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छींटे और बौछारें: हिन्दी के अगले सूर और तुलसी ब्लॉगिंग के जरिए ही पैदा होंगे….
हिन्दी के अगले सूर और तुलसी ब्लॉगिंग के जरिए ही पैदा होंगे….
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjYJGFug7dU3AY0Fv0BK2GI4zECXA155FLtjtFAQffdHykeSNIP1DTN1sA4olb5XzFAGAovidkhqcyYoFubIYjIhHQlNs96avX1bQecEP4X0Y-l1YemM3Hls5KsIu4po5el0Vt-/?imgmax=800
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छींटे और बौछारें
https://raviratlami.blogspot.com/2010/04/blog-post_21.html
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पढ़ आये.
हटाएंयह कल्पना अत्यंत हास्यापद ही है कि..
हटाएं,,हिन्दी में सूर तुलसी..आप देखिये कि लगभग
पाँच सौ सालों में कोई कबीर हुआ .दूसरा
वाल्मीक ..तुलसी हुआ ..जाहिर है कि नहीं
दरसल ये अपनी प्रतिभा से नहीं हुये बल्कि
निमित्त मात्र थे..आप क्या प्रायः प्रत्येक ही
धर्म का स्थूल अध्ययन करते हैं और इसी लिये
धर्म में भ्रांतियों की भरमार है..किसी बङी बात
पर समीक्षा करने से पूर्व हमें यह आत्मवलोकन
अवश्य करना चाहिये कि हम जो कह रहे है उसकी
कोई ठोस वजह भी है या नहीं
सत्य वचन !
हटाएं@राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ -
हटाएंलगता है आपने मेरी बिम्बो में कही बात को सीधे अर्थों में ले लिया. मेरा कहना है कि उन जैसे वजन के रचनाकार ब्लॉगों के जरिए ही पैदा होंगे - जैसा कि नामवर सिंह ने ब्लॉग माध्यम की संभावना को देखते हुए कहा था - पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं - तो मेरा ये मानना है, और मैं ऐसे ढेरों प्रतिभा सम्पन्न रचनाकारों और एकदम विशिष्ट - बोल्ड एंड ब्यूटीफ़ुल लेखन शैली हिन्दी ब्लॉगों में देख रहा हूँ - जो मेरे इस विचार को और भी संबल प्रदान करते हैं!
बिल्कुल सही ........
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