महिलाओं का देर रात घर से बाहर निकलना साहस की बात नहीं है. चलिए, मान लिया. तो, आखिर वे क्या-क्या बातें हो सकती हैं जिन्हें, बकौल शीला दीक्...
महिलाओं का देर रात घर से बाहर निकलना साहस की बात नहीं है. चलिए, मान लिया. तो, आखिर वे क्या-क्या बातें हो सकती हैं जिन्हें, बकौल शीला दीक्षित, साहस की बात कही जा सकती है? चलिए एक राउंडअप लेते हैं –
- एक नेता के लिए : 25 करोड़ लेकर भी दल नहीं बदलना या क्रास वोटिंग नहीं करना.
- एक अफसर के लिए : रिश्वत लेकर भी काम नहीं करना.
- एक पुलिसिया के लिए : किसी को भी गोली मार कर एनकाउंटर की थ्योरी स्थापित कर देना.
- एक विद्यार्थी के लिए : नकल की बात कौन करे, उत्तर पुस्तिका किसी विषय विशेषज्ञ से लिखवा कर बदल देना.
- एक शिक्षक के लिए : आजकल के विद्यार्थी को पढ़ा सकना.
- एक सर्जन के लिए : एपेण्डिक्स के ऑपरेशन के नाम पर किडनी निकाल लेना.
- किसी सरकारी बाबू के लिए : कोई फ़ाइल हाथ के हाथ (दैन एंड देअर) सरका देना.
अगर लिखते जाएं तो जाहिर है सूची समाप्त ही नहीं होगी, अंतहीन होगी. साहस के काम दुनिया में सैकड़ों हैं. भारतीयता के तारतम्य में एवरेस्ट पर चढ़ना या एंटार्कटिका पर अकेले जाना या दिल्ली में रात में अकेले घूमना साहस नहीं है. ये सबको समझ में आ जाना चाहिए. ठीक से!
व्यंज़ल
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मैंने की है कभी साहस की बात
जो कहूंगा अभी साहस की बात
वक्त ने बेवक्त मार दिया मुझे भी
वरना करता अभी साहस की बात
मुर्दों के मेरे शहर में क्या दोस्तों
करेगा कोई कभी साहस की बात
करता धरता यहाँ कोई कुछ नहीं
पर करते हैं सभी साहस की बात
हो गया एनकाउन्टर रवि का भी
कही उसने कभी साहस की बात
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(समाचार कतरन – साभार डीबी स्टार)
रवि रतलामी जी,
जवाब देंहटाएंशीला दीक्षित तो नेता हैं। यानि सर्व-सक्षम। जो बोल दें वही कानून है। नाहक लफ़ड़ा लेते हैं।
चुभ रही हर बात पर यूँ नारियों का बोलना ।
बोलते हैं जी रवि दिल से वही साहस की बात ॥
अच्छा लिखा है आपने | एक और अनुरोध है आपसे की आपने हिन्दी टूलबार कैसे लिखा है इसकी मैं जानकारी चाहता हूँ | मैं बैंकिंग कंपनी में कंप्यूटर डेवलपर के तौर पे काम करता हूँ |
जवाब देंहटाएंmailtovivekgupta@gmail.com
इन साहसों पर सयास हंसा जा सकता है!
जवाब देंहटाएंडरे नहीं फिर भी और की है टिप्पणी
जवाब देंहटाएंक्या है नहीं यह, साहस की बात!!
:)
शीलाजी की तरह टिप्पणी करना भी साहस का काम है. साहसी महिला है जो कह दे वही सही, हम कायर क्या कहें?
जवाब देंहटाएंसाहस की नई नई बातें बताने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंइस तरह का व्याख्यान किसी मंत्री ने भी किया था नोईडा में किसी कंपनी के मालिक की अपने ही कर्मचारियों द्वारा हत्या होने पर।
जवाब देंहटाएंआजकल अमर सिंह भी बड़े बहादुर नज़र आ रहे हैं।
हमने भी साहस किया ओर चिपका दी टिप्पणी ....ब्लॉग में भी साहस चाहिए ना ...अपनी बात रखने का !
जवाब देंहटाएंऔर जो रवि भाई ने "साहस" से लिख तो दिया पर उस पर अमल करना आम आदमी के लिए "दुस्साहस" की बात है..यह अगली बार आदरणीय शीला दीक्षित बताने वाली हैं. घटना होने तो दीजिये.
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवि जी /आज मैं धन्य हो गया जाने कव से आपकी तलाश थी /एक दिन तकरीबन दो तीन महीना पूर्व मैंने समाचार पत्र में पढा था की रवि रतलामी जी के ब्लॉग सबसे ज़्यादा पढ़े जाते है तभी से तलाश में था /आज ही आपने आदेशित किया और मैं यहाँ आगया /सच बहुत बढ़िया लिखते हैं /शायद मैं अब जान पाऊंगा कि व्यंग्य क्या होता हो / हो गया एनकाउन्टर साहस की बात कहने पर क्या बात है और मुर्दों के शहर में साहस की बार वाह क्या बात है /आपने ये बात व्यंग्य में कही है कभी यही बात या ऐसी ही बात मरहूम शायर शब्बीर हसन खान जोश ने क्रोध और दुखित होकर कही थी """"इन बुजदिलों के हुस्न पे शैदा किया है क्यों /ना मर्द कौम में मुझे पैदा मुझे पैदा किया है क्यों ""
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