दोपहर में धूप बड़े दिनों के बाद निकली थी तो मौसम थोड़ा सुहाना हो चला था। परंतु शाम होते होते, देखते ही देखते घनघोर काली घटा छा ...

दोपहर में धूप बड़े दिनों के बाद निकली थी तो मौसम थोड़ा सुहाना हो चला था। परंतु शाम होते होते, देखते ही देखते घनघोर काली घटा छा गई और वो इतना झूम कर बरसी कि लगा दुनिया का सारा पानी आज यहीं उंडेल देगी। बीच बीच में बिजली चमका कर देखती भी जा रही थी कि कहीं कोई कोना सूखा तो नहीं रह गया।
आज जैसी बारिश कभी देखी नहीं।
खुदा खैर करे, कल के अखबार रंगीन न हों।
हम पुकारते रहे और आप ले उड़े
हटाएंछींटे और बौछारें!
क्षण-क्षण नवीन चित्रों का एक ही तो चितेरा है !
हटाएंयह कौन चित्रकार है..
हटाएंकल मैने भी बारिश का आनंद लिया मैने आज तक इतनी जोरदार कडकती बिजली की आवाज भोपाल में पहली बार लगातार नही सुनी थी, विजय मार्केट बरखेडा भोपाल से सब्जी खरीदी, फिर रात 9 बजे घर आया जैसे ही बिस्तर पर बच्चे और मै सोने के लिये तैयारी कर रहे थे अवधपुरी भेल के दोनो Transformers उड गये toll-free phone number 18004203300 पर 2 बार कम्पलेंड की तब जाकर रात 1 बजे बिजली के दर्शन हुये जो कि बच्चो को मच्छर और गर्मी से बचाती है। मैने देखा की कैसे लाइनमैन और पूरी टीम बारिश में खम्भे पर चढकर नंगे हाथों से के तार जोड रहे थे
हटाएंप्रकृति की चित्रकारी के आगे सभी बौने हैं।
हटाएंवाह...
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हटाएंसचमुच में अद्भुत।
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