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लिनक्स फ़ॉर यू के अप्रैल 2008 के अंक में फ़ॉस.इन 2008 परियोजना विजेता - केडीई हिन्दी टोली के बारे में एक संक्षिप्त आलेख प्रकाशित हुआ है. आलेख दिलचस्प है. परंतु कुछ बिन्दु छूट से गए लगते हैं. टोली के एक महत्वपूर्ण स्तम्भ राजेश रंजन की तस्वीर नहीं लगी है. राजेश ने अभी हाल ही में क्रमश: नाम से चिट्ठा लेखन प्रारंभ किया है और उनकी लेखन शैली भी उनके जैसी ही ग़ज़ब की है.
हिन्दी टीम के जी. करूणाकर भारतीय भाषाई लिनक्स में स्तम्भ स्वरूप माने जाते रहे हैं और शुरूआती नींव उन्हीं के द्वारा डाली गई है. भाषाई तकनीक की जानकारी व विशेषज्ञता के बारे में सभी उनका लोहा मानते हैं. और, मैं उनके पर्सनल टेलिस्कोप का लोहा मानता हूँ, जिससे वे मंगल ग्रह के गड्ढों व शनि के छल्लों का अध्ययन करते रहते हैं.
डॉ. गोरा मोहंती अमेरिका में एस्ट्रोफ़िजिक्स के वैज्ञानिक रहे हैं, और जब उनका भाषाई प्रेम जागा तो वे वापस आकर इंडलिनक्स टोली से जुड़े और अभी वे फ्लॉस और भाषाई तकनीक पर इतने काम कर रहे हैं कि उन्हें सांस लेने की भी फुरसत नहीं है. वे लग-दिल्ली (LUG - लिनक्स यूज़र ग्रुप दिल्ली) के एक सक्रिय सदस्य हैं, जो किसी भी सदस्य की समस्या को हल करने में हर हमेशा तत्पर दीखते हैं.
इतिहासकार, संपादक, शोधार्थी और भाषाविद् रविकांत अभी अपना एक महत्वपूर्ण शोध पूरा करने में तीव्रता जुटे हैं, जिसकी एक झलक आपको जल्द ही दिखाई जाएगी. वैसे, उनके शोध के विषय मनोरंजक होते हैं - जैसे कि - ऑटो के पीछे क्या है?
और, अंत में, मैं अपने बारे में क्या कहूं? मैं, तो बस एक फ्रॉड हूँ!
सभी महारथीयों को सलाम.

हटाएंऔर फ्रॉड लोगो को भी
रवी जी,
हटाएंइन सभी कर्मयोगीयों से संक्षिप्त परिचय कराने के लिये साधुवाद। इनके नेपथ्य में रहकर जी-जान से परिश्रम करने के फलस्वरूप ही देसी भाषाओं के लिये कुछ हो रहा है। इनका कार्य हम सबके लिये प्रेरणा का स्रोत बने।
हाँ सबसे बड़े फ्रॉड यही रतलामी भाई हैं...पिछले चार-पांच सालों से काम करके, लिख करके और हर जगह चर्चा चलाकर इन्होंने ही हिन्दी लोकाइजेशन की बड़ी टीम तैयार की है और अपने रास्ते पर चलाया है
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हटाएंसूचना के लिए धन्यवाद ....अभी कई खेल सीखने बाकि है इस कम्पूटर के ......
हटाएंWay to go! Keep it up.
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