क्योंकि ये सरकार मेरी है... *-*-* मुलायम सिंह ने अपने भाई, जो कि यूपी के पीडबल्यूडी मंत्री भी हैं, के निजी कालेज के लिए 34.5 करोड़ रुपयों क...
क्योंकि ये सरकार मेरी है...

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मुलायम सिंह ने अपने भाई, जो कि यूपी के पीडबल्यूडी मंत्री भी हैं, के निजी कालेज के लिए 34.5 करोड़ रुपयों का अनुदान स्वीकृत किया है. क्यों न करें? आखिर समाजवादी सरकार उनकी अपनी है और वे अपने भाई, भतीजे और अपने समाज का भला नहीं करेंगे तो क्या राह चलता दूसरा आदमी करेगा? समाजवादी/साम्यवादी पार्टियों-नेताओं का छद्म समाजवाद/साम्यवाद का इससे बढ़िया उदाहरण और नहीं हो सकता. हिन्दुत्ववादी-सेकुलरवादी पार्टियों के छद्म विचारधाराओं के बारे में भी भारतीय बुद्धिजीवियों को पता है कि ये सिर्फ अपना वोट बैंक बनाने-बचाने के लिए वोटरों के सामने रोना रोते रहते हैं.
यह स्थिति भारत में हर कहीं है. प्राइवेट स्कूलों कालेजों की संख्या अधिकतर नेताओं के परिवारों की हैं. पेट्रोल पंपों के छद्म मालिक नेता हैं. इसीलिए तो सरकार बनाने, सरकार में शामिल होने के लिए तमाम तरह की मारा मारी चलती रहती है और, शहाबुद्दीन की तरह कुछ नेता तो खुले आम यहाँ तक कहते हैं कि हम अपनी सरकार बनाने के लिए किसी भी हद तक, किसी भी एक्स्ट्रीम तक जाएंगे. देश सेवा के लिए आज कोई सरकार में शामिल नहीं होता. सरकार का रूप परिवर्तन हो गया है. आज की सरकार स्व-सेवा के लिए है.
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व्यंज़ल
-/*/*/-
कुछ करुँ या न करुँ कि सरकार मेरी है
मैं देता नहीं जवाब कि सरकार मेरी है
अपने बन्धुओं में ही किया है वितरण
है खरा समाजवाद कि सरकार मेरी है
मांगता रहा हूँ वोट छांट बीन तो क्या
मैं पूर्ण सेकुलरवादी कि सरकार मेरी है
रहे मेरी ही सरकार या मेरे कुनबों की
मैंने किए हैं जतन कि सरकार मेरी है
मुल्क की सोचेगा तो रवि कैसे कहेगा
मैं ही तो हूँ सरकार कि सरकार मेरी है
*-*-*
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मुलायम सिंह ने अपने भाई, जो कि यूपी के पीडबल्यूडी मंत्री भी हैं, के निजी कालेज के लिए 34.5 करोड़ रुपयों का अनुदान स्वीकृत किया है. क्यों न करें? आखिर समाजवादी सरकार उनकी अपनी है और वे अपने भाई, भतीजे और अपने समाज का भला नहीं करेंगे तो क्या राह चलता दूसरा आदमी करेगा? समाजवादी/साम्यवादी पार्टियों-नेताओं का छद्म समाजवाद/साम्यवाद का इससे बढ़िया उदाहरण और नहीं हो सकता. हिन्दुत्ववादी-सेकुलरवादी पार्टियों के छद्म विचारधाराओं के बारे में भी भारतीय बुद्धिजीवियों को पता है कि ये सिर्फ अपना वोट बैंक बनाने-बचाने के लिए वोटरों के सामने रोना रोते रहते हैं.
यह स्थिति भारत में हर कहीं है. प्राइवेट स्कूलों कालेजों की संख्या अधिकतर नेताओं के परिवारों की हैं. पेट्रोल पंपों के छद्म मालिक नेता हैं. इसीलिए तो सरकार बनाने, सरकार में शामिल होने के लिए तमाम तरह की मारा मारी चलती रहती है और, शहाबुद्दीन की तरह कुछ नेता तो खुले आम यहाँ तक कहते हैं कि हम अपनी सरकार बनाने के लिए किसी भी हद तक, किसी भी एक्स्ट्रीम तक जाएंगे. देश सेवा के लिए आज कोई सरकार में शामिल नहीं होता. सरकार का रूप परिवर्तन हो गया है. आज की सरकार स्व-सेवा के लिए है.
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व्यंज़ल
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कुछ करुँ या न करुँ कि सरकार मेरी है
मैं देता नहीं जवाब कि सरकार मेरी है
अपने बन्धुओं में ही किया है वितरण
है खरा समाजवाद कि सरकार मेरी है
मांगता रहा हूँ वोट छांट बीन तो क्या
मैं पूर्ण सेकुलरवादी कि सरकार मेरी है
रहे मेरी ही सरकार या मेरे कुनबों की
मैंने किए हैं जतन कि सरकार मेरी है
मुल्क की सोचेगा तो रवि कैसे कहेगा
मैं ही तो हूँ सरकार कि सरकार मेरी है
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