क्योंकि, हमें मालूम हैं, तुम्हारी पचौरिया कोशिशें… व्यंज़ल दूसरों को नसीहत और खुद चल रहे कार में दोस्त थे देखो लड़ ...
क्योंकि, हमें मालूम हैं, तुम्हारी पचौरिया कोशिशें…
व्यंज़ल
दूसरों को नसीहत और
खुद चल रहे कार में
दोस्त थे देखो लड़ पड़े
बिन कारण बेकार में
अलग मजा होता है
कभी कभी तो हार में
कुछ तो फ़र्क करो यारों
दो तीन और चार में
दो बातें तो होंगी रवि
जब वो बैठेंगे यार में
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(समाचार कतरन – साभार दैनिक भास्कर)
आधुनिक बाबा लोग पंचौरी ही है, तभी इनकी बाते असर नहीं करती.
हटाएंपर उपदेश कुसल बहुतेरे.
हटाएंमजेदार
हटाएं...उम्दा,हास्यप्रद कार्टून !!!
हटाएंबढ़िया को कहावत विकसित हुई…इन्हें नोबेल भी मिल गया है न? सो कुछ भी करें तो …
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