एक हजार नियमित पाठक वाले हिंदी चिट्ठों से किसी भी चिट्ठाकार को जलन हो सकती है. हिंदी ब्लॉगिंग का एक नया मील का पत्थर जल्द ही रखा जाने वाला ह...
एक हजार नियमित पाठक वाले हिंदी चिट्ठों से किसी भी चिट्ठाकार को जलन हो सकती है. हिंदी ब्लॉगिंग का एक नया मील का पत्थर जल्द ही रखा जाने वाला है. कुछ चिट्ठों के नियमित सब्सक्राइबरों की संख्या जल्द ही हजार से पार होने वाली है! याहू!
हजारी ग्राहक पाठक संख्या में जल्द ही पहुँचने वाला है चिट्ठा - शब्दों का सफर. वर्तमान में(15 सितम्बर 2010 की स्थिति में) नियमित पाठक संख्या 977. नियमित पाठकों के हजार के आंकड़े तक पहुँचने में कुछ ही पाठकों और कुछ ही दिनों की देरी. किसी भी हिंदी चिट्ठे के लिए आज के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धि.
(शब्दों का सफर के नियमित फ़ीड पाठक)
इधर साथ साथ ही है उत्तरांचल. शानदार (15 सितम्बर 2010 की स्थिति) 968 नियमित पाठक संख्या. किसी भी दिन आंकड़ा हजारी हो सकता है. उत्तरांचल की एक पोस्ट (लिंक?) को वैसे भी सर्वकालिक सर्वाधिक बार पढ़ा जाने वाला चिट्ठाप्रविष्टि का दर्जा प्राप्त है. तीनेक साल पहले, तब जब हमारे चिट्ठों के पाठक बमुश्किल दर्जन भर लोग होते थे, इस पोस्ट को पढ़ने और टिपियाने वाले हजार से पार हो चुके थे!
(उत्तरांचल के नियमित फ़ीड पाठक)
मेरे अपने सुनिश्चित विचार में कुछेक आधा दर्जन ऐसे हिंदी चिट्ठे और हैं जिनके नियमित पाठक हजारी आंकड़ों को छू रहे होंगे और इनमें से एकाध के पाठक आगे निकल भी चुके होंगे, परंतु उनके नियमित फ़ीड पाठकों की संख्या उनके चिट्ठों पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं है.
अब आप देखिए कि आपके चिट्ठे इन हजारी ग्राहकों वाले चिट्ठों के सामने कहाँ ठहरते हैं. मेरे अपने चिट्ठे – छींटें और बौछारें का पाठक आंकड़ा तो जादुई, तीन सत्ती (15 सितम्बर 2010 की स्थिति) दिखा रहा है, मगर हजार के लिहाज से, दिल्ली अभी बहुत दूर है!
(छींटें और बौछारें के नियमित फ़ीड पाठक)
फ़ीड क्या है और कैसे है यह यहाँ से जानें.
अपने नियमित फ़ीड पाठकों की संख्या प्रदर्शित तो करें ही, साथ ही अपने चिट्ठा पाठकों को आपके चिट्ठे की फ़ीड सब्सक्राइब करने के लिए आसान विकल्प अवश्य दें जैसा कि ऊपर दिए चिट्ठों में प्रदर्शित है.
और, अब जब सैकड़ों चिट्ठों में प्रतिमिनट दर्जनों पोस्टें लिखी जाने लगी हैं, एग्रीगेटर्स की भूमिका अप्रासंगिक और संदिग्ध होने लगी है, ऐसे में अपने प्रिय चिट्ठों को पढ़ने का एकमात्र जरिया उनके फ़ीड के नियमित ग्राहक बनने का ही है.
तो, यदि आप इस चिट्ठे के नियमित ग्राहक नहीं बने हैं, तो आज ही बनिए.
हजारी ग्राहक पाठक संख्या में जल्द ही पहुँचने वाला है चिट्ठा - शब्दों का सफर. वर्तमान में(15 सितम्बर 2010 की स्थिति में) नियमित पाठक संख्या 977. नियमित पाठकों के हजार के आंकड़े तक पहुँचने में कुछ ही पाठकों और कुछ ही दिनों की देरी. किसी भी हिंदी चिट्ठे के लिए आज के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धि.
(शब्दों का सफर के नियमित फ़ीड पाठक)
इधर साथ साथ ही है उत्तरांचल. शानदार (15 सितम्बर 2010 की स्थिति) 968 नियमित पाठक संख्या. किसी भी दिन आंकड़ा हजारी हो सकता है. उत्तरांचल की एक पोस्ट (लिंक?) को वैसे भी सर्वकालिक सर्वाधिक बार पढ़ा जाने वाला चिट्ठाप्रविष्टि का दर्जा प्राप्त है. तीनेक साल पहले, तब जब हमारे चिट्ठों के पाठक बमुश्किल दर्जन भर लोग होते थे, इस पोस्ट को पढ़ने और टिपियाने वाले हजार से पार हो चुके थे!
