भाइयों और बहनों, आ गया! आ गया!! खासतौर पर नेताओं के लिए। ऐसी कुर्सी जो खास आपकी ही होगी। कोई दूसरा उस पर कभी कब्जा नहीं कर सकेगा। आप जहाँ ...
भाइयों और बहनों,
आ गया! आ गया!!
खासतौर पर नेताओं के लिए।
ऐसी कुर्सी जो खास आपकी ही होगी। कोई दूसरा उस पर कभी कब्जा नहीं कर सकेगा।
आप जहाँ जाएंगे, कुर्सी आपके साथ चलेगी।
जहाँ चाहेंगे कुंडली मारकर - माफ कीजिएगा, कुर्सी लगा कर बैठ सकते हैं।
और, जब अपनी कुर्सी अपने साथ होगी तो फिर दूसरे की कुर्सी पर निगाह भी नहीं टिकेगी।
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