मरफ़ी के कुछ अन्य नियम यहाँ देखें यदि पानी गिर रहा है या कोहरा छाया है या दोनों ही एक साथ हो रहा है या दोनों एक साथ नहीं हो रहा है...
मरफ़ी के कुछ अन्य नियम यहाँ देखें
- यदि पानी गिर रहा है या कोहरा छाया है या दोनों ही एक साथ हो रहा है या दोनों एक साथ नहीं हो रहा है - कंडीशन कोई भी हो - बस देर से ही आएगी.
- यदि आपको देर हो रही होती है तब बस और भी देरी से चलती है, और हर संभावित-असंभावित स्टॉप पर रुकती है.
- यदि आप सोचते हैं कि आपको अपनी बस पकड़ने में बहुत समय बचा है तो या तो आपने कोई गलत समय सारिणी देख ली हुई होती है या फिर वह सारिणी पुरानी पड़ चुकी होती है.
- यदि आप समय से जल्दी पहुँच जाते हैं तो बस लेट हो जाती है और यदि आप लेट होते हैं तो बस समय से पहले छूट चुकी होती है.
- बस स्टॉप पर इंतजार में बिताए गए उस प्रत्येक पल में बस के पहुँचने की संभावना नगण्य ही होती है.
- यदि किसी दिन आपके पास चिल्लर नहीं होता है तो उस दिन कंडक्टर के पास भी चिल्लर नहीं होता है.
- बस का कंडक्टर किसी भी यात्री को बिना कोई सफाई दिए किसी भी समय कहीं पर भी उतार सकता है.
- बस स्टॉप पर इंतजार करते समय एक ही स्थान के लिए दो बस एक साथ ही आ जाती हैं परंतु आपको जाना कहीं और होता है.
- बस के सामने छपा हुआ गंतव्य स्थल सिर्फ बस की सजावट के लिए होता है - बस का गंतव्य नहीं.
- बस के लिए बिताया गया इंतजार का समय बस में की जाने वाली यात्रा के कुल समय से बड़ा होता है.
- जिस बस को आप पकड़ना चाहते हैं वह हमेशा ही आपके पहुँचने के पाँच मिनट पहले छूट चुकी होती है और जो बस आप अंततः पकड़ पाते हैं वह पहले ही दस मिनट की देरी से चल रही होती है.
- अगर धूलभरी आंधी चल रही होगी तो बस में आपकी सीट की खिड़की का शीशा टूटा हुआ ही मिलेगा.
- यदि आपको अपने रूट की अंतिम बस पकड़नी होती है तो वह बस आपके पहुँचने के ठीक पंद्रह सेकण्ड पहले छूट चुकी होती है.
- जितनी दफ़ा आप कंडक्टर से यह पूछेंगे कि आपके गंतव्य पर बस कब पहुंचेगी, कंडक्टर द्वारा न बताने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी.
- इंतजार करते करते जब आप थक हार कर सिगरेट सुलगाते हैं या पास के ठेले से चाय लेकर पहला घूँट भरते हैं कि बस आ जाती है.
- यदि आप यह सोचकर कि बस जल्दी आएगी - सिगरेट सुलगाते हैं या चाय का आर्डर देते हैं तो बस देरी से ही आती है.
- बस स्टॉप पर जब आप किसी खूबसूरत स्त्री (या स्मार्ट पुरूष) से जैसे ही बतियाना प्रारंभ करते हैं, नामालूम कहाँ से बस आ जाती है.
- मनुष्य की अब तक की सबसे उत्कृष्ट, उज्जवल, चमकीली सर्जना जो उसकी काल्पनिकता की असीमितता को बख़ूबी दर्शाती है - बस की समय सारिणी है.
- यदि आपको किसी दिन मजबूरी में बस में जाना होता है तो आपकी बस रोड जाम की वजह से सबसे लंबे रूट पर चलती है.
- समय और रूट से परे, सिटी बसें हमेशा ही पहले से ज्यादा भरी हुई मिलती हैं.
- बस का अंतिम यात्री हमेशा ही बस के आखिरी स्टॉप पर उतरता है.
- जब आप लेट हो रहे होते हैं तो रुट पर मिलने वाले सभी ट्रैफ़िक सिगनल लाल ही मिलते हैं.
- कंडक्टर हो या यात्री - बस में कभी भी किसी के पास भी उचित चिल्लर नहीं होता है.
- खूबसूरत स्त्री (या स्मार्ट पुरूष) अगले ही स्टॉप पर उतर जाती(ता) है और जो बगल का बेवकूफ आपको फ़ोकट की कहानी सुनाता होता है बस से उतरता ही नहीं.
- जब आप बस स्टॉप की ओर जा रहे होते हैं और बस के रास्ते की ओर देखते हुए जाते हैं कि बस आ रही है या नहीं तो बस नहीं आती है और जब आप नहीं देखते हैं तो बस आकर सामने से निकल जाती है.
- जब आप इंतजार करके थक हार कर बस स्टॉप से जाने लगते हैं तभी बस आती है और आपके पास दौड़ कर बस पकड़ने का अवसर नहीं होता.
- बस में आपके बगल की सीट में चाहे कोई भी आ जाए - वह अपने मोबाइल फोन से अपने हर संभव परिचितों से बतियाने लगता है.
(यह बस-स्टापिया पोस्ट यूनुस खान मुम्बई तथा आलोक कुमार सिन्हा जर्मनी को समर्पित, इस आग्रह और अनुरोध के साथ - हिन्दी ब्लॉग जगत को अपने अनुभवों से समृद्ध करें)
Tag मरफ़ी,मरफी,नियम,murphy
बहुत अच्छे नियम हैं यह। एकदम वास्तविक
हटाएंसही हैं.
हटाएंअरे साहब एक आधी तो छोड देते सारी शिकायतो का एन्साक्लोपिडिया बना डाला अब किसी को कारण बताने के बजाय नम्बर बोल दे की आज बस मे रतलामी जी के मरफ़ी के बस अड्डो के निय़म नम्बर ६ हो गया
हटाएंजीवन और बस दोनों के नियम कुछ ऐसे ही होते हैं।
हटाएंघुघूती बासूती
गहन शोध के बाद प्राप्त हुए नियम...
हटाएंशोध में मेहनत हुई है-इसलिए नियम फिट हैं-हिट हैं।
ऐसा ही होता है....हर बार
हटाएंरवि जी, इनको तो मरफी के न कह कर रवि के ही नियम कहना चाहिये। मरफी बेचारा तो हमारे बस अड्डों के नियम (रहस्य) अनेकों साल तक न जान पाता, जब तक कि वह हमारे यहाँ आकर गम्भीर शोध न करता। तो इन्हें तो रवि रतलामी द्वारा प्रतिपादित ही कहा जाय!
हटाएंबिल्कुल दमदार!