आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 457 हाथी कितना दूर था ? ? एक रा...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
457
हाथी कितना दूर था? ?
एक राजा के दरबार में विद्वानों की सभा चल रही थी। एक विद्वान भागवत पुराण में वर्णित ‘गजेन्द्र मोक्ष’ नामक रोचक कथा सुना रहे थे। वे बोले – ‘गजराज की करुण पुकार सुनते ही भगवान नारायण भागते हुए चले आये। जल्दी में वे अपना शंख और चक्र लेना भी भूल गए। यहां तक कि उन्होंने अपनी संगिनी देवी लक्ष्मी को भी सूचित नहीं किया।’
विद्वान की बात सुनते ही राजा ने उनसे प्रश्न किया – ‘स्वामी जी, कृपया मुझे यह बतलायें कि उस जगह से बैकुण्ठ कितनी दूर है जहां से हाथी ने पुकार लगायी थी?’
विद्वान ने उत्तर दिया – ‘क्षमा कीजिए, मैं इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकता। ऐसे बहुत कम सौभागयशाली हैं जो इस प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं।’
दरबार में मौजूद बाकी सभी विद्वानों ने भी इस प्रश्न का उत्तर दे पाने में असमर्थता जतायी। अचानक राजा के पीछे खड़ा एक व्यक्ति धीरे से बोला – ‘महाराज, यदि आप मुझे अनुमति दें तो मैं इस प्रश्न का उत्तर बता सकता हूं।’ राजा की अनुमति मिलते ही वह बोला - ‘हे महाराज, उस जगह से बैकुण्ठ उतना ही दूर था जितनी दूर से उस हाथी की पुकार सुनी जा सके।’
भगवान नारायण का एक नाम ‘हृदयनिवासी’ भी है।
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क्योंकि यह तुम्हारा बच्चा नहीं था
ऐंडीज़ पर्वत श्रंखला में दो योद्धा प्रजातियां थीं। एक प्रजाति निचले इलाके में रहती थी तथा दूसरी पर्वतों के ऊपर। एक दिन ऊंचे पर्वतों पर रहने वाली प्रजाति ने निचले इलाके पर हमला बोल दिया। अपने बहुसंख्यक योद्धाओं के बल पर उन्होंने निचले इलाके में तबाही मचा दी और वापस जाते समय एक नवजात बच्चे को अपहृत करके अपने साथ ले गए।
निचले इलाके के लोग ऊंचे पर्वतों पर चढ़ने की कला नहीं जानते थे। वे यह भी नहीं जानते थे कि पर्वतीय इलाकों में छुपे लोगों को किस तरह तलाश किया जाये। अत: बच्चे को उनके कब्जे से वापस लाने के उन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं की टीम भेजी।
उन योद्धाओं ने दुर्गम पर्वतीय ढलानों पर चढ़ने के लिए एक के बाद एक कई युक्तियां अपनायीं परंतु नाकामयाब रहे। कई दिनों के परिश्रम के बाद जब वे कुछ सौ फुट ही चढ़ पाए तो निराश होकर उन्होंने इस अभियान को समाप्त करने एवं खाली हाथ घर वापस लौटने का निर्णय लिया।
जैसे ही वे घर वापस जाने के लिए मुड़े, उन्होंने देखा कि उस बच्चे की माँ अपनी पीठ पर बच्चे को लादे वापस लौट रही थी। उनमें से एक व्यक्ति ने उस महिला को बधाई देते हुए पूछा – ‘जब हमारे इतने नौजवान और ताकतवर योद्धा इस पर्वत पर चढ़ने में सफल नहीं हो पाए तो आखिर आपने कैसे सफलता पायी?’
महिला ने अपने कंधों को उचकाते हुए कहा –‘क्योंकि यह तुम्हारा बच्चा नहीं था।’
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214
ब्यूरोक्रेसी
एक छात्र भाषा-लेबोरेट्री में पहुँचा और वहाँ के भंडार क्लर्क से एक खाली (ब्लैंक) टेप मांगा.
क्लर्क ने छात्र से पूछा – “किस भाषा का ब्लैंक टेप आपको चाहिए?”
“फ्रांसीसी” – छात्र ने जवाब दिया.
“हमारे पास इस भाषा का कोई ब्लैंक टेप नहीं है.” – क्लर्क ने बताया.
“क्या आपके पास अंग्रेज़ी भाषा का ब्लैंक टेप है?” – छात्र ने कुछ सोचते हुए पूछा.
“हाँ है.” – क्लर्क ने बताया.
