आपने अख़बारों, पत्रिकाओं में, पैम्प्लेटों में वर्गाकार पहेली आधारित नेटवर्क-गैरनेटवर्क व्यापार के विज्ञापन देखे सुनें होंगे, और हो सकता है क...
आपने अख़बारों, पत्रिकाओं में, पैम्प्लेटों में वर्गाकार पहेली आधारित नेटवर्क-गैरनेटवर्क व्यापार के विज्ञापन देखे सुनें होंगे, और हो सकता है कि हममें से कोई भला-मानुष कभी इनके ट्रैप में फंसा भी होगा.
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(ऊपर दिए खाने में प्रत्येक में शून्य अंक इस तरह भरें कि आड़ा तिरछा खड़ा किसी भी रूप में तीनों खानों का योग शून्य ही आवे. पहला ईनाम - 29 इंची रंगीन टीवी व लाखों रुपयों के अन्य पुरस्कार. सही उत्तर वाली सभी प्रविष्टियों को गारंटीड आकर्षक ईनाम - कैमरा/घड़ी चैन सिस्टम के अनुसार आधी कीमत में दिया जाएगा)
अब तैयार रहिए कुछ नए, नायाब, एसएमएस-मोबाइल बिजनेस के जालों में फंसने के लिए. वैसे, आप चाहें तो आप स्वयं इस तरह के कई बिजनेस शुरु कर सकते हैं.
हाल ही में एक अख़बार में ऐसा ही एक विज्ञापन मुझे देखने को मिला जिसमें कुछ इसी किस्म का खेल है. आपको बस एक सड़ियल किस्म के सवाल का जवाब एसएमएस से भेजना है. सही उत्तर वाली प्रविष्टियों में से एक लकी ड्रॉ निकाला जाएगा और उसके विजेता को एक मोबाइल फ़ोन ईनाम में दिया जाएगा.
प्रश्न सड़ियल है, तो हर कोई उसका उत्तर जानता है और चूंकि दाम सिर्फ लग रहे हैं 1-3 रुपए, और वादा किया जा रहा है कोई 3-5 हजार रुपए के शानदार मोबाइल के ईनाम का, तो लोग बाग़ इस लालच में फंस कर एकाध एसएमएस तो मार ही देंगे. अब विज्ञापन देने वाली कंपनी को चलिए कि मान लेते हैं, पूरे भारत भर से कोई 50 हजार एसएमएस प्राप्त होते हैं तो इसके एवज में उसे मोबाइल कंपनियों से तीस हजार रुपए मिल जाते हैं. विज्ञापन व अन्य खर्चा बीस हजार मान लिया तो कोई दस हजार शुद्ध बचते हैं. इसमें दो-तीन हजार का मोबाइल बतौर ईनाम यदि कंपनी बांट देती है तो भी उसके खाते में सात-आठ हजार शुद्ध बचते हैं – है न हींग लगे न फिटकरी...
और, ये तो मात्र एक अत्यंत क्षुद्र स्तर का उदाहरण दिया गया है. इसकी स्केलेबिलटी के आधार पर लाभ-हानि का अंदाजा आप लगा सकते हैं. एसएमएस आधारित सारेगामापा जैसे रीयलिटी शो भी कुछ ऐसे ही हैं! एक पूरा का पूरा प्ले चैनल एसएमएस के भरोसे चल रहा है. इसमें एक एंकर बेहूदा बकवास करता(ती) हुआ स्क्रीन पर प्रदर्शित उतने ही बेहूदा प्रश्न का उत्तर एसएमएस के जरिए भेजने के लिए दर्शकों को ललकारता है, पुचकारता है, आकर्षित करता है, प्रलोभित करता है, उकसाता है, और न जाने क्या क्या करता है.
