जमाना वेब अनुप्रयोगों का है. स्थिति यह है कि इंटरनेट युक्त डेस्कटॉप / लॅपटॉप पीसी के अधिकतर अनुप्रयोग जाल अनुप्रयोग हैं जो ब्राउजरों पर चलते...

जमाना वेब अनुप्रयोगों का है. स्थिति यह है कि इंटरनेट युक्त डेस्कटॉप / लॅपटॉप पीसी के अधिकतर अनुप्रयोग जाल अनुप्रयोग हैं जो ब्राउजरों पर चलते हैं. उदाहरण के लिए जी-मेल, याहू-मेल, ब्लॉगर, वर्डप्रेस, ऑनलाइन गेम्स, गपशप व त्वरित संदेशवाहक, इत्यादि-इत्यादि. और, आज जाल अनुप्रयोगों के जरिए कम्प्यूटिंग के आमतौर पर तमाम काम निपटाए जा सकते हैं.
अब तो गूगल डॉक्स जैसे वेब अनुप्रयोग भी आ चुके हैं जो आपको इंटरनेट के जरिए वेब ब्राउजर के भीतर ही संपूर्ण ऑफिस सूट जैसे अनुप्रयोग मुहैया कर रहे हैं.
ऐसे जाल-अनुप्रयोगों को अब तक ब्राउजर के भीतर ही चलाए जाने की समस्या थी. परंतु अब आपके पास कई किस्म के विकल्प हैं जिनसे आप ऐसे जाल अनुप्रयोगों को डेस्कटॉप अनुप्रयोगों की तरह चला सकते हैं. एडोबी एयर, माइक्रोसॉफ़्ट सिल्वरलाइट और मॉजिल्ला प्रिज्म जैसे प्रकल्प जो वेब अनुप्रयोगों को डेस्कटॉप अनुप्रयोग की तरह उपयोग की सहूलियतें प्रदान करने लगे हैं तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं.
किसी जाल अनुप्रयोग को डेस्कटॉप अनुप्रयोग की तरह इस्तेमाल करने के क्या फ़ायदे हो सकते हैं भला? अब यह तो आपको इन्हें प्रयोग करने के उपरांत ही पता चलेगा, परंतु सबसे बड़ी सहूलियत ये है कि डेस्कटॉप अनुप्रयोग की तरह एक बार सेट करने के उपरांत आप इन्हें अपने स्टार्ट मेन्यू या डेस्कटॉप शॉर्टकट से सीधे चला सकते हैं, बार बार ब्राउजर खोल कर उन साइटों में जाने की आवश्यकता नहीं होती. बहुत बार, आपके लॉगिन खातों और कुकीज को इन अनुप्रयोगों में सेट कर लिया जाता है और फिर आपको दोबारा बारंबार लॉगिन करने की झंझट भी नहीं होती. जरा जीमेल (या याहू मेल को) को डेस्कटॉप अनुप्रयोग की तरह प्रयोग कर देखें. अंतर अपने आप पता चल जाएगा. आइए, देखें कि जीमेल को हम प्रिज़्म के जरिए डेस्कटॉप अनुप्रयोग की तरह कैसे चला सकते हैं.
सबसे पहले प्रिज़्म डाउनलोड करें व अपने कम्प्यूटर में संस्थापित करें.
स्टार्ट > प्रोग्राम मेन्यू से प्रिज्म चालू करें. URL में जीमेल का पता भरें. उसे नाम दें. हिन्दी में भी दे सकते हैं. जैसे कि गूगल मेल. अन्य सेटिंग भी दे सकते हैं – जैसे कि स्टार्ट मेन्यू में जोड़ने के लिए वह विकल्प चुनें. OK पर क्लिक करें.

अब स्टार्ट > प्रोग्राम मेन्यू में जाएं. वहां वेब एप्स खंड में आपका नया जुड़ा अनुप्रयोग दिखाई देगा. उस पर क्लिक करें. आपका जाल अनुप्रयोग – डेस्कटॉप अनुप्रयोग की तरह रूप-रंग लिए चालू होगा. हाँ, ध्यान रखें कि आपका इंटरनेट कनेक्शन बदस्तूर चालू रहे.