(उत्तरांचल के नियमित फ़ीड पाठक)
मेरे अपने सुनिश्चित विचार में कुछेक आधा दर्जन ऐसे हिंदी चिट्ठे और हैं जिनके नियमित पाठक हजारी आंकड़ों को छू रहे होंगे और इनमें से एकाध के पाठक आगे निकल भी चुके होंगे, परंतु उनके नियमित फ़ीड पाठकों की संख्या उनके चिट्ठों पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं है.
अब आप देखिए कि आपके चिट्ठे इन हजारी ग्राहकों वाले चिट्ठों के सामने कहाँ ठहरते हैं. मेरे अपने चिट्ठे – छींटें और बौछारें का पाठक आंकड़ा तो जादुई, तीन सत्ती (15 सितम्बर 2010 की स्थिति) दिखा रहा है, मगर हजार के लिहाज से, दिल्ली अभी बहुत दूर है!
(छींटें और बौछारें के नियमित फ़ीड पाठक)
आपकी नजर में ऐसे और हजारी ग्राहक संख्या वाले हिंदी चिट्ठे हों तो हमें भी बताएँ.शब्दों का सफर और उत्तरांचल को उनकी शानदार उपलब्धि (हजारी नियमित फ़ीड ग्राहक आंकड़ा तो अब महज ‘जस्ट ए मैटर ऑफ टाइम’ है) के लिए अग्रिम बधाईयाँ!!
फ़ीड क्या है और कैसे है यह यहाँ से जानें.
अपने नियमित फ़ीड पाठकों की संख्या प्रदर्शित तो करें ही, साथ ही अपने चिट्ठा पाठकों को आपके चिट्ठे की फ़ीड सब्सक्राइब करने के लिए आसान विकल्प अवश्य दें जैसा कि ऊपर दिए चिट्ठों में प्रदर्शित है.
और, अब जब सैकड़ों चिट्ठों में प्रतिमिनट दर्जनों पोस्टें लिखी जाने लगी हैं, एग्रीगेटर्स की भूमिका अप्रासंगिक और संदिग्ध होने लगी है, ऐसे में अपने प्रिय चिट्ठों को पढ़ने का एकमात्र जरिया उनके फ़ीड के नियमित ग्राहक बनने का ही है.
तो, यदि आप इस चिट्ठे के नियमित ग्राहक नहीं बने हैं, तो आज ही बनिए.
क्या बात है.. बधाई..
हटाएंकोशिश तो अपनी भी कुछ ऐसी ही है, लेकिन मैं लक्ष्य छोटे-छोटे रखता हूं… फ़िलहाल मेरा लक्ष्य इस वर्ष के अन्त तक 1000 सब्स्क्राइबर छूने का है…
हटाएंजलन का तो पता नहीं, अलबत्ता मेरे 1000 सब्स्क्राइबर्स होने पर "सेकुलर्स" को घोर निराशा अवश्य होगी… अभी तो सिर्फ़ 800 पार ही पहुँचे हैं हम…
हमारे लिए तो अभी दिल्ली दूर है !
हटाएंबहुत बहुत बधाई ...
हटाएंसुरेश जी ... आपको शुभकामनाएँ ... प्रार्थना करता हूँ आप अपने लक्ष्य प्राप्ति में सफल हों
रवी भाई ,मै नही जानता कि मै सही सोच रहा हूँ या गलत लेकिन आज भी हिन्दी ब्लोगिंग उस स्तर तक नहीं पहुच पायी है जहां इसे पहूचना चाहिए था | जिन ब्लोगों पर ज्यादा पाठक आते है उसका कारण कुछ भी हो सकता है | लेकिन मेरी नजर में वो चिट्ठे भी कम नहीं है जिनकी बदौलत किसी न किसी का काम निकल जाता है चाहे उस पर शून्य टिप्पणी या १० विजिटर आते हो | यानी कि मै मात्रा पर विश्वास नहीं करता गुणवत्ता पर विश्वास करता हूँ |आज इन्टरनेट पर हिन्दी का विकास आप जैसे गुणीजनों की बदौलत ही हुआ है | लेकिन फिर भी आज आपकी कार या बाईक रास्ते में खराब हो जाए या उसका रखरखाव करना हो तो कौनसे ब्लॉग से आप पढकर यह कर पायेंगे ? यानी की चिठ्ठे बढे है लेकिन काम में आने वाली जानकारी नहीं बढ़ी | इस प्रकार की जानकारी के लिये फिर अंगरेजी साईटों का मुह ताकना पड़ता है |
हटाएंबधाई ! हम भी लगा के देखें कितने होते हैं २-४ तो हो ही जायेंगे अपने भी
हटाएंबहुत बधाई हो।
हटाएंअरे वाह, बधाई हो जी बधाई हो, ये तो खुश कर देने वाली बात है.