मैंने भी अपना एक मोबाइल बिजनेस प्रारंभ कर ही दिया है. धांसू, झकास और पूरा रिटर्न देने वाला. आप मुझे मेरे मोबाइल नंबर पर एसएमएस करें. लकी ड्रा विजेता के चिट्ठाकार के किसी चिट्ठा पोस्ट को पोस्ट-नुमा प्रतिटिप्पणी प्रदान की जाएगी. प्रत्येक एसएमएस प्रविष्टियों को चैन-सिस्टम के अनुसार उनके एक पोस्ट पर 'बढ़िया है' नुमा टिप्पणी की गारंटी.
तो फिर देर किस बात की? मुझे एसएमएस अभी करें या फिर आप खुद अपना कोई बिजनेस लाएँ. मेरा मोबाइल बेताब है एसएमएस भेजने/प्राप्त करने को.
बहुत खूब साहेब
जवाब देंहटाएंसई है जी!!
जवाब देंहटाएंकिधर कू करने का एस एम एस!!
SMS भेज दिया:)
जवाब देंहटाएंलगता है आपने भी वर्ग पहेली भर ही रखी है कभी ना कभी
जवाब देंहटाएंअब बेकार में उसकी कसक एस एम् एस वाले भाई लोगों पर क्यों निकाल रहे हैं आप...
बेचारे समाज सेवा कर रहे हैं तो कराने दीजिये ना..
कॉम्पटिशन में आ रहे हैं आप-ये बात ठीक नहीं. :)
जवाब देंहटाएं"नाच मेरी बुलबुल के पैसा मिलेगा"
जवाब देंहटाएंईनाम के लालच में आम पब्लिक 'बुलबुल' बनाया चक्करघिन्नी का नाच नाच रही है और नाच नचाने वाली मदारी झोली भर-भर दौलत बटोर रहे हैँ क्योंकि...
"घूमती है दुनिया...घुमाने वाला चाहिए"
"नाच मेरी बुलबुल के पैसा मिलेगा"
जवाब देंहटाएंईनाम के लालच में आम पब्लिक 'बुलबुल' बनाया चक्करघिन्नी का नाच नाच रही है और नाच नचाने वाली मदारी झोली भर-भर दौलत बटोर रहे हैँ क्योंकि...
"घूमती है दुनिया...घुमाने वाला चाहिए"
असल में एसएमएस से केवल उन्हें ही असुविधा होती है जो पढ़ना और मिटाना नहीं जानते। जब उन्हें यह आ जाएगा तो फ़िर उन्हें लगेगा कि यह तो एक अनचाहे पोस्ट कार्ड की अपेक्षा अच्छा है। कितने अच्छे ऑफ़र मिलते हैं व कितना सकून मिलता है किसी से एसएमएस पाकर। हॉ यह जरूर है कि अनचाहा फ़ोन काल जरूर परेशान कर सकता है क्योंकि सामने वाले को जवाब देना जरूरी हो जाता है और तुरंत फ़ोन रिसीव करना भी जरूरी लगता है। जबकिस एसएमएस में ऐसा नहीं है वह तो लेटर बॉक्स की तरह के इनबॉक्स में आकर पड़ा रहता है व सुविधा अनुसार रीड किया जा सकता है। असल में अनचाहे काल व एसएमएस में अत्यधिक अंतर होता है। इन दोनो के लिये यानी एसएमएस और काल के लिये अलग अलग माफ़द्ण्ड होने चाहिये। अनचाहे होने पर भी। डू नॉट काल रजिस्ट्री भी दोनो के लिये अलग अलग होना चाहिये। - धनराज वाधवानी, राजवाड़ा , इन्दौर म.प्र.
जवाब देंहटाएंधनराज वाधवानी, राजवाड़ा
dwdw@rediffmail.com
nandlalstores.com
नाच मेरी बुलबुल के पैसा मिलेगा"
जवाब देंहटाएंईनाम के लालच में आम पब्लिक 'बुलबुल' बनाया चक्करघिन्नी का नाच नाच रही है और नाच नचाने वाली मदारी झोली भर-भर दौलत बटोर रहे हैँ क्योंकि...
"घूमती है दुनिया...घुमाने वाला चाहिए"