123...20331 / 2033 POSTS
Homeव्यंग्यछींटें और बौछारें

तारीफ़ करने से पहले, जरा समझ तो लें?

SHARE:

आप तो, मियाँ, ख़्वामख़्वाह ही तारीफ़ें करते फिरते हैं. आइंदा से किसी के लिक्खे की तारीफ़ करने से पहले जरा सोच समझ लीजिए और “वाह! क्या लिखा...

गंगा मइया, तूने हमें बचा लिया!
चोप्प! बहुत हो चुकी बहस!!
हम शपथ लेते हैं कि इंटरनेट नहीं चलाएंगे!

clip_image002

आप तो, मियाँ, ख़्वामख़्वाह ही तारीफ़ें करते फिरते हैं. आइंदा से किसी के लिक्खे की तारीफ़ करने से पहले जरा सोच समझ लीजिए और “वाह! क्या लिखा है!”, “बढ़िया लिखा है!” जैसी टिप्पणी करने से पहले, तारीफ़ के ये दो शब्द कहने से पहले ये पूरा समझ लीजिए कि जो लिक्खा गया है उसका असली अर्थ क्या है. अन्यथा ठीक नहीं होगा. किसी सूरत ठीक नहीं होगा.

बहुत बार, लेखक लिखता कुछ और है, और पाठक अर्थ कुछ और लगा लेता है. ये भी नहीं चलेगा. टेढ़ी बात टेढ़े ढंग से कही गई है तो उसे सीधे सीधे हजम न करें, नहीं तो और बुरा होगा. नांगलोई जैसा.

और कई मर्तबा लेखक सीधे सीधे सपाट लिखता है. वो सपट बयानी कहता है. एक ही अर्थ में एक ही बात कहता है. मगर भाई लोग, ज्ञानी पाठक लोग अपने हिसाब से उसके अर्थ लगा लेते हैं. लेखक एक लिखता है, तो पाठक हजार पढ़-समझ लेते हैं. ये भी नहीं चलेगा. और समझें, गुनें या न समझें, तारीफ़ तो भई तभी करें जब सचमुच, सही-सही, एक का एक समझ लिया हो.

कवि सम्मेलनों में कवि गण अकसर ये बात श्रोताओं से कहते सुनते पाए गए हैं. कवि की मौत दो बार होती है. एक जब उसे गलत वक्त पर दाद दे दी जाती है और दूसरा तब जब उसे सही वक्त पर दाद नहीं मिलती. अब ये दाद देने का मामला बड़ा बारीक है. पाठक और श्रोता के लिहाज से रचनाकार का तारतम्य और सिंक्रोनाइज़ेशन सटीक बैठना चाहिए, अन्यथा सिस्टम के आउट होने का खतरा है, और ऐसे में किसी न किसी की मौत तो होनी है – कवि की या फिर पाठक-श्रोता की!

इसी प्रकार, बड़ा लेखक बड़ा पाठक चाहता है. बड़ा लेखक चाहता है कि उसके लिखे को बड़े लोग, बड़े पाठक पढ़ें, गुनें और तारीफ़ करें. बड़े लेखक के बड़े लेखन की तारीफ़ यदि छोटा पाठक कर दे तो यह बड़े लेखक को बड़ा नागवार गुजरेगा. बड़े लेखक का लेखन बड़ा होता है, वो किसी छोटे, अदने पाठक के न तो काम का है और न समझ का. वैसे भी अपने प्राचीन संस्कृति में यह परंपरा थी कि कोई शूद्र वेदों का सस्वर पाठ कहीं सुन लेता था (पढ़ने की बात तो ख़ैर, बहुत जुदा है,) तो उसके कानों में पिघला सीसा डाल दिया जाता था. तो इसी तरह, बड़े लेखक का बड़ा लेखन कोई शूद्र नुमा छोटा पाठक न पढ़ें, और अगर पढ़ भी लिया है तो उसे सार्वजनिक स्वीकारें नहीं और तारीफ तो कतई न करें नहीं तो उसे लेखक से पिघले सीसे नुमा घोर तिरस्कार मिलना तय है.

