वैसे तो हर भारतीय सड़क, गड्ढों से परिपूर्ण होता है और हर सौ मीटर पर कोई दो सौ छोटे-बड़े किस्म के गड्ढे होते ही हैं. मगर फिर भी, इन्हें मापन...
वैसे तो हर भारतीय सड़क, गड्ढों से परिपूर्ण होता है और हर सौ मीटर पर कोई दो सौ छोटे-बड़े किस्म के गड्ढे होते ही हैं. मगर फिर भी, इन्हें मापने, इनकी गिनती करने, रीयल टाइम स्थिति बताने वाला भी कोई ऐप्प होना चाहिए था कि नहीं?
और यह आवश्यकता भी अब पूरी हो गई है.
गड्ढेदार भारतीय सड़कों के लिए यह गर्व का दिन है. आखिर उनके अपने लिए भी उनका अपना, सही ऐप्प आ गया.
और, गड्ढेदार भारतीय सड़कों पर चलने वाले हम जैसे अनुभवी लोगों के लिए भी यह बहुत काम का है. अब हम अधिकाधिक गड्ढे वाली सड़कों का चुनाव कर सकेंगे ताकि उन रास्तों से जाकर हम अपना गड्ढेदार अनुभव बरकरार रख सकें और जमीन से, जमीन के गड्ढों से जुड़े रह सकें. चिकनी, बेगड्ढेदार सड़कें भी कोई सड़कें होती हैं? और उन पर चलने का भी कोई अनुभव होता है? नहीं. सही अनुभव, जीवंत अनुभव, जीवन का अनुभव तो न्यूनतम डेढ़-दो फ़ीट गड्ढेदार सड़कों में चलने, वाहन चलाने में ही आता है.
इस ऐप्प से एक और फ़ायदा होगा. जिन सड़कों में पर्याप्त गड्ढे नहीं हैं उनका रीयलटाइम में पता लगाया जाकर उनमें पर्याप्त गड्ढे किए जाने के पर्याप्त उपाय किये जा सकेंगे. काम में व सरकारी फ़ाइलों में डूबे सरकारी बाबुओं के लिए एक अदद काम और बढ़ जाएगा, मगर इसमें कोई मुश्किल इसलिए नहीं होगी क्यूंकि इसमें पर्याप्त, मलाईदार टेंडरीय संभावनाएँ निहित हैं.
गड्ढों के भी दिन फिरते हैं!
ऐप भी कंफ्यूज हो जाएगा कि गड्ढों में सड़क है या सड़क में गड्ढे
हटाएंकाश कोई एप ये बताता कि गड्ढों में कितनी सड़क है. कल ही भोपाल से वापस आया और शिवराज मामाजी के प्रशासन-सुशासन को लेकर मैंने जो छवि मन में बनाई थी वो ध्वस्त हो गई. दो लिंक रोड और वीआईपी रोड को छोड़ दें तो पूरे भोपाल की सड़कों का कबाड़ा हो गया है.
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