हटाएंशब्दों का सफर और उत्तरांचल दोनों ही ही ब्लाग्स को बधाई .
दोनों ही ब्लॉग ऐसे हैं भी उन्हें यह उपलब्धि हासिल होनी ही चाहिए थी.
और साथ ही मैं इस बात के लिए आशान्वित हूँ की जल्द अज जल्द आपका यह ब्लॉग भी हजारी कहलायेगा
आमीन .
ये बात आपने सौ फीसदी कही कि अब एग्रीगेटर्स की भूमिका दिन बा दिन ख़त्म होती जाएगी. क्यंकि जिस तीव्र गति से हिंदी ब्लाग्स की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए यह किसी भी एग्रीगेटर्स के लिए मुश्किल हो जाएगा कि वह समूचे हिंदी ब्लॉगजगत की पोस्टों का संग्रहण कर दिखा सके. बहुत से ब्लॉगर इस बात को काफी पहले समझ चुके हैं इसलिए वे अपने ब्लॉग पर इमेल पर प्राप्त करें वाली सुविधा पहले से देते आ रहे हैं लेकिन जो नहीं समझे है वो भी आगे चलकर धीरे-धीरे समझ ही जाएंगे
बहुत ही अच्छी खबर है। अजीत भाई को बधाइयॉं।
हटाएंनियमित लेखन नियमित पाठकों की कुञ्जी है। आपको याद होगा एक समय आपके चिट्ठे के बाद सर्वाधिक नियमित पाठक मेरे चिट्ठे के थे। जब से ब्रेक लिया और लिखना छूटा पाठक भी छूट गये। सिम्पल फण्डा है चारा डालते रहो तो खरीदने वाले आते रहेंगे।
हटाएंखैर धीरे-धीरे ब्लॉगर इन सब मोह-माया से ऊपर उठ जाता है और स्वांत सुखाय वाली स्थिति में पहुँचने लगता है। बहरहाल निकट
भविष्य में हजार का आँकड़ा छूने वाले मित्रों को अग्रिम बधायी।
एक क्लिक, एक पाठक, एक वोट. प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा करते आंकड़ों का जादू.
हटाएंनिश्चय ही आप लोग की उपलब्धि सराहनीय है। ई मेल सब्क्रिप्शन का विजेट हिंदी ब्लागों पर लगाने का काम मैंने पहल पहल आपके ही ब्लॉग पर देखा था।
हटाएंअकेले तो नहीं पर मेरे हिंदी ब्लॉग एक शाम मेरे नाम और उसके हिंदी रोमन संस्करण Ek Shaam Mere Naam ने मिलकर हजार का ये आँकड़ा 540+460 इसी महिने छू लिया है।
वैसे रवि जी ये अपने आप में एक अध्ययन का विषय है कि किस हद तक फॉलोवर्स और ई मेल सब्सक्राइबर्स जाल पृष्ठ पर हिट्स को बढ़ाते हैं।
एक अध्ययन यह भी है
हटाएंhttp://tips-hindi.blogspot.com/2010/09/100.html
ईमेल से प्राप्त अजित जी की टिप्पणी -
हटाएंकैश मोड में ब्लॉग अभी अभी देख पाया हूं, मगर अब उस रूप में टिप्पणी नहीं जा पा रही है। कृपया इसे प्रकाशित कर दें।
आपका ब्लॉग मेरे लैपटॉप पर कभी नहीं खुल पाया।
अब डेल का यह पीस बेटे को दे रहा हूं और नया ले रहा हूं अपने लिए उसमें सबकुछ आपसे पूछ कर या आपके पास आक दुरुस्त करूंगा।
जैजै
रवि भाई,
यह सूचना सब तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत आभार।
शब्दों का सफ़र के नियमित सब्सक्राइबरों की संख्या आज दोपहर तक 1033 को पार कर गई थी।
आप जैसे साथियों की प्रेरणा से हिन्दी ब्लॉगिंग में क़दम रखा था। सफ़र को लगातार आपके मार्गदर्शन और उपस्थिति की आवश्यकता रही है। आपका इससे जुड़ाव हमेशा मैं महसूस करता हूं।
बहुत आभार
Hazari mansabdar banane kee rah par bahut bahut badhaee Ajit jee.
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