यह लेख लिखते-लिखते थोड़ा बोर हो गया तो सोचा थोड़ा मनोरंजन हो जाए. इंटरनेट रेडियो चालू किया तो गाना बज रहा था – धूम मचाले धूम मचाले धूम. वाह! क्या गाना, क्या संगीत क्या कंपोजीशन है. मन झूमने लगा. पर अगले ही पल मैंने अपने मन को ब्रेक लगाया. मन ही मन में बोला, भिड़ू, तारीफ नई करने का. पहले समझने का. पहले गीत संगीत को समझ, शाइरी को समझ फिर तारीफ करना. मन में भी!

रेडियो बन्द कर दिया है और धूम मचाले धूम मचाले का अर्थ ढूंढा जा रहा है. भाई लोगों, मदद करो. इतने अच्छे गाने की तारीफ तो करनी होगी ना? पर, पहले समझ तो लें?

---

(समाचार कतरन – भास्कर.कॉम)

COMMENTS

BLOGGER: 17
  1. हम तो साहब इसलिये पहला कमेंट कभी करते ही नहीं। ट्रेंड देखकर वाह या आह कर आते हैं।
    बाई दि वे, सरजी, ये पहला कमेंट तो नहीं है?

    जवाब दें हटाएं
  2. हा हा!! अब आपकी क्या तारीफ करुँ..डर सा गया हूँ.

    जवाब दें हटाएं
  3. बहुत सटीक लेख....पहले समझ तो लेना चाहिए की आखिर लिखा क्या है...

    जवाब दें हटाएं
  4. कही समझने के चक्कर में देर ना हो जाए ,चलो धूम मचाये | व्यंग्य के माध्यम से सच्ची व तीखी बात |

    जवाब दें हटाएं
  5. “वाह! क्या लिखा है!”,
    “बढ़िया लिखा है!”
    टिप्पणी तो यही करना था, पर अभी बंद कर रहा हूं। पहले यह समझ तो लूं कि क्या लिखा है?

    जवाब दें हटाएं
  6. तारीफ करने का मन कर रहा है पर सोच रहा हूँ पूरा समझ आ गया कि नहीं।

    जवाब दें हटाएं
  7. बात तो सही कही, मगर लपेटा लोगों के "बड़े" पन को भी ख़ूब!

    जवाब दें हटाएं
  8. मैं भी इस पर लिखने की सोच रहा था.. आप ने तो मेरा मुँह नोच लिया.. (इसे तारीफ़ समझने की ग़लती मत कीजियेगा)..
    वैसे गुलज़ार की कविता में ऐसा क्या था जिसको लेकर वो इतने अहंकार से भर उट्ठे.. कि तुम क्या खा के समझोगे मियाँ? मगर हम को ई बात नहीं बुझती कि अगर चेतनवा नहीं समझिस तो सड़क पर, और डिस्को में नाचते लोग क्या समझते होंगे?
    या फिर बात कुछ ऐसी है कि गुलज़ार साब ख़ुद को बड़ा मिसअण्डरस्टुड फ़ील करते हैं..लगा कि ये चेतनवा बड़ा पढ़ा जा रहा है इस से पूछते हैं कि समझिस का.. पूछा.. ओ तो मगर सनाका खा गया.. अल्ले ई का पूछ लिहिन..
    सोचिये ज़रा देस का सबसे मक्बूल सायर इस तरहा फ़ील कर रहा है.. तो बेचारे और कबियों का का हाल होगा.. माई शिमपैथीज..
    (श्पेलिंग मिशटेक के लिए सौरी)

    जवाब दें हटाएं
  9. ekam sahi hai

    jab sab samajh me aa jaye tabhi tareef kare...

