पिछले अध्याय 13 से जारी… अध्याय 14 परिशिष्ट परिशिष्ट 1: लिनक्स कड़ियाँ लिनक्स संबंधी जानकारियों के लिए दो महत्वपूर्ण साइटें – http...
अध्याय 14
परिशिष्ट
परिशिष्ट 1: लिनक्स कड़ियाँ
लिनक्स संबंधी जानकारियों के लिए दो महत्वपूर्ण साइटें –
http://linux.org तथा
लिनक्स कर्नेल की आधिकारिक साइट –
लिनक्स उपयोग संबंधी दस्तावेज़ीकरण साइट – द लिनक्स डाक्यूमेंटेशन प्रोजेक्ट – जहाँ लिनक्स प्रयोग संबंधी तमाम छोटी से छोटी व बड़ी से बड़ी जानकारियाँ उपलब्ध हैं –
लिनक्स के सैकड़ों अनुप्रयोगों व नए नए प्रोजेक्टों का डाउनलोड स्थल – फ्रेशमीट व सोर्सफोर्ज :
लिनक्स में प्रयोग के लिए तमाम प्रोग्रामों के डाउनलोड योग्य आरपीएम पैकेजों की सूची –
लिनक्स संबंधी तमाम प्रश्नों के उत्तर प्रदान करने वाली साइट –
लिनक्स संबंधी समाचारों के लिए साइट –
भारतीय लिनक्स पत्रिका – लिनक्स फ़ॉर यू की साइट
http://www.lfymag.com/index.asp?id=13
अंतर्राष्ट्रीय लिनक्स जर्नल –
लिनक्स पर ताज़ा समाचार, विचार इत्यादि की साइट –
लिनक्स पर इंटरनेट कनेक्शन हेतु विविध मॉडमों को कॉन्फ़िगर करने संबंधी टिप्स व ट्रिक्स तथा आलेख संबंधी साइट –
लिनक्स संबंधी टिप्स व ट्रिक्स तथा विविध कैसे करें आलेखों के लिए –
लिनक्स कैसे करें तथा अन्य ट्यूटोरियल के लिए –
उबुन्टु लिनक्स डाउनलोड लिंक –
http://www.ubuntu.com/getubuntu/download
लिनक्स यूजर ग्रुप (लिनक्स सीखने-सिखाने व अन्य चीज़ों पर वार्तालापों के लिए )
बैंगलोर – http://blug.in
दिल्ली - http://linux-delhi.org
मुम्बई – http://ilug-bom.org
पुणे – http://plug-org.in
त्रिवेंद्रम - http://triglug.sarovar.org
परिशिष्ट2 : लिनुस टोरवाल्ड से एक साक्षात्कार :
लिनुस टॉरवाल्ड्स : ‘माइक्रोसॉफ्ट और लिनक्स के बीच डर और नफ़रत के बजाए सम्मान हो’
लिनुस टॉरवाल्ड्स: “लिनक्स मुझसे बहुत बड़ा है!”
[एशिया की सर्वाधिक लोकप्रिय इलेक्ट्रॉनिक पत्रिका प्रकाशन समूह – (ईएफवाई जो लिनक्स फ़ॉर यू का भी प्रकाशन करती है) के जालस्थल ओपनआइटिस में लिनुस टॉरवाल्ड्स का साक्षात्कार प्रकाशित हुआ था. लिनुस का यह साक्षात्कार इस मामले में उदाहरण योग्य है कि यह किसी भी भारतीय मीडिया को दिया उनका यह बड़ा, वृहद, अब तक का एकमात्र, पहला साक्षात्कार था. साथ ही इसमें पूछे गए प्रश्न ईएफवाई समूह के पाठकों के थे. ओपनआइटिस से विशेष अनुमति प्राप्त कर इस साक्षात्कार का हिन्दी अनुवाद आपके लिए प्रस्तुत किया जा रहा है. अनुमति प्रदान करने हेतु राहुल चोपड़ा का विशेष धन्यवाद.
मूल साक्षात्कार अंग्रेजी में यहाँ http://www.efytimes.com/archive/144/news.htm देखें. साक्षात्कार को प्रस्तुत किया है – ईएफवाई टाइम्स के सहायक संपादक स्वप्निल भारतीय ने.]
-----------
प्र: तमाम विश्व के देशों की तुलना में भारत से सर्वाधिक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर निकलते हैं, फिर भी भारत का योगदान लिनक्स के क्षेत्र में नहीं के बराबर है. उस क्षेत्र में भारतीयों के नहीं जाने के पीछे आपके विचार में क्या कारण हो सकते हैं? भारतीयों को इस क्षेत्र में जाने व उसमें गंभीर योगदान हेतु प्रोत्साहित करने के लिए आपके विचार में क्या कुछ किया जाना चाहिए? तमाम विश्व की तरह भारत में भी आपके बहुत सारे प्रशंसक हैं, क्या आपके प्रेरक, विशाल छवि का इस्तेमाल भारतीयों में उत्साह पैदा करने (के काम) में लिया जा सकता है?
लिनुस: इस प्रश्न का उत्तर देना मेरे लिए वास्तव में बहुत ही कठिन है. ओपन सोर्स अपनाने में बहुत सी बातों का जटिल संयोजन होता है जिनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर (इंटरनेट की उपलब्धता, शिक्षा, और ढेर सारी तमाम बातें जो आप यहां बोल-बता सकते हैं,), जानकारियों का प्रवाह और शायद संस्कृति – जिनका कि मैं कोई अंदाजा नहीं लगा पा रहा - कि यहाँ बड़ी अड़चनें कौन सी हैं.
यदि हम भाषा अवरोध की बातें करते हैं तो बहुत से मामलों में भारत के अंग्रेज़ी भाषा समृद्ध समुदाय को लिनक्स तथा अन्य ओपन सोर्स परियोजनाओं में जुड़ने में बड़ी आसानी होती है. और, एशियाई या यूरोप के कुछ भागों में स्थित कई देशों के मुकाबले निश्चित रूप से यहाँ ओपन सोर्स से जुड़ना बड़ा आसान है.
ये बात सही है कि आईटी, कम्प्यूटर और सॉफ़्टवेयर के क्षेत्र में तमाम विश्व में भारत से सर्वाधिक लोग हैं, पर ये बात भी सही है कि ये भारत के बहुसंख्यक भी नहीं हैं और मेरा ये व्यक्तिगत ख़याल ये है कि मैं भारतीय समस्याओं के बारे में बहुत ज़्यादा नहीं जानता जिससे कि मैं अधपके तौर पर भी ये बता पाऊँ कि भारतीयों को ओपन सोर्स में जोड़ने के लिए बढ़िया रास्ता क्या हो सकता है. मुझे लगता है कि उत्साही, स्थानीय उपयोक्ता समुदाय हमेशा से ही बढ़िया विकल्प होते हैं और मेरे विचार में यहाँ इसकी प्रचुरता है.
जहां तक मेरे ‘विशाल छवि’ का सवाल है, मैं व्यक्तिगत रूप से इस हिस्से को खासा नापसंद करता हूँ. मैं कोई बढ़िया वक्ता नहीं हूँ, मैंने पिछले कई वर्षों से यात्रा करना बंद कर दिया है क्योंकि मैं अपने उस ‘विशाल छवि’ के साथ और ‘दिव्यदर्शनदृष्टा’ के रूप में देखा जाना पसंद नहीं करता. मैं सिर्फ़ एक इंजीनियर हूँ और मैं जो काम करता हूँ, उसे करते रहने में, और सार्वजनिक जीवन में लोगों के साथ काम करने में मुझे मजा आता है.
प्र: कम्प्यूटर विज्ञान के विद्यार्थियों को ‘आवश्यक रूप से पढ़ने’ के लिए आप किन-किन ऑपरेटिंग सिस्टम की और पाठ्य पुस्तकों की अनुशंसा करेंगे?
लिनुस: अपने विद्यार्थी जीवन में जिन चीज़ों को पढ़कर मैंने अपने ज्ञान में वृद्धि की थी वे आज के समय में थोड़े पुराने पड़ चुके हैं. पिछले दशक से शिक्षा के क्षेत्र में मेरा दखल नहीं के बराबर रहा है और मुझे नहीं पता कि किस क़िस्म की पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं अतः मैं ये नहीं जानता कि किसकी अनुशंसा करूं.
मैंने स्वयं बहुत पहले से शुरूआत की, और आमतौर पर बिना पुस्तकों के की. उस समय मेरे पास कुछ पुस्तकें थीं जिन्हें मैंने ख़ूब पसंद किया था (उदाहरण के लिए, एंड्र्यू टाएनबॉम की मिनिक्स पर लिखी किताब जो मुझे आज भी याद है). मैं सोचता हूँ कि किसी भी पाठ्य पुस्तक से सीखने के बजाय ये ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि आप में कम्प्यूटरों में कुछ कसेरीगिरी (टिंकरिंग) करने की इच्छा होनी चाहिए – जैसे चीज़ों को ख़ुद करके देखना व उसमें पूरा डूब जाना.
मैं अपने तईं पूरी तरह यह मानता हूँ कि मैंने अपनी स्वयं की गलतियों (और दूसरों की भी ;^) से - पाठ्य पुस्तकों की अपेक्षा - ज़्यादा ही सीखा है. हालाँकि एक बढ़िया किताब (और उससे भी ज़्यादा अच्छा एक बढ़िया शिक्षक) आपको सीधी दिशा में इंगित करने के लिए और उस विषय में रूचि और उत्साह जगाने में बढ़िया काम कर सकते हैं.
प्र: वर्तमान में क्या कुछ भारतीय हैं जो लिनक्स कर्नेल डेवलपमेंट में प्रमुख तौर पर सहयोग दे रहे हैं?
लिनुस: मैं यह स्वीकार करता हूँ कि मैंने अभी तक किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ सीधे काम नहीं किया है जो कि भारत से हो. परंतु यहाँ यह स्पष्ट करना चाहूँगा कि मैंने बहुत सोच समझकर यह सेटअप करने की कोशिश की है कि कर्नेल डेवलपमेंट में किसी भी समय मुझे बहुत सारे लोगों के साथ सीधे काम न करना पड़े.
मैं इस बात से इत्तफाक रखता हूँ कि आमतौर पर व्यक्ति कुछ इस तरह से बना होता है कि वो सिर्फ़ कुछेक चुनिंदा व्यक्तियों के साथ ज़्यादा अच्छी तरह से जुड़कर काम कर सकता है (अपने निकट के परिवार और मित्रों के साथ), और मैंने डेवलपमेंट मॉडल को कुछ इसी विचार के परिप्रेक्ष्य में बनाया है: ‘डेवलपरों के नेटवर्क के रूप में’, जहाँ लोग अपने करीबी कोई दर्ज़न भर लोगों से आपसी विचार-विमर्श करते हैं और फिर वे दर्ज़न भर ‘अपने’ अन्य दर्ज़न भर लोगों से जिन पर वे भरोसा करते हैं, विचार-विमर्श करते हैं.
तो, यदा-कदा मैं जहां सैकड़ों डेवलपरों से सम्पर्क में आता हूँ – जो मुझे कर्नेल पैच भेजते रहते हैं, मैंने एक कार्य वातावरण तैयार करने की कोशिश की है जिसमें मैं जो भी काम बहुतायत में करता हूँ तो वो बहुत कम लोगों के साथ करता हूँ, जिन्हें मैं जानता हूँ – क्योंकि मैं समझता हूँ कि लोग इसी तरह से काम करते हैं. मैं निश्चित तौर पर ऐसे ही काम करना पसंद करता हूँ.
