ये फ़ीड क्या है, ये फ़ीड? और, आपके चिट्ठे की पूरी फ़ीड क्यों जरूरी है?

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मेरे पिछले आलेख – आप चिट्ठा किसलिए लिखते हैं पर ममता जी ने टिप्पणी दी - जानकारी देने का शुक्रिया पर हम अभी पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं. ...

मेरे पिछले आलेख – आप चिट्ठा किसलिए लिखते हैं पर ममता जी ने टिप्पणी दी-

जानकारी देने का शुक्रिया पर हम अभी पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं.

इस पर शास्त्री जी ने टिप्पणी की

ममता जी ने जो कहा वह अधिकतर चिट्ठाकरों के लिये सत्य है. अत: मेरा अनुरोध है कि "फीड क्या है" नाम से एक या दो सचित्र लेख और छाप दें

तो मैंने उन्हें यह प्रत्युत्तर दिया था –

शास्त्री जी, धन्यवाद, आपकी टिप्पणी मेरे जेहन में है और शीघ्र ही इस पर कुछ और लिखता हूँ.

इसके जवाब में उनका उत्तर आया -

कृपया यह ध्यान में रखें कि मुझ जैसे तकनीकी

व्यक्ति को फीड के बारे में समझने में बहुत

संघर्ष करना पडा था. आम चिट्ठाकर की बात

तो और कठिन है. अत: आपका यह लेख अंधे को

दो आंखें देने के समान होगा

तब मेरी भी आंखें खुली. आमतौर पर एक तकनीकी लेखक अपने आपको सामने रख कर लेख लिखता है (जैसे कि मैं) और इसी कारण वो अपनी बात समझाने में असफल हो जाता है. यदि वो अपने पाठक को, पाठक के तकनीकी स्तर को सामने रखकर लेख लिखे तो बात निश्चित ही दूसरी हो सकती है.

आरएसएस, एटम और नए नवेले जेसन फीड पर – कि ये क्या हैं और कैसे काम करते हैं, बहुत कुछ लिखा जा चुका है और अब तो हिन्दी में भी तमाम कड़ियाँ हैं.

आइए देखते हैं कि हिन्दी में इस विषय में इंटरनेट पर पहले कहां और क्या-क्या लिखा गया है.

  • आरएसएस का परिचय – माइक्रोसॉफ़्ट के हिन्दी के जाल स्थल पर इस विषय पर एक संपूर्ण आलेख उपलब्ध है.

इसके प्रथम अनुच्छेद में आरएसएस फीड का परिचय कुछ इस तरह दिया गया है –

RSS क्या है?

किसी मानक स्वरूप में जानकारी वितरित करने के लिए RSS सामग्री प्रकाशकों को कोई सुविधाजनक तरीका प्रदान करती है. मानक XML फ़ाइल स्वरूप जानकारी को तुरंत प्रकाशित होने और विभिन्न प्रोग्राम्स जैसे Outlook द्वारा देखे जाने की अनुमति देता है. RSS सामग्री का सामान्य उदाहरण जानकारी स्रोत जैसे वे मुख्य समाचार हैं, जो बार-बार अद्यतन होते हैं.

RSS का लाभ एकाधिक वेब स्रोतों की सभी सामग्रियों का एक स्थान पर समेकन है. अपने पसंद के विषयों की नवीनतम जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको विभिन्न वेब साइट्स पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी. RSS के साथ, सामग्री के सारांश आपको प्रदान किए जाते हैं, और तब आप कोई लिंक क्लिक करके इच्छित आलेखों को पढ़ने का निर्णय लेते हैं‍ ... आगे पढ़ें>>

· विकिपीडिया हिन्दी पर फीड क्या है को कुछ इस तरह बताया गया है –

फीड क्या है

हर वेबसाइट पर हमेशा कुछ न कुछ नयी सूचना आती रहती है और इसे देखने के लिये निम्न तरीके हैं,

  • वेबसाइट पर जाकर नयी सूचना देखना।
  • वेबसाइट से नयी सूचना के बारे में ई-मेल प्राप्त करना।
  • RSS अथवा ATOM फीड के द्वारा जानकारी प्राप्त करना।

वेबसाइट पर जाकर सूचना प्राप्त करना सबसे पुराना तरीका है। उसके बाद जैसे, जैसे तकनीक में सुधार होता गया, सूचना प्राप्त करने के तरीके भी सुलभ होते गये। पहले ई-मेल से सूचना प्राप्त करने की सुविधा आयी फिर RSS/Atom फीड की तकनीक आयी।