प्रिज्म के साथ ख़ूबी ये है कि आप इसे लिनक्स तथा मॅक ओएस में भी संस्थापित कर सकते हैं और तमाम जाल अनुप्रयोगों को वहां भी डेस्कटॉप अनुप्रयोग की तरह चला सकते हैं. – जी हाँ, ब्लॉगवाणी को भी और चिट्ठाजगत् को भी – पर असली मजा है गूगल स्प्रेडशीट जैसे जाल अनुप्रयोगों को डेस्कटॉप अनुप्रयोगों की तरह प्रयोग करने में.
अद्यतन : इस विषय पर अमित गुप्ता द्वारा लिखा एक परिपूर्ण आलेख यहाँ पढ़ें
bahut badhiya upayogi janakari dene ke liye abhaar.
हटाएंबड़ी देर से लिखे हैं रवि जी इस बारे में।
इन तमाम खिड़कियों को सिस्टम ट्रे में डालने का भी तो उपाय बताते वर्ना इतनी अधिक खिड़कियों से व्यक्ति दुखिया जाएगा और वापस टैब वाले ब्राउज़र की ओर भाग जाएगा!!
उस जुगाड़ के बारे में मैंने अपने इस लेख में लिखा था जिसमें मोज़िल्ल प्रिज़्म के बारे में लिखा था - आओ डेस्कटॉप पर लाएँ वेब सेवाएँ
हटाएंअमित जी, शुक्रिया. मैंने आपका वह लेख पढ़ा भी था और टिप्पणी भी की थी. और आपने तो ज्यादा विस्तार से भी लिखा था. परंतु देखिए मैं पूरा का पूरा भूल गया. शायद इनफ़ॉर्मेशन ओवरलोड है या बुढ़ापा या अल्जाइमर्स?
हटाएंथोड़ा सा चिंतित तो होना ही पड़ेगा???
उपयोगी जानकारी के लिए आभार।
हटाएंरवि रतलामी जी, इतनी तकनीकी जानकारी लगती तो अच्छी है लेकिन मेरी समस्या अभी a,b,c,d पर अटकी पड़ी है। अभी मुझे टैब, टूलबार, ब्राउज़र, टास्कबार, इत्यादि की सेटिंग करने ही नहीं आती। ब्लॉगरी का चस्का ऐसा है कि कष्ट उठाकर भी ठेले जा रहा हूँ। इन बेसिक्स को जानने के लिए कोई अड्डा इसी अन्तर्जाल पर हो तो जरूर बताइएगा। windows live writer तथा Mozilla firefox दोनो डाउनलोड करके रखा है लेकिन मेरे vista पर किसी का installation नहीं हो पा रहा है। blogger से इनका तालमेल नहीं बना पा रहा हूँ। barahaIME भी नेट पेज़ पर काम नहीं करता। वर्ड से cut-paste करना पड़ता है। आप मदद कर सकते हैं क्या?
हटाएंआपने कहा है तो आज़मा लेगें जी
हटाएंपरंतु देखिए मैं पूरा का पूरा भूल गया. शायद इनफ़ॉर्मेशन ओवरलोड है या बुढ़ापा या अल्जाइमर्स?


हटाएंथोड़ा सा चिंतित तो होना ही पड़ेगा???
अरे चिन्ता मत कीजिए - इन्फ़ॉर्मेशन ओवरलोड ही होगा, आजकल यह बहुत आम बात है जब हमे ढेर सारी जानकारी मिलने के इतने सारे ज़रिए हैं कि उत्सुक मन भी लालची हो जाता है और जहाँ से जो जानकारी मिलती है वहाँ से उसे पकड़ लेता है और फिर अति होने पर बिना एनालाइज़ किए ताबड़तोड़ जानकारी को कचरापेटी में डालने लगता है जिस कारण कई बार काम की जानकारी दिमाग से निकल जाती है और फालतू की जानकारी याद रह जाती है!
वैसे यह चिन्ता का विषय तो अवश्य है, पर क्या करें, कंट्रोल नहीं होता, ही ही ही!!