साथ ही, पूरी ईमानदारी से मैं यह भी स्वीकारता हूँ कि मैं जिन लोगों के साथ काम करता हूँ मैं महत्व नहीं देता कि वे कहां के हैं और कहाँ रहते हैं. स्थान का महत्व बिलकुल बाद में आता है. तो मैं जहाँ तक समझता हूँ कि शीर्ष के 10-15 लोग जिनके साथ मैं काम करता हूँ वे भारत से नहीं है – पर जब मेरी कही गई ये बात सार्वजनिक हो जाएगी तो शायद ये पता चले कि अरे इनमें से ये भी, और ये भी, भारत से हैं!
प्र: कोई ऐसी बढ़िया, शानदार वजह हो सकती है कि आप भारत यात्रा के बारे में सोचें?
लिनुस: जैसे कि मैंने पहले भी कहा – मुझे मंच पर बोलना अच्छा नहीं लगता, अतः मैं कॉनफ्रेंसों से बचता हूँ. मैं भारत की यात्रा करना अवश्य चाहूँगा – किसी दिन छुट्टियों में. परंतु जब मैं जाऊंगा, तो किसी को पहले से बिना बताए – एक आम, साधारण यात्री की तरह – देशाटन के लिए!
प्र: बहुत सी भारतीय आईटी कंपनियाँ अपने ग्राहकों के लिए सॉफ़्टवेयर परियोजनाओं को कस्टमाइज़ करने में ही विशेष रूप से रूचि रखती हैं, और अभिनव, नवीन परियोजनाओं में जिनमें उनकी विशिष्टता होती है – रूचि नहीं रखतीं. क्या आप यह समझते हैं कि उनकी यह सोच भारत से मुक्त स्रोत में योगदान नहीं मिल पाने की प्रमुख वजह हो सकती है?
लिनुस: मैं समझता हूँ कि सामाजिक सांस्कृतिक समस्याएँ (जो आप पारंपरिक संस्कृति समझते हैं उसमें ‘तकनीकी संस्कृति’ भी सम्मिलित कर लें) सबसे बड़ा कारण हैं. कुछ क्षेत्र दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा मुक्त स्रोत में ज़्यादा कार्य कर रहे हैं.
उदाहरण के लिए, फिनलैंड जहां से मूलतः मैं हूँ, मैं समझता हूँ कि वहां के लोग मुक्त स्रोत के लिये तकनीकी तथा गैर-तकनीकी दोनों वजहों से कार्य करते हैं: एक मजबूत तकनीकी संस्कृति जिसमें शक्तिशाली व्यक्तिगत तथा सामाजिक जिम्मेदारी का समावेश होता है. यह मुक्त स्रोत से जुड़ने के लिए आसान रास्ता प्रदान करता है व उत्प्रेरक होता है. और इसी परिवेश ने स्वाभाविक रूप से मुझे मुक्त स्रोत से जुड़ने में भूमिका अदा की है– इसके बारे में ज़्यादा सोच-विचार किए बग़ैर.
और यह बहुत संभव है कि भारतीय आईटी संस्कृति भली प्रकार से उस तरह से उर्वर न हो कि लोग मुक्त स्रोत परियोजनाओं से जुड़ने के लिए उत्साहित हों. इससे ये नहीं कहा जा सकता कि लोग नहीं जुड़ते, परंतु लोगों के कम प्रतिशत से जुड़ने को कुछ इस क़िस्म से परिभाषित तो किया जा सकता है.
प्र: मुक्त स्रोत के कुछ महत्वपूर्ण फ़ायदों पर आप प्रकाश डालना चाहेंगे ताकि भारतीय आईटी फर्मों को, जो अपनी टीम को मुक्त स्रोत में कार्य करने देने में अनिश्चित होते हैं कुछ दिशा मिले?
लिनुस: मेरे विचार में मुक्त स्रोत तकनॉलाजी अपने आप में ही सीखने के लिए एक विशाल व विस्तृत अनुभव होता है. यह किसी परियोजना के ‘भीतर’ तक पहुंचकर उस स्तर पर देखने जैसा अनुभव होता है कि यह वास्तव में कैसे कार्य करता है. इस अनुभव को प्राप्त करना तब वास्तविक रूप में कठिन होता है जब आप कम्प्यूटरों का प्रमुख इस्तेमाल दूसरे व्यक्तियों के परियोजनाओं को परिष्कृत करने में करते हैं.
और, मेरे विचार में यह तब भी सटीक है यदि कोई विशिष्ट मुक्त स्रोत परियोजना जिसे सीधे तौर पर आप कर रहे होते हैं उससे संबद्ध न भी हों. इसीलिए बहुत सी कंपनियां अपने कर्मचारियों को ‘कंपनी कार्यों से इतर’ कार्यों के लिए, यहां तक कि कंपनी के समय में भी, प्रोत्साहित करती हैं.
जहाँ तक मैं समझता हूँ कि इस विचार को लागू करने वाली कंपनी का सबसे बढ़िया उदाहरण गूगल है, परंतु इस तरह की सिर्फ़ यही एक कंपनी नहीं है. और सच तो यह है कि मैं भी इसी तरह कार्य करता हूँ : एक गैर-लिनक्स कंपनी में एक इंजीनियर के रूप में पगार पाता हूँ और ‘साथ में’ लिनक्स के लिए कार्य (इसके लिए प्रोत्साहित किया जाता है) करता हूँ
और बहुत बार ऐसा भी होता है कि बहुत सारे मुक्त स्रोत परियोजनाओं को हर तरफ बहुतायत से इस्तेमाल किया जाता है और कंपनियों को अपने कार्यों के लिये इनके विशेषज्ञों को ढूंढ पाना मुश्किल होता है. कुछ मुक्त स्रोत की परियोजनाएं ऐसी भी होती हैं जो आईटी कंपनी सपोर्ट नहीं करती होती है या उसका विपणन नहीं करती होती है परंतु उन्हें कंपनी के आंतरिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में इस्तेमाल में लिया जाता है.
प्र: एक विशाल चिप कंपनी के कार्यपालकों से बातचीत के दौरान हमें यह भान हुआ कि नए चिप प्लेटफ़ॉर्म (उदाहरण के लिए, सांता रोसा -- सेंट्रिनो) के डिजाइन संबंधी विचार-विमर्श के दौरान लिनक्स के लोग उपस्थित ही नहीं थे. क्या आप इसे लिनक्स या हार्डवेयर निर्माताओं की तरफ से समस्या के रूप में देखते हैं?
लिनुस: मुझे लगता है कि यह भी लिनक्स समुदाय की ‘संस्कृति’ का एक हिस्सा है: हम लोग इनवॉल्व नहीं होने के इतने ‘अभ्यस्त’ हो चुके हैं, और जो भी हार्डवेयर सामने हाथ आता है उसके लिए सॉफ़्टवेयर लिखने लगते हैं, और हमारे पास आवश्यक पृष्ठभूमि भी नहीं हैं कि हम इन सब में अधिक सम्मिलित होने की ‘कोशिश’ भी करें.
फिर भी, परिस्थितियाँ धीरे-धीरे बदल रही हैं. अब अधिकाधिक हार्डवेयर कंपनियाँ (इंटेल को मिलाकर) अब सचमुच में अपने आंतरिक विभागों में ड्राइवर लिखने हेतु लिनक्स कर्नेल परियोजनाएँ चलाती हैं. इसका अर्थ यह है कि उन कंपनियों के लिनक्स में काम करने वाले लोग, हार्डवेयर डिजाइन करने वाले लोगों से किसी न किसी रूप में संपर्क में आते ही हैं.
पर यह भी सच है कि इससे कोई ‘तात्कालिक’ परिवर्तन नहीं होगा, मगर हार्डवेयर के कुछ जनरेशन के बाद आप निश्चित रूप से कुछ वार्तालाप तो प्रारंभ कर ही देते हैं और इससे दोनों ही तरफ के लोग दूसरे तरफ की कुछ समस्याओं को समझने तो लगते ही हैं.
तो इस तरह से हम चिपसेट डिजाइनरों तथा सीपीयू डिजाइनरों से बात करते हैं. उतना तो भले ही नहीं जितना हमें करना चाहिए या हम कर सकते हैं. और यह कुछ व्यक्तियों के बीच आपसी बातचीत से होता है, और कुछेक परियोजनाओं के लिए होता है – उस तरह से नहीं जैसा कि ‘कंपनी पॉलिसी’ के रूप में होता है. जो भी हो, विचार-विमर्श तो हो रहे हैं.
जैसे कि मुझे मालूम है, उदाहरण के लिए – आईबीएम के लिनक्स इंजीनियरों ने पावर चिप के सीपीयू इंजीनियरों से अच्छी खासी चर्चा की. मैंने स्वयं इंटेल के लोगों से बातचीत की है (और इंटेल के भीतर ही ढेर सारे लिनक्स पर काम करने वाले लोग हैं जो मुझसे ज़्यादा काम कर रहे हैं). तो कुछ चीजें छोटे स्तर पर होने लगी हैं और दिनोंदिन विस्तार ले रही हैं.
प्र: इस रिक्ति को भरने के लिए कोई सुझाव? क्या लिनक्स फ़ाउंडेशन ऐसे सहयोग के लिए केंद्रीय भाग के रूप में काम कर सकता है?
लिनुस: मेरा भरोसा उच्च स्तरीय पॉलिसियों के बजाए ‘व्यक्तिगत’ शक्तियों पर ज़्यादा होता है. मैं समझता हूँ कि लिनक्स फ़ाउंडेशन ऐसा स्थल है जहाँ कंपनियाँ अपनी समस्याओं पर विचार विमर्श करने जुटती हैं, और मुझे विश्वास है कि लिनक्स फ़ाउंडेशन को इन्हें सुलझाकर ख़ुशी महसूस होती है. तो यह तो पहले से हो ही रहा है. और यह किसी उच्च स्तरीय पॉलिसी के वजह से नहीं हो रहा है बल्कि इस लिए हो रहा है कि अधिक से अधिक कंपनियाँ मुक्त स्रोत को अपना रही हैं और इस तरह से वे स्वचालित तरीके से ही सही, उनके हार्डवेयर इंजीनियर और मुक्त स्रोत समूह आपस में संपर्क में आ रहे हैं.
प्र: लिनक्स कर्नेल के लिए भविष्य का पथ/योजनाएँ/नई विशेषताएँ क्या हैं
लिनुस: मैं कभी भी भविष्यदृष्टा नहीं रहा हूँ – भविष्य के विशाल प्लानों की ओर ताकने के बजाए मैं छोटे समय की ‘अगले कुछ महीनों की समस्याओं’ पर ध्यान देता हूँ. मैं ‘विस्तृत’ कार्य योजना में विश्वास रखता हूँ और यदि आप तफसीलों पर ध्यान देंगे तो बड़ी समस्याएँ अपने आप ही हल हो जाती हैं.
तो इस तरह से मेरे पास अभी कोई दृष्टि नहीं है कि मैं बताऊँ कि आज से पाँच साल बाद लिनक्स कर्नेल कैसा होगा – सिर्फ़ सामान्य बातें हैं ताकि हमारी नजरें उस पर जमी रहें. सच तो यह है कि जब यह सवाल मेरे सामने आता है तो मैं इस बात के लिए चिंतित होता हूँ - जो कि तकनीकी तो कतई नहीं होता – कि ‘प्रक्रिया’ चलती रहनी चाहिए, और लोगों को एक दूसरे के साथ काम करते रहने चाहिएँ.
