अ मरीकी इतिहास में पहली मर्तबा कोई एक लाख चालीस हजार कंप्यूटर उपयोक्ताओं पर हर्जाना भरने का मुकदमा दायर किया गया है. उन पर टोरेंट से फ़िल्मे...
अमरीकी इतिहास में पहली मर्तबा कोई एक लाख चालीस हजार कंप्यूटर उपयोक्ताओं पर हर्जाना भरने का मुकदमा दायर किया गया है. उन पर टोरेंट से फ़िल्में अवैध तरीके से डाउनलोड करने का आरोप है. टोरेंट से डाउनलोड करने वालों को उनके आईपी पते से पहचाना जाकर उन पर अवैध तरीके से फिल्म डाउनलोड करने और इस वजह से फिल्म कंपनी को हुए नुकसान की भरपाई का मुकदमा दायर किया गया है.
और, ऐसा एक नहीं कई फ़िल्मों के निर्माताओं ने किया है. हर्टलाकर फ़िल्म के लिए 24583 लोगों को, एक्सपांडेबल्स के लिए 23000 लोगों को चिह्नित किया जाकर उनपर मुकदमे दर्ज किए गये हैं. इसी तर्ज पर कई अमरीकी शहरों में कई बी ग्रेड फ़िल्मों व पॉर्न फ़िल्मों को टोरेंट से डाउनलोड करने वाले कोई 1 लाख 40 हजार लोगों के ऊपर हर्जाना वसूलने के अलग-2 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. प्रत्येक मुकदमे के लिए डेढ़ हजार से 3000 डालर (करीब डेढ़ लाख रुपए) हर्जाना वसूला जा रहा है. हर्जाना वसूलने का यह धंधा वहाँ इतना बढ़िया फल फूल रहा है कि कई कंपनियाँ एक ही व्यक्ति को कई कई बार अभियुक्त बना रही हैं.
तो यदि आप भी टोरेंट जंकी हों तो चेत जाइए. भारत में जब गली कूचों में पायरेटेड डीवीडी मिलती है तो फिर टोरेंट से डाउनलोड कर पहचान हेतु अपना आईपी पता छोड़ने की क्या कोई जरूरत है भी?
कोशिश कई बार की और आजकल भी एक एक फिल्म "अमेरिकन साईबोर्ग" देखने के लिये ऐसी ही कोशिशें कर रहा हूँ/था। लेकिन कभी सफलता नहीं पाई।
जवाब देंहटाएंऔर आज के बाद तो अब भूल ही जाऊंगा।
इस पोस्ट के लिये आभार
प्रणाम स्वीकार करें
बढ़िया और उपयोगी जानकारी ... आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंअरे बाप रे, वैसे मैं तो दूर ही रहता हूँ।
जवाब देंहटाएं---------
हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?
यह बहुत अच्छा हुआ काश भारत में भी जल्द ही ऐसा हो पाए
जवाब देंहटाएंचलिए अच्छा हुआ। अभी कल-परसों ही पढ़ा था कि पंडित जसराज पाइरेसी को अच्छा मान रहे थे। मैं भी मानता हूँ। वैसे भी फिल्म का उद्देश्य अधिकतम लोगों तक पहुँचना होना चाहिए था लेकिन ये फिल्म वाले 99 और 299 में असली कैसेट बेचते हैं और ऐसी पाँच फिल्मों की एक डीवीडी गाँधी मैदान,पटना के पास पंद्रह रूपये में मिल जाती है। यानि असली से साठ गुनी कम कीमत पर। फिर टोरेंट डाउनलोड करने में फायदा तो नहीं ही है। आखिर जब कैसेट पंद्रह में तैयार हो सकती है तो 100-200 में बेचकर अम्बानी बनना चाहते ही क्यों हैं ये फिल्म वाले? वैसे मोजेरबेयर की असली सुपर डीवीडी 40 रूपये में मिल जाती है जिसमें तीन फिल्में होती हैं।
जवाब देंहटाएंवैसे अगर फिल्म वालों को अपने अधिकार की इतना चिन्ता है तो पता कर के पहले ही क्यों नहीं लिंक हटवाया? कुछ कमाई तो कर ही लेंगे।
कहीं ज्यादा लम्बा बनकर टिप्पणी से आलेख तो नहीं लिख दिया…?