    जवाब दें हटाएं
  10. बेनामी4:49 pm

    आपकी बात सही है. गुलज़ार का यह बहुत ही अभिमानी, अपमानजनक और बचकाना कृत्य है, इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है. आखिर किसी सफल लेखक के साथ ऐसा बर्ताव कैसे किया जा सकता है?

    जवाब दें हटाएं
  11. बाई द वे, मैं आपकी तारीफ़ तो करूंगा ही क्योंकि आपकी तारीफ़ आँख मूँदकर की जा सकती है।

    वाकई मजेदार लिखा है।

    जवाब दें हटाएं
  12. बेनामी4:40 pm

    outlook express ki mails recovery ka koi free software solution kya aapke knowledge mai hai ?

    DVD kaam nahi kar raha ho to windows xp, vista, 7 ko pen drive se kaise install kar sakte hai ?

    is baare mai koi jaankari de sakte hai ?

    जवाब दें हटाएं
  13. @Anonymous

    हालांकि मैंने प्रयोग नहीं किया है, मगर आप यह फ्रीवेयर आउटलुक डाटा रिकवरी टूल आजमा सकते हैं -
    http://www.mt-solution.ca/outlook-express-recovery-software/download.htm

    साथ ही, यूएसबी से विंडोज एक्सपी इंस्टाल करने के कई तरीके हैं. एक सबसे सरल तरीका यहाँ दिया गया है -
    http://en.kioskea.net/faq/3065-installing-windows-xp-from-a-usb-key

    विंडोज़ 7 के लिए भी कई तरीके हैं. एक यहाँ वर्णित है -
    http://computerworldhelpline.blogspot.com/2010/05/how-to-install-window-7-form-pen-drive.html

    जवाब दें हटाएं
  14. बेनामी7:58 pm

    jaankari ke liye dhanyevaad

    जवाब दें हटाएं
  15. ... “वाह! क्या लिखा है!”, “बढ़िया लिखा है!”

    जवाब दें हटाएं
आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
कृपया ध्यान दें - स्पैम (वायरस, ट्रोजन व रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त)टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहां पर प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

तकनीकी ,1,अनूप शुक्ल,1,आलेख,6,आसपास की कहानियाँ,127,एलो,1,ऐलो,1,कहानी,1,गूगल,1,गूगल एल्लो,1,चोरी,4,छींटे और बौछारें,148,छींटें और बौछारें,341,जियो सिम,1,जुगलबंदी,49,तकनीक,56,तकनीकी,709,फ़िशिंग,1,मंजीत ठाकुर,1,मोबाइल,1,रिलायंस जियो,3,रेंसमवेयर,1,विंडोज रेस्क्यू,1,विविध,384,व्यंग्य,515,संस्मरण,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,स्पैम,10,स्प्लॉग,2,हास्य,2,हिंदी,5,हिन्दी,509,hindi,1,
ltr
item
छींटे और बौछारें: तारीफ़ करने से पहले, जरा समझ तो लें?
तारीफ़ करने से पहले, जरा समझ तो लें?
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgUUjM8tHZBZViaXZkmidbhaIPLV_i6q8UknCjZrxfkFlgSHlXZRrOk68KNnZqD_g3A1_GCARU7zLj3mVD9BltcNxFmHxH9YbMTHT9nPH-nYTtHwRU8iocK5snimQV5OJZ73oFM/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgUUjM8tHZBZViaXZkmidbhaIPLV_i6q8UknCjZrxfkFlgSHlXZRrOk68KNnZqD_g3A1_GCARU7zLj3mVD9BltcNxFmHxH9YbMTHT9nPH-nYTtHwRU8iocK5snimQV5OJZ73oFM/s72-c/?imgmax=800
छींटे और बौछारें
https://raviratlami.blogspot.com/2010/06/blog-post.html
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/2010/06/blog-post.html
true
7370482
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content