प्र: लिनक्स तथा सोलारिस के भविष्य के संबंधों को आप कैसा देखते हैं? ये उपयोक्ताओं को किस तरह से लाभान्वित करेंगे?
लिनुस: मैं इस तरह का कोई ओवरलैप इन दोनों के बीच नहीं देखता – सिवाय इसके कि मेरे विचार में सोलारिस में अधिक से अधिक ‘लिनक्स उपयोक्ता स्पेस औजारों’ का इस्तेमाल होने लगेगा (जिसमें कि जाहिरा तौर पर मेरा कोई योगदान नहीं होगा – मैं सिर्फ़ कर्नेल पर ही काम करता हूँ). पारंपरिक सोलारिस की अपेक्षा लिनक्स डेस्कटॉप बहुत ही बढ़िया है और मुझे उम्मीद है कि यहाँ पर सोलारिस लिनक्स मॉडल के रूप में अधिक दिखाई देगा.
शुद्ध कर्नेल क्षेत्र में लाइसेंस की शर्तों की भिन्नता के कारण बहुत ज़्यादा सहयोग की उम्मीद नहीं है, परंतु यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में क्या यह परिवर्तित हो सकता है. सोलारिस को जीपीएल (या तो सं.2 या सं.3) के अधीन जारी करने के नाम पर सन में बहुत हल्ला मच रहा है, और यदि ये लाइसेंस भिन्नता खतम हो जाए तो सम्मिलित रूप से बहुत ही दिलचस्प तकनॉलाजी सामने आएगी. देखो और इंतजार करो की भावना से मैं इसे ले रहा हूँ.
प्र: आपने लिनक्स कर्नेल में कर्नेल डेवलपरों के बीच प्रतियोगिता की भावना को हमेशा प्रोत्साहित किया है. प्रश्न यह है कि क्या लिनक्स को सोलारिस से भयभीत होना चाहिए जो कि एफओएसएस समुदाय में लिनक्स का पहला, वास्तविक प्रतिद्वंद्वी है?
लिनुस: यहाँ पर मुझे इस बात का घमण्ड है कि मैं समझता हूँ कि हम सोलारिस से आसानी से प्रतियोगिता कर लेंगे. वास्तव में मैं समझता हूँ कि यह प्रतियोगिता की भावना ही होती है जो व्यक्तियों को प्रोत्साहित करती है. अतः, नहीं, मैं कतई भयभीत नहीं हूँ.
मेरे भयभीत नहीं होने का एक और बड़ा कारण यह है कि मुझे इसके बाजार की ओर से चिंतित नहीं होना पड़ता, और न ही मैं इसके बाजारी हिस्से के बारे में ध्यान देता हूँ. मैं सिर्फ़ इसके तकनीकी हिस्से के लिए चिंतित रहता हूँ. और, तकनीक के लिए प्रतियोगिता हमेशा अच्छी ही होती है.
प्र: आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि एसडी (एसडी शेड्यूलर) से कहीं ज़्यादा बेहतर सीएफएस (कम्प्लीटली फेयर शेड्यूलर) है?
लिनुस: कुछ हिस्सों में कहें तो ये बात है कि मैंने इंगो [मोलनार] के साथ लंबे समय तक काम किया है, इसका अर्थ यह है कि मैं उसे जानता हूँ, और यह भी जानता हूँ कि वो एक बहुत ही विश्वसनीय व्यक्ति है और किसी भी आने वाली समस्या के प्रति पूरी जवाबदेही बड़ी तीव्रता से दिखाता है. और इस तरह की चीजें ज़्यादा महत्वपूर्ण होती हैं.
कुछ अन्य हिस्सों में कहें तो यह सिर्फ़ आंकड़ों का खेल है. अधिसंख्य लोगबाग कह रहे हैं कि एसडी से बेहतर सीएफसी है. त्रि-आयामी खेलों में भी (जो कि लोगों का कहना है – एसडी का सशक्त बिन्दु है)
साथ ही मैं यह भी मानता हूँ कि किसी भी कोड का कोई भी हिस्सा कभी भी ‘परिपूर्ण’ नहीं हो सकता है. ये बढ़िया काम हो सकता है कि एसडी के प्रस्तावक इसे इतना बढ़िया बना लें कि पलड़ा उधर भारी हो जाए --- और हम दोनों ही कैम्प को नई दिलचस्प चीजें लाते हुए देखना चाहेंगे क्योंकि आंतरिक प्रतियोगिता से उन्हें भी प्रेरणा मिलती है.
प्र: धीरे से ही सही, परंतु अनवरत, स्थिर गति से आरटी-ट्री के फीचरों को मेनलाइन में अंतर्निर्मित किया जा रहा है. बाक़ी बचे आरटी-ट्री को मेनलाइन में सम्मिलित करने के लिए मौजूदा परिस्थिति में आपकी क्या सोच है?
लिनुस: मैं ये गारंटी नहीं दे सकता कि आरटी की सभी चीजें मानक कर्नेल में सम्मिलित कर दी जाएंगी (वहां कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें जेनेरिक कर्नेल में रखने का कोई अर्थ नहीं है), परंतु हाँ, आने वाले कुछ वर्षों में उसकी बहुत सी चीज़ों को सम्मिलित कर देंगे.
मैं लो-लेटेन्सी कार्य का बड़ा प्रशंसक हूँ परंतु साथ ही मैं बड़ा दकियानूसी क़िस्म का भी व्यक्ति हूँ. इसी कारण से मैं बहुत सी चीज़ों को एग्रेसिव-मर्जिंग से बाहर कर देता हूँ क्योंकि मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि यह सिर्फ़ कुछेक एक्स्ट्रीम रीयल टाइम पर्सपेक्टिव के लिए ही नहीं, बल्कि ‘आम’ उपयोक्ता के लिए जिन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है, के भी काम का हो. और इसी से यह स्पष्ट होता है कि प्रक्रिया धीमी क्यों होती है. जो कोड सम्मिलित किये जाते हैं उन्हें धीरे से जांचा परखा जाता है, जो स्थिर हो और जो काम का हो
साथ ही, ये बात सिर्फ़ –आरटी के साथ ही नहीं है – बहुत सारे डेवलपमेंट के साथ ऐसा है. –आरटी ‘डायरेक्टेड’ कर्नेल परियोजना में से एक है और इसका एक प्रमुख डेवलपर मुख्य कर्नेल डेवलपमेंट से सीधे जुड़ा है इसीलिए ऐसा है. अन्य विशेषताओं – (जैसे कि सुरक्षा, आभासी मेमोरी परिवर्तन, वर्चुअलाइजेशन इत्यादि) इसी पथ का अनुसरण करते हैं: उन्हें विशिष्ट लक्षित वातावरण के लिए लिखा जाता है और उन विशेषताओं को धीरे से परंतु आवश्यक रूप से मानक कर्नेल में सम्मिलित किया जाता है.
प्र: क्या आप समझते हैं कि –आरटी ट्री के भीतर जो तकनालॉजी के कार्य किए जा रहे हैं उनकी कोई कीमत रीयल टाइम डोमेन में है? यदि हाँ तो वे क्या हैं और उनकी धनात्मक भूमिका कहां होगी? (मैंने यह प्रश्न इसलिए पूछा क्योंकि यह साफ है कि – आरटीओएस का आरटी ट्री एक गंभीर विकल्प है चूंकि इसमें आरटीओएस की बहुत सी ख़ूबियाँ हैं वह भी पारंपरिक आरटीओएक की सीमाओं के इतर. इसे मुख्य पंक्ति में अंतर्निर्मित करने से लिनक्स को उन क्षेत्रों में पैर जमाने में मदद मिलेगी जहाँ आरटीओएस प्रमुख रूप से छाए हुए हैं. कम से कम ऐसा मेरा विचार तो है.)
लिनुस: ओह, हाँ, -आरटी ट्री की ‘बहुत’ सी विशेषताएँ शुद्ध रीयल टाइम में अच्छी हैं. और वास्तव में टाइमर कोड और कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर जो कि संपूर्ण लो-पावर में बढ़िया काम करते हैं, को पहले ही अंतर्निर्मित कर दिया गया है. लॉकिंग वेरिफ़ायर –आरटी से ही आया है जो कि हर एक के लिए बहुत ही काम का है.
और बहुत से (और, अब तक तो लगभग सारा का सारा) प्रीएम्प्टिबल कार्य जो –आरटी में हुए हैं वे मानक कर्नेल में आ चुके हैं क्योंकि इसने कुछ लाकिंग समस्याओं को दूर किया है. साथ ही ‘रियल टाइम’ और ‘नॉन रियल टाइम’ के बीच यदा कदा ही कोई श्वेत-श्याम लकीर खिंच पाती है, रियल टाइम लोड अब डेस्कटॉप और एम्बेडेड संसार में भी अपना अभिप्राय रखने लगे हैं.
और, मुक्त स्रोत की इस एक खासियत को मैं खासतौर पर दिलचस्प पाता हूँ: बहुत बार आप किसी विशिष्ट क्षेत्र के लिए विशिष्ट डेवलपमेंट करते हैं और अंत में पाते हैं कि जो फ़ीचर बनाया गया है उसका महत्व उस विशिष्ट क्षेत्र के बाहर कहीं ज़्यादा है. तो सभी हाई-एंड के सर्वर के और लॉकिंग ग्रेन्यूलिट कार्य जो हमने किए हैं – वे अब डेस्कटॉप और एम्बेडेड चीज़ों की दुनिया में बढ़िया काम आ रहे हैं क्योंकि मल्टी-कोर सीपीयू का मतलब है - एसएमपी हर जगह है.
क्या इसका अर्थ यह है कि विशिष्ट क्षेत्रों के लिए किए गए ‘सभी’ कार्य जेनेरिक कर्नेल के लिए महत्वपूर्ण होते हैं? नहीं. परंतु बहुत सारे फ़ीचर जो ‘विशिष्ट आवश्यकताओं’ के लिए बनाए जाते हैं, आमतौर पर सामान्य रूप से उपयोगी होते हैं.
प्र: हाल ही में कर्नेल के स्थायित्व को लेकर कुछ टिप्पणियाँ हुई थीं. यहाँ तक कि एण्ड्रयू मॉर्टन को यह कहते पाया गया था कि बहुत बड़ी संख्या में बग रपटें पड़ी हुई हैं और बहुत से नए बग शामिल हुए हैं जिन्हें ठीक करने के पूरे प्रयास लिनक्स विकासकर्ता नहीं कर रहे हैं. इस समस्या पर आप कुछ प्रकाश डाल सकेंगे?
लिनुस: मूल समस्या यह है कि हम कर्नेल में ‘बहुत से’ परिवर्तन करते रहते हैं और इसके साथ बग्स तो आते ही हैं. मैं सोचता हूँ कि हम इन्हें ठीक करने में अच्छे ही हैं (और अभी हालिया लागू किया गया ‘रिग्रेशन ट्रेकिंग’ ने बहुत मदद की है), परंतु हर दूसरे महीने एक नए कर्नेल रिलीज, तथा प्रत्येक रिलीज में लगभग दस लाख लाइनों के कोड परिवर्तनों के बीच, हमें स्थायित्व के बारे में चिंतित तो होना ही चाहिए.