यदि कोई वेबसाइट उस पर आने वाली नयी सूचना के बारे में ई-मेल नहीं भेजती है या फिर RSS/Atom फीड नहीं देती है तो आप इन दोनों के द्वारा इस वेबसाइट से इस तरह से सूचना नहीं प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी सूरत में आपको इस वेबसाइट पर जाकर ही सूचना पता करनी होगी।

RSS/Atom फीड यह नयी तकनीक है। इन दोनों में प्रारूप का अन्तर है लेकिन व्यवहार में कोई अन्तर नहीं है। वे एक तरह से प्राप्त की जा सकती हैं। RSS पुरानी तकनीक है, ज्यादा आसान है[तथ्य चाहिए], और ज्यादा लोकप्रिय है। आर.एस.एस कि पृष्ठभूमि में प्रयुक्त हो रही मूल तकनीक पुश तकनलाजी है। The Internet Engineering Task Force (IETF), इन्टरनेट के मानकीकरण व उन्नतिकरण में कार्यरत है। Atom इसी के द्वारा दिया गया एक मानक प्रारूप है। यह लिखने और पड़ने दोनो प्रारूप एक प्रारूप में लाने का प्रयत्न है।

RSS/ Atom फीड उस नयी सूचना हेडलाइन के रूप में आप तक पहुंचाती है और यदि आप उनकी हेडलाइन, जो दरअसल लेख की स्थाई कड़ी यानी पर्मालिंक होती है, को क्लिक करें तो वह आपको पूरे लेख तक पहुंचा देती है। नयी सूचना जानने के लिये यह सबसे अच्छी सुविधा है। जिस वेबसाईट में निम्न तरह का कोई भी चिन्ह हो तो आप समझ लीजिये कि वह अपना RSS/Atom फीड देती है। आगे पढ़ें >>

· याहू हिन्दी पर भी आरएसएस की परिभाषा कुछ इस तरह बताई गई है –

आर एस एस क्‍या है?
आर एस एस ‘रियली सिंपल सिंडीकेशन’ का संक्षिप्‍त रूप है। यह संपूर्ण वेबसाइट पर अपनी पसंद व जरूरत के मुताबिक सामग्री खोजने का सरल तरीका है। इसमें अखबार, पत्रिकाएँ और ब्‍लॉग भी शामिल हैं।

इंटरनेट की दुनिया में न्‍यूज फ़ीड को सरलता से बनाने और देखने के लिए आर एस एस का इस्‍तेमाल किया जाता है, जिसमें लिंक, शीर्षक तथा संक्षिप्‍त विवरण भी शामिल होते हैं। क्रिश्चियन साइंस मॉनीटर, CNN और CNET न्‍यूज आदि कुछ ऐसी प्रमुख वेबसाइटों में से हैं, जो आर एस एस के माध्‍यम से ताजा समाचार और सूचनाएँ प्रदान करती हैं।

याहू न्‍यूज भी ऐसे अनेकों आर एस एस फ़ीड की सुविधा प्रदान करता है। आप इसे My Yahoo ! पर या किसी अन्‍य आर एस एस न्‍यूज रीडर सॉफ्टवेयर के इस्‍तेमाल से देख सकते हैं। आर एस एस और याहू न्‍यूज पर इसके इस्‍तेमाल के संबंध में और अधिक जानकारी प्राप्‍त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

याहू न्‍यूज में आर एस एस के द्वारा कौन-सी सामग्री प्राप्‍त होती है?
याहू न्‍यूज आर एस एस के रूप में बहुत-सी सुविधाएँ प्रदान करता है। निजी तौर पर कोई भी व्‍यक्ति और गैर-व्‍यावसायिक संगठन बिना किसी शुल्‍क के इस न्‍यूज फ़ीड का प्रयोग कर सकते हैं। प्रत्‍येक फीड में दिए गए स्रोत का उल्‍लेख अनिवार्य है। आगे पढ़ें >>

· गूगल के समाचार फीड पंजीकरण पन्ने पर आरएसएस व एटम फीड को कुछ इस तरह परिभाषित किया गया है –

फ़ीड्स क्या है मैं इनका कैसे उपयोग करूँ?

