ये स्नैपशॉट क्या है – ये स्नैपशॉट? अभी मैं एक कुत्ते की पांय पांय पढ़ रहा था. तो मेरा माउस जहाँ कहीं भी इधर उधर विचरता, तहाँ तहाँ पांय पांय...
ये स्नैपशॉट क्या है – ये स्नैपशॉट?
अभी मैं एक कुत्ते की पांय पांय पढ़ रहा था. तो मेरा माउस जहाँ कहीं भी इधर उधर विचरता, तहाँ तहाँ पांय पांय करने लगता.
कारण?
कारण था एक एड ऑन – जिसका नाम है – स्नैपशॉट.
मैं खिसियाया हुआ सा टिप्पणी में भौंकने वाला ही था कि – अरे! वहां भी मेरे माउस पाइंटर ने क्लिक होने से पहले ही पांय पांय करना शुरू कर दिया.
फिर सोचा कि खालिस टिप्पणी से बात नहीं बनेगी. बात बिलकुल नहीं बनेगी. अभी आगे मुझे दर्जनों और चिट्ठों को पढ़ना है, और जरूरी नहीं है कि सभी मेरी उस भौंकी गई टिप्पणी को पढ़ लें. इसीलिए इस पोस्ट को लिखने का फैसला लिया. मगर, फिर ये भी जरूरी नहीं है लोगबाग इसे भी पढ़ें.
और, पढ़ कर इस पर विचार कर इसे लागू कर लें ये तो और दूर की बात है.
स्नैपशॉट – विचार बढ़िया है, परंतु है यह बहुत ही कष्टकारी, बहुत ही डिस्ट्रैक्टिंग, बेकार, नेटवर्क पर फ़ालतू का बोझा डालने वाला, और (मेरे जैसे) उपयोक्ता के किसी काम का नहीं.
आप टिप्पणी लिखने जाते हैं – तो क्लिक करने से पहले ही यह स्वक्लिक हो जाता है और दन्न से आपके सामने टिप्पणी करने वाले विंडो का स्नैपशॉट दिखाता है. आप सन्न रह जाते हैं और उसे देख कर सोचते हैं मैं उसका क्या करूं?
नीचे टिप्पणियों को पढ़ने स्क्रॉल करते हैं – आपका माउस पाइंटर टिप्पणीकर्ता के नाम के ऊपर सरकते सरकते कईयों के प्रोफ़ाइल दिखाता चलता है जिसे आप या तो किसी सूरत देखना नहीं चाहते या फिर कई-कई मर्तबा जबरदस्ती पहले से ही देख चुके होते हैं.
आप किसी लिंकित चिट्ठे की प्रविष्टियों को ध्यान से पढ़ते रहते होते हैं और आपका पाइंटर धोखे धड़ाके किसी लिंक पर चला जाता है तो सामने दन्न से स्नैपशॉट हाजिर हो जाता है – विंडोज के सदा-सर्वदा फ़ालतू, बेकार के टूल-टिप की तरह. पिल्ले का स्नैपशॉट पिल्ला दिखाता है. आप झुंझलाते हुए माउस पाइंटर को वहाँ से हटाते हैं – दुबारा उधर नहीं जाना माउस पाइंटर के बच्चे!
स्नैपशॉट. किसी चिट्ठे को, मेरे विचार में, डीग्रेड करने का उत्तम उपाय. मगर विरोधाभास ये है कि वादा किया जा रहा है – एनहैंस्ड विद स्नैपशॉट ‘टीएम’.
बहुतेई भौंक लिया भइए. परंतु, आलोचनाओं पर मेरे पिताजी अकसर उदाहरण दिया करते थे - कुत्ते भौंकते हैं, हाथी चलते हैं.
(डिस्क्लेमर लगाना जरूरी नहीं समझा – जैसा कि दीपक भारतदीप जी लगाते रहते हैं – क्योंकि ये सत्य घटना पर आधारित है. ज्ञानदत्त जी से क्षमा याचना सहित, दरअसल पिल्ले के पांय पांय से मेरे माउस पाइंटर के पांय पांय की तुक मिल गई इसीलिए यह चिट्ठा नमूने के तौर पर आ गया नहीं तो ऐसा ही, स्नैपशॉट युक्त कोई भी दूसरा चिट्ठा आ सकता था. वैसे, मेरे चिट्ठों पर लगे ढेरों विज्ञापन पर भी कुछ ऐसा ही, बढ़िया, धांसू लिखा जा सकता है. बस स्नैपशॉट को बदल कर एडसेंस कर दें. मगर, फिर, मैंने उदाहरण दिया ही है – ….हाथी चलते हैं :) )
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चलो मेरा विज्ञापन हो गया. घाटा यह हुआ कि मेरे पोस्ट पर टिप्पणी नहीं आई. :)
जवाब देंहटाएंसच है दुनियां में चिन्दियां बीनने को बहुत हैं, एकाग्रता की सामग्री कम है.
मैने भी कई साइटों मे स्नैप शाट देखा है. बड़ी परेशानी होती है ऐसी साइटो में.
जवाब देंहटाएंकसम से रवि जी सही चीज पकड़े हैं इस स्नैपशाट की पायं पायं से मेरा भी बहुत खून खौलता है और अभी तक यह समझ में नहीं आया कि इससे किस को क्या वेल्यू-ऐड मिलता है...
जवाब देंहटाएंरवि जी धन्यवाद हम सब का दर्द उजागर करने के लिए, इस स्नैपशॉट ने बहुत दुःखी किया हुआ है।
जवाब देंहटाएंवर्डप्रैस.कॉम के चिट्ठों पर तो यह बाई डिफॉल्ट ऑन रहता है (शुक्र है कि वहाँ से चिट्ठे का स्वामी इसे डिसेबल कर सकता है)।
जहाँ एक बार माउस इस पर गया, समझो फंस गए।
कहने को तो इसे डिसेबल करने की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन कई बार करके देख चुका हूँ, वो काम नहीं करती।
सभी चिट्ठाधारकों से अनुरोध है कि इसे हटा दें। वर्डप्रैस.कॉम में इसे डिसेबल करने का विकल्प डैशबोर्ड में होता है।
जी हमने तो हटा दिया फौरन से पेशतर । दरअसल शौक शौक में लगा तो लिया था पर खुद ही परेशान हो गये थे । आखिरकार आपने आखिरी झटका दिया और हमने इसकी ‘दे तेरी’ कर दी । धन्यवाद रास्ते पर लाने के लिए ।
जवाब देंहटाएं"स्नैपशॉट – विचार बढ़िया है, परंतु है यह बहुत ही कष्टकारी, बहुत ही डिस्ट्रैक्टिंग, बेकार, नेटवर्क पर फ़ालतू का बोझा डालने वाला, और (मेरे जैसे) उपयोक्ता के किसी काम का नहीं."
जवाब देंहटाएंआपने मेरे मन की बात कह दी. एक हफ्ते से यह चौपाया कुछ अधिक दिखने लगा था. रहस्य इस लेख को पढने पर समझ में आया. आभार.
-- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
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