मैं सोचता हूँ कि नए रिग्रेशन ट्रेकिंग (एड्रियन बंक द्वारा प्रारंभ किया गया तथा अब माइकल प्योत्रोव्स्की तथा उसके बेहतरीन कर्नेल ट्रैकरों की टीम द्वारा किया जा रहा है) ने बहुत मदद की है, आंशिक रूप से इसलिए भी क्योंकि डेवलपर अब अपना ध्यान ब्रेकेज रिपोर्ट पर लगा सकते हैं. और प्रत्येक दो-से-तीन माह में एक रिलीज वाला मॉडल जिसके हम पिछले कई वर्षों से अभ्यस्त हो चुके हैं, बेहद सफल रहा है.
तो यह कोई ऐसी बात नहीं है जिसे कहा जाए कि हम गेंद को जानबूझ कर छोड़े दे रहे हैं – स्थायित्व हमेशा ही प्राथमिक लक्ष्य होना ही चाहिए – पर विकास का दम घोंटने की भी अनुमति यहां नहीं दी जा सकती. और यह बहुत ही जटिल पर महत्वपूर्ण संतुलन है.
प्र: मुझे बहुत ही कुतूहल है कि कर्नेल के फ़ाइल सिस्टम के भविष्य में क्या है. आप रेइजर4, एक्सएफएस4, जेडएफएस तथा ऑरेकल द्वारा स्थापित नई परियोजना के बारे में क्या सोचते हैं? जेडएफएस की चर्चा इन दिनों अच्छी खासी हो रही है. रेइजर4 ने बहुत बढ़िया बेंचमार्क दिए हैं तथा एक्सएफएस4 आगे बढ़ने की पूरी तैयारी में है. उधर ऑरेकल द्वारा बनाया जा रहा फ़ाइल सिस्टम सन के जेडएफएस की बहुत सी ख़ूबियों युक्त है. हम कहाँ जा रहे हैं? आपकी राय में कौन से फ़ाइल सिस्टम में सबसे ज़्यादा संभावनाएं दिखाई दे रही हैं?
लिनुस: असल में, कल ही हमें जीआईटी परफ़ॉर्मेंस की समस्या से जूझना पडा, जहाँ जेडएफएस बड़े परिमाण में एक उपयोक्ता के लिए यूएफएस की अपेक्षा धीमा था (लिनक्स में नहीं, परंतु जीआईटी कर्नेल डेवलपमेंट से बाहर भी बहुत ध्यान खींच रहा है). तो मैं सोचता हूँ कि बहुत सारे ‘नए फ़ाइल सिस्टम’ के पीछे जो पागलपन चल रहा है और यह अपेक्षा करना (कुछ कुछ अवास्तविक सा) कि ‘नया और परिष्कृत’ फ़ाइल सिस्टम सबकुछ परिपूर्ण कर देगा, वो शायद पुराने फ़ाइल सिस्टम की समस्याओं के कारण ज़्यादा है.
अंत में, यह क्षेत्र ऐसा है जहाँ आपको लोगों को लड़ने भिड़ने के लिए छोड़ देना चाहिए. फिर देखें कि अंत में जीत किसकी होती है. और ये जरूरी नहीं कि इनमें से कोई एक (संभावना भी इसी की है) ही विजेता हो. हरहमेशा, फ़ाइल सिस्टम का सही चुनाव लोड तथा परिस्थितियों पर ज़्यादा निर्भर होता है.
आपने जिन फ़ाइल सिस्टम के नाम लिए हैं उनसे ज़्यादा एक चीज़ मुझे उत्तेजित करती है – वह है फ्लैश आधारित हार्ड डिस्क जो कि अब ‘सामान्य’ उपयोक्ताओं के लिए भी उपलब्ध हो रहे हैं. ठीक है, वे अभी भी कुछ महंगे है (और बहुत छोटे भी), परंतु फ्लैश आधारित भंडारण में पारंपरिक घूर्णन आधारित मीडिया की अपेक्षा बहुत अधिक परफ़ॉरमेंस प्रोफाइल भिन्नता है. और मुझे शक है कि ये बात फ़ाइल सिस्टम डिजाइन में अच्छा खासा प्रभाव डालेगा. अभी तो सभी फ़ाइल सिस्टम रोटेटिंग मीडिया की लेटेंसी को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किए गए हैं.
प्र: अभी जो विंडोज़ लांगहार्न जारी किया गया है वह लिनक्स के खतरे पर माइक्रोसॉफ़्ट का उत्तर कहा जा रहा है - ठीक वैसे ही जैसे विंडोज़ एनटी, नॉवेल के लिए 90 के दशक में था. लांगहार्न को ध्यान में रखते हुए क्या लिनक्स में कुछ सुधार-उन्नयन जैसा कुछ प्लान किया गया है?
लिनुस: वास्तव में मैं बिलकुल भी एमएस की चिंता नहीं पालता. उनका सामर्थ्य उनकी मार्केटिंग और (जाहिरा तौर पर) बाजार का हिस्सा हैं. ‘तकनीकी’ कोण से वे कभी भी दिलचस्प नहीं रहे. और चूंकि मैं व्यक्तिगत तौर पर तकनॉलाजी को पसंद करता हूँ, मैं इन बातों पर कभी भी दिलचस्पी नहीं रखता कि एमएस क्या कर रहा है
प्र: “कंप्यूटरों का अंतिम रूप क्या यही है” यह प्रसिद्ध प्रश्न नोकिया ने अपने एन-श्रेणी के मोबाइल फ़ोनों के कैम्पेन में पूछा है. क्या ऐसा कोई तकनीकी रोड मैप लिनक्स ने बनाया है जिससे कि वह कम्यूटिंग उपकरणों – जैसे कि हैण्डहेल्ड व मोबाइल उपकरणों की अगली लहरों पर राज कर सके?
लिनुस: मैं समझता हूँ कि यदि कोई चीज़ पारंपरिक डेस्कटॉप कम्प्यूटिंग को प्रतिस्थापित कर सकती है तो वो मोबाइल कम्प्यूटिंग ही है. अब वे महज लॅपटॉप हो सकते हैं (वही मूल आर्किटेक्चर, मोबाइल), या छोटे हैण्डहेल्ड – ये मुझे नहीं पता.
परंतु यह निश्चित रूप से वह क्षेत्र है जहाँ लिनक्स लाभ की स्थिति में है, दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम की अपेक्षा यह बहुत विस्तृत क्षेत्र में पहुंच रहा है और जिसे नकारा नहीं जा सकता ( जहाँ लिनक्स अभी शीर्ष के 500 सुपरकम्प्यूटरों में 75 प्रतिशत में इस्तेमाल में लिया जा रहा है वहीं इसे नोकिया और मोटरोला के छोटे फ़ॉर्म फैक्टर के सेल फ़ोनों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है).
प्र: लिनक्स फ़ाउंडेशन में आपके केआरए क्या हैं?
लिनुस: वह प्रबंधकीय सत्र है, अतः मुझे उसे वास्तव में देखना होता है. मैं मान रहा हूँ कि केआरए से आपका तात्पर्य की-रेस्पांसिबिलिटी-एरिया है.
मेरा कार्य बहुत ही साधारण रूप से पारिभाषित है: मेरा कार्य है – लिनक्स कर्नेल को मेंटेन कर रखना – जिस रूप में मैं उसे फिट समझता हूँ और जो कुछ भी मैं लिखूं वो मुक्त स्रोत हो.
तो इसका मतलब पूरी तरह से यह भी नहीं हुआ कि मैं सिर्फ़ कर्नेल पर ही काम करूं – सही में तो कुछ चीजें जैसे कि ‘जीआईटी’ (हमारा स्रोत नियंत्रण प्रबंधन अनुप्रयोग) बहुत कुछ उसके भीतर आता है जो मैं यहाँ लिनक्स फ़ाउंडेशन में करता हूँ. यह कर्नेल को मेंटेन करने का एक बड़ा भाग है, अब यह भले ही एक अलग परियोजना है.
लिनक्स फ़ाउंडेशन में संभवतः इतना ही महत्वपूर्ण है मेरे लिए, कि मैं क्या नहीं करता हूँ. परिशुद्ध तकनीकी प्रबंधन के बाहर का कोई भी काम मैं नहीं करता हूँ. तो लिनक्स फ़ाउंडेशन स्वयं बहुत से भिन्न काम करता है (जैसे कि सभी कार्य समूह अपने सदस्य कंपनियों के साथ करते हैं, इत्यादि) जिनमें मैं व्यक्तिगत रूप से कभी भी शामिल नहीं होता.
प्र: लिनक्स/ओएसएस इको-सिस्टम के विकास में आप लिनक्स फ़ाउंडेशन की क्या भागीदारी देखते हैं?
लिनुस: लिनक्स फ़ाउंडेशन के पास दो स्वतंत्र कार्य हैं: यह ‘डेवलपरों को सपोर्ट’ करती है – जिसमें शामिल है बहुत से इंजीनियरों को काम देना – जैसे कि मैं – तथा उन डेवलपरों के यात्रा खर्चों के लिए फंड तैयार करना जो किसी परियोजना में शामिल होते हैं परंतु जहाँ उनके नियोक्ता इन परियोजनाओं को सीधे-सीधे समर्थन नहीं देते हैं और उनके तकनीकी कॉनफ्रेंसों हेतु यात्रा खर्चों को वहन नहीं करते हैं.
लिनक्स फ़ाउंडेशन का दूसरा कार्य है मूलतः एक स्थान प्रदान करना जहाँ विभिन्न कंपनियाँ (आमतौर पर सदस्य, परंतु हमेशा नहीं) एक साथ आते हैं या मुक्त स्रोत में साथ काम करते हैं. ये कार्य समूहों इत्यादि के रूप में होता है, और ये कंपनियों के भीतर शिक्षकीय कार्यक्रमों इत्यादि चलाने तथा इंजीनियरों को अन्य कंपनियों में मुक्त स्रोत के बारे में बताने हेतु उनकी यात्रा व्यवस्था करने तथा समस्याओं के बारे में मध्यक्रम के प्रबंधकों को शिक्षित करने हेतु किया जाता है.
इसका तीसरा काम है विविध इंटरऑपरेबिलिटी मानकों जैसे कि एलएसबी (लिनक्स स्टैंडर्ड बेस) तैयार करना व उसे लागू करना.
प्र: लिनक्स वितरणों जैसे कि नॉवेल, ज़ेंड्रॉस तथा लिनस्पायर के साथ माइक्रोसॉफ़्ट के क्रास-लाइसेंसिंग सौदों के प्रयासों के बारे में आपकी क्या राय है? लिनक्स के विकास में ये क्या प्रभाव डाल सकते हैं?
लिनुस: इस मामले में मेरी कोई गंभीर राय नहीं है. व्यापार तो व्यापार है, और मैं इसमें इनवॉल्व नहीं होता. मैं तकनॉलाजी के बारे में चिंतित रहता हूँ. हाँ, सॉफ़्टवेयर पेटेंट चिंता करने वाली बात है परंतु मैं यह भी मानता हूँ कि जहां भी एमएस इनवॉल्व होता है, वहाँ लोग ज़्यादा ही ओवररिएक्ट करते हैं. और इंटरनेट पर कुछ कर्णभेदी प्रतिक्रियाएँ शीर्ष की चीज़ों पर ही होती हैं.
देखते हैं कि क्या होता है.
प्र: माइक्रोसॉफ़्ट के ‘मेन इन ब्लेक’ से कभी आपकी बातचीत हुई है?
