(आज के समाचार पत्रों में पूरे पेज की एक भावनात्मक अपील छपी. हमारे हलकान ब्लॉगर की समझ में वो अपील कुछ इस तरह से आई -) किसी भी आम, व्यव...
(आज के समाचार पत्रों में पूरे पेज की एक भावनात्मक अपील छपी. हमारे हलकान ब्लॉगर की समझ में वो अपील कुछ इस तरह से आई -)
किसी भी आम, व्यवस्था-पीड़ित भारतीय की तरह मैं इस बात पर शर्म का अनुभव करता हूं कि हमारा महान (?) देश इस वर्ष कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन कर रहा है और यह हमारे राष्ट्रीय शर्म का प्रतीक है।
भारत भ्रष्ट विरासत वाला एक अत्यधिक भ्रष्ट, पोंगापंथी और अप-संस्कृत लोगों का देश है। हमारे देश की अस्वस्थ राजनीतिक परंपरा और वर्तमान भ्रष्ट समृद्धि ने समूचे विश्व की निंदा अर्जित की है। इसी कारण आज समूचा विश्व हमारी ओर असम्मान और नाउम्मीदी से देखता है। हाल ही में मीडिया में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल, 2010 के संबंध में आईं लगातार पोल-खोल खबरों से देश में एक नया माहौल पैदा हुआ है और पूरी दुनिया हमारे देश के मीडिया बारे में सकारात्मक बातें कर रही है।
इस तरह की निरंतर पोल-खोल खबरों से राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़े हजारों आयोजकों और 23000 स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है और वे पूरी तरह उत्साहित और आशान्वित हो रहे हैं। इससे राष्ट्रमंडल खेलों की सफलता भले ही खतरे में पड़ जाए मगर हमारे प्यारे (?) देश की छवि हमेशा-हमेशा के लिए स्पष्ट हो जाएगी। प्रतिभागी खिलाड़ियों, अधिकारियों और मेहमानों के मन में शुरू से ही स्पष्ट बातें घर कर लेंगी। हमारी बड़ी से बड़ी गलती भी उनके मन में बहुत छोटी लगेगी क्योंकि उन्हें पहले से पता होगा कि इससे भयंकर गलती तो आयोजकों ने भ्रष्टाचार करके किया है, और वे लोग हमारे देश के बारे में सही धारणा लेकर वापस लौटेंगे। यह कितनी सुखद बात है कि आज सभी देशवासी आगामी राष्ट्रमंडल खेलों के बारे में केवल सकारात्मकता महसूस कर रहे हैं, सकारात्मक बातें कर रहे हैं और सकारात्मक प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं कि समय रहते ही भ्रष्टों की पोल खोली जा रही है। वैसे भी यह अवसर सभी लोगों के लिए भागीदारी निभाने, सहयोग करने और भ्रष्टों की पोल खोलने को एक विराट भारतीय उत्सव के रूप में मनाने का होना चाहिए।
अब सभी जानते हैं कि अपराधी कौन लोग हैं, कितने लोगों ने देश के धन/संसाधनों में हेरा-फेरी की है और खेल संबंधी तैयारियों को पीछे धकेलने का काम किया है, जैसा कि खबरें बता रही हैं। प्रथम नजर में मीडिया का मानना है कि ऐसा हुआ है तो ऐसे लोगों द्वारा किए गए क्रय, सौदे और भुगतानों से संबंधित मामलों की हर तरीके से गहरी जांच होनी चाहिए। यह सब अभी ही होना चाहिए. इसके लिए तथाकथित इस महान (?) आयोजन को रद्द कर दिय जाना चाहिए या आगे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया जाना चाहिए. वैसे भी, सरकार के एक बड़े नेता ने इसके असफल होने की दिली बद्दुआएँ पहले से ही दे दी हैं। इसके पहले कि भ्रष्ट लोग पतली गली से निकल लें, उनके बिल पास हों और अपने रोकड़े स्विस बैंक में ठिकाने लगा दें, सभी दोषियों के खिलाफ निश्चय ही दंडात्मक कार्रवाई तत्काल बिना देरी के होनी चाहिए।
मैं पूरी विनम्रता और अपनापन के साथ पूछना चाहता हूं कि क्या केवल कुछ सौ लोगों की गलतियों के कारण सौ करोड़ से भी ज्यादा लोगों की आशाओं और उम्मीदों को आहत होने देना चाहिए? अगर हम इस तरह भ्रष्टाचार कर खेलों का आयोजन ऐन-कैन-प्रकारेण ले देकर संपन्न करते हैं तो यह हमारे देश की छवि पर बहुत बड़ा दाग होगा।
