किया जा रहा है तो आम आदमी की औक़ात क्या? ...
अपनी स्वयं की हिफ़ाजत के लिए सतर्क हो जाइए. जब शेरों की हिफ़ाजत के लिए कुत्तों को लाइन से हाजिर किया जा रहा है तो आम आदमी की औक़ात क्या?
वैसे तो भारतीय पुलिस कानून और किताबों के मुताबिक जनता की, कानून व्यवस्था की हिफ़ाजत के लिए होती है, मगर वो अपनी जेब की, नेताओं की और अफ़सरों की हिफ़ाजत इसी वरिष्ठता क्रम से करती रहती है और इसी में व्यस्त रहती है. बाकी की हिफ़ाजत के लिए न तो उसके पास टाइम होता है और न ही इच्छा.
अपने देश की संसद भी देश की हिफ़ाजत के लिए समय समय पर कानून बनाने, उसे सजाने संवारने के लिए है. मगर आजकल वो सत्ताधारी दल चाहे वो जो कोई भी हो की हिफ़ाजत, उसके वोट बैंक की हिफ़ाजत और बच गया तो संसद सदस्यों के वेतन-भत्तों की हिफ़ाजत के लिए (बची रह गई) है.
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व्यंज़ल
यारों ये अज़ीब वाकये हो रहे हैं
शेरों की सुरक्षा कुत्ते कर रहे हैं
जनता का क्या होगा अब जब
मुहल्ले में पुलिस वाले घूम रहे हैं
देश का भविष्य प्रकट है दोस्तों
राजा के रोल जनसेवक कर रहे हैं
लुटना लूटना आसान है देश में
कलमाड़ी जैसे लोग जेबें भर रहे हैं
यहाँ सीटी बजाएगा कौन रवि
सभी एक दूसरे को देख रहे हैं
चाचा जी नमस्कार
हटाएंक्या करेँ जमाना ही एसा है
"रामचन्द्र कह गये सिया से एसा कलियुग आयेगा , हंस चुगेंगे दाना पानी कौआ मोती खायेगा"
ये शुरुआत की परेशानियाँ नहीं है , परेशानियोँ की शुरुआत है...
शेर का रक्षक कुत्ता!!! क्या कुत्ते जैसी जिन्दगी हो गई है शेर की....
हटाएंआम आदमी की ज़िंदगी तो कुत्ते से बद्दतर है तो हिफ़ाज़त की क्या ज़रूरत है
हटाएंयही जम़ाना देखना बचा है।
हटाएंशेरों की शेर जाने,
हटाएंकुत्ते जानें कुत्तों की
जिन्दा हैं इस भरोसे,
रवि हमारी ओर देख रहे हैं
बहुत खूब। विष्णु भैया की टिप्पणी में जान है
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