लिनुस: एमएस से मेरी कभी बात नहीं हुई है. नहीं. मैं कुछ कॉन्फ्रेंसों में एमएस के लोगों के साथ जरूर रहा था (आज की अपेक्षा तब मैं पहले बहुत से कॉन्फ्रेंसों में जाता था ), परंतु मेरे पास उनके साथ साझा करने को वास्तव में कुछ रहता ही नहीं था. मैं समझता हूँ कि दोनों तरफ पारस्परिक सतर्कता का एक सतह बना हुआ है.
प्र: माइक्रोसॉफ्ट अपना स्वयं का मुक्त स्रोत लेकर आया है http://www.microsoft.com/opensource/default.mspx . इस पर आपकी क्या टिप्पणी है?
लिनुस: मेरे विचार में एमएस के अंदर जो कुछ भी काम मुक्त स्रोत को ज़्यादा समझने या अपनाने के लिए होता है तो वो अच्छा ही है. तो मैं चौकन्ने तरीके से आशान्वित हूँ कि वे इस धारणा, इस विचार के अभ्यस्त हो रहे हैं और भले ही ये बात न हो कि हमें ‘दोस्त’ होना चाहिए, कम से कम ये उम्मीद तो करें कि डर और नफरत के बजाए एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना हो.
हाँ, यह बात यहाँ पर तो है कि लोगबाग डर रहे हैं कि एमएस मुक्त स्रोत के लोगों को चूस निकाल लेने की कोशिश कर रहा है, और ऐसा कोई पहली बार नहीं हो रहा है. तो, जबकि मैं कोई बिना विचारे मन में डर बसाने का समर्थन नहीं करूँगा, मैं यह भी सोचता हूँ कि एमएस के प्राचीन ऐतिहासिक व्यवहार को भी ध्यान में रखना चाहिए.
प्र: लिनक्स मुफ़्त है, पूरा सुरक्षित है, फिर भी ये डेस्कटॉप उपयोक्ताओं में उतना लोकप्रिय होने में असफल रहा है. इसके पीछे क्या कारण हैं? लिनक्स को आम जनता में लोकप्रिय बनाने के लिए आपके क्या सुझाव हो सकते हैं?
लिनुस: मेरे विचार में यह सिर्फ़ जड़त्व की समस्या है. यह सचमुच में बहुत मुश्किल होता है कि लोग अपना व्यवहार बदलें, और ये कोई एक रात में नहीं हो जाता. पिछले वर्षों में लिनक्स ने विशाल प्रगति की है और यदि मैं पीछे मुड़कर दस साल पहले की स्थिति देखूं तो जो आज की स्थिति है वो मुझे अकल्पनीय लगती है. और मुझे लगता है कि यह जारी रहेगा क्योंकि मुक्त स्रोत हर किसी के लिये बेहद अच्छा है.
तो मैं सोचता हूँ कि बहुत सारा दारोमदार शिक्षा पर निर्भर है – उस अभिप्राय में कि लोगों को विकल्पों के बारे में मालूम होना चाहिए और भले ही लोग स्वयं अपने तईं बदल नहीं पाएँ, परंतु वे लिनक्स से खौफ़ नहीं खाएँ (क्योंकि वे सुन चुके हैं) और वे इसे आजमाएँ. और यह भी सत्य है कि, नहीं, अभी हर कोई लिनक्स पर स्विच नहीं कर सकता है, परंतु मैं सोचता हूँ कि हमने बहुतायत में लोगों को मुक्त स्रोत के फ़ायदों का आनंद उठाते देखा है.
प्र: आपने अभी हाल ही में कहा था: “सन के लिए सिर्फ़ जीपीएल-3 संस्करण ... उन्हें कम से कम लिनक्स में बिना किसी गिविंग बैक के भाग लेने तो देगा ही.” चूंकि लिनक्स सिर्फ़ जीपीएल-2 है, तो सोलारिस कैसे कर्नेल में शामिल हो सकता है जबकि वह जीपीएल-3 में जाता है (चूंकि दोनों लाइसेंस आपस में इनकॉम्पेटिबल हैं)?
लिनुस: जबकि पूरा का पूरा लिनक्स कर्नेल सिर्फ़ जीपीएल-2 है, इसका कुछ हिस्सा ‘जीपीएल-2 या बाद का’ है. तो कुछ विशिष्ट व्यक्तिगत ड्राइवर जीपीएल-3 परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
प्र: गूगल में जीआईटी के बारे में एक वार्ता के दौरान आपसे किसी ने पूछा था कि एक बहुत विशाल कोड बेस को जो कि वर्तमान में किसी केंद्रीयकृत तरीके से हैंडल किया जा रहा है उसे अपने व्यापार को छः महीने के लिए बंद किए बग़ैर कैसे जीआईटी पर परिवर्तित करेंगे. उस पर आपकी प्रतिक्रिया क्या रही थी?
लिनुस: आह. वह एक प्रश्न था जो मैं ठीक से सुन नहीं पाया था (रेकॉर्डिंग में वह प्रश्न तो अच्छे से ही सुनाई दे रहा था), और जब मैंने रेकार्ड किए ऑडियो को बाद में सुना तो पाया कि मैंने उस पूछे गए प्रश्न का उत्तर नहीं दिया था, बल्कि उस प्रश्न का उत्तर दिया था जो मैंने समझा था कि पूछा गया था.
जो भी हो, हमारे पास बहुत सारे आयात करने के औज़ार हैं जिनके ज़रिए आप किसी भी पिछली एससीएम की बड़ी परियोजनाओं को जीआईटी में आयात कर सकते हैं. परंतु समस्या निश्चित रूप से सिर्फ़ आयात करने के काम में नहीं है, बल्कि नए मॉडल से ‘अभ्यस्त’ होने की है!
और मैं यहाँ बिलकुल स्पष्ट करना चाहूँगा कि ‘अभ्यस्त’ होने के लिए दूसरा कोई उत्तर हो सकता है सिवाय इसके कि आप शुरु हो जाएँ और आजमाएँ. पर फिर जाहिर है आप अपनी सबसे बड़ी, सबसे केंद्रीयकृत परियोजना को आयात कर इसे न आजमाएँ चूंकि इससे फिर सारा तंत्र स्थिर हो जाएगा और फिर हर कोई अप्रसन्न भी हो जाएगा.
तो कोई भी स्थिर बुद्धि का व्यक्ति आपको यह सलाह नहीं देगा कि आप रातोंरात सबकुछ जीआईटी पर ले आएँ, और लोगों को अपना वातावरण बदलने को मजबूर करें. नहीं. आपको कंपनी के भीतर की छोटी परियोजनाओं से शुरूआत करनी चाहिए – संभवतः कुछ ऐसी परियोजनाओं से जिसे कोई एक समूह नियंत्रित करता व मेंटेन करता है. और उसे जीआईटी में परिवर्तित करना चाहिए. इस तरह से आप लोगों को नए मॉडल से अभ्यस्त बना सकते हैं और आप जानकारों का एक कोर ग्रुप बना सकते हैं जिन्हें जीआईटी के कार्य का पूरा ज्ञान हो जाएगा कि उसे कंपनी के भीतर कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है.
फिर आप उसे बढ़ाते रह सकते हैं. पर एक बार में नहीं. धीरे-धीरे आप अधिक से अधिक परियोजनाओं को आयात कर सकते हैं और यदि आपकी कंपनी के पास ‘एक बड़ा रिपॉसिटरी’ मॉडल हो तो आप निश्चित रूप से उस रिपॉसिटरी को मॉड्यूल सेट के रूप में रख सकते हैं क्योंकि कार्य करने वाला मॉडल ये नहीं हो सकता कि हर कोई हर चीज़ की (जब तक कि ‘सबकुछ’ बहुत विशाल न हो) जाँच परख करे.
तो आपको मूलत: एक बार में एक मॉड्यूल से परिवर्तन करना चाहिए उस बिन्दु तक, जहाँ आप समझते हैं कि अब आप जीआईटी में बाक़ी का सारा कुछ परिवर्तित कर सकते हैं (या ‘बाक़ी’ बचा इतना लीजेसी हो कि उसकी किसी को चिन्ता न हो).
जीआईटी की एक बढ़िया विशेषता ये है कि यह बहुत सारे अन्य एससीएम के साथ बख़ूबी काम आता है. और बहुत सारे जीआईटी उपयोक्ता इसे इसी तरह इस्तेमाल करते हैं: ‘वे’ जीआईटी का इस्तेमाल करते होते हैं परंतु कभी जो लोग काम कर रहे होते हैं उन्हें ये भान नहीं होता कि वे जीआईटी में काम कर रहे हैं क्योंकि परिणाम लीजेसी एससीएम के ज़रिए प्रचारित होता है.
प्र: हाल ही में आपने सबवर्सन और सीवीएस को लताड़ा है, उनके मूल ढांचे पर प्रश्नचिह्न लगाकर. अब चूंकि आपको सबवर्सन समुदाय से प्रतिक्रिया हासिल हो चुकी है, क्या आप के विचारों में सुधार हुआ है या आप अभी भी उनके विचारों के कायल नहीं हुए हैं?
लिनुस: मैं सशक्त वक्तव्य देने में विश्वास करता हूँ, क्योंकि तब मैं परिचर्चा को दिलचस्प देखता हूँ. दूसरे शब्दों में मैं ‘बहस’ को पसन्द करता हूँ. अविवेकी बहस को नहीं, पर निश्चित रूप से मैं प्लेटोनिक चर्चा के बजाए गर्मागर्म बहस को पसंद करता हूँ
और सशक्त तर्क रखने पर कभी-कभी बहुत ही वैध खण्डन प्राप्त होता है, और तब मैं ख़ुशी से कहता हूँ: “ओह, हाँ, आप सही हैं.”
पर, नहीं, ऐसा एसवीएन/सीवीएस में नहीं हुआ. मुझे शक है कि बहुत से लोग सीवीएस को पसंद नहीं करते हैं तो किसी को सीवीएस के पक्ष में तर्क देने की आशा नहीं करता. और जबकि कुछ लोगों ने मुझसे कहा कि मुझे एसवीएन के विरुद्ध इतना अशिष्ट नहीं होना चाहिए था (परंतु, भाई ये भी स्पष्ट है - मैं कोई बहुत शिष्ट व्यक्ति भी नहीं हूँ!)
एसवीएन, जहाँ तक मैं समझता हूँ ‘बहुत बढ़िया’ है का एक आदर्श उदाहरण है. लोग इसके अभ्यस्त हैं, और ये काफी लोगों के लिए ‘बहुत बढ़िया’ है. परंतु ये बहुत बढ़िया उसी अभिप्राय में है जिसमें डॉस (DOS) और विंडोज़ को ‘बहुत बढ़िया’ कहा जाता है. तकनॉलाजी बढ़िया नहीं है, परंतु चूंकि यह हर तरफ उपलब्ध है, लोग बहुतायत से इस्तेमाल करते हैं, आम लोगों के लिए बढ़िया काम करता है और जो लोग इस्तेमाल करते हैं वे इससे खासे परिचित हैं. परंतु बहुत ही कम लोग इस पर गर्व करते हैं या इससे उत्तेजित होते हैं.
जबकि दूसरी तरफ जीआईटी के पीछे ‘यूनिक्स दर्शन’ है. यह यूनिक्स की तरह नहीं, बल्कि असली यूनिक्स की तरह है और इसके पीछे यही मूलभूत विचारधारा है. यूनिक्स के लिए दर्शन है/था, ‘सभी कुछ एक फाइल है’. जीआईटी के लिए, यह है, ‘कंटेंट एड्रेसेबल डेटाबेस में सबकुछ एक ऑब्जेक्ट है’.
