और इस चिट्ठे के 439! ये चित्र देखें- ये फ़ीड बर्नर फ़ीड काउंट के चित्र हैं जो अभी भारतीय समयानुसार 11 बजे दिनांक 19 जनवरी 2008 को लिया गया ह...
और इस चिट्ठे के 439!
ये चित्र देखें-
ये फ़ीड बर्नर फ़ीड काउंट के चित्र हैं जो अभी भारतीय समयानुसार 11 बजे दिनांक 19 जनवरी 2008 को लिया गया है. 4389 पाठक संख्या वाला चित्र रचनाकार का है और 439 आंकड़ा वाला चित्र इस चिट्ठे का है.
अगर ये सही है, तो ये तो वाकई कमाल है. परंतु ठहरिये. ये तो सीधा सीधा फ़ीडबर्नर की तकनीकी दिक्कत मालूम देती है. या फिर कोई स्पैमर इन्हें बॉट के जरिए सब्सक्राइ किए जा रहा है. ठंड रखिए. मामला सही होगा तो ये भी सेंसेक्स की तरह मुंह के बल गिरेगा. हिन्दी ब्लॉगों के पाठक इतने नहीं हैं. ये आंकड़ा हासिल करने में कोई पाँच साल और लगेंगे - मेरे चिट्ठे के 439 पहुँचने के लिए. रचनाकार के लिए कोई भविष्यवाणी नहीं, क्योंकि ये तो पाठकों व रचनाकारों का स्थल है.
यह हमारी नैनो कार नहीं है
हटाएंरचना कार है
हमें इस पर सवार रहना है
इसे खरीदने की जरुरत भी नहीं है
फिर भी हमारे पास है
इससे हम उतरते ही नहीं
इसी में बैठे रहते हैं
यह पंचर भी नहीं होती
इसके लिए पैटरोल भी नहीं चाहिए
इसके पहियों में हवा नहीं
पर यह उड़ती आसमां में है
उपर सदा रहती है
दिल दिमाग में बसती है
यादों में बहती है
यह रवि की
रचना की
रचना कार है
इसे पार्किंग की नहीं दरकार है
यह तो कम्प्यूटर पर बनी तार है
इसे नमन हमारा
बारंबार है।
रात में करीब एक डेढ़ बजे मैं रचनाकार के पुराने अंक खंगाल कर पढ़ रहा था तभी अचानक मेरी नज़र इसी बात पर गई कि रचनाकार के ई मेल पर सबस्क्राईबर 4389 हैं!
हटाएंतब ही चौंका मैं और सोचा कि कल सुबह आपको ई मेल कर पूछूंगा कि प्रभो, राज क्या आखिर इतने सबस्क्राईबर बनने का, गुर हमको भी दिजिए!
लेकिन ई मेल करने की नौबत ही नही आई और आपकी यह पोस्ट दिख गई!!
हालांकि समय-समय पर आपने अपनी पोस्ट के माध्यम से बहुत से गुर जाहिर किए है लेकिन फिर गुर तो आपसे सीखते ही रहना है।
रचनाकार का नियमित तो नहीं पर जब संगणक पर कुछ पढ़ने के लिए आता हूँ तो रचनाकार की रचनाओं को भी खंगालता हूँ। विविधता का संगम होने के कारण पाठक यहाँ खींचे चले आते हैं।
हटाएंरचनाकार पर कभी कभी आता हूं और पूरी रचना पढ कर जाता हूं। यह पोस्ट दिलचस्प रही ।
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