“बहुत बढ़िया” – छात्र ने आगे कहा – “एक दे दीजिए. मैं इसी से काम चला लूंगा.”
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215
सत्य की खोज
एक व्यक्ति को ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु की तलाश थी. इसके लिए वह एक प्रसिद्ध ऋषि के आश्रम पहुँचा और ऋषि से अपना चेला बना लेने का निवेदन किया.
ऋषि ने उस व्यक्ति से कहा – ज्ञान की प्राप्ति का मार्ग बहुत कठिन है. क्या तुम उस पर चल पाओगे?
व्यक्ति ने जब अपनी सहमति दी तो ऋषि ने कहा – ठीक है, कल से तुम आश्रम में पानी भरोगे, जलाऊ लकड़ियाँ काटोगे और सभी के लिए खाना बनाओगे.
मैं आपके पास ज्ञान की तलाश में आया था, रोजगार की तलाश में नहीं ! – उस व्यक्ति ने ऋषि से कहा और बढ़ लिया.
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216
नाम में क्या रखा है?
एक दंपत्ति का पहला बच्चा हुआ तो वे बड़े प्रसन्न हुए. जब बच्चे के नामकरण की बारी आई तो पति-पत्नी में वाद विवाद हो गया. विवाद इतना बढ़ गया कि वे इसे सुलझाने के लिए मुल्ला नसरूद्दीन के पास पहुँचे.
“समस्या आखिर क्या है?” – मुल्ला ने पूछा.
“मैं बच्चे का नाम अपने पिता के नाम पर रखना चाहता हूँ.” पति ने कहा.
“मैं बच्चे का नाम इनके नहीं, अपने पिता के नाम पर रखना चाहती हूँ.” पत्नी ने कहा.
“आपके पिता का नाम क्या है?” मुल्ला ने पति से पूछा.
“अहमद” पति का जवाब था.
“और आपके पिता का?”
“अहमद” पत्नी ने जवाब दिया.
झगड़ने के लिए कारण की जरूरत नहीं होती!
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217
अफवाह की सत्यता
एक बार एक क्षेत्र में यह अफवाह फैल गया कि खड़ी फसल हफ्ते भर के भीतर सूख कर मुर्झा जाएगी और अकाल पड़ जाएगा.
जबकि इसके विपरीत फसल अच्छी खासी खड़ी थी और पैदावार की प्रत्याशा आशा से अधिक थी.
परंतु अफवाह के कारण किसान बदहवास हो गए और अपने खेतों को छोड़ कर रोजगार की तलाश में शहरों को पलायन कर गए.
इधर खेतों में खड़ी फसल की देखभाल नहीं हुई और हफ्ते भर में फसलें सूख गईं और सचमुच में क्षेत्र में अकाल पड़ गया.
अफवाह सच हो गया.
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219
अगला वक्ता कौन
एक बार टाउन हाल में सम्मेलन हो रहा था. एक वरिष्ठ राजनेता को बीज वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित किया गया तो उन्होंने जो भाषण देना चालू किया तो बन्द ही नहीं किया.
श्रोताओं में से एक एक कर लोग उठने लगे.
स्थिति यह हो गई कि श्रोता के नाम पर सिर्फ मुल्ला नसरूद्दीन बैठा रह गया था.
वक्ता बड़ा खुश हुआ और मुल्ला को धन्यवाद देते हुए कहा – लोग मूर्ख हैं, जो मेरी बात नहीं सुनते. आप बड़े बुद्धिमान पुरुष हैं जिन्होंने मुझे पूरा सुना.
“नहीं नहीं, यह बात नहीं है -” मुल्ला ने बात पूरी की “दरअसल, अगला वक्ता मैं हूँ.”
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219
उपहास
एक बार गौतम बुद्ध तथागत के साथ एक गांव से गुजर रहे थे. एक अज्ञानी ग्रामवासी बुद्ध का उपहास उड़ाने लगा.
तथागत को बड़ा क्रोध आया, परंतु बुद्ध शांत बने रहे.
बाद में तथागत ने बुद्ध से पूछा – “स्वामी, उस अदने से व्यक्ति ने आपका उपहास उड़ाया, परंतु आपने उसे कुछ भी नहीं कहा.”
“तथागत, यदि मैं अपने पास का थैला भर कर अनाज तुम्हें देना चाहूँ और तुम उसे स्वीकार नहीं करो तो अनाज का क्या होगा?”
“वह मेरे पास ही रहेगा” - तथागत ने कहा.
“यही बात उपहास के साथ भी लागू होती है.” – बुद्ध ने उत्तर दिया.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
वह अन्तरात्मा है..
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