प्र: ट्रांसमेटा में क्या कभी आल्टरनेट इंस्ट्रक्शन सेट इम्प्लीमेंटेशन पर प्रयोग किये गये? [ट्रांसमेटा क्रूसो चिप को सॉफ्ट सीपीयू के रूप में देखा जाता है – लोगों को यह बरो बी1000 इंटरप्रेटिव मशीन की याद दिलाता है जो कि वास्तव में बहुत से आभासी मशीनों का औज़ार है. जहाँ एक मशीन सिस्टम सॉफ़्टवेयर के लिए होता है, दूसरा कोबॉल के लिये, तीसरा फोरट्रॉन के लिये... यदि यह सही है तो कोई भी बरो 6/7000 या एचपी3000 जैसा स्टैक ढाँचा या जेवीएम के लिए उचित इंस्ट्रक्शन सेट इत्यादि उस चिप पर बना सकता है]
लिनुस: हमारे पास कुछ वैकल्पिक इंसट्रक्शन सेट तो वास्तव में हैं, और मैं उन पर बोलने बताने के लिए अधिकृत नहीं हूँ, फिर भी मैं इतना तो कह ही सकता हूँ कि हम इंसट्रक्शन सेट को मिलाने के लिए आम प्रदर्शन कर चुके हैं. हम तकनॉलाजी के प्रदर्शन के रूप में बता चुके हैं कि आप x86 इंस्ट्रक्शनों को जावा बाइट कोड (वास्तव में यह एक थोड़ा सा विस्तारित पिको-जावा आईआईआरसी था) के साथ साथ चला सकते हैं.
जो अनुप्रयोग हमने दिखाया था वो था लिनक्स के ऊपर डूम को चलाना, जहाँ लिनक्स का हिस्सा मानक x86 वितरण था, परंतु डूम की बाइनरी एक विशेष रूप से कम्पाइल किया गया संस्करण था जहां इस खेल के हिस्से को पिको-जावा से कम्पाइल किया गया था. तथा सीपीयू इन दोनों को एक ही तरह से चला रहा था – जेआईटी के रूप में नेटिव वीएलआईडबल्यू इंस्ट्रक्शन सेट के रूप में.
(डूम को इस लिए प्रदर्शित किया गया था चूंकि इसका स्रोत कोड उपलब्ध था, तथा इस खेल का कोर भाग पर्याप्त छोटा था जो डिमॉस्ट्रेशन के लिए सेटअप करने में उपयुक्त था – तथा ये देखने में दिलचस्प भी था.)
वैसे तो भीतर और भी बहुत सी चीजें चल रही हैं, परंतु मैं उनके बारे में बोल-बता नहीं सकता. और मैं जावा के साथ व्यक्तिगत रूप से जुड़ा भी नहीं हूँ.
प्र: लिनक्स के लिए इतने सारे वितरण सही हैं या गलत? चुनाव तो ठीक हैं, परंतु किसी को इतने भी विकल्प चुनने के लिए नहीं दिए जाने चाहिएँ. सैकड़ों वितरणों को बनाने में जितने आदम-घंटे इस्तेमाल में आते हैं उनका बेहतर उपयोग किया जा सकता है जैसे कि एक साथ किसी एंटरप्राइज में आएं और एमएस को चुनौती दें यदि वे कुछ कम वितरणों (जैसे कि एक इस्तेमाल के लिए एक) पर काम करें? इस पर आपके दृष्टिकोण क्या हैं?
लिनुस: मेरे विचार में बहुत सारे वितरण मुक्त स्रोत के अपरिहार्य भाग हैं. और क्या ये भ्रमित करते हैं? निश्चित रूप से. क्या ये अक्षम होते हैं? हाँ. परंतु मैं यहाँ राजनीति से तुलना करना चाहूँगा: ‘प्रजातंत्र’ में इसी तरह के भ्रमित विकल्प होते हैं, और इनमें से कोई भी विकल्प आवश्यक रूप से वो नहीं होते जो आप ‘वास्तव’ में चाहते होते हैं, और कभी कभी आप सोचते हैं कि चीजें ज़्यादा आसान और सफल होतीं यदि आपको चुनाव, विभिन्न पार्टी, गठबंधन इत्यादि के उलझनों से जूझना नहीं पड़ता.
और, अंत में आपका चुनाव अक्षमता युक्त हो सकता है, पर यह हर एक को ‘कुछ हद तक’ इमानदार बने रहने में मदद करता है. हम सभी संभवतः ये चाहते हैं कि हमारे राजनीतिज्ञ थोड़े ज़्यादा ईमानदार होते जितने कि वे हैं, तो इसी तर्ज पर हम चाहते हैं कि विभिन्न लिनक्स वितरणों में कुछ अन्य विकल्प भी होते जितने कि अभी हैं. बिना ऐसे विकल्पों के शायद हम और भी खराब हो सकते थे.
प्र: 386 बीएसडी जिसमें से नेटबीएसडी, फ्रीबीएसडी और ओपनबीएसडी बनाया गया है, वो लिनक्स से पहले था परंतु 386बीएसडी और उनके व्युत्पन्नों से कहीं ज़्यादा लिनक्स फैल गया. तो इस हेतु आप लाइसेंस के चुनाव या फिर डेवलपमेंट प्रक्रिया – किसको श्रेय देना चाहेंगे? क्या आप ये नहीं सोचते कि जीपीएल3, जीपीएल2 से ज़्यादा अच्छे से स्वतंत्रता की संरक्षता करेगी जिसकी वजह से लिनक्स अबतक बीएसडी से बेहतर रहा है?
लिनुस: मैं समझता हूँ कि दोनों ही चीजें हैं – लाइसेंस की समस्या तथा समुदाय व पर्सनॉलिटी की समस्या. बीएसडी लाइसेंस ने हमेशा अलग वितरण को प्रेरणा दी है, परंतु इसका ये भी अर्थ है कि यदि कोई अलग वितरण व्यापारिक रूप से बढ़िया सफल हो गया है तो वो वापस जुड़ नहीं सकता. और यदि ये वास्तव में नहीं भी होता है (वैसे ये हो चुका है बीएसडीआई के केस में), तो लोग आपस में एक दूसरे का ‘भरोसा’ ज़्यादा नहीं करते हैं.
इसके विपरीत, जीपीएल2 में हालाँकि अलग वितरण की प्रेरणा तो दी जाती है, परंतु इस बात के लिए भी प्रेरित किया जाता है कि (और, ‘आवश्यक’ रूप से चाहा जाता है) वे वापस लौटकर जुड़ने की काबिलियत रखें. तो आपके पास पूरे नए स्तर का भरोसा होता है: आप प्रत्येक जुड़े हुए व्यक्ति को ‘जानते’ हैं जो लाइसेंस शर्तों से बंधे होते हैं और वे आपका लाभ नहीं उठा सकते.
तो मैं देखता हूँ कि जीपीएल2 ऐसा लाइसेंस है जो लोगों को अधिकतम संभावित स्वतंत्रता देता है – इस आवश्यकता के भीतर कि आप हमेशा वापस लौटकर आपस में जुड़ सकते हैं. स्रोत कोड में विकास के लिये कोई भी आपको रोक नहीं सकता.
तो क्या बीएसडी लाइसेंस और भी ज़्यादा ‘मुक्त’ है? हाँ. प्रश्न ही नहीं उठता. परंतु मैं अपने किसी भी परियोजना के लिए बीएसडी लाइसेंस नहीं चाहूँगा चूंकि मैं सिर्फ़ स्वतंत्रता नहीं चाहता, मैं भरोसा और विश्वास भी चाहता हूँ ताकि मैं उन कोड का इस्तेमाल कर सकूं जो दूसरों ने मेरी परियोजनाओं के लिए लिखे हैं.
तो मेरे लिए जीपीएल2 एक बढ़िया, संतुलित लाइसेंस है कुछ इस तरह – ‘उतना मुक्त जितना आप इसे बना सकते हैं’ इस बात को ध्यान में रखते हुए कि मैं चाहता हूँ कि हर कोई एक दूसरे पर भरोसा कर सकें व हमेशा स्रोत कूट प्राप्त कर सकें व इस्तेमाल कर सकें
और इसीलिए मैं जीपीएल3 को बहुत ही बेकार लाइसेंस मानता हूँ. यह भरोसे के लायक नहीं है कि “स्रोत कूट को वापस प्राप्त किया जाए”, यह इस रूप में अपभ्रष्ट भी हो चुका है – “मैंने कोड लिखा है तो मेरा नियंत्रण इस पर भी हो सकेगा कि आप इसका कैसे इस्तेमाल करते हैं”
दूसरे शब्दों में, मैं यह सोचता हूँ कि जीपीएल3 पूरी तरह क्षुद्र और स्वार्थी है. मेरे विचार में जीपीएल2 में ‘मुक्त’ तथा ‘विश्वास’ का बढ़िया संतुलन है. यह उतना मुक्त नहीं है जितना बीएसडी लाइसेंस हैं, पर ये आपको मन की शांति प्रदान करते हैं और उस बात से मेल खाते हैं जिन्हें मैं ‘ईंट का जवाब पत्थर’ कहता हूँ. मैंने आपको स्रोत कूट दिया, बदले में आपने मुझे (परिवर्तित) स्रोत कूट दिया.
जीपीएल3 इस स्रोत कूट के ‘उपयोग’ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है. अब ये कुछ इस तरह है- “मैंने आपको स्रोत कूट दिया और आपने इसका इस्तेमाल किया, तो आप मुझे अपने उपकरणों को मेरे द्वारा हैक करने की अनुमति दें” देखा? मेरी नजर में बहुत ही क्षुद्रता और नीचताई है यह.
प्र: अब चूंकि जीपीएल3 को अंतिम रूप दे कर जारी कर दिया गया है, क्या आप ऐसी संभावित परिस्थिति देख पा रहे हैं कि आपको लिनक्स कर्नेल को इसमें ले जाने की कोई प्रेरणा मिले? या ये इतना खराब है कि आप कभी भी इस पर विचार नहीं करेंगे?
लिनुस: यह अपने आरंभिक ड्राफ़्ट से तो बहुत बेहतर है, और मैं ये भी नहीं सोचता कि यह भयंकर लाइसेंस है. मैं बस ये नहीं सोचता कि ये जीपीएल2 जैसे क़िस्म का ‘शानदार’ लाइसेंस है.
तो मैं देखता हूँ कि जीपीएल2 की अनुपस्थिति में मैं जीपीएल3 इस्तेमाल कर सकता हूँ. पर जब मेरे पास बढ़िया लाइसेंस है तो फिर मैं चिंता क्यों करूं?
इसका मतलब यह है कि मैं हमेशा व्यवहारिक रहना चाहूँगा, और ये भी सच है कि मैं सोचता हूँ कि यह कोई ‘श्वेत श्याम प्रश्न’ नहीं है कि जीपीएल3 उस तरह से बढ़िया लाइसेंस नहीं है जितना जीपीएल2 है. यह संतुलन की प्रक्रिया है. और यदि जीपीएल3 की अन्य खासियतें होंगी, और मान लिया कि वे खासियतें अच्छी खासी होंगी, तो संतुलन जीपीएल3 की तरफ भी पलट सकता है.
