यूनिकोड के आने से पहले भी हिन्दी प्रेमी इंटरनेट पर सक्रिय थे और तमाम जुगतों के जरिए अपनी रचनाएँ व कृतियाँ इंटरनेट पर प्रकाशित करते थे. बह...
यूनिकोड के आने से पहले भी हिन्दी प्रेमी इंटरनेट पर सक्रिय थे और तमाम जुगतों के जरिए अपनी रचनाएँ व कृतियाँ इंटरनेट पर प्रकाशित करते थे. बहुत सी साइटों मसलन प्रभासाक्षी.कॉम में कृतिदेव में तथा अभिव्यक्ति-हिन्दी.ऑर्ग में शुषा फ़ॉन्ट में लाखों पन्नों की हिन्दी सामग्री है.
अब आप इन्हें प्रभावी तरीके से इंटरनेट पर खोज बीन कर सकते हैं व प्रयोग कर सकते हैं.
यहाँ तक कि पीडीएफ़ फ़ाइलों की हिन्दी सामग्री को भी.
यह सुविधा आपके लिए प्रस्तुत किया है – छोटू गूगल ने. वैसे तो रफ़्तार, गुरूजी इत्यादि विशिष्ट खोज सेवाओं के जरिए पुराने हिन्दी फ़ॉन्टों की सामग्री को ढूंढने की सुविधा पहले से उपलब्ध है, मगर मामला घालमेल सा हो जाता है. यदि आपको किसी विशेष फ़ॉन्ट की सामग्री ही ढूंढनी हो तो यह नया विकल्प बहुत काम का है.
मैंने सरसरी तौर पर अभिव्यक्ति ढूंढा तो मेरे सामने एक बहुत ही शानदार हिन्दी पीडीएफ पत्रिका वाणी (http://hindipressclub.110mb.com/vaani/06/Vaani-06-high.pdf ) नमूदार हो गई. – पत्रिका शुषा फ़ॉन्ट में तैयार की गई है और उसका पीडीएफ़ इंटरनेट पर उपलब्ध है.
छोटू गूगल में खोज शब्द भरने के लिए दो खिड़कियाँ हैं. आप चाहें तो सीधे यूनिकोड में ऊपर की खिड़की पर खोजा जाने वाला हिन्दी शब्द भर सकते हैं, या फिर नीचे की खिड़की में संबंधित फ़ॉन्ट में (कृतिदेव या शुषा फ़ॉन्ट में).
मैंने कुछ और खोजबीन की तो कृतिदेव और शुषा में तो हिन्दी साहित्य का खजाना यत्र तत्र बिखरा हुआ मिल गया. तो चलिए कुछ खोजबीन आप भी करें, और यदि काम का कुछ निकलता है तो छोटू गूगल को दे दें धन्यवाद.
दादा सबसे पहले तो आप इस मूल्यवान सूचना के लिये साधुवाद स्वीकारिये और छोटू गूगल को भी धन्यवाद पहुंचे....।
हटाएंछोटू गूगल से हिन्दी का भला होगा, इसमें शक नहीं । उपयोगी खोज कर रहा है यह छोटू गूगल । धन्यवाद इसकी जानकारी देने के लिये ।
हटाएंधन्यवाद
हटाएंजानकारी देने के लिये,
हटाएंधन्यवाद।
रवीजी
हटाएंसबसे पहले तो हे प्रभु का नमस्कार स्वीकार करे।
शायद आप पहले हिन्दि चिठठाकार है जो प्रतिदिन लगातार चिठठा लिखते है । इस एनर्जि के लिए बधाई, और शुभकामनाए। आपने हमेशा ही जीवन उपयोगी जानकारीयो से हमे अनुग्रहीत किया। आगे भी आप इसी तरह लोगो का मार्गदर्शन करेगे इसी आशा के साथ,
जयजिन्द्र!
यह छोटा गूगल क्या वाकई मे गूगल का है आभार इस साईट तक पहुँचने के लिये !!
हटाएंअच्छा पता बताया आपने,कॉपी पेस्ट न करके सीधे ही लिखकर काम हो जायेगा
हटाएंरवि भाई,
हटाएंवैसे तो मैं चरण छुआने की परम्परा के खिलाफ हूं, मगर अपनी सुविधा से खुद इसका प्रयोग करने में नहीं कतराता हूं।
आज की ये पोस्ट पढ़ कर यही करने की इच्छा हो रही है। कब आऊं आपके द्वारे ?
बहुत शुक्रिया। शानदार जानकारी दी है। ये बातें मैं सोचता रहता था, पर संभव भी हो सकती है, पता नहीं था।
मोटू गूगल कब आएगा?…देखते हैं। अगर काम किया तो बेहतरीन…
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