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टच-स्क्रीन : नई टेक्नोलॉज़ी की नई तकलीफ़

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नई टेक्नोलॉजी आपके लिए नई सुविधाएँ और नई सहूलियतें लाता है तो नई-नई तकलीफ़ें भी उसी रफ़्तार और गुणवत्ता से परोसता है. टच स्क्रीन टेक्नो...

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नई टेक्नोलॉजी आपके लिए नई सुविधाएँ और नई सहूलियतें लाता है तो नई-नई तकलीफ़ें भी उसी रफ़्तार और गुणवत्ता से परोसता है.

टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी को ही लें.

मेरे गॅजेट प्रेम और पिछले वर्षगांठ पर स्वर्ण जटित अंगूठी के फलस्वरूप उपजी वर्ष-भर की अप्रसन्नता के चलते मेरी पत्नी ने इस दफ़ा मुझे एक नया सर्वथा उन्नत और नवीन मोबाइल फोन उपहार में दिया. मोबाइल फ़ोन मल्टी टच स्क्रीन से लैस है. ऐसा उपहार देख कर कौन न प्रसन्न होगा भला? मगर ये प्रसन्नता क्षणिक ही रही. आईफोन 4 जी के खरीदारों की तरह. आईफोन 4 जी को आप फोन को हाथ में लेंगे तो वो काम करना बंद कर देगा. उसे टेबल पर रख कर छोड़ दें, तो वो बढ़िया काम करता रहेगा. उपयोग करने वालों ने एप्पल कंपनी को शिकायत की तो उलटे उन्हें समझाया गया कि उपयोग करने वाले ढंग से फोन को पकड़ ही नहीं रहे. नया उन्नत फोन ढंग से पकड़ना तो आता नहीं और चले हैं आईफ़ोन 4 जी का प्रयोग करने!

मेरे मल्टीटच स्क्रीन फोन में सिर्फ तीन बटन हैं. पहले पहल, खुशी-खुशी फोन हाथ में लिया तो शुरू में समझ में ही नहीं आया कि फोन को चालू कहाँ से करूं. मोबाइल के मैनुअल से बात नहीं बनी. मैनुअल तो वैसे भी सजावटी होते हैं. यदि मैनुअलों के भरोसे दुनिया होती तो नेट पर लाखों फोरम यूँ ही फलते फूलते नहीं रहते.

ले देकर टच स्क्रीन पर टच टच कर उसके मेन्यू और अंदर के एप्लीकेशनों को समझा. कुछ फोन वोन करना शुरू किया. मगर असली किस्सा तो अब शुरू होता है.

भला हो टच स्क्रीन का. आप टच स्क्रीन को लॉक कर रखें या अनलॉक. फर्क नहीं पड़ता. पता चला कि फोन को चार्जर में लगाते लगाते कहीं का कहीं टच हो गया और लो, एक कॉल लग गया.

आप फोन पर बात कर रहे हैं, थोड़ी सी देर हो गई और आप दूसरे कान पर बोझ डालना चाहते हैं या फिर इस कान को थोड़ा खुजा लेना चाहते हैं. आप फोन को इस हाथ से दूसरे हाथ में पकड़ते हैं, इस बीच कहीं स्क्रीन पर टच हो गया तो कोई एप्लीकेशन चालू हो गया या फिर काल एंड हो गया.

मल्टी टच तो ठीक है, मगर मल्टी लेवल टच का क्या? कहीं एक प्रतीक या आइकन दिखेगा, तो आप उस पर टच करेंगे. पता चला कि उसने तो दर्जन भर आइकन फिर से फेंक दिया. उसमें चुन कर किसी और पर टच करेंगे तो वो तीन और विकल्प दे देगा. इस तरह से आप करते रहें जीवन भर टच और अपनी उँगलियों पर कार्पल टनल सिंड्रोम को निमंत्रण देते रहें.

अब अगर बात टच स्क्रीन की सेंसिटिविटी की न करें तो ग़ज़ब होगा. यूँ तो हर टच स्क्रीन युक्त उपकरण में उसकी सेंसिटिविटी को जाँचने परखने और अपने हिसाब से कम ज्यादा करने के उपाय दिए होते हैं, मगर आपके गॅजेट का टचस्क्रीन – मरफ़ी के नियमों की तरह – दिए गए समय में कभी भी आपके मन माफ़िक सेंसिटिविटी से काम नहीं करता. या तो आपको एक की बजाए दो चार बार टच करना पड़ सकता है या फिर इधर का उधर टच हो जाता है या फिर जहाँ और जिधर टच करना ही नहीं चाहते, वहाँ भी स्वचालित टच हो जाता है.

उस दिन तो कमाल हो गया. रात को तीन बजे मेरे मोबाइल पर काल आया. मेरा बॉस भिनक रहा था कि मैंने उसे रात के तीन बजे मिस कॉल क्यों किया और क्या वजह थी. मैंने उसे सफाई दी कि मैंने ये काल नहीं किया. मगर वो कहाँ सुनने वाला था. फटकारता रहा. मैंने बाद में पड़ताल की तो पता चला कि भगवान गणेश की सवारी – मूषक महोदय हमारे टचस्क्रीन फ़ोन पर उछल कूद मचाते रहे और उनके कोमल पैरों के टच होने से कॉल लग गया. – टच स्क्रीन फोन प्रयोग करने वालों को एक और वैधानिक चेतावनी – इसे चूहों की पहुंच से दूर रखें.

अपने मोबाइल या घरेलू डिस्प्ले पर तो ठीक, मगर एटीएम या ऐसे ही अन्य कियास्क पर टच करने से पहले आपने सोचा है कि आपसे पहले किसी प्रयोक्ता ने ‘वहाँ’ स्क्रीन पर टच करने से पहले अपनी उंगलियों से उसने और कहाँ कहाँ किधर किधर किस किस को टच किया था? यदि आपके पास असलियत पता लगाने का यंत्र हो तो मैं शर्त लगा सकता हूँ कि फिर आप आइंदा पब्लिक एटीएम के टच स्क्रीन युक्त मशीनों का सात जन्मों तक प्रयोग न करने की कसमें खा लेंगे.

उपसंहारकोई तीनेक महीने टचस्क्रीन से जूझने के बाद मैंने अपने मोबाइल के टच स्क्रीन का बढ़िया, उन्नत जुगाड़ ढूंढ ही लिया. जय हो उन्नत और नवीन टेक्नोलॉज़ी. किसी स्टार्टअप कंपनी ने टच स्क्रीन की इस समस्या पर संभावनाएँ देखीं और उसने ‘नो-टच’ नाम का एक छोटा सा गॅजेट लांच कर दिया. यह गॅजेट आपके टच स्क्रीन को ओवरराइड करता है और आपके लिए मन-माफ़िक, भौतिक प्रोग्रामेबल बटन और की-बोर्ड प्रदान करता है. मैंने भी अपने टच-स्क्रीन मोबाइल फ़ोन के लिए ‘नो-टच’ गॅजेट ले लिया है और अब मैं अपने नए टचस्क्रीन मोबाइल फ़ोन के साथ बहुत खुश हूँ!

COMMENTS

BLOGGER: 15
  1. रवि जी
    बहुत सही विश्लेषणात्मक लेख लिखा है आपने.. जानकारी के लिये आभार

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  2. टच पर "नो टच" का पहरा और फिर भी आप खूश. मुझे तो यह प्रेमिका का पति सा लगता है.

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  3. आपने तो जुगाड निकाल ही लिया है | नाम बड़ा दर्शन छोटा एप्पल का यही है नारा |

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  4. जानकारी तो अच्छी है. वैसे रवि जी, मोबाइल को मूषकों से दूर रखने से बेहतर है, उसका की-पैड लॉक रखना .

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  5. साथ-२ यह भी बता देते कि ऐसा कौन सा घटिया टच-स्क्रीन वाला फोन खरीदा जिसमें लॉक की भी सुविधा नहीं थी और गाहे-बगाहे टच होता रहता था?! मैंने तो अभी तक जितने टच स्क्रीन वाले फोन देखे हैं उन्होंने ऐसी धृष्टता करने की जुर्रत नहीं थी कि लॉक होने के बाद भी टचिया जाएँ।

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  6. @ अरे, अमित बाबू, लॉक वाला ही फोन था. पर वो लॉक इतना समस्या पैदा करता कि पकड़े पकड़े ही अनलॉक हो जाता था या फिर नंबर डायल करते करते ही लॉक हो जाता था. और चूहे की उछलकूद से जो नंबर डायल हुआ वो लॉक ओपन करने के बाद ही हुआ. है ना एक चूहे द्वारा बनाया गया गिनीज बुक ऑफ बिजार रेकॉर्ड?

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  7. मैने भी सैमसंग का ट्च फोन लिया है . जेब मे जब उसका मन होता है
    बंद हो जाता है .

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  8. वाह क्या गजब का फ़ोन है, बिना लैब टेस्ट के बाजार में बेचने को उतार दिया।

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  9. बेनामी10:59 pm

    ओह! इस बार आपको जनमदिन की बधाई देना चूक गया मैं :-(
    भारी चूक हो गई।

    देखना पड़ेगा, ऐसा कैसे हो गया

    देर से ही सही, खेद सहित, जनमदिन की बधाई व शुभकामनाएँ

    बी एस पाबला

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  10. बताओ....मूषक ने वाट लगवा दी...

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  11. रवि जी मैं भी आपका जन्म दिवस भूल गया था। क्षमा चाहता हूँ। आपके इस नए मोबाइल के लिए बधाई और भाभी को नमस्कार।

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  12. अजी हमें भी शुरु में इस टचस्क्रीन पर हाथ बैठाने में बड़ी दिक्कत हुयी। पर बाद में आदत हो जाती है। हाँ रजिस्टिव की बजाय कैपैस्टिव स्क्रीन में ज्यादा सेंस्टिविटी होती है, अगर स्क्रीन के ऊपर स्क्रीन प्रोटैक्टर (पॉलीथीन टाइप का) लगा लिया जाय तो सेस्टिविटी जरा कम हो जाती है।

    पर एक बात है कि फोन पर इण्टरनेट का मजा टचस्क्रीन में ही है। वैसे आपका मॉडल कौन सा है जी? हिन्दी का जुगाड़ है क्या, यदि नहीं तो यह टूल भी आजमा सकते हैं।
    टचनागरी - http://epandit.shrish.in/labs/touchnagari

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  13. रक्षाबन्धन के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवम् शुभकामनाएँ

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  14. यह व्यंग्य तो नही है ना ?

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