स्पष्ट तौर पर, ऐसी कोई बात मैं नहीं देख रहा हूँ, परंतु यदि सोलारिस को जीपीएल3 के अंतर्गत जारी किया जाता है, संभवतः अनावश्यक नॉन-कम्पेटिबल लाइसेंस समस्याओं को दूर रखने की वजह से तो ये एक बड़ा लाभ हो सकता है और संभवतः लिनक्स कर्नेल को जीपीएल3 के अंतर्गत री-लाइसेंस आजमाया जा सकता है.
पर मुझे गलत मत समझें – मैं सोचता हूँ कि यह असंभावित है. पर मैं यहाँ साफ कर देना चाहता हूँ कि मैं किसी लाइसेंस के लिए कट्टर नहीं हूँ. मैं बस ये सोचता हूँ कि जीपीएल2 साफ तौर पर एक बेहतर लाइसेंस है, परंतु लाइसेंस ही सबकुछ नहीं होते.
कुल मिलाकर, मैं बहुत से प्रोग्राम इस्तेमाल करता हूँ जो विभिन्न लाइसेंसों के अंतर्गत जारी किये गए हैं. मैं अपनी कोई नयी परियोजना बीएसडी (या X11-MIT) लाइसेंस में नहीं रखूंगा जबकि मैं जानता हूँ कि ये बहुत बढ़िया लाइसेंस है और यह भी हो सकता है कि दूसरी परियोजनाओं के लिए एकदम सही लाइसेंस हो.
प्र: ऑपरेटिंग सिस्टम दिनों दिन कम महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं. आपने पहले भी कई मर्तबा कहा है कि कम्प्यूटर उपयोक्ता को ये जरूरी नहीं है कि उसे ऑपरेटिंग सिस्टम ‘दिखाई’ दे. ये तो अनुप्रयोग होते हैं जिनका अर्थ होता है. ब्राउजर आधारित अनुप्रयोग जैसे कि गूगल के मूल ऑफिस आधारित अनुप्रयोग अपनी क्षमता दिखाने लगे हैं. आप क्या सोचते हैं - ऑपरेटिंग सिस्टम कहाँ जा रहे हैं?
लिनुस: मैं ‘ब्राउजर ओएस’ में विश्वास नहीं करता चूंकि मैं ये सोचता हूँ कि लोग हमेशा कुछ न कुछ काम ऑफलाइन, स्थानीय स्तर पर अपने कम्प्यूटर पर करेंगे. शायद सुरक्षा या निजता की वजह से. और भले ही इंटरनेट कनेक्शन अब चहुंओर मिल रहा है, यह ‘हरओर’ तो नहीं ही है.
तो मैं सोचता हूँ कि ये पूरा ‘वेब ओएस’ आंशिक रूप से सत्य तो है, पर कुछ दूसरे लोग इसे नकारते हैं कि ऑपरेटिंग सिस्टम तो दशकों से उपलब्ध हैं और ये क्षेत्र स्थिर और जाना पहचाना है. लोग ये नहीं चाहते कि ऑपरेटिंग सिस्टम जादुई तरीके से बदल जाए: ये ऐसा नहीं है कि 60 के दशक के लोग ‘बेवकूफ’ थे या ‘उस’ जमाने में हार्डवेयर बहुत अलग क़िस्म के थे!
इस तरह से, मैं कोई क्रांति की उम्मीद नहीं करता. मेरे विचार में ओएस जो कर रहे हैं वो करते रहेंगे और हम निश्चित रूप से जहाँ उत्कृष्ट होते रहेंगे, मैं नहीं सोचता कि वे पूरी तरह से बदल जाएंगे. जो पूरी तरह से बदलेगा वो इंटरफेस होगा और जो काम आप ऑपरेटिंग सिस्टम के ऊपर करते हैं वो बदलेगा (और ऑपरेटिंग सिस्टम में कार्य करने वाले हार्डवेयर भी दिनोंदिन परिष्कृत होते रहेंगे) और लोग जाहिरा तौर पर इसी की परवाह करते हैं
ऑपरेटिंग सिस्टम? यह वो अदृश्य वस्तु है जो चीज़ों को संभव बनाता है. आपको इसके बारे में चिंता ही नहीं करनी चाहिए जब तक कि आपको इस बारे में जानने की दिलचस्पी न हो कि मशीन के भीतर क्या चल रहा है.
प्र: अंतिम बार मैंने सुना था कि आप पीपीसी जी4/5 मशीन अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिये प्रयोग करते हैं. अब आप क्या इस्तेमाल कर रहे हैं और क्यों?
लिनुस: मैंने पावरपीसी का इस्तेमाल छोड़ दिया है क्योंकि अब कोई इस पर विकास नहीं कर रहा है, और खास तौर पर जब एक्स86-64 की विशाल क्षमताओं को नकारा नहीं जा सकता. तो हाल फिलहाल मैं एक कोर 2 ड्यूओ युक्त बॉग-मानक पीसी इस्तेमाल कर रहा हूँ.
किसी अन्य आर्किटेक्चर को इस्तेमाल करना मजेदार होता है (अपने पुराने दिनों में कई वर्षों तक मैंने अल्फा का इस्तेमाल अपने मुख्य आर्कीटेक्चर के रूप में किया था, तो ये भी कोई पहली बार नहीं था), परंतु सामान के रूप में सीपीयू जहाँ हैं, वहीं हैं. जो भविष्य में कभी x86 आर्किटेक्चर को प्रतिस्थापित कर सकेगा – यानी कुछ ऐसा जो x86 को अपने मुख्य आइएसए के रूप में आने वाले दशक में इस्तेमाल से बाहर कर देगा - वो मेरे विचार में एआरएम होगा – जिसके लिए बाजार के मोबाइल उपकरणों (की लोकप्रियता) को धन्यवाद देना होगा.
प्र: लिनक्स का अर्थ आपके लिए क्या है – एक शौक, एक दर्शन, जीवन का अर्थ, नौकरी, सबसे अच्छा ऑपरेटिंग सिस्टम, या कुछ और...?
लिनुस: यह ऊपर के सभी में से कुछ कुछ है. यह शौक है मेरा, परंतु भीतर से बहुत ही मायने रखने वाला. सबसे बेहतरीन शौक वे होते हैं जिनके लिए आप ‘वास्तव’ में भीतर से ध्यान देते हैं. और, आजकल तो ये जाहिरा तौर पर मेरी नौकरी ही है, और मैं खुश हूँ कि मैंने इन सब को एक साथ जोड़ रखा है.
मैं ‘दर्शन’ के बारे में नहीं जानता, और मैं लिनक्स पर काम किसी गहरी चारित्रिक या दार्शनिक वजहों से नहीं करता (मैं इसमें काम करता हूँ क्योंकि यह मेरे लिए खासा दिलचस्प और मजेदार होता है), पर निश्चित रूप से यह कारण हो सकता है कि भीतरी कारणों से मैं मुक्त स्रोत की प्रशंसा करता हूँ कि क्यों ये काम करते हैं.
प्र: चूंकि लिनक्स कर्नेल का विकास आपके ऊपर पूरी तरह से निर्भर है, आपने इसे अपने बग़ैर प्रगति पथ पर अग्रसर बने रहने के लिये किस तरह से संगठित करने की प्लानिंग की है – उस परिस्थिति में जब आप अपने जीवन और परिवार को अधिक समय देने का निर्णय ले लें.
लिनुस: मुझे बहुत पहले से यह भान हो गया है कि लिनक्स मुझसे बहुत बड़ा हो गया है. हां, मैं तात्कालिक तौर पर अभी भी इसमें पूरी तरह से लगा हुआ हूँ, और नित्य प्रति के मेरे काम में इसका असर है और मैं एक ऐसे व्यक्ति के रूप में हूँ जो कर्नेल सक्रियता के केंद्रीय पात्र के रूप में कुछ मायनों में देखा जाता हूँ, फिर भी, नहीं – मैं यह नहीं कहूँगा कि लिनक्स मुझ पर ‘भारी निर्भर’ है.
तो यदि मुझे हार्ट अटैक हो जाता है और कल को मैं नहीं रहता हूँ (ख़ुशी की बात है कि इसकी संभावना नहीं है: मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ), तो लोग इस बात को तो अवश्य नोट करेंगे, परंतु अभी ही सिर्फ़ कर्नेल को देखने भालने के लिए हजारों लोग लगे हुए हैं उनमें से कई ऐसे हैं जो बिना किसी गड़बड़ी के मेरी जगह ले सकते हैं.
---
परिशिष्ट : अति संक्षिप्त लिनक्स मेनुअल
उपयोगी लिनक्स कमांडों की संक्षिप्त सूची
लिनक्स चालू व बंद करना
shutdown -h now
सिस्टम को बंद करता है (रीबूट नहीं करता)
halt
सभी प्रोसेस को बंद करता है – ऊपर के कमांड जैसा ही
shutdown -r 5
सिस्टम को 5 मिनट में बन्द करता है और फिर से चालू करता है
shutdown -r now
सिस्टम को तत्काल बन्द करता है और फिर से चालू करता है
reboot
सभी प्रोसेस बन्द करता है और सिस्टम को फिर से चालू करता है. ऊपर के कमांड जैसा ही
startx
X सिस्टम चालू करता है
फ़ाइल सिस्टम पर पहुँच और उन्हें माउन्ट करना
mount -t iso9660 /dev/cdrom
सीडी रॉम उपकरण /mnt/cdrom को माउन्ट करता है तथा उसे
/mnt डिरेक्ट्री में cdrom नाम देता ह
mount -t msdos /dev/hdd
हार्डडिस्क “d” को /mnt/ddrive में एमएसडॉस फ़ाइल सिस्टम में माउन्ट करता है तथा उसे /mnt डिरेक्ट्री में ddrive नाम देता है
mount -t vfat /dev/hda1
हार्डडिस्क “a” को vfat फ़ाइल सिस्टम /mnt/cdrive के रूप में माउन्ट करता है तथा उसे /mnt डिरेक्ट्री में cdrive नाम देता है.
umount /mnt/cdrom
सीडी रॉम को अनमाउन्ट करता है.
फ़ाइलें ढूंढना तथा फ़ाइलों में पाठ ढूंढना
find / -name fname
रूट डिरेक्ट्री से ढूंढना प्रारंभ करते हुए fname नाम की फ़ाइल को ढूंढता है.
find / -name ”*fname*”
रुट डिरेक्ट्री से प्रारंभ करते हुए उस फ़ाइल को ढूंढता है जिसमें fname वाक्यांश रहता है
locate missingfilename
locate कमांड से missingfilename नाम की फ़ाइल को ढूंढता है. यह समझता है कि आपने पहले ही updatedb कमांड प्रयोग कर लियाहै (अगला देखें)
updatedb
लिनक्स रुट डिरेक्ट्री से संलग्न तमाम फ़ाइल सिस्टमों के डाटाबेस बनाता या अपडेट करता है
which missingfilename
वह उप-डिरेक्ट्री को दिखाता है जिसमें missingfilename नाम की फ़ाइल होती है.
grep textstringtofind
dir नाम की उस डिरेक्ट्री से जो /dir से चालू होती है, सभी फ़ाइलों के लिए देखता व उनकी सूची देता है जिसमें textstringtofind पाठ होता है
एक्स विंडो सिस्टम
xvidtune
एक्स ग्राफ़िक्स ट्यूनिंग औज़ार चलाता है
XF86Setup
पुराने तंत्रों में ग्राफ़िक कार्ड को प्रॉब करने के लिए एक्स कॉन्फ़िगरेशन मेन्यू चलाता है.
