आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 315 बुजुर्ग व्यक्ति और मृत्यु एक ब...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
बुजुर्ग व्यक्ति और मृत्यु
एक बुजुर्ग व्यक्ति काफी दूर से लकड़ियों का गट्ठर अपने सिर पर लादे चला आ रहा था। वह बुरी तरह थक चुका था। जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने अपने बोझ को जमीन पर फेंक दिया और मृत्यु को इस दर्द से निजात दिलाने के लिए पुकारा।
अगले ही पल मृत्यु उसके समक्ष आ खड़ी हुयी और पूछने लगी कि वह क्या चाहता है?
बुजुर्ग व्यक्ति बोला - "मुझ पर सिर्फ इतनी कृपा करें कि यह लकड़ी का गट्ठर फिर से मेरे सिर पर रखने में सहायता कर दें।"
"जीवन अत्यंत प्रिय होता है। हताशा में मृत्यु को पुकारना तो आसान है
परंतु वास्तव में मृत्यु का वरण करना बहुत कठिन।"
316
शेरनी
एक बार जंगल के सभी जानवरों में यह बहस छिड़ गयी कि कौन सा जानवर सबसे ज्यादा बच्चे पैदा कर सकता है। जब विवाद शांत नहीं हुआ तो वे इसके निपटारे के लिए शेरनी के पास गए।
उन्होंने शेरनी से पूछा - "और तुम्हारे कितने बच्चे हैं?"
शेरनी ने तत्परतापूर्वक उत्तर दिया - "सिर्फ एक। लेकिन वह जंगल का राजा है।"
"परिमाण से अधिक महत्त्वपूर्ण होती है गुणवत्ता"
--
68
ईश्वर का प्रमाण
न्यूटन का एक नास्तिक मित्र एक दिन न्यूटन से मिलने आया. न्यूटन अपने प्रयोगों में तल्लीन थे. मित्र ने देखा कि न्यूटन ने सौर तंत्र को प्रदर्शित करता हुआ एक बढ़िया मशीन बनाया है. उनके मित्र ने उसे चलाकर देखा तो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी और अन्य तमाम ग्रह घूमने लगे.
उनके मित्र ने न्यूटन से पूछा – इसे किस ने बनाया है? तुमने या तुम्हारे किसी शिष्य ने?
न्यूटने ने जवाब दिया – किसी ने नहीं.
मित्र ने कहा – ऐसा कैसे हो सकता है?
न्यूटन ने कहा – बिलकुल हो सकता है. ठीक वैसे ही जैसे कि तुम्हारे मुताबिक इस वास्तविक संसार – सूर्य, पृथ्वी इत्यादि को किसी ने नहीं बनाया है, ये अपने आप बना है.
--
69
कितनी लंबी सोच
एक व्यापारी के पास इतना सामान था कि डेढ़ सौ ऊंटों के काफिले में भी नहीं समाता था. उसके पास चालीस नौकर थे जो काफिले को संभालते थे. एक दिन उसने अपने मित्र सादी को खाने पर बुलाया.
रात्रि भोज के दौरान और बाद में रात भर वह व्यापारी अपनी व्यापारिक समस्याएँ सादी को सुनाता रहा. फिर आखिर में उसने सादी को बताया –
“ओ सादी, मैं अब अपने आखिरी व्यापारिक यात्रा पर जाने वाला हूँ. अबकी बार मैं अपने साथ मिस्र से गंधक लेकर चीन जाऊंगा क्योंकि वहाँ यह भारी मुनाफे में बिकेगा. फिर वहाँ से चीनी पात्र लेकर रोम जाऊंगा और बहुत पैसे बनाऊंगा. वहाँ से मेरा जहाज बड़ी मात्रा में माल लेकर भारत जाएगा जहाँ उसे बेचकर मसाले भर लाऊंगा इधर यमन और मिस्र में भारी दामों में बेचकर बेहिसाब दौलत कमाऊंगा.”
सादी के चेहरे पर अविश्वास के भावों को नजर अंदाज करता हुआ व्यापारी आगे जारी रहा – “और इस तरह मेरे मित्र, फिर मैं अपनी बाकी जिंदगी ऐशोआराम से गुजारूंगा.”
--
(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
जब तक जीवन है, जीना है..
जवाब देंहटाएंमृत्यु का वरण आसान नहीं, स्मरण आसान है।
जवाब देंहटाएंपरिमाण महत्व कम रखता है, गुणवत्ता अधिक।
न्यूटन की बात पर बस हँस सकते हैं।
दूरदर्शिता!