i wish they implement the same law for downloading the music / songs as well
जवाब देंहटाएंi have never downloaded movie but i have downloaded songs
from today i will stop that also
आज ही पूरी मित्र मण्डली में ढिंढोरा पीटूंगा कि टोरंट बन्द करो। हम तो पहले से ही गरीब आदमी हैं, हर्जाने के बाद और हो जायेंगे।
जवाब देंहटाएंमैंने तो हजारों जीबी की मूवीज और सोफ्टवेयर डाउनलोड किये हैं.. कल रात भी ४-५ फ़िल्में डाउनलोड की.. जिन फिल्मों का नाम आपने बताया है वे भी देखी थीं डाउनलोड करके... करने दीजिए मुकदमा.. देखा जाएगा.. वैसे भी सुनते हैं अमरीका की जेलों में खाने का अच्छा इंतजाम होता है ;)
जवाब देंहटाएंइण्टरनेट का भी दाम लगायें तो और मँहगा पड़ेगा।
जवाब देंहटाएंभाई सत्यार्थी जी,
जवाब देंहटाएंक्यों भारत अमेरिका की जेल में रहना चाहते हैं? ओशो और बुश पर जूता फेंकने वाले इराकी पत्रकार ही अमेरिकी जेलों का सुख समझ सकते हैं। जेल भरो आन्दोलन वो भी अमेरिका में ठीक नहीं है।
क्या सचमुच रवि जी? बाप रे, अब तो ऐसी लत लग चुकी है कि कहाँ रोक पाऊँगा....
जवाब देंहटाएंरचना दी से प्रेरित होने का मन तो कर रहा है, but i will take my chances...
टोरेण्ट, क्या?
जवाब देंहटाएंवैसे भी बहुत सर खपाऊ है फ़िल्म डाउनलोड करना.. कई घंटे लगते है... इतना इंतज़ार कौन करे..
जवाब देंहटाएंअब तो सोचना पड़ेगा :(
जवाब देंहटाएंचन्दन जी के पहले कमेन्ट जैसा ही मेरा ही विचार है.. इसलिए जम के डाउनलोड करता हूँ.. कॉपीराइट ठेंगे पर..
जवाब देंहटाएं@चन्दन भाई... जेल वाला कमेन्ट मौज लेने के लिए था.. :)
अब क्या बतायें हम तो इस पर पोस्ट भी लिख चुके हैं कि कैसे डाऊनलोड करें, खैर आजकल समय कम होने के कारण फ़िल्म देख भी नहीं पाते इसलिये डाऊनलोड भी बंद है, हाँ अब आजकल गेम्स डाऊनलोड कर रहे हैं, टोरन्ट्स से और किताबें, एक से एक किताबें मिल जाती हैं। और सोर्सकोड फ़िल्म तीन बार डाऊनलोड कर ली है परंतु अभी तक अच्छा वर्जन नहीं मिल पाया है, इसलिये अब सोच लिया है कि डाऊनलोड करेंगे ही नहीं।
जवाब देंहटाएंजानकारी भरा लेख, लग तो ऐसा ही रहा है, लोग टोरंट के चक्कर में टोरंटो ना पहुँच जाये,
जवाब देंहटाएंमैंने बहुत पहले टौरेंट से बहुतेरी फ़िल्में डाउनलोड की हैं लेकिन वे सभी फ़िल्में ऐसी थीं जिन्हें अब शायद ही कोई देखता है... कालजयी फ़िल्में.
जवाब देंहटाएंमुझे कौन पकड़ेगा? :)
.मौज़ के आगे फ़ौज़ क्या !
जवाब देंहटाएंमैं फ़ौज़ी के साथ हूँ !
बहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने ,आगे से सावधान dvd ही लाइ जाएगी ....
जवाब देंहटाएं--आशीष
उपयोगी जानकारी... लेकिन इस वक्त जहाँ हम हैं...वहाँ कोई डर नहीं ...जब किसी और जगह जाएँगे तो वहीं के कानून के हिसाब से चलने लगेंगे...
जवाब देंहटाएंi dnt downloads movies from torrent
जवाब देंहटाएंhttp://siwaninformation.blogspot.com/
मैंने अब तक सिर्फ एक बार टॉरेंट का इस्तेमाल किया था वो भी मजबूरी में एक सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करने के लिए। मूवी और म्यूजि़क कभी डाउनलोड नहीं करता। यह बढि़या जानकारी है... इसे शेयर कर रहा हूं। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं31 dec tak maaf kar dete ril jio ka free offar chal raha hai.
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