फ़ीड वेब सामग्री का लगातार अद्यतन किया जाने वाला सारांश है, जिसके साथ उस सामग्री के पूर्ण संस्करण के लिए लिंक दिए होते हैं. जब आप फ़ीड रीडर का उपयोग करके किसी वेब साइट की फ़ीड की सदस्यता प्राप्त करते हैं, तो आप उस वेब साइट की नई सामग्री का सारांश प्राप्त करेंगे. महत्वपूर्ण: वेबसाइट फ़ीड की सदस्यता प्राप्त करने के लिए आपको फ़ीड रीडर का उपयोग करना आवश्यक है. जब आप RSS या एटम फ़ीड लिंक पर क्लिक करते हैं, तो हो सकता है आपका ब्राउज़र बिना स्वरूपित तकनीकी भाषा से भरा पेज प्रदर्शित करें.

RSS और एटम क्या है?
RSS और Atom दो फ़ीड स्वरूप है. अधिकतर फ़ीड रीडर दोनों स्वरूपों का समर्थन करते हैं. वर्तमान में, Google समाचार एटम 0.3 और RSS 2.0 का समर्थन करता है.

आगे पढ़ें >>

बहुत से हिन्दी चिट्ठाकारों ने भी इस विषय पर लिखा हुआ है. आइए, देखते हैं कि किसने क्या क्या कैसा लिखा है –

· देबाशीष जी की लेखनी पहले पहल इस विषय पर चली जब फीड नया नया प्रचलन में आया ही था –

असाधारण है रियली सिंपल सिंडिकेशन

बातें तकनीकी श्रेणी में June 13, 2005 को Debashish ने लिखा

ब्लॉग जब खूब चल पड़े और चारों और इनके चर्चे मशहूर हो गये तो इसी से जुड़ा एक और तंत्र सामने आया। जिस नाम से यह पहले पहल जाना गया वह ही इसका परिचय भी बन गया। यूं तो आर.एस.एस एक तरह का क्षमल प्रारूप है और इसके बाद आर.डी.एफ, एटम यानि अणु जैसे अन्य प्रारूप भी सामने आये हैं पर आर.एस.एस एक तरह से क्षमल फीड का ही पर्याय बन गया है। जिस भी जालस्थल से आर.एस.एस फीड प्रकाशित होती है पाठक ब्लॉगलाईंस जैसे किसी न्यूज़रीडर के द्वारा बिना उस जालस्थल पर जाये उसकी ताज़ा सार्वजनिक प्रकाशित सामग्री, जब भी वह प्रकाशित हो, तब पढ़ सकते हैं। यह बात दीगर है कि जालस्थल के मालिक ही यह तय करते हैं कि फीड में सामग्री की मात्रा कितनी हो और यह कितने अंतराल में अद्यतन रखी जावेगी।

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(जिस जाल स्थल पर पता पट्टी में यह चिह्न दिखाई देता है तो समझिए कि उसकी फीड उपलब्ध है)

आज आलम यह है कि ब्लॉग हो या समाचारों की साईट, जिन जालस्थलों की विषय वस्तु नियमित रूप से बदलती रहती है, आर.एस.एस फीड का उनके जालस्थल से चोली दामन का साथ बन गया है। आर.एस.एस कि पृष्ठभूमि में प्रयुक्त हो रही मूल तकनीक, यानि पुश तकनलाजी, कोई नयी बात नहीं है। 90 के दशक में काफी जोरशोर से काम में लाये गये हैं ये। इस बार जो बात अलग है वो यह है कि आर.एस.एस को व्यापक रूप से मान्यता दी गयी और अपनाया गया। तकनीकी तौर पर आर.एस.एस काफी आकर्षित करता रहा है जालस्थल कंपनियों को। आगे पढ़ें >>

· इसके बाद जीतेन्द्र जी का कुंजीपट टकटकाया और उन्होंने कुछ मजेदार अंदाज में फीडों की फीड कुछ इस तरह से दी –

ये RSS क्या बला है?

Posted on फरवरी 22nd, 2006 in मिर्जा पुराण, तकनीकी.

