ब्लॉगिंग को समर्पित ब्लॉग अड्डा में हिंदी ब्लॉगिंग पर त्रिदिवसीय विचार विमर्श प्रारंभ किया गया है. विचार-विमर्श शनिवार देर रात तक जीवंत चलत...
ब्लॉगिंग को समर्पित ब्लॉग अड्डा में हिंदी ब्लॉगिंग पर त्रिदिवसीय विचार विमर्श प्रारंभ किया गया है. विचार-विमर्श शनिवार देर रात तक जीवंत चलता रहेगा. इस विचार-विमर्श में अपनी बात रखने के लिए आप भी आमंत्रित हैं.
विचार-विमर्श की सामग्री बाद में भी पठन-पाठन हेतु उपलब्ध रहेगी.
यदि आपके मन में कोई प्रश्न हों, कोई विचार हों या दूसरे हिंदी ब्लॉगिंग के बारे में क्या कह रहे हैं यह जानना चाहते हों तो ब्लॉग अड़्डा डिस्कशन फ़ोरम में हिंदी ब्लॉगिंग पर विचार विमर्श में यहाँ जाएँ.
होकर आते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया मंच है
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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जवाब देंहटाएंमैं लड़की हूँ...
जब भी अपने भीतर उतरती हूँ
कुछ कवितायें मिल ही जाती हैं।।
बस महसूस करती हूँ...
उसके अनकहे ज़ज़्बात...
जब भी मैं किसी लड़की से बात करती हूँ।।
मैं लड़की हूँ...
समझती हूँ उसके दिल के हालात।
उसके दिल मे दफ़न सैकड़ों सवालात।।
उम्र के उस दौर को हमने भी जीया है।
यकीनन उस पीड़ा को हमने भी सहा है।।
जब कोई नहीं समझ पाता है...
उसके उलझे-उलझे से ख़यालात।।
मैं लड़की हूँ...
उसके दिल तक पहुँच ही जाती हूँ।
जब भी मैं किसी लड़की से बात करती हूँ।।
उसकी आँखों की नमी को...
उसके होंठों की हँसी को...
उसने किस अल्फ़ाज़ के पीछे छुपाया है।
ये मैं जान जाती हूँ...
जब भी मैं किसी लड़की से बात करती हूँ।।
एक ही लड़की में कई किरदार मिलते हैं।
हर बार मुझे नये-नये ऐहसास मिलते हैं।
उसके मन की गहराई समन्दर से कम नहीं होती।
छुपा के रखती है जिसमें अपने सभी दुःख-दर्द।
किसी को भी उसकी मगर थाह नही देती।।
मैं लड़की हूँ...
जब भी अपने भीतर उतरती हूँ।
हर बार कुछ कवितायें मिल ही जाती हैं।
जब भी मैं किसी लड़की से बात करती हूँ।।
।। इंदु ।।
जवाब देंहटाएंमैं लड़की हूँ...
जब भी अपने भीतर उतरती हूँ
कुछ कवितायें मिल ही जाती हैं।।
बस महसूस करती हूँ...
उसके अनकहे ज़ज़्बात...
जब भी मैं किसी लड़की से बात करती हूँ।।
मैं लड़की हूँ...
समझती हूँ उसके दिल के हालात।
उसके दिल मे दफ़न सैकड़ों सवालात।।
उम्र के उस दौर को हमने भी जीया है।
यकीनन उस पीड़ा को हमने भी सहा है।।
जब कोई नहीं समझ पाता है...
उसके उलझे-उलझे से ख़यालात।।
मैं लड़की हूँ...
उसके दिल तक पहुँच ही जाती हूँ।
जब भी मैं किसी लड़की से बात करती हूँ।।
उसकी आँखों की नमी को...
उसके होंठों की हँसी को...
उसने किस अल्फ़ाज़ के पीछे छुपाया है।
ये मैं जान जाती हूँ...
जब भी मैं किसी लड़की से बात करती हूँ।।
एक ही लड़की में कई किरदार मिलते हैं।
हर बार मुझे नये-नये ऐहसास मिलते हैं।
उसके मन की गहराई समन्दर से कम नहीं होती।
छुपा के रखती है जिसमें अपने सभी दुःख-दर्द।
किसी को भी उसकी मगर थाह नही देती।।
मैं लड़की हूँ...
जब भी अपने भीतर उतरती हूँ।
हर बार कुछ कवितायें मिल ही जाती हैं।
जब भी मैं किसी लड़की से बात करती हूँ।।
।। इंदु ।।
।। इंदु ।।
जवाब देंहटाएंमेरे ह्रदय की पीड़ा , जो तेरे ह्रदय तक नहीं पहुँची।
मेरे स्नेह में खोट होगा,जो तुझ तक दुआ नहीं पहुँची।।
तुम मग्न रहो अपनी धुन में,मैं तेरी प्रीत में खो जाऊँ।
जो अलख लगी है मन में, उसमें विलीन मैं हो जाऊँ।।
।। इंदु ।।