मेरे एक मित्र को पिछले दिनों एक ईमेल मिला जिसमें कहा गया था कि उसे याहू और विंडोज लाइव मेल के संयुक्त तत्वावधान में कोई सात लाख पौंड स्टर्...
मेरे एक मित्र को पिछले दिनों एक ईमेल मिला जिसमें कहा गया था कि उसे याहू और विंडोज लाइव मेल के संयुक्त तत्वावधान में कोई सात लाख पौंड स्टर्लिंग (यानी कोई चार करोड़ रुपए) की लॉटरी उसके ईमेल खाते के नाम से खुली है. और उसे क्लेम करने के लिए कुछ जानकारियाँ मांगी गई थीं.
हम सबको, जो कुछ समय से इंटरनेट का प्रयोग कर रहे हैं, यह भली प्रकार से पता है कि इस तरह के ईमेल कर लोगों को फांसा जाता है और शिकार बनाकर डाक्यूमेंटेशन और दीगर खर्चे के नाम से शिकार से पैसा ऐंठा जाता है और उन्हें उल्लू बनाया जाता है.
मगर मेरा वह मासूम मित्र उनके जाल में फंस गया और उसने उस ईमेल का उत्तर दे दिया जिसमें उसने अपना मोबाइल नंबर भी दे दिया था.
बस क्या था, उसके मोबाइल पर फोन आने लगे (ब्लैंक नंबर युक्त!) कि कोई आदमी इंगलैंड से चलकर एक बड़े बक्से में इंडियन करेंसी लेकर आ रहा है (जिसे यह बताया नहीं गया है कि उस बक्से में क्या रखा है) और उससे अपनी आइडेंटिटी और कोड बताकर 2000 पौंड के समतुल्य राशि देकर वह ईनाम वाला बक्सा ले लेना है.
अब उस मित्र का माथा ठनका. उसने सोचा कि ये कैसा ईनाम है जो इंग्लैंड से चलकर बक्से में भारतीय रूपया आ रहा है? क्या दुनिया में चेक-ड्रॉफ़्ट का प्रचलन बंद हो गया? जबकि उसे इससे पहले ईनाम के सर्टिफ़िकेट का फ़ोटू भी ईमेल के जरिये भेजा गया था.
भला हो कि उसने मुझसे पूछ लिया. मैंने उसे बताया कि मेरे खाते में ऐसे दर्जनों ईमेल नित्य आते हैं, और ये निर्दोष, मासूम लोगों को फांसने के अलावा कुछ नहीं होते हैं. मैंने उसे अपना ईमेल खाता दिखाया जिसमें मुझे दुनिया की तमाम किस्म के – याहू से लेकर गूगल और माइक्रोसॉफ़्ट तक के लॉटरी मिलने के बारे में दर्जनों ईमेल थे. यदि उन्हें मैं गिनता होता तो खरबपति-शंखपति बनकर बहुत पहले ही विश्व के सबसे धनी आदमी भारतीय – मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ चुका होता.
पहले ऐसे ईमेल बहुत आते थे जिसमें बहुत बड़ी धनराशि को ठिकाने लगाने के एवज में उस राशि का कुछ हिस्सा देने के लालच में लोगों को फांसा जाता था. पर इधर कुछ दिनों से ऐसे लॉटरी का प्रलोभन देने वाले ईमेलों की संख्या में भारी इजाफ़ा हुआ है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि इनका धंधा जोरों से चमकने लगा है. शिकार आमतौर पर पुलिस इत्यादि में नहीं जाता क्योंकि फिर वो अपने आप को उपहास का पात्र समझता है.
अतः ऐसे ईमेल लॉटरी और अन्य प्रलोभन वाले ईमेलों से बचकर रहें, और दोस्तों-मित्रों को जो खासतौर पर इंटरनेटीय दुनिया में नए-नए आए हैं उन्हें भी इन बोगस लाटरियों के बारे में बताएँ ताकि जाने अनजाने वे भी शिकार न बन जाएँ.
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ऐसे ई-मेल अभी भी घूम रहें है? सम्भवतः नाईजिरिया आदी से यह धन्धा संचालित होता है.
जवाब देंहटाएंYes Mr. Sanjay is right.
जवाब देंहटाएंThis business is from African countries.. everyone should be aware of this..
मुझे लगता है कि कानूनविदो से सलाह लेकर इसे ठगी के दायरे मे लाया जाये और हर बार मेल भेजने वाले से कानूनी रूप से जुर्माना वसूला जाये। फिर तो देश को भी पैसा मिलेगा और पाने वाला भी खुश होगा। दूसरी बात, क्या हम ऐसा ब्लाग बनाये जिसमे मैल को वैसे ही रूप मे डाले ताकि नये लोग इसमे फस न सके। भेजने वाले अब मेहनत करने लगे है। मुझे एक वैज्ञानिक की तरह शोध भरा खतरनाक मेल भेज कर फ्साने की कोशिश की जाती है।
जवाब देंहटाएंएक बार फिर जगाने के लिये आभार।
Ravi ji
जवाब देंहटाएंGyanvardhan ke liye dhanyawaad
रतलामीजी
जवाब देंहटाएंयह सही है कि कई मेल इस प्रकार की आती रहती है जिसको पढकर कुछ लोग झांसे में आ जाते हैं। यह तो अच्छा हुआ कि आपके मित्र ने आपको पूछ लिया यदी नहीं पूछा होता तो नुकसान हो सकता था। अभी कुछ समय पहले आईसीआईसीआई बेंक के प्रथम पेज की इमेज बनाकर लोगों से यूजरनेम व पासवडर् मांगे जाते आैर जिन्होंने भेजे उनके खातों से राशि इधर उधर हो गई। जगाने के लिए आभार।
क्या ऐसे ईमेल को MIT, ITO, CBI आदि को फॉरवर्ड कर देना उचित नहीं होगा? क्या साईबर क्राइम रोधी कोई ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था नहीं है?
जवाब देंहटाएंसाधुवाद. लोगों के चेताकर एक जरुरी कार्य किया है.
जवाब देंहटाएंऐसे ईमेल को एंटीफ़िशिंग डॉट ऑर्ग (http://antifishing.org/) पर अग्रेषित करने पर वे कुछ कार्यवाहियाँ करते हैं. यह साइट ऐसे ही साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए बना है. आप अपने अनुभव वहां भेज सकते हैं इस पते पर - info@antiphishing.org
जवाब देंहटाएंमैं तो त्रस्त हो गया हूं इन ई मेल्स से. रोज ३-४ आ जाते हैं. स्पैम घोषित करते करते थक गया हूं.
जवाब देंहटाएंआजकल तो ईनाम में कारें भी बांटी जा रही हैं
जवाब देंहटाएंनकद नारायण की तो कमी नहीं हैं बांटने वालों के पास,
बस उन्हें लेने वाले नहीं मिल रहे हैं
लेने वाले वे जो फंस सकें और लेने के नाम पर देकर चले जाएं.
बाद में रोते नजर आएं
और अपने आंसू छिपाएं
पर आपने जागृति फैलाकर अच्छा कार्य किया है.
ऐसी पोस्टें तो सप्ताह में दो चार बार लगा ही देनी चाहिएं. नहीं तो नये नये ईमेल धारकों के फंसने की पूरी संभावना रहती है.
they will be arrested soon
जवाब देंहटाएंthis my order