Xconfigurator
एक और प्रोग्राम जो तंत्रों में ग्राफ़िक कार्ड को प्रॉब करने के लिए एक्स कॉन्फ़िगरेशन मेन्यू चलाता है.
xf86config
पाठ आधारित एक्स कॉन्फ़िगरेशन मेन्यू चलाता है.
फ़ाइलों को खिसकाना, नकल करना, मिटाना तथा देखना
ls -l
फ़ाइलों को वर्तमान डिरेक्ट्री में लंबे फ़ॉर्मेट में सूची देता है
ls -F
फ़ाइलों को वर्तमान डिरेक्ट्री में सूची देता है तथा फ़ाइल की क़िस्म बताता है
ls -laC
फ़ाइलों को वर्तमान डिरेक्ट्री में लंबे फ़ॉर्मेट में सूची देता है तथा उन्हें स्तम्भ में दिखाता है
rm name
name नाम की फ़ाइल या डिरेक्ट्री को मिटाता है
rm -rf name
name नाम की संपूर्ण डिरेक्ट्री तथा इसके भीतर की सभी फ़ाइलों व उप-डिरेक्ट्री को मिटाता है
cp filename
filename नाम की फ़ाइल को /home/dirname डिरेक्ट्री में नकल बनाता है
mv filename
filename नाम की फ़ाइल को /home/dirname डिरेक्ट्री में खिसकाता है
cat filetoview
filetoview नाम की फ़ाइल की सामग्री (पाठ) को दिखाता है
man -k keyword
keyword वाले मैनुअल पृष्ठों को दिखाता है
more filetoview
filetoview फ़ाइल को एक बार में एक पेज दिखाता है – स्पेस बार से अगले पेज पर जाने की सुविधा देता है
head filetoview
filetoview नाम के फ़ाइल के पहले 10 लाइनों को दिखाता है
head -20 filetoview
filetoview नाम के फ़ाइल के पहले 20 लाइनों को दिखाता है
tail filetoview
filetoview नाम के फ़ाइल के आखिरी 10 लाइनों को दिखाता है
tail -20 filetoview
filetoview नाम के फ़ाइल के आखिरी 20 लाइनों को दिखाता है
लिनक्स में सॉफ़्टवेयर संस्थापित करना
apt-get install packagename
packagename नाम के सॉफ़्टवेयर को इंटरनेट से डाउनलोड कर संस्थापित करता है.
apt-get update
इंटरनेट से नवीन पैकेजों सॉफ़्टवेयरों की नवीनतम जानकारी प्राप्त करता है.
apt-get upgrade
आपकी उबुन्टु संस्थापना को अपग्रेड करता है.
apt-get remove packagename
packagename नाम के पैकेज को अनइंस्टॉल करता है.
tar -zxvf archive.tar.gz
archive नाम की फ़ाइल को असंपीडित करता है
tar -zxvf archive.tgz
archive नाम की फ़ाइल को असंपीडित करता है
./configure
कम्पाइलिंग के लिए स्क्रिप्ट को चलाता है
प्रयोक्ता प्रबंधन
adduser accountname
accountname नाम के नए प्रयोक्ता को जोड़ता है
passwd accountname
accountname प्रयोक्ता के लिए नया पासवर्ड देता है
su
वर्तमान लॉगिन से सुपर यूजर (रूट) में बदलता है
exit
सुपर यूजर (रुट) से बाहर होकर सामान्य प्रयोक्ता में बदलता है
कुछ छोटे टिप्स एवं ट्रिक्स
ifconfig
मशीन के सारे उपकरणों के आईपी पता की सूची देता है
apropos subject
subject के लिए मैनुअल पृष्ठों की सूची देता है
usermount
फ़ाइल सिस्टम को माउन्ट करने के लिए ग्राफिकल प्रोग्राम को चलाता है
/sbin/e2fsck hda5
हार्डडिस्क पार्टीशन hda5 में फ़ाइल सिस्टम जाँच प्रोग्राम को चलाता है
fdformat /dev/fd0H1440
उपकरण fd0 में फ्लॉपी डिस्क को फ़ॉर्मेट करता है
tar -cMf /dev/fd0
वर्तमान डिरेक्ट्री व सबडिरेट्री की सामग्री को बैकअप करता है मल्टीपल फ्लॉपी डिस्कों में बैकअप करता है
tail -f /var/log/messages
सिस्टम लॉग के आखिरी 10 लाइनों को दिखाता है
cat /var/log/dmesg
बूट होते समय दिखाने वाले संदेशों वाली फ़ाइल को दिखाता है – समस्याओं की पड़ताल के लिए उपयोगी. वैकल्पिक रूप से आप
dmesg कमांड का प्रयोग कर सकते हैं.
*
वाइल्ड कार्ड जो समस्त चीज़ों के लिए प्रयोग में लिया जाता है. उदाहरण के लिए, cp from/* to कमांड from डिरेक्ट्री से to डिरेक्ट्री में सारी सामग्री को कॉपी कर देगा
?
एकल अक्षर वाइल्डकार्ड. उदाहरण -
cp config.? /configs कमांड
वर्तमान डिरेक्ट्री की config. नाम की सारी फ़ाइलों को
Configs डिरेक्ट्री में नक़ल बनाता है
[xyz]
विशिष्ट वाइल्डकार्ड – उदाहरण -
ls [xyz]* कमांड वर्तमान डिरेक्ट्री के सभी फ़ाइलों को दिखाएगा जो
x, y, या z अक्षर से प्रारंभ होते हैं.
linux single
बूट प्राम्प्ट पर कुछ विशिष्ट लिनक्स संस्करणों में सिंगल यूजर मोड में बूट होने की सुविधा प्रदान करता है. यह आपको आपका पासवर्ड रिकवर करने की सुविधा देता है. इस मोड में बूट करें और passwd कमांड के ज़रिए अपना पासवर्ड बदलें.
ps
वर्तमान प्रोसेस की सूची दिखाता है
kill 123
विशिष्ट नंबर 123 युक्त प्रोसेस को बन्द करत है.
कॉन्फ़िगरेशन फ़ाइलें तथा वे क्या करती हैं -
/etc/profile
सभी उपयोक्ताओं के लिए सिस्टम वाइड वातावरण वेरिएबल.
/etc/fstab
उपकरणों की सूची तथा उससे सम्बद्ध माउन्ट पाइंट. सीडी रॉम, डॉस पार्टीशन इत्यादि को स्टार्टअप के समय जोड़ने के लिए इस फ़ाइल को संपादित करें
/etc/motd
सभी उपयोक्ताओं के लिए लॉगिन के समय दिन का स्वागत संदेश.
etc/rc.d/rc.local
डॉस के autoexec.bat जैसा बैश स्क्रिप्ट जो लॉगिन प्रक्रिया के बाद चलाया जाता है.
/etc/HOSTNAME
डोमेन सहित पूरा होस्टनाम यहाँ रहता है.
/etc/cron.*
यहाँ 4 डिरेक्ट्री होती हैं जो इस डिरेक्ट्री के भीतर रखे सारे स्क्रिप्टों को घंटा, दिन, सप्ताह या मासिक आधार पर चलाया जाता है.
.
/etc/hosts
मशीन को ज्ञात सारे आईपी व होस्ट नाम की सूची
.
/etc/httpd/conf
अपाचे वेब सर्वर के लिए पैरामीटर
/etc/inittab
जिस रन लेवल पर कम्प्यूटर को बूट होना है उसे इस फ़ाइल में निर्धारित किया जाता है
.
/etc/resolv.conf
आईपी पता व डीएनएस सर्वरों को पारिभाषित किया जाता है.
/etc/smb.conf
साम्बा सर्वर का कॉन्फ़िगरेशन फ़ाइल. माइक्रोसॉफ़्ट क्लाएंट के साथ फ़ाइल व प्रिंट साझा करता है
.
/etc/X11/XF86Config
एक्स विंडोज़ के लिए कॉन्फ़िगरेशन फ़ाइल
~/.xinitrc
एक्स के द्वारा लोड किए जाने वाले विंडो प्रबंधक को पारिभाषित करता है
. उपयोक्ता के होम डिरेक्ट्री को ~ चिह्न दिखाता है.
फ़ाइल अनुमतियाँ
यदि कमांड ls -l दिया जाता है तो फ़ाइल नामों की लंबी सूची प्रस्तुत की जाती है. सबसे पहला स्तम्भ फ़ाइल के लिए उपलब्ध अनुमतियों को बताता है. यदि किसी मालिक के लिए फ़ाइल की अनुमति नहीं है तो वह – द्वारा इंगित की जाती है जैसे कि - drwxr-x—x
फाइल अनुमतियाँ
पढ़ना = 4
लिखना = 2
चलाना = 1
chmod 7 6 4 filename कमांड फ़ाइल
filename के लिए मालिक व समूह के लिए R+W+X सेट करेगा तथा अन्यों के लिए Rसेटअप करेगा
.
chmod 7 5 5
मालिक के लिए पूरी अनुमति, समूह के लिए पढ़ने व चलाने की अनुमति
.
chmod +x filename
filename को सभी प्रयोक्ताओं के लिए चलाने लायक बनाता है.
alt+ctrl+backspace-key
इससे आप त्वरित रूप से ग्राफिकल विंडो से बाहर होकर दोबारा लॉगिन विंडो में पहुँच जाएंगे.
पृष्ठभूमि
स्क्रीन रीफ्रेश करने के लिए - Shift|Control Altr
एक्स टर्म चालू करने के लिए Shift|Control Altx
छपाई
/etc/rc.d/init.d/lpd start प्रिंट डेमन चालू करता है
/etc/rc.d/init.d/lpd stop प्रिंट डेमन बन्द करता है
/etc/rc.d/init.d/lpd प्रिंट डेमन की स्थिति बताता है
छपाई स्थिति
lpq छपाई कतार में लगे कार्यों को दिखाता है
lprm कतार में से छपाई कार्य को मिटाता है
lpr फ़ाइल को छापता है
lpc प्रिंटर नियंत्रक औज़ार
man subject | lpr मैनुअल पेज subject को सादा पाठ के रूप में छापता है
man -t subject | lpr
पोस्टस्क्रिप्ट आउटपुट के रूप में subject के मैनुअल पेजों को छापता है
printtool
एक्स प्रिंटर सेटअप इंटरफेस को चालू करता है
----
(समाप्त)
आपके ब्लॉग की बेहरतीन विषय वास्तु ने मुझे इसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया. इस ब्लॉग को लिखने के लिए धन्यवाद. कृपया मेरे ब्लॉग को देखे और अपनी राय दे. अत्यधिक प्रसन्नताहोगी.
हटाएंबहुत लम्बा था लेकिन पढ़ा…कुछ पल्ले पड़ा, कुछ नहीं…
हटाएंपढ़ा पूरा। गाइड देखने के बाद यही लगा कि लीनक्स आधारित सारे संचालन या प्रचालन तंत्र ग्रामीण क्षेत्रों में चलने लायक नहीं हैं क्योंकि नेट की सुविधा उतनी अच्छी नहीं है। वैसे वाइन के बारे में जानकर अच्छा लगा। विन्डोज से इधर स्विच किया जा सकता है। कुछ अनुप्रयोगों के बारे में जानकर मैं कुछ सहायता पा सका। बहुत बहुत धन्यवाद इसके लिए। लेकिन सौ प्रतिशत हिन्दी उबुन्टु नहीं हो सका है।
हटाएं