कल मेरी मुलाकात अचानक प्रोब्लॉगर से हो गई. मैंने उनसे सफलता के कुछ मूल मंत्र जानने चाहे कि कैसे दस लाख से अधिक लोग प्रतिदिन मेरे हिन्दी ...
कल मेरी मुलाकात अचानक प्रोब्लॉगर से हो गई. मैंने उनसे सफलता के कुछ मूल मंत्र जानने चाहे कि कैसे दस लाख से अधिक लोग प्रतिदिन मेरे हिन्दी चिट्ठे को पढ़ें और मेरी हिन्दी ब्लॉग से आय एक करोड़ रुपए प्रतिमाह हो...
उन्होंने मुझे बताया कि जब मैं अपना पोस्ट लिख लेता हूँ तो मैं अपने आप से 13 प्रश्न पूछता हूँ. उनके उत्तरों से संतुष्ट होने पर ही मैं अपना लिखा पोस्ट करता हूँ. आप भी ऐसा ही किया कीजिए. मैंने उनसे पूछा, - ये 13 प्रश्न कौन कौन से हैं? उन्होंने एक एक कर बताया – और मैं मन ही मन उनका उत्तर देता रहा -
1. इस प्रविष्टि की मुख्य बातें क्या हैं? क्या मैंने इन्हें सही सही समझाया है?
(उत्तर – मुख्य बातें? हिन्दी चिट्ठों में? और, समझाना? पहले खुद तो समझ लिया करूं...)
2. मेरे विचार में इस प्रविष्टि के पाठक इसे पढ़ने के उपरांत क्या करेंगे? क्या मैंने उन्हें सही दिशा प्रदान की है?
(उत्तर – क्या करेंगे? हुम्म्... दिशा? ? ? हुम्म... सोचना पड़ेगा...)
3. क्या मैंने कुछ उपयोगी लिखा भी है?
(उत्तर – उपयोगी? हिन्दी चिट्ठों में??)
4. क्या मैंने कुछ विशिष्ट लिखा भी है?
(उत्तर – विशिष्ट? इसके लिए तो विशिष्ट सोचना पड़ेगा... क्या विशिष्ट लिखना जरूरी है?)
5. यह जो मैंने लिखा है क्या वो मेरे ब्लॉग के लक्ष्य करीब ले जाता है या उससे दूर करता है?
(उत्तर – लक्ष्य? कौन सा, कैसा लक्ष्य? विवाद का लक्ष्य? चिट्ठा हिट का लक्ष्य? ?)
6. क्या मैंने कोई धांसू शीर्षक लिख मारा है जो लोगों को मेरी पोस्ट की ओर धकेलेगा?
(उत्तर – धांसू शीर्षक तो लिखता रहा हूं, पर वो पोस्ट से मेल नहीं खाता रहा है...)
7. क्या मेरी वर्तनी और व्याकरण सही हैं?
(उत्तर – वर्तनी? व्याकरण? मजाक मत करो, हिन्दी वर्तनी और व्याकरण का कम्प्यूटर पर कोई टूल, औजार बताओ यार! फिर, जब बिन्दु, चंद्र बिंदु, अर्धचंद्र बिंदु, आधा ‘न’, आधा ‘म’ तथा नुक्ते पर अच्छे अच्छे भाषाविद् जब तब अपने कमर कस लेते हैं तो फिर हिन्दी में वर्तनी और व्याकरण की बातें? फ़िजूल!)
8. क्या मैं इसे और संक्षिप्त रूप से लिख सकता हूँ?
(उत्तर- संक्षिप्त? संक्षिप्त ही तो लिखा है.. इससे संक्षिप्त तो बस पूर्णविराम का चिह्न ही हो सकता है...)
9. क्या मैंने इसके स्रोत, उद्धरण और प्रेरक तत्वों को यथोचित श्रेय दिया है?
(उत्तर – हिन्दी में? जो दिमाग में आया लिख मारा, अब स्रोत, उद्धरण और प्रेरक तत्व कहाँ से लाऊँ?)
10. क्या मैंने इससे पहले ऐसा ही कुछ लिखा है जिसे यहाँ पर लिंकित कर सकूं? या किसी और ने लिखा हो?
(उत्तर – हाँ... मेरे विचार से तो सब कुछ पहले ऐसा ही लिखा है... क्या सारा का सारा लिंकित कर दूं...? चंद दूसरे भी ऐसाइच लिखते हैं... वो भी लिंकित कर दूं?)
11. क्या मैंने अपने पोस्ट में पाठकों को इस विषय में अपने विचारों को जोड़ने के लिए कुछ छोड़ रखा है? क्या मैंने उन्हें आमंत्रित किया है?
(उत्तर – जोड़ने के लिए छोड़ना? बुड़बक समझ रखा है क्या? मैंने अब तक का अर्जित अपना सारा ज्ञान उंडेल मारा है भाई! अलबत्ता – वाद विवाद के लिए जरूर ताल ठोंक कर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से आमंत्रित किया है...)
12. इस विषय पर लोगबाग गूगल में किन कुंजी शब्दों से खोजेंगे? क्या मैंने इस पोस्ट को इन शब्दों के लिए अनुकूलतम बनाया है?
(उत्तर – हाँ... पर, नहीं....! हिन्दी में तो लोग बाग़ गूगल पर जाने क्या क्या चीजें खोजते रहते हैं....)
