वैसे तो किसी सर्वेक्षण की सफलता या ये कहें कि उसकी परिशुद्धता उसके सैंपलिंग की मात्रा के समानुपाती होती है, तो इस आधार पर अनुमानित 10 हजार ह...
वैसे तो किसी सर्वेक्षण की सफलता या ये कहें कि उसकी परिशुद्धता उसके सैंपलिंग की मात्रा के समानुपाती होती है, तो इस आधार पर अनुमानित 10 हजार हिन्दी चिट्ठाकारों में से कम से कम 1 हजार चिट्ठाकार इस सर्वे में भाग लेते तो आंकड़ों पर दमदारी से कुछ कहा जा सकता था. फिर भी, इस सीमित सर्वेक्षण में कुछ ट्रैंड तो पता चले ही हैं. तो प्रस्तुत है हिन्दी ब्लॉग सर्वेक्षण के परिणाम:
(1) हिन्दी चिट्ठाकारी में अचानक टपक पड़ने वाले अधिकांश (57.4%) का मानना है कि वे इंटरनेट सर्च के माध्यम से यकायक इस दुनिया से परिचित हुए. बहुत से चिट्ठाकारों ने अपने ब्लॉग का हर संभव प्रचार प्रसार अपने मित्रों के बीच किया, और वे भी अपने मित्रों (27.9%) को हिन्दी ब्लॉग दुनिया में खींच लाने में सफल हुए.
एक चिट्ठाकार की मजेदार प्रतिक्रिया रही : हमें तो हिन्दी चिट्ठाकारी के बारे में पता ही नहीं था जी, अपने आप को फन्ने खां समझ रहे थे हिन्दी ब्लॉग चालू करके जब दूसरे लोगों ने आकर भ्रम तोड़ा!! ;)
(2) चिट्ठाकारों के बीच हिन्दी में लिखने का सबसे सुलभ तरीका (52.5%), जाहिर है – फोनेटिक कुंजीपट ही बना हुआ है:
(3) हिन्दी में लिखने के लिए चिट्ठाकार अपने पसंद व हिसाब से सरल औजार का प्रयोग करते दीखते हैं. अधिकांश चिट्ठाकार वेब इंटरफेस जैसे कि गूगल इंडिक ट्रांसलिट्रेटर अथवा यूनिनागरी जैसे औजारों का प्रयोग करते पाए गए हैं:
बहुत से चिट्ठाकारों ने कैफ़ेहिन्दी टाइपिंग टूल के बारे में बताया है कि वे इस अच्छे औजार का प्रयोग करते हैं.
(4) हिन्दी ब्लॉगों में किस विषय को सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है और किन विषयों पर सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती है? चिट्ठाकारों की पसंदगी की बातें करें तो समसामयिक टीकाएँ (51.6%) उन्हें ज्यादा लुभाती हैं उसके बाद हास्य व्यंग्य आकर्षित करता है.
एक चिट्ठाकार की प्रतिक्रिया थी : ज्ञान विज्ञान से परिपूर्ण आलेख तथा सकारात्मक सोच की सामग्री। एक निवेदन है कृपया पांच नम्बर कॉलम में 'आम बोलचाल की भाषा' का आप्शन भी बढाएं।. एक अन्य चिट्ठाकार ने मजेदार बात लिखी: वो जो मुझे अच्छा लगता है, सब फालतू ही लिखते है, और उनमें मै भी हूँ. यकीन मानिए, आपके साथ तो मैं भी हूं. :)
(5) आपको अपनी चिट्ठाकारी की भाषा पर ध्यान देने का वक्त आ गया लगता है. क्योंकि अधिकांश चिट्ठाकारों ने (65.2%) अखबारी और प्रचलित अंग्रेज़ी शब्दों से भरपूर भाषा को पसंद करते हैं. शुद्ध भाषा के भी अपने दीवाने हैं, परंतु मुम्बइया टपोरी किस्म की भाषा यदि आप लिखते हैं, तो सचेत हो जाइए, इस स्टाइल के लेखन के लेवाल कम ही हैं:
