पिछली चित्रावली को मित्रों ने पसंद किया. संग्रह से कुछ और छांट कर टिकाता हूं - शिक्षा रोजगार का अधिकार जन्म-सिद्ध अधिकार है -1 ...
पिछली चित्रावली को मित्रों ने पसंद किया. संग्रह से कुछ और छांट कर टिकाता हूं -
शिक्षा रोजगार का अधिकार जन्म-सिद्ध अधिकार है -1
शिक्षा रोजगार का अधिकार जन्म-सिद्ध अधिकार है -2
आइए, कुछ गुस्ताख़ी करें…
पार्किंग में पलती जिंदगी…
हे! ईश्वर!! इतने विशाल!!!
सरकारी हिफ़ाजत बयाँ करती है कि खंडहर कितनी बुलंद थी…
धूप घड़ी, जल घड़ी, रेत घड़ी, इलेक्ट्रॉनिक घड़ी तो देखी थी, पर ये चटाई घड़ी…
ज्योतिर्मातमसोगमय: …
पिटारे में और भी हैं, सो फिर कभी…
बहुत बढिया तस्वीरें हैं जी
जवाब देंहटाएंकुछ ना कुछ कहती हुई
धन्यवाद
प्रणाम स्वीकार करें
खजाने के अगले द्वार की प्रतीक्षा है |
जवाब देंहटाएंbahut achhi tasvire hai....
जवाब देंहटाएंबोलती तस्वीरें ।
जवाब देंहटाएंतस्वीर भी बहुत कुछ कह जाती है
जवाब देंहटाएंpitare me kuchh to hai sir
जवाब देंहटाएंarganikbhagyoday.blogspot.com
apne aap ko khud hi bayan karti tasveerein....pitara khula hi rakha jaye ji
जवाब देंहटाएंसदैव की तरह 'घाव करे गम्भीर' को चरितार्थ करते चित्र।
जवाब देंहटाएंkaha se layen ye nayab collection.
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट के शीर्षक से एक रचना याद आ गयी - काका हाथरसी की। आपसे यहीं शेयर किए लेता हूँ - ताकि औरों को भी मिले - और सनद रहे ताकि वक़्ते-ज़रूरत काम आए।
जवाब देंहटाएंतो पेश है:
कभी गलती - नहीं करता, उसे भगवान कहते हैं
करे गलती - औ' स्वीकारे, उसे इन्सान कहते हैं
करे गलती - न पहचाने ,उसे हैवान कहते हैं
करे गलती - नहीं माने, उसे शैतान कहते हैं
करे जो जान कर गलती-पे-गलती, और फिर गलती-
तो उस शैतान के दादा को पाकिस्तान कहते हैं
मुझे इसकी शाश्वत सत्यता पर ही असली मज़ा आता है। कहूँ कि यह एक "कोटेबुल कोट्स" में से है…!