13. इस पोस्ट को मैं कैसे अपने दूसरे अन्य पोस्टों के रूप में विस्तारित कर सकता हूँ?
(उत्तर – हाँ, जैसे कि अपने पिछले पोस्ट से इसे विस्तारित किया है... मेरा हर पोस्ट आजाद खयाल है... टेबुल पर बैठा, टेबुल राइटिंग किया और विस्तारित हो गया...)
प्रोब्लॉगर से और आगे बातें जारी थीं ही कि इतने में किसी ने मुझे पीछे टहोका मारा और मेरा नाम पुकारा.
क्या टेबुल राइटिंग टेबुल राइटिंग चिल्ला रहे हो जी? अब नींद में और सपने में भी ब्लॉग लिखने और टिप्पणियाँ करने लगे क्या? इसी लिए कहती हूँ कि देर रात तक ब्लॉगों में उलझे मत रहा करो... यह पत्नी की आवाज थी...
यार, मैं अपने ब्लॉग में करोड़ों हिट पाने और करोड़ों रुपये कमाने के बारे में बढ़िया सपना देख रहा था और तुमने ये क्या किया – मुझे जगा दिया मेरे सुहाने सपने पर पानी फेर दिया.... मैंने उसे उलाहना दिया.
मैंने घड़ी देखी. सुबह के छः बज रहे थे. ब्लॉग लिखने, पोस्ट करने, पढ़ने, टिप्पणियां लिखने का समय वैसे भी हो गया था...
सुंदर सपना
हटाएंbadhiya vyangya hai, kalpana ke tatva ne achchha kathanak buna.badhayi.
हटाएंhttp://kvachaknavee.spaces.live.com/
http://360.yahoo.com/kvachaknavee
यह पढ़ा तो था आपने इसकी हिन्दी अच्छी की. :-)
हटाएंआपकी बाते गाँठ बाँध ली है.
हटाएंअब टिप्पणी करने से पहले क्या क्या विचारें यह कौन बतायेगा?
भई वाह........
हटाएंहे मार्गदर्शक रवि
हटाएंतुझे कोटी- कोटी प्रणाम.
इस अशेष और अकाट्य ज्ञान के लिए मैं आपका सदैव ऋणी रहूंगा.
आप धन्य है ब्लॉग श्रेष्ठ.
bahut badhiyaa....
हटाएंसही लिखा, गुरुवर..
हटाएंham to rachnakar par yada kada jakar bas padh lete the,kabhi apne blog ko sirf isliye janm diya ki apne likhe koek jagah ekatr karke rakh sake.
हटाएंpar aapko padhkar sachmuch kuch vichar man me ubhre hai.
यह नियम पढ़ने में अच्छे हैं। बाकी तो अपनी राह खुद बनायें!
हटाएंहिन्दी के प्रोब्लॉगर आप ही हैं। कम से कम हमने तो आप ही से सीखा है।
गुरू जी, खेल-खेल में ही कितनी बड़ी बातें बता गए आप!
हटाएंमुझे पता नहीं था कि आजकल लोग मुझे सपनों में भी बुलाकर मुझसे कंसल्टेंसी ले लिया करते हैं.
हटाएंआगे से सपनों में भी आने की फीस लेनी पड़ेगी.
वैसे रवि जी आपने जो अपने लेख में पहली ही लाइन में जो मेरा उल्लेख किया है, मैं फिलहाल उसी को फीस मान लेता हूँ.
धन्यवाद.
आप तो अपना सपना सुना के चैन की नींद सो जाओगे अब, लेकिन हमारे सपने में अब यही सवाल आएंगे हमारी ही जान खाने
हटाएंही ही ही!!
हटाएंचलो अच्छा है कि श्रीमान राउज़ ने सिर्फ़ ब्लॉग पोस्ट के बारे में ही १३ यक्ष प्रश्न रखे, टिप्पणी करने के बारे में कुछ नहीं कहा!!
एक ब्लॉगर और प्रो ब्लॉगर में इतना फर्क है की ज्यू ज्यू ब्लॉगर प्रो की तरफ़ बढ़ता जाता है उसकी खोपडी से बाल निकलते जाते है. एक तो रोज रोज पोस्ट लिखे की सोचो , फिर उसको इतने सवालों पर तोलो , भाई अपुन तो ब्लॉगर ही आछे . कम से कम सर पे बाल तो बचे रहेंगे .
हटाएंमजेदार !यक्ष के प्रश्न और आधुनिक युधिस्ठिर के उत्तर !!
हटाएंसही दिशा निर्देश
हटाएंरवि जी आपने सही बातें लिखी जिनसे हर ब्लॉगर सीख सकता है भले ही वह अपना ब्लॉग किसी भी भाषा में लिखता हो। आपकी एक पुरानी पोस्ट पढ़कर मेंने वर्ष 2008 के पहले महीने जनवरी में हर रोज कम से कम एक पोस्ट लिखी भले ही उसे रात में ग्यारह बजे पोस्ट किया हो या सुबह पांच बजे। इसका श्रेय आपकी बात को जाता है जिसके सीखने को मिला। वाकई आपने मूल्यवान बात बताई, हालांकि जब तक मैं करोड़पति नहीं बनता मूल्य नहीं चुकाऊंगा। आपकी बातों पर अमल करने की कोशिश आज से करुंगा, सफल होना है, बस सफल होना है।
हटाएंरोचक और उपयोगी.
हटाएंबढियां है !
हटाएंAcjchAc jaankari
हटाएं