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इससे पहले कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वाले हमारे खिलाफ़ कोई फ़तवा जारी करें या दण्ड उठाकर हमारे पीछे दौड़े, हम बता दें कि हम उनके बारे मे बात नही कर रहे।

अब क्या? ये RSS क्या होता है? और क्यों होता है? ये फीड का क्या फन्डा है?

clip_image005अक्सर ये सवाल मै, अपने कई जानकारों से सुनता हूँ । और सवाल करने वाले भी कम्प्यूटर के जानकार लोग होते है। कुछ लोग हर ब्लॉग पर RSS का आइकान देखकर पूछ बैठते है। अब हम जब किसी को समझाने की कोशिश करते है और कोई सरल सा जवाब बताने की कोशिश करते हैं। लेकिन कंही ना कंही कुछ तकनीकी मसला बीच मे आ ही जाता है, जिससे लोग उचक जाते है। इसी बीच मिर्जा से बातचीत हुई, बोले देखो मिंया,ये तकनीकी मसले जेब मे रक्खो, हमको तो साफ़ सीधी भाषा मे बताओ, नही बता सकते तो ये RSS गया तेल लेने।जब तक ये तकनीकी मामलों को सरल और सीधी साधी भाषा मे जनता को नही समझाओ, तब तक बात नही बनेगी। ऐसे किसी को RSS का मतलब समझाओगे, तो लोग तुमको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वाला समझेंगे, और खांमखां मे बुरे बनोगे। इसलिये अगर तुम मुझे सीधी सीधी भाषा मे फीड का फन्डा समझाओगे, तभी मै समझूंगा कि तुमको RSS की समझ है।” मिर्जा की बाद दिल को चुभ गयी, लेकिन होठों पर मुस्कान फैलाते हुए हम समझाने लगे, तो आइये भाई लोग आप भी मिर्जा के साथ साथ फीड का फन्डा समझिये। आगे पढ़ें>>

· इस बीच चिट्ठाकारों के बीच परिचर्चा पर फीड विषयक परिचर्चाएँ चलीं. एक छोटी सी चर्चा यहाँ भी हुई. तब फिर रविरतलामी ने अपना तकनीकी ज्ञान झाड़ा –

मेरा वाला, बढ़िया आरएसएस फ़ीड …

श्रेणी तकनीक़ी नज़र चिट्ठाकार रवि दिन: बुधवार 2 अगस्त 2006 समय: 5:14 pm

आप कौन सा आरएसएस रीडर इस्तेमाल करते हैं?

बेतरतीब समय में लिखे व प्रकाशित किए गए ब्लॉग पोस्टों को पढ़ने के लिए ही आरएसएस फ़ीड का सृजन किया गया था. आज की तिथि पर देखें तो पाएंगे कि तीन दर्जन से अधिक आरएसएस रीडर अपनाए जाने के लिए इंटरनेट के पृष्ठों पर डाउनलोड हेतु तत्पर बैठे हैं. पर इनमें से किसे अपनाएँ? कौन अपनी आवश्यकता में खरा उतरता है?

पिछले साल भर से मैंने भी बहुत से फ़ीड रीडरों को आजमाया है. कोई कहीं से अच्छा दिखाई देता है तो कोई कहीं से. किसी का फ़ीड प्रबंधन अच्छा है तो कोई तेज चलता है. कोई जरा सी एक्सएमएल में गड़बड़ी पाते ही फ़ीड बंद कर देता है तो कोई बेरोकटोक चलता रहता है ... आगे पढ़ें>>

  • इसके बाद उन्मुक्त जी ने भी इस पर लिखा –
आर.एस.एस. फीड (RSS Feed) क्या बला है?

हर वेबसाइट पर हमेशा कुछ न कुछ नयी सूचना आती रहती है और इसे देखने के लिये निम्न तरीके हैं,

  • वेबसाइट पर जाकर नयी सूचना देखना।
  • वेबसाइट से नयी सूचना के बारे में ई-मेल प्राप्त करना।
  • RSS/ ATOM फीड के द्वारा जानकारी करना।

वेबसाइट पर जाकर सूचना प्राप्त करना सबसे पुराना तरीका है। उसके बाद जैसे, जैसे तकनीक में सुधार होता गया, सूचना प्राप्त करने के तरीके भी सुलभ होते गये। पहले ई-मेल से सूचना प्राप्त करने की सुविधा आयी फिर RSS/ ATOM फीड की तकनीक आयी।

आगे पढ़ें>>

  • दस्तक में सागर जी ने आरएसएस फीड लेकर चिट्ठों को पढ़ने का सविस्तार सचित्र वर्णन कुछ यूं किया है-

चिठ्ठों की फीड लेने का सबसे आसान तरीका

August 23rd, 2007 at 5:54 pm (तकनीकी)

Easiest way to take blog’s feed

फॉयरफॉक्समें चिठ्ठों की फीड लेने का सबसे आसान तरीका

कई बार वरिष्ठ चिठ्ठाकार अपनी पोस्ट में कहते हैं कि हम अपने पसन्द के चिठ्ठों को फीड के द्वारा ही पढ़ लेते हैं। तब नये चिठ्ठाकार अक्सर सोचते हैं ( मैं भी सोचता था) कि भला चिठ्ठों की फीड क्या होती है और इसे कैसे लेते हैं? तो मित्रों आप सबके लिये प्रस्तुत है चिठ्ठों और तीनो ब्लॉग एग्रीग्रेटर तथा अपने मनपसन्द चिठ्ठे की फीड लेने का एक आसान तरीका जिससे आपको बार बार उनकी साईट को खोलने की जरूरत नहीं होगी।

इसके लिये हमें sage इन्स्टाल करना होगा, डरिये मत यह कोई सोफ्टवेर नहीं है बल्कि फॉयरफॉक्स के लिये बना आर एस एस रीडर और एटम फीड रीडर एक्सटेंशन है जो बहुत छोटा सा (मात्र 135Kb) है, और जितनी आसानी से इन्स्टाल होता है उतनी ही आसानी से अपना काम करता है।

sage इन्स्टाल करने के लिये सबसे पहले आप इस पोस्ट को दोबारा से फॉयरफॉक्स में खोलें

और ... आगे पढ़ें>>

मिर्ची सेठ उर्फ पंकज जी ने अग्निलूमड़ (जीहाँ, वही फ़ॉयरफ़ॉक्स ब्राउज़र) पर लाइव बुकमार्क लेने यानी उस पर फीड लेने के बारे में लेखों की बढ़िया शृंखला लिखी थी निरंतर पर जो कि संभवतः अब उपलब्ध नहीं है. (मुझे नहीं दिखी) और, विभिन्न फीड से और फीड तकनॉलाजी से कई कारनामे किए जा सकते हैं उसके कई उदाहरण हैं. जैसे कि यह और यह.

तो, उम्मीद है, अब आपको ये समझ आ गया होगा कि फीड क्या होता है. वैसे, ऊपर दिए गए तमाम तकनीकी विवरणों का सार यही है कि जैसे कि आप किसी मासिक पत्रिका को न्यूजस्टैंड पर जाकर खरीदते हैं तो आप महीने के आरंभ में एक दो चक्कर लगाते हैं कि पत्रिका आई या नहीं. कभी वह 1 तारीख को मिल जाती है तो कभी 10 तारीख को. परंतु जब आप इसी पत्रिका के सालाना ग्राहक बन जाते हैं तो जब भी यह प्रकाशित होती है तो यह आपके घर पर आ जाती है नियमित – पोस्टमैन या कोरियर के द्वारा. फीड यही काम करता है. आपके लोकप्रिय चिट्ठे जिस समय भी प्रकाशित होते हैं, वे फीड बनाते हैं. यदि आप उस चिट्ठे के फीड के ग्राहक हैं तो आपको उसके चिट्ठे पर नया क्या लिखा है यह देखने के लिए बार बार जाना नहीं पड़ता. यह काम पोस्टमैन की तरह आपका फीडरीडर करता है.

तो देर किस बात की? बाजू में इस चिट्ठे के ग्राहक बनने की कड़ी है. आप कई तरीके से इसके ग्राहक बन सकते हैं. सबसे आसान तरीका है ईमेल के द्वारा इस चिट्ठे को पढ़ना. यानी जब भी इस चिट्ठे में नई प्रविष्टि प्रकाशित होगी वह आपको ईमेल के जरिए पूरी की पूरी मिल जाएगी. आपको यहाँ आने की आवश्यकता ही नहीं!

और, यदि आप चिट्ठाकार हैं, तो अब आपको समझ आ जाना चाहिए कि आपके चिट्ठे की पूरी फीड क्यों आवश्यक है. आधी अधूरी पत्रिका का कोई ग्राहक बनना चाहेगा क्या?

--

COMMENTS

BLOGGER: 13
  1. बहुत उम्दा जानकारी रवि भाई।

    जवाब देंहटाएं
  2. रवि जी, फिर भी समझ में नहीं आया। कुछ स्पष्ट करें-- उदाहरण के लिए इस टिप्पणी को लिखने के लिए खुले बॉक्स के ऊपर की कड़ी "सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom)" प्रकट हुई। उस पर क्लिक किया तो एक default नामक फाइल सेव हो गई। इस फाइल को कहाँ, कैसे और क्या करना है?

    जवाब देंहटाएं
  3. बेनामी8:07 pm

    और सरकिट अपुन को बोला की ये आर एस एस कोइ संघ परिवार वाला है।
    :)

    बहुत अच्छे से समझाया आपने फीड के बारे में।

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  4. बेनामी8:13 pm

    ऊपर वाली मजाकिया टिप्पणी मेरी है :)
    जगदीश भाटिया

    जवाब देंहटाएं
  5. हरिराम जी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस ब्राउजर से उसे क्लिक करते हैं. उदाहरण के लिए यदि आप ऑपेरा से उसे क्लिक करते हैं तो आपको इसकी सारी प्रविष्टियाँ स्वचालित तरीके से फीड मेन्यू में दिखेंगी. फ़ॉयरफ़ॉक्स में लाइव बुकमार्क में दिखेंगी. वैसे आप इसकी कड़ी को कॉपी कर आउटलुक में आरएसएस सब्सक्राइब करने के लिए कर सकते हैं. मेरा अनुरोध है कि इस चिट्ठे पर जो भी लिंक दिए हैं, खासकर माइक्रोसॉफ़्ट आउटलुक का, उसे देखें - तो उसमें सारी बातें चित्रमय विस्तार से बताई गई हैं. यदि कोई समस्या फिर भी हो तो बतावें.

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह वाह रवि जी, मजा आ गया. एक दम से विस्तृत/वृहद जानकारी. बस एक छोटा सा और लेख लिख दें तो सोने में सुहागा हो जायगा. हरिराम जी पहले ही इस ओर इशारा कर चुके है.

    सवाल यह है कि: फीड को कैसे प्राप्त किया जाये? यह मानकर चलिये कि मैं तकनीकी आदमी होते हुए भी इस मामले में अज्ञान हू.

    दूसरी बात, अपने चिट्ठे पर फीड कैसे दिया जाय्!!

    तीसरी बात: हम आपकी जानकारी का पूरा फायदा लेके ही रहेंगे. बहुतों का फायदा होगा.

    -- शास्त्री जे सी फिलिप

    आज का विचार: हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
    इस विषय में मेरा और आपका योगदान कितना है??

    जवाब देंहटाएं
  7. शुक्रिया इस उपयोगी जानकारी के लिए!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छा और जानकारी पूर्ण लेख रवि जी। इस का लिंक विकिपीडिया और सर्वज्ञ पर दे देते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  9. भाई अब तो हमे भी कुछ-कुछ समझ आ रहा है. शास्त्री जी धन्यवाद रवि जी को लेख लिखने के लिए कहने को.
    रवि जी पूरी जानकारी देने का शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  10. रवि जी, मेरी टिप्पणी पर आपका उत्तर पूरा समाधान नहीं दे पाया। मैं IE6 ब्राउजर का प्रयोग करता हूँ। और ई-मेल वेबमेल सीधे Gmail अर्थात् mail.google.com में पढ़ता हूँ। फिर इस सेव हुई इस default file को कहाँ पेस्ट करूँ?

    जवाब देंहटाएं
  11. Nice Information !!

    FM & AIR Listener From Bhopal

    जवाब देंहटाएं
  12. मुझे तो अपकी शरण में, भोपाल ही आना पडेगा। पूरी रामायण बॉंचने के बाद भी पता नहीं कि राम और सीता कौन थे।

    मेरे ब्‍लॉग की फीड भी मित्रों को नहीं मिल रही है।

    जवाब देंहटाएं
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तकनीकी ,1,अनूप शुक्ल,1,आलेख,6,आसपास की कहानियाँ,127,एलो,1,ऐलो,1,कहानी,1,गूगल,1,गूगल एल्लो,1,चोरी,4,छींटे और बौछारें,148,छींटें और बौछारें,341,जियो सिम,1,जुगलबंदी,49,तकनीक,56,तकनीकी,709,फ़िशिंग,1,मंजीत ठाकुर,1,मोबाइल,1,रिलायंस जियो,3,रेंसमवेयर,1,विंडोज रेस्क्यू,1,विविध,384,व्यंग्य,515,संस्मरण,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,स्पैम,10,स्प्लॉग,2,हास्य,2,हिंदी,5,हिन्दी,509,hindi,1,
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छींटे और बौछारें: ये फ़ीड क्या है, ये फ़ीड? और, आपके चिट्ठे की पूरी फ़ीड क्यों जरूरी है?
ये फ़ीड क्या है, ये फ़ीड? और, आपके चिट्ठे की पूरी फ़ीड क्यों जरूरी है?
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छींटे और बौछारें
https://raviratlami.blogspot.com/2007/10/blog-post.html
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