मैं स्वयं भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक वृहद् ब्लॉग पर लिखता रहा हूं और मैं इस बात की सराहना करता हूं कि मीडिया ने खेल आयोजकों के अपकृत्यों को उजागर करके अपने दायित्व का निर्वाह किया है। लेकिन साथ ही पूरी विनम्रता से हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि आयोजकों ने पहले ही अति कर दी है जिससे देश की छवि को बहुत बड़ा आघात पहुंचा है। निश्चय ही मीडिया को अपनी भूमिका के तौर पर अपराधियों को क्षमा नहीं करना चाहिए और उसे अपने वर्तमान अभियान को तब तक के लिए स्थगित नहीं करना चाहिए जब तक कि राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में लगे एक-एक पाई का हिसाब न ले लिया जाए और भ्रष्टाचारियों को जेल के पीछे न कर दिया जाए । तात्कालिक आवश्यकता यह है कि वर्तमान में चल रहे निर्माण कार्यों व खर्चों के लिए एक पूर्णत: ईमानदार वातावरण निर्मित किया जाए जिससे हमारे देश के टैक्स पेयर जनता की गाढ़ी कमाई यूँ लुट न जाए और फिर तब यह खेल आयोजन पूर्ण सफलता के साथ संपन्न हो।
इसलिए मैं प्रत्येक एवं सभी व्यक्तियों से अपील करता हूं कि अपने देश के गौरव के लिए एकजुट राष्ट्र के तौर पर उठें और पूरी सकारात्मकता के साथ स्वयं को दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में हो रहे भ्रष्टाचार के पर्दाफाश की सफलता के प्रति समर्पित करें। अभी हमारे पास दो माह का समय है। अगर हम सामूहिक रूप से कमर कसकर युद्धस्तर पर जुट जाते हैं और हर संभव तरीके से समुचित सहयोग प्रदान करते हैं तो निश्चय ही चमत्कार कर सकते हैं और समूचे विश्व के समक्ष गर्व से अपना सर ऊंचा रख सकते हैं।
सदैव आपका
एक विनम्र, हलकान ब्लॉगर
मेरा लेख छापने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंलिखा भले आप ने है लेकिन मुझे लग रहा है जैसे मैंने लिखा है।
आभार
एक हलकान ब्लॉगर
वास्तव में यह गेम हमारे राष्ट्रीय शर्म का प्रतीक है। इस गेम के आयोजन का चौतरफा विरोध होना चाहिए ,जब यह गेम चल रहा हो तब सच्चे पत्रकारों को एक कोने में गेम की खबर और मुख्य पृष्ट पर इस देश के कर्ता धर्ताओं के कारनामों की वजह से देश की दुर्दशा का सचित्र वर्णन होना चाहिए जिससे इस देश की असल तस्वीर उभर कर सामने आये और इस देश की सरकार और उसमे बैठे भ्रष्ट और असम्बेदंशील लोगों के कुकर्मों को दुनिया जान सके | अगर ऐसा होगा तो कम से कम इस गेम पर खर्च हुए पैसे का कुछ सदुपयोग होगा बांकी तो इस गेम में मेडल पाने वाले खिलाडी भी भ्रष्ट ही कहलायेंगे ,सच्चे खिलाडी की तो इस गेम में चयन होना बहुत ही मुश्किल है | कांग्रेस ने इस देश और समाज को बर्बाद कर दिया है |
जवाब देंहटाएंnice !
जवाब देंहटाएंएक और हलकान ब्लागर की भी अपील मानी जाये
जवाब देंहटाएंहलकान भाई को ब्लॉग जगत का ब्रांड एम्बैसेडर बनाया जाये,हमारे मन की बात कह देते हैं।
जवाब देंहटाएंपहले देर करना, फिर जल्दबाजी में घपला और खराब गुणवत्ता। बड़ा दुख होता है देख कर।
जवाब देंहटाएंblogro media walo,
जवाब देंहटाएंkaya baat kar rahe ho. hum to kabse intjaar mein the ki desh mein kuch bada ayojan ho jisme bade pamane par kaam ho. jisse hamin kuch khane ka moka mile. yaha eise hi kaam hota hai. waise bhi kon sa koi bada khiladi aa raha hai yaha khelne. chote mote desho ke khiladi aayege unke layak kaam hum kar diye hai.
sabhi ayojan adhikari aur neta ji
sim786.blogspot.com
जी,
जवाब देंहटाएंएक बड़े अंग्रेजी अखबार ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति से खेल ब्रांडिंग के लिए कुछ ज्यादा पैसे मांग दिए. समिति से सौदा नहीं पटा और उसने समिति के भ्रष्टाचार का पिटारा खोलने का ऐलान कर दिया, फिर सब कुछ सामने है. पैसा लेकर खबर छापने वाली मीडिया ने अपने लिए इतना कुछ किया है, वो हमारे- आपके लिए नहीं.
हलकान ब्लागीए के साथ हमें भी शरीक मानें।
जवाब देंहटाएंयह एक मौका था जिसका सही इस्तेमाल करते तो खिलाडि़यों का बहुत कुछ भला होता लेकिन बगैरत राजनेताओं के गिरोह ने लूट खसोट मचाकर इस मौके को जाया कर दिया।
जवाब देंहटाएंkarna to har koi chahta hai but koi kuchh karta nahi hai sivaye mail forward aur blogging pe apna gussa nikaalne ke.
जवाब देंहटाएंLets take an initiative and we will be with you.