(6) शत प्रतिशत कस्टमाइजेशन की सुविधा प्रदान करने के कारण, भले ही ब्लॉगर ब्लॉगस्पाट कई मामलों में वर्डप्रेस से पीछे हो, मगर यह अधिकांश (95.6%) हिन्दी ब्लॉगरों का पसंदीदा प्लेटफ़ॉर्म बना हुआ है:
(7) चंद खांटी ब्लॉगरों को छोड़ दें, जिन्हें ब्लॉगिरी के लिए 24 घंटे भी कम पड़ते हैं, तो आमतौर पर जनता (49.3%) 1-3 घंटे की ब्लॉगिंग में ही संतुष्ट हो लेती है. 29 प्रतिशत ब्लॉगर 1 घंटे से कम समय दे रहे हैं. इनसे निवेदन है कि अपने ब्लॉगिंग घंटे बढ़ाएँ, कुछ अतिरिक्त पढ़ें, लिखें, टीपें व टिपियाएँ :
(8) आठ नंबर के प्रश्न से तो यह पता चलता है कि चिट्ठाकार इमानदारी से ऑफिस में काम निपटाते हैं, और चिट्ठाकारी में टाइम खोटी वो घर पर (79.1%) ही करते हैं. अनुमान लगाया जा सकता है कि चिट्ठाकारों का घरेलू जीवन कितना कांव-कांव भरा होगा:
(9) वैसे तो जनता डेस्कटॉप पीसी (64.2%) से ही आमतौर पर चिट्ठों पे चिट्ठे लिखते चले आ रहे हैं, पर कुछ तबका लैपटॉप व नोटबुक से भी लैस हो गया है और मोबाइल उपकरणों पर हिन्दी सुविधा उपलब्ध हो जाने से थोड़ी मात्रा में ही सही, हिन्दी चिट्ठाकार इनसे भी ब्लॉगिंग करने लगे हैं:
एक पाठक को अभी भी कापी कलम दवात के जरिए ब्लॉग लेखन सुहाता है.
(10) चिट्ठाकारों के बीच ब्लॉग लेखन के लिए सर्वमान्य रूप से सर्वाधिक प्रचलित सहायक उपकरण – विंडोज लाइव राइटर (47.5%) बना हुआ है:
इस प्रश्न पर पाठकों की मिली जुली प्रतिक्रियाएँ रही हैं – एक चिट्ठाकार की प्रतिक्रिया थी - कोई प्लगिन टूलबार नहीं प्रयोग करते जी, सीधे ही ब्लॉग पर ठेलते हैं। जब वर्डप्रैस वालों ने इतना बढ़िया चकाचक इंटरफेस बना के दिया हुआ है तो काहे कुछ और इस्तेमाल करें। और इंटरफेस को चाटना थोड़े ही है, बस ब्लॉग पोस्ट नोटपैड से कॉपी कर वर्डप्रैस में चिपकाई और छाप दी, 5 मिनट भी ना रहते इंटरफेस में!! ;). एक अन्य चिट्ठाकार ने लिखा : वर्ड में लिख कर सीधे वर्डप्रेस आधारीत ब्लॉग पर पोस्ट करता हूँ.
हिन्दी ब्लॉग सर्वे में भाग लेने के लिए आप सभी का दिली शुक्रिया.
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(टीप: बहु विकल्प उत्तर में से बहु विकल्प चुनने की सुविधा के कारण उत्तरों का कुल प्रतिशत योग 100 से अधिक हो सकता है)
हम तो भाग ही नही ले पाये।हां ब्लाग के बारे मे मुझे वरिष्ठ ब्लागर संजीत त्रिपाठी ने बताया था।
हटाएंबढ़िया रोचक रहा यह तो .शुक्रिया
हटाएंachha sarvekshana ya vishleshana kiya................badhai
हटाएंअरे हम तो चुटीले अंदाज में टीपने से रह गए?
हटाएंचलिए यह सर्वे भी कुछ जानकारी भी लाया !!
अगर इसको कुछ और दिन बाद परिणाम दिखाया जाता तो शायद यह और बड़ा सैम्पल base हो पाता?
प्राइमरी का मास्टरफतेहपुर
फॉर द रिकॉर्ड, वो पहले प्रश्न में हिन्दी ब्लॉग आरंभ करने वाली मज़ेदार टिप्पणी और दसवें प्रश्न वाली वर्डप्रैस इंटरफेस वाली टिप्पणी मेरी है!
यही कारण हैं कि वर्डप्रैस.कॉम एक बेहतर प्लैटफॉर्म होने पर भी लोगों को ब्लॉगस्पॉट से कम भाता है!
हटाएंशत प्रतिशत कस्टमाइजेशन की सुविधा प्रदान करने के कारण, भले ही ब्लॉगर ब्लॉगस्पाट कई मामलों में वर्डप्रेस से पीछे हो, मगर यह अधिकांश (95.6%) हिन्दी ब्लॉगरों का पसंदीदा प्लेटफ़ॉर्म बना हुआ हैऐसा इसलिए है कि अधिकतर हिन्दी ब्लॉगर ब्लॉगस्पॉट पर ही जमे हुए हैं। वर्डप्रैस की असली औकात उसको स्वयं होस्ट कर चलाने पर दिखती है लेकिन ऐसा बहुत ही कम ब्लॉगर करते हैं। वर्डप्रैस.कॉम सेवा को लोग ब्लॉगस्पॉट से कमतर इसलिए भी मानते हैं क्योंकि उसमें जो आवरण उपलब्ध हैं वही प्रयोग हो सकते हैं, अपने अनुसार जावास्क्रिप्ट वगैरह के चमकते तामझाम नहीं लगाए जा सकते जो बहुत से नए लोगों को आकर्षित करते हैं और साथ ही वर्डप्रैस.कॉम के ब्लॉग में विज्ञापन नहीं लगाए जा सकते। कितने ही ब्लॉगस्पॉट वाले ब्लॉगर देख लीजिए, लगभग सभी एडसेन्स लगाए मिल जाएँगे, चाहे साल में एक डॉलर ही क्यों न बनता हो लेकिन आस तो है ही!
29 प्रतिशत ब्लॉगर 1 घंटे से कम समय दे रहे हैं. इनसे निवेदन है कि अपने ब्लॉगिंग घंटे बढ़ाएँ, कुछ अतिरिक्त पढ़ें, लिखें, टीपें व टिपियाएँकहाँ से दें जी जब दफ़्तर का काम 14-15 घंटे पेलम पिलाई करवाता है तो 1 घंटा निकल जाए बहुत बड़ी बात नज़र आती है!! छुट्टी वाले दिन किसी तरह आलस्य भगा के फीड रीडर को काफ़ी हद तक साफ़ किया जाता है!
उम्दा सर्वेक्षरण रहा, वाकई कुछ अन्दर की बाते बातई वो लाजवाब थी।
हटाएंअच्छा सर्वे रहा बधाई...
हटाएंसांख्यकी ्का छात्र हूँ सर्वे मेरा पेशा है पर survey monkey के बारे में नहीं पता था.. शुक्रिया एक और औजार के बारे में बताने के लिये...
एक और बात १०% sample size कोई तय पैमाना नहीं है... ये कई बातों पर निर्भर करती है...वैसे अगर universe ही १०००० है तो sample size 200-250 (्बिना आकलन के रफ अनुमान दे रहा हूँ) ही पर्याप्त है..
आप कहीं उल्लेख कर देते की कुल कितने लोगों ने भाग लिया तो अच्छा रहता...
्पुःन बधाई...
भाग लेने वालों की
हटाएंसूची और मिल जाती
तो रुचि बढ़ जाती
परिणाम अच्छे हैं। आगे के लिए एक रास्ता भी सुझाते हैं।
हटाएंकित्ते लोग भरने आए थे जी.

हटाएंपरिणामों की प्रतिक्षा थी...
वर्डप्रेस नीजि होस्टिंग के लिए बेहतर है. मुफ्त के लिए ब्लॉगर चकाचक है....तो ज्यादा संख्या होना लाजमी है.
चलिए एक मस्त काम पूरा हुआ. तकनीक पर पढ़ने वाले कितने है?
सर्वे में जबकि नाम भी नहीं पूछा था, फिर भी अधिकतर डर के मारे झूट बोल गये-धर से/
हटाएंबढ़िया रहा सर्वे. बधाई.
परिणाम रोचक ही नही मार्ग-द्रशक भी है, एसे उपयोगी अभियान जारी रखे.परिणाम का शीघ्र प्रकाशन अच्छा लगा.
हटाएंहम तो चूक ही गये इस मतदान से!
हटाएंकाफ़ी उपयोगी बातें पता चलीं और यह भी कि हम अभी भी नॉर्मल ब्लॉगर बने हुए हैं।
हटाएंहमारे तो सभी परिणाम मैच कर रहे है बस लैपटॉप वाले में चूक गए हमको का पता की लोग अब भी इतना ज्यादा डेस्क टॉप इस्तेमाल कर रहे है
हटाएंवीनस केसरी
sarahniy prayog.
हटाएंbahut mehnat se kiya gaya survey aur parinaam bhi badhiya hain..
Kya sabhi hindi bloggers 'unicode fonts' use kartey hain ya koi or fonts bhi chalan mein hain???
रविजी मज़ा आया सर्वे पढ़ कर। लिखने में तो आपका अंदाज़ है ही अलग।
हटाएंकांव कांव वाली बात बहुत पसंद आई। हम भी उसी वर्ग में आते हैं। अकेले ही खीझते रहते हैं क्योंकि कांव कांव सुनने को कोई नहीं रहता
अच्छा सर्वे औरअध्ययन !
हटाएंसर्वे रिपोर्ट लगभग वैसी ही है जैसा कि हम आमतौर पर सोचते हैं कि इन दिनों यह ट्रेंड चल रहा होगा।

हटाएंएक-दूसरे से पूछपाछ कर सीखते हैं। आपके बताए रस्ते पर चलते हैं। जहां सुविधाजनक लगता है वहीं टिके रहते हैं। इस तरह बस काम चल रहा है।
एक अनुमान मेरा यह है कि अब गंभीर ब्लॉगरों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। सो हल्के फुल्के साहित्य के बजाय ठोस साहित्य की मांग बढ़ रही है। गूगल सर्च में भी ब्लॉग प्रमुखता से दिखते हैं इस कारण ब्लॉगों की जिम्मेदारी बढ़ रही है।
वैसे कबाड़ लिखने का आनन्द ही कुछ और है
भाग तो नहीं ले पाये मगर जान्कारी अच्छी है बधाइ
हटाएंइस सर्वे में हमने भी भाग लिया था, प्लग इन का मतलब ही नहीं मालूम था तो क्या जवाब देते इसी लिए कहा था कि नोटपैड पर लिख कर सीधे ब्लोग पोस्ट पर कॉपी कर देते हैं
हटाएंरवि जी!
हटाएंवन्दे-मातरम.
इस सर्वे की जानकारी न रहने से इसमें भाग लेने से चूक गया. अगले सर्वे की सूचना ज़रूर दें. प्रस्तुतीकरण रोचक है. कुछ प्रश्न छूट गए. यथा किसके कितने ब्लॉग?, कौन कितने ब्लॉग फोलो कर रहा है?, फोलो और कमेन्ट करने के चिटठा चुनने का आधार?, सर्वाधिक पसंद चिटठा और पसंदगी का कारण, चिट्ठों और चिट्ठाकारों से अपेक्षाएं...आदि अस्तु
इस सार्थक और उपयोगी अनुष्ठान हेतु साधुवाद.
हिंदी चिट्ठाकारों का आर्थिक सर्वेक्षण में अपना सहयोग दें
हटाएंरह तो हम भी गए
हटाएंइससे नहीं गम भए
आप इसका आगामी संस्करण लाइए
वहां सबसे पहले आप हमें ही पाइए
वैसे इसमें दोष हमारा भी नहीं है और है भी। क्योंकि इस संबंध में पोस्ट की जानकारी कल ही हुई थी। एक टिप्पणी की थी सोचा कि फुरसत में एक दो दिन में विवरण भरेंगे पर क्या पता था कि देर हो जाएगी। पर आगे के लिए सतर्क हो गए हैं।
badiya jankari ...
हटाएंहम तो आ ही नहीं पाए इस सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए। वैसे काफी चीजें इस सर्वेक्षण ने उजागर की। अब एक सर्वेक्षण पाठकों का भी हो जाये तो मज़ा आ जाये।
हटाएंप्रणाम
हटाएंसार्थक लेखन.....अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
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