इस रचना को रचने के लिए मैं पिछले कई दिनों से सृजन-रत था. नहाया-धोया भी नहीं. खाया-पीया तो दूर की बात है. वो रचनाकार ही क्या जो अपनी रचना की...
इस रचना को रचने के लिए मैं पिछले कई दिनों से सृजन-रत था. नहाया-धोया भी नहीं. खाया-पीया तो दूर की बात है. वो रचनाकार ही क्या जो अपनी रचना की रचनाशीलता, उसकी सृजनशीलता में पूरी तरह से डूब न जाए. सो मैं भी डूबा हुआ था. ऊपर से, बहुतों ने अपने पोस्टों, स्टेटस आदि से इस रचना को रचने के लिए मुझे लगातार प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरित किया. रचना के एक-एक शब्द, वाक्य को मैंने मोतियों जैसे चुना है. न एक अक्षर अधिक न एक शब्द कम. वाक्य भी परिपूर्ण. कॉमा, फुलस्टॉप भी सही जगह पर. वर्तनी भी पूरी तरह जाँची हुई- भले हींदी के लिए वर्तनि जाँचने वाला सही प्रोग्रमा अब तक ठीक ढंग से बन न पाया हो, मगर अपने होशो-हवास से मैं घोषित कर सकता हूँ कि यह त्रुटिरहित, परिपूर्ण रचना है.
यह रचना कुछेक के लिए हास्य-व्यंग्य से ओतप्रोत होगी तो बहुतों के लिए प्रतीत होगी विडंबना का बायस. कई विशिष्ट किस्म के जन्मजात चश्माधारियों के लिए यह रचना मानवीय संवेदनाओं से, मानवीय गुणों से परिपूर्ण होगी. इस रचना में क्रांति, इंकलाब पैदा करने की पर्याप्त संभावना है. कई इसे जेहाद या जिहाद का प्रारंभिक चरण भी कह सकते हैं. इससे जियादा और क्या कहूँ? चलिए, कह ही देता हूँ - इस रचना में बूकर से लेकर ज्ञानपीठ और नोबल तक के पुरस्कार खैंचने की पर्याप्त संभावना है. यकीन नहीं होता? अरे, पहले यह रचना तो पढ़ें. केवल पढ़ें ही नहीं, बल्कि पाठ करें. नियमित पारायण करें, आत्मसात करें. यदि समझ में न आए, तो जिस तरह रामचरित मानस का पाठ करते हैं, उसी तरह इसका नित्य पारायण करें. तभी समझ में आएगी यह रचना. या फिर समझने के लिए कुछ इंतजार करें. इस रचना की टीकाएं आएंगी, समीक्षाएँ आएंगी, मोटे मोटे ग्रंथ इसे समझाने के लिए लिखे जाएंगे. और जब यह रचना समझ में आएगी तब निर्वाण होगा, ज्ञान मिलेगा, ज्ञान चक्षु खुलेंगे. फिर आपका कल्याण होगा, जिससे अंततः भारत का और फिर, दुनिया का कल्याण होगा.
तो, प्रस्तुत है वह रचना -
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया
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(चित्र - साभार गूगल चित्र खोज)
सही है बिल्कुल सही, न एक अक्षर कम न एक अक्षर ज्यादा।
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