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इंटरनेट अपराध सत्यकथा – शार्किंग, व्हेलिंग और पॉम्फ्रेलिंग

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यह एक आश्चर्यचकित कर देने वाली जासूसी सत्यकथा है. इंटरनेटी जालसाज लोगों को फांसने के नित्य नए-नए तरीके आज़मा रहे हैं - आप पढ़ेंगे तो आश्चर...

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यह एक आश्चर्यचकित कर देने वाली जासूसी सत्यकथा है.

इंटरनेटी जालसाज लोगों को फांसने के नित्य नए-नए तरीके आज़मा रहे हैं - आप पढ़ेंगे तो आश्चर्यचकित रह जाएंगे.

अभी तक तो हम आप फ़िशिंग से जूझ रहे थे, अब ये शार्किंग और व्हेलिंग जैसी चीजें भी इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को परेशान करने आ गई हैं.

 

एंटीवायरस बनाने वाली आईटी सुरक्षा कंपनी एफ़सेक्योर के हेलसिंकी मुख्यालय के कार पार्किंग पर एक व्यक्ति अपनी शानदार, लक्झरी ऑडी आर-8 कार से उतरा, और सीधे प्रयोगशाला में जा पहुँचा. उसके हाथ में उसका लैपटॉप था जहाँ उसका परीक्षण किया जाना था.

वह आदमी था जेन्स कायलोनेन, जो कि एक बेहद सफल पेशेवर पोकर खिलाड़ी था – वास्तविक दुनिया में भी और ऑनलाइन पोकर की दुनिया में भी. जेन्स के बारे में आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि उसने महज पिछले वर्ष ही पोकर खेल कर 25 लाख डॉलर कमाए थे.

जेन्स अपना लैपटॉप क्यों लेकर आया था? जेन्स को कुछ शंका सी हुई थी कि उसके लैपटॉप में कुछ छेड़खानी की गई हो सकती है. और वह अपनी शंका का समाधान करने एफ़सेक्यूर की प्रयोगशाला पर पहुँचा था.

परंतु, उसे शंका हुई तो आखिर क्यों?

यह भी एक अलग कहानी है –

जेन्स यूरोपीय पोकर टूर्नामेंट में भाग लेने बार्सीलोना गया था. वहाँ वह एक पाँच सितारा होटल में ठहरा हुआ था. वह लगभग पूरे दिन टूनामेंट के टेबल पर मैच खेलता रहा. बीच में थोड़ा विराम लेकर अपने लैपटॉप पर इंटरनेट पर मेल इत्यादि चेक करने के लिए वह अपने कमरे में गया. वहाँ उसकी हाई सीक्यूरिटी वाली इलेक्ट्रॉनिक चाबी ने काम करने से मना कर दिया और कमरा नहीं खुला. तो वह रिसेप्शन पहुंचा जहाँ उसकी चाबी बदल दी गई. जब वह कमरे में पहुंचा तो उसने देखा कि उसका लैपटॉप उसके कमरे में नहीं था. उसे लगा कि उसका मित्र जो उसी होटल में ठहरा था शायद उसने उसके लैपटॉप को किसी काम के चलते उठाया हो. या कमरे की सफाई करने वाले कर्मी ने कहीं इधर उधर रख दिया हो. उसका लैपटॉप बड़े आकार का था और कमरे में कहीं दब छुप नहीं सकता था. कमरे में लैपटॉप नहीं दिखा, तो वह अपने मित्र के पास पता करने गया. मित्र ने बताया कि उसने उसका लैपटॉप नहीं लिया है.

परेशान सा वह थोड़ी देर बाद वापस अपने कमरे में आया तो उसे उसका लेपटॉप सामने टेबल पर ही रखा मिला. और जब उसने विंडोज़ बूट करने की कोशिश की तो उसका विंडोज़ ठीक से बूट नहीं हुआ और एकाध बार रीस्टार्ट करने पर चला.

जेन्स को शंका हुई कि उसके लैपटॉप में किसी न किसी तरह की छेड़खानी की गई है. वह तो भला हो कि वह ऐसे समय अपने कमरे में पहुंचा जब उसका लैपटॉप वहां नहीं था, अन्यथा उसे शंका ही नहीं होती. तो वह उस लैपटॉप को लेकर सीधे एफ़सेक्यूर के ऑफ़िस पहुंच गया कि सुनिश्चित कर लें कि मामला ठीक ठाक तो है. ऑनलाइन पोकर खेलने वालों के लिए अपने कंप्यूटर और लैपटॉप की सुरक्षा बेहद जरूरी है, अन्यथा उनका तो कैरियर न सिर्फ चौपट हो जाएगा, उनका बड़ा नुकसान हो जाएगा.

प्रयोगशाला में लैपटॉप के परीक्षण में पता चल गया कि जेन्स के कंप्यूटर में एक रैट (रिमोट ऐक्सेस ट्रोजन) चोरी छुपे इंस्टाल कर दिया गया था. यह रैट किसी यूएसबी उपकरण के द्वारा उसके कंप्यूटर में इंस्टाल किया गया था. यह रैट उपयोगकर्ता के कंप्यूटर को रिमोट से नियंत्रित और मॉनीटर कर सकता है. पाँच सितारा होटल के उसके कमरे में घुस कर किसी ने उसके लैपटॉप में वायरस डाला. यह घटना निःसंदेह सबको चौंकाती है.

नीचे ऑनलाइन पोकर गेम के स्क्रीनशॉट दिए गए हैं कि यह रैट कैसे काम करता है – हैकर अपने प्रतिद्वंद्वी के पत्ते देख सकता है, और इस तरह से गेम जीत सकता है –

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यहाँ हमलावर 946 है जिसने 777 के कंप्यूटर पर कब्जा जमाया हुआ है

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हमलावर 777 के पत्ते देख रहा है.

जेन्स के लैपटॉप का परीक्षण करने के बाद, अन्य पोकर खिलाड़ियों को सचेत किया गया तो पाया गया कि एक और पेशेवर खिलाड़ी के लैपटॉप में ठीक ऐसे ही तरीके से यही रैट इंस्टाल किया गया था. यानी भले ही आप इंटरनेट पर पूरी सुरक्षा बरत लें, यदि आप अपने लैपटॉप / कंप्यूटर पर पूरी निगरानी नहीं रखते हैं तो आपका दुश्मन खुद वहाँ तक पहुँच बना कर आपके कंप्यूटर पर वायरस डाल सकता है.

इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और इसीलिए इन्हें नया नाम दिया गया है – शार्किंग. व्हेलिंग भी कुछ इसी तरह का खेल होता है जहाँ बड़े बड़े व्यापारियों और उद्योगपतियों को निशाना बनाया जाता है.

कहानी व चित्र – एफ़सेक्यूर ब्लॉग से साभार.

पुनश्च –

अब आप मेरी अपनी ताज़ा कहानी भी सुन लीजिए.

हाल ही में मैंने कुछ ऑनलाइन खरीदी की. भारत के एक मशहूर ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से. छूट आकर्षक थी तो मैंने ऑनलाइन ऑर्डर कर ही दिया था. ऑर्डर करने के लिए कंपनी की साइट पर अपना फ़ोन नंबर पंजीकृत करना आवश्यक था.

खरीदी के एक-दो दिन बाद ही (उक्त कंपनी में दर्ज) मेरे फ़ोन नंबर पर मेरे पास लक्ष्य किए गए (यानी की कॉल करने वालों को पता था कि मैंने कुछ खरीदी की है, और मेरी खरीदी के पैटर्न के मुताबिक, मैं भी एक 'आसामी' हूँ इसलिए और भी बहुत कुछ खरीद सकता हूँ!) फ़ोन कॉल आने लगे. यहाँ यह बता दूं कि मेरा नंबर डीएनडी है और निजी है, और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है. जाहिर है, मेरा नंबर कंपनी में ऑनलाइन खरीदी के दौरान ही कहीं से उड़ाया गया होगा. बहुत संभव है कि कूरियर कंपनी के डिलीवरी एंड पाइंट से उड़ाया गया हो – थोड़े से पैसे के लिए लोग यह भी करते हैं! मैंने कंपनी को अपनी शिकायत दर्ज कर दी है. परंतु मेरे मन में ऑनलाइन शॉपिंग के लिए जो भय बैठ गया है उसका क्या? और, अब इस तरह के अपराध को क्या नाम दिया जाए – पॉम्फ्रेलिंग?

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COMMENTS

BLOGGER: 5
  1. निजता का हनन और लूट की संभावना। अपराध के ये रंग जानना भी आवश्यक है।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन राज कपूर, शैलेन्द्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    जवाब दें हटाएं
  3. आजकल हम भी परेशान हैं, पता नहीं कहाँ से हमारे ट्रांजेक्शन के डिटेल्स के दम पर बड़े बड़े होटलों के ऑफ़र के फ़ोन आने लगे हैं, हमने कहा भई हमारी औकात नहीं है, फ़िर भी वे यही कहते हैं, सर जी आप सुविधाएँ तो सुन लीजिये, मतलब कि यह तो पक्का है कि उनके पास जानकारी पुख्ता है, तभी वो हमारी बात पर यकीन नहीं कर रहे हैं, इस बारे में और जानकारी जुटाकर जल्दी ही एक पोस्ट लिखने की संभावना है ।

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इंटरनेट अपराध सत्यकथा – शार्किंग, व्हेलिंग और